स्टेशन मौतपुर | Station Mautpur | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – स्टेशन मौतपुर। यह एक Bhutiya Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Chudail Ki Kahani या Horror Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

स्टेशन मौतपुर | Station Mautpur | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Station Mautpur | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi



स्टेशन मास्टर,” ट्रेन का टाइम तो यही लिखा था। ऊपर से इतनी ठंड है कि मेरा दिमाग ही जम रहा है। कसम से… तबादला लेकर पछता रहा हूँ। “

तभी स्टेशन मास्टर को ट्रेन के हॉर्न की आवाज सुनाई दी। उसने जब सामने देखा तो ट्रेन तेज रफ्तार से धूल उड़ाते हुए आ रही होती है। 

स्टेशन मास्टर भी ट्रेन को आता देख हाथ में लिए हरी लालटेन को हिलाने लगता है। पर उसे तेज रफ्तार ट्रेन के साथ एक और चीज़ देखी जो ट्रेन की रफ्तार से ही उसके पास आ रही थी।

स्टेशन मास्टर,” ये क्या बला है जो इतनी तेज रफ्तार ट्रेन के साथ दौड़ रही है ? अरे ! ये तो मेरी तरफ ही आ रही है। “

स्टेशन मास्टर इससे पहले कुछ समझ पाता, उस चीज़ ने एक चीख के साथ स्टेशन मास्टर के जिश्म से गुजरते हुए स्टेशन मास्टर के चीथड़े उड़ा दिए।

24 साल बाद…
 अनिल,” पूरा स्टेशन शमशान की तरह सुनसान पड़ा हुआ है। ना आदमी है और ना कोई परिंदा। 

बस यही एक इंसान दिखा है। ज़रा पूछूं तो मेरी ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर आने वाली है ? “

अनिल,” सुनिए भाई साहब, ये मुंबई जाने वाली ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर आयेगी ? हैलो भाईसाहब… आप सुन रहे हैं ? “

कोई जवाब ना आने पर अनिल उस शख्स के और करीब गया लेकिन उसने जो देखा उसे देख उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। 



वह शख्स अपने हाथ को लहूलुहान कर स्टेशन पर लिखे नाम (भोजपुर) को काटकर उसकी जगह मौतपुर लिख रहा था।

पागल आदमी,” भाग जा यहाँ से। वो… वो आएगी और तेरे जिस्म को भी चीरते हुए निकल जाएगी। अगर अपनी‌ जान प्यारी है तो जा चला जा यहाँ से। “

इतना कहकर वो पागल शख्स खुद ही भाग गया कि तभी अजय की पीठ थपथपाते हुए किसी ने कहा।

स्टेशन मास्टर,” आप कौन और इस वक्त यहाँ स्टेशन पर क्या कर रहे हैं ? “

अनिल,” ऐक्चुअली मुझे मुंबई जाना है। ये रही मेरी टिकिट। अब मुझे पता नहीं है कि ये ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर आयेगी ? आप कुछ बता सकते हैं ? “

स्टेशन मास्टर,” अच्छा तो तुम हो वो पहले यात्री जो 24 साल बाद इस स्टेशन से अपनी ट्रेन पकड़ेगा। “

अनिल,” 24 साल बाद… ये क्या बोल रहे हैं आप ?‌ “

स्टेशन मास्टर,” हाँ, क्योंकि इन 24 सालों में इस स्टेशन पर एक भी ट्रेन नहीं रुकी और अगर रुकी भी तो उसने किसी को जिंदा नहीं छोड़ा। “

अनिल,” ऐसा क्या हुआ था 24 साल पहले और कौन लोगों को जिंदा नहीं छोड़ेंगे ? स्टेशन मास्टर साहब मुझे डर लग रहा है। “

स्टेशन मास्टर,” डरते क्यों हो ? उसने अपना इंतकाम ले लिया है। अब वो किसी को नहीं मारेगी। चलो, मैं तुमको इस स्टेशन की कहानी सुनाता हूँ। 

वैसे भी तुम्हारी ट्रेन आने में अभी वक्त है।
तो आज से 24 साल पहले यहाँ एक स्टेशन मास्टर था मनोहर। “

फ़्लैश बैक…
मनोहर,” बेटी लक्ष्मी, आज फिर तेरी वजह से लेट होऊंगा मैं। रोज़ तू ऐसा ही करती है। “

लक्ष्मी,” पिताजी, बस एक मिनिट। लीजिए, पहले आप ये स्वेटर पहनिए और मफलर भी। बाहर बहुत सर्दी है। 

अगर मैं ना रहूं तो आप 2 दिन में अपनी तबियत खराब करके बैठ जाएंगे। “

मनोहर,” हाँ हाँ देख रहा हूँ, तुम बेटी से धीरे धीरे मेरी माँ बनती जा रही हो। तू तो शादी करके अपने घर चली जाएगी, मुझे तो अकेला ही रहना है। “

लक्ष्मी,” मैं कहीं नहीं जाने वाली है आपको छोड़ के। और अगर किसी ने मुझे आपसे दूर करने की कोशिश भी की ना तो मैं उसका खून पी जाउंगी। “



मनोहर,” तेरा गुस्सा हमेशा नाक पर रहता है। पता नहीं अपने पति का क्या हाल करेगी तू ? 

चल अब मैं चलता हूँ, मेरी ट्रेन आने वाली है। अगर टाइम से सिग्नल नहीं दिया तो हजारों पैसेंजर खामखां परेशान होंगे। “


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ट्रेन के कंपार्टमेंट में…
सुरेश,” यार अमन, घंटों से ऐसे ही चले जा रहे हैं। क्या बकवास ट्रेन है ये ? हम तीनों के अलावा और कोई नहीं है पूरे कम्पार्टमेंट में। “

राहुल,” हाँ अमन, सुरेश बिल्कुल ठीक कह रहा है। अरे ! जब अकेले ही जाना था तो गाड़ी से आ जाते। ये ट्रेन में खटर खटर करते हुए आने की क्या जरूरत थी ? “

अमन,” अरे ! चुप बैठो तुम दोनों, बहुत सुन ली तुम्हारी। जिन लड़कियों से बात करी थी साथ चलने की वो तो आयी नहीं, तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ? “

सुरेश,” लड़कियां साथ नहीं आईं तो क्या हुआ ?
रास्ते से किसी को उठा लें ? वैसे भी तेरा बाप मिनिस्टर है। फिर किस बात की टेंशन है तुझे ? “

अमन,” अच्छा रुको, मैं करता हूँ कुछ इंतजाम। सबको मज़ा आएगा। “

इधर मनोहर अपना खाना और कपड़े ले जाना भूल जाता है इसलिए लक्ष्मी घर से खाना और गर्म कपड़े लेकर स्टेशन की ओर निकलती है।

लक्ष्मी,” आज फिर सब कुछ भूल कर काम पर चले आये ना ? मैं ना रहूं तो पता नहीं आप अपना ख्याल कैसे रखेंगे ? “

मनोहर,” अच्छा हुआ तू आ गयी, बहुत तेज भूख लगी हुई है। “

मनोहर ने जब भूख की बात करी तो लक्ष्मी ने मनोहर को खाने का डिब्बा, स्वेटर और मफलर पकड़ाते हुए कहा।

लक्ष्मी,” अच्छा रुको, मैं अभी पानी लेकर आती हूँ। फिर दोनों साथ खाना शुरू करेंगे। “

इतना कहकर लक्ष्मी पानी लेने के लिए बढी ही थी कि तभी एक ट्रेन आकर स्टेशन पर खड़ी हुई। 

स्टेशन पर गूंजती हुई आवाज – यात्रीगण कृपया ध्यान दें… मुंबई जाने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर दो पर आ चुकी है। “

लक्ष्मी पानी लेने के लिए जा ही रही थी कि तभी ट्रेन का दरवाजा खुला और अमन, सुरेश और राहुल तीनों दरवाजे पर खड़े लक्ष्मी को देख हंस रहे थे। 

राहुल,” अरे ! मौका सही है। मैं तो कहता हूँ उठा ले। “

सुरेश ,” हाँ अमन, उठा ले। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। ना ट्रेन के कम्पार्टमेंट में कोई है और ना स्टेशन पर। 



जब किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो फिर डर कैसा ? और भूल मत तेरा बाप मिनिस्टर है मिनिस्टर। “

राहुल और सुरेश की बातें सुन अमन ने दबे पैरों से लक्ष्मी को दबोच लिया और जबरदस्ती उसे अपने साथ ट्रेन के अंदर ले जाने लगा जिसमें राहुल और सुरेश भी उसकी मदद करने लगे।

लक्ष्मी (चिल्लाते हुए),” पिताजी, बचाओ मुझे। पिताजी, ये लोग जबरदस्ती मुझे ट्रेन के अंदर ले जा रहे हैं। “

लक्ष्मी की चीख सुन मनोहर तुरंत ही लक्ष्मी को बचाने दौड़ पड़ा लेकिन तब तक अमन, राहुल और सुरेश लक्ष्मी को ट्रेन के अंदर लाकर दरवाजा बंद कर चुके थे।

मनोहर,” मेरी बेटी को छोड़ दो। मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ। छोड़ दो मेरी बेटी को। “

मनोहर अपनी बेटी को बचाने के लिए गिड़गिड़ा ही रहा था कि ट्रेन भी चलने लगी। मनोहर भी ट्रेन के साथ साथ दौड़ने लगा। 

लक्ष्मी किसी तरह खुद को बचाकर खिड़की के पास आ गई और वह अपने पिता को देख रोते हुए बोली।

लक्ष्मी,” पिताजी, मुझे बचा लो। ये लोग बहुत गंदे लोग हैं। “

लक्ष्मी रोते हुए बोल ही रही थी कि अमन ने लक्ष्मी के बाल पकड़े और खिड़की में दे मारा जिससे उसके सिर से खून निकलने लगा। 

लक्ष्मी के साथ यह सब होता देख मनोहर को सदमा लग गया था। लेकिन ट्रेन की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी थी कि मनोहर का पैर फिसला और एक चीख के साथ ट्रेन ने उसके भी टुकड़े कर दिए। 

अपने पिता की चीख सुनकर लक्ष्मी को पता चल गया कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं। 

उसने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और अमन का मुँह नोच कर वो दरवाजे पर आ खड़ी हुई और उन तीनों से कहा।

लक्ष्मी,” जिस तरह तुमने मेरी दुनिया उजाड़ दी है, मैं भी तुमको मिट्टी में मिला दूंगी। याद रखना… मैं जब तक तुम लोगों के खून से नहा नहीं लेती, मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। “

अनिल,” पर आपने तो कहा था कि लक्ष्मी ने अपना बदला ले लिया है। उसने तो ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी थी।
फिर उसका बदला कब पूरा हुआ ? “

स्टेशन मास्टर,” लक्ष्मी की मौत के बाद उसकी आत्मा इस स्टेशन से गुज़रने वाली हर ट्रेन का पीछा करती है और जो भी उसके रास्ते में आता, वो उसके चिथड़े उड़ा देती।

इस डर से पैसेंजर ने यहाँ उतरना बंद कर दिया और धीरे धीरे ट्रेनें भी यहाँ नहीं रुकने लगीं। 



लेकिन फिर उस ऊपर वाले ने अपना इंसाफ दिखाया और 24 साल बाद फिर से वो तीनों एक साथ इसी रास्ते से मुंबई जा रहे थे।

लक्ष्मी,” आज मैं खून से नहाऊंगी। तुम तीनों की मौत से नहाऊंगी। आज वो दिन आ गया है। तुम ने मुझे बर्बाद कर दिया। मुझसे सब कुछ छीन लिया। मैं तुम्हें जिन्दा नहीं छोडूंगी। “

थोड़ी सी देर में लक्ष्मी ने राहुल और सुरेश की गर्दन को उनके धड़ से अलग कर दिया और वह तड़प तड़प कर मर गए। 

लक्ष्मी ने जिस भयानक तरीके से राहुल और सुरेश को मारा था, वो देख अमन की रुह कांप गई। वो तुरंत लक्ष्मी की आत्मा के सामने गिड़गिड़ाता हुआ बोला। 

अमन,” मुझे मत मारो। मुझे माफ़ कर दे, मुझे माफ़ कर दे। मैंने अपने दोस्तों के बहकावे में आकर बहुत बड़ी गलती कर दी थी। मैं अपने गुनाह के लिए बहुत शर्मिंदा हूँ। 

मैं बस अपने पापा को ढूंढने जा रहा था। अगर पता होता कि तू मेरी मौत बनकर मेरा इंतज़ार कर रही है तो मैं कभी इस रास्ते से नहीं गुजरता। “

लक्ष्मी,” मुझे पता था कि तू अपने बाप को ढूंढता हुआ इस रास्ते से जरूर गुजरेगा। इसलिए मैंने तेरे बाप को पहले से ही अपने पास रखा हुआ है। वो देख…। “

अमन ने जब लक्ष्मी की नजरों का पीछा किया तो उसे अपने सामने अपने मिनिस्टर पिताजी को देखा जो अपनी बाहें फैलाये अमन को गले लगाने को तैयार थे।

लक्ष्मी,” जिस तरह मेरे पिताजी मुझे तड़पता देख मर गए। उसी तरह तेरे पिताजी भी तुझे तड़पता देखकर मर जाएंगे। “

अपने पिता को बाहें फैलाए देख अमन उनके गले लगने ही वाला होता है कि लक्ष्मी अमन के जिस्म में तेजी से गुजरते हुए निकलती है और उसके जिस्म के चिथड़े उड़ा देती है जिसे देख अमन के पिता की चीख निकल जाती है और वो पागल हो जाते हैं। 


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अनिल,” तो वो जो पागल मैंने देखा था, वो अमन का बाप मिनिस्टर है। “



स्टेशन मास्टर,” हाँ, वो पागल अमन का बाप है। अभी ये सब छोड़ो और अपनी ट्रेन पकड़ो। “

अनिल उसी वक्त ट्रेन पकड़ता है और मुंबई शहर के लिए निकल जाता है।


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