होन्टेड स्कूल | Haunted School | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – होन्टेड स्कूल। यह एक Horror Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

होन्टेड स्कूल | Haunted School | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Haunted School | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi



मस्तीपुर एक छोटा सा गांव था। यहाँ के लोग भी बड़े ही भोले भाले थे। गांव में नया नया इंटर कॉलेज खुला था और शहर से गांव में एक हेडमास्टर को भेजा गया था। 

आशीष शहर में पला बढ़ा एक होनहार व्यक्ति था और उसी को ही मस्तीपुर के इंटर कॉलेज का हेडमास्टर बनाया गया था।

आशीष,” तो आज हमारी स्कूल का पहला दिन है। “

स्कूल के बाहर सारे गांव वाले और बच्चे जमा थे। गांव का मुखिया सुभाष भी काफी खुश था। मगर सुभाष की बीवी सुमन बिल्कुल खुश नहीं थी। 

सुभाष,” हमारे हेडमास्टर आशीष जी का मस्तीपुर में स्वागत है। “

आशीष,” अब हमारे मस्तीपुर के बच्चे भी यहाँ से पढ़कर आगे बढ़िया कॉलेज में ऐडमिशन लेंगे, इसकी मैं गारंटी देता हूँ। “



सुमन ने फुसफुसाते हुए सुभाष से कहा।

सुमन,” आया बड़ा हेडमास्टर। हम भी तो उतनी ही पढ़े लिखे हैं,
हमें तो कहीं किसी ने नहीं बनाया हेडमास्टर ? “

आशीष स्कूल के अंदर जाने ही वाला था, अचानक ही स्कूल की बिल्डिंग गिरी गई। सब लोग डर गए।

आशीष,” ये कैसे हुआ ?

सुभाष,” पता नहीं कैसे, हम तो बहुत अच्छा सीमेंट लगवाए थे। फिर कैसे हुआ ? “

बिरजू,” पता नहीं भैया, ये तो समझ के बहार है। “

तभी पास से एक बुढ़िया हँसते हुए गुजर रही थी।

बुढ़िया (हंसते हुए),” उसको जगा दिया तुमने। “

आशीष,” अरे ! ये क्या कह रही है ? “

सुभाष,” कुछ नहीं सर, ये बुढ़िया तो पागल है। चलिए, हम ये स्कूल दुबारा बनवाते हैं। बस एक महीने में करवा देंगे हम तब तक आप हमारे घर पे रह सकते हैं। जैसे ही स्कूल बनेगा,
पढ़ाई शुरू कर देंगे। “

आशीष,” अरे ! उसकी क्या जरूरत है ? “

सुमन,” हाँ हाँ, उसकी क्या जरूरत है ? “

सुभाष,” तुम चुप रहो। आज से आशीष सर हमारे घर पे ही रहेंगे। “

स्कूल दोबारा बनना शुरू हो गया। सब लोग बड़ी मेहनत से लग गए और उसके बाद आशीष सुभाष के घर पर रहने लगा। 

दूसरी ही रात थी उसकी गांव में, वो नीचे वाले कमरे में सो रहा था। तभी अचानक ज़ोर से चीखने की आवाज आई। वो उठ गया और घर से बाहर आकर खड़ा हो गया। 

मगर वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। दूसरी तरफ बिरजू भी अपने घर में आराम से सो रहा था। अचानक से बिरजू की चारपाई हवा में उठने लगी।

बिरजू ,” ये क्या हो रहा है ? नीचे उतारो। “

तभी उसकी चारपाई खूब ज़ोर से जमीन पर आकर गिरती है। चारपाई टूट जाती है। बिरजू को काफी चोट आती है। वह बेहद डर जाता है। 

बिरजू,” सामने आओ। ये कैसा मजाक है ? “

तभी अचानक एक खतरनाक चुड़ैल जिसकी नाक काटी थी, उसके सामने आकर खड़ी हो गयी। वो थर थर कांपने लगा। 

 चुड़ैल ने उसकी गर्दन पड़कर ऊपर हवा में उठाया। बिरजू ने उसको करीब से देखा और चिल्ला उठा।

बिरजू,” तु तु तुम..? “



इतने में चुड़ैल ने अपने तेज नाखूनों से बिरजू की गर्दन पर वार किया और उसकी गर्दन को उसके धड़ से अलग कर दिया। चारों तरफ खून ही खून हो गया। 

गांव के लोग सुबह सुबह उठकर खेत की तरफ जा रहे थे। रास्ते में ही वह जगह पड़ती है जहाँ स्कूल बन रहा था। 

दो गांव वाले सुनील और श्याम जैसे ही उसके सामने से गुजरे और उन्होंने देखा कि बिरजू का सर स्कूल के गेट पर टंगा हुआ है। उसके सर से अभी तक खून चल रहा है। 

कटा हुआ सर देखते ही सुनील और श्याम डर के मारे जम से गए। वो वहाँ से सीधे मुखिया जी के घर पहुंचे।


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सुनील,” मुखिया जी। “

सुभाष,” हाँ सुनील, क्या हुआ… इतने डरे हुए क्यों ? “

सुनील,” बिरजू का कटा हुआ सर स्कूल के बाहर टंगा हुआ है। “

ये खबर गांव में आग की तरह फैल गयी। सब लोग स्कूल के सामने जमा हुए। 

सुभाष,” ये किसी इंसान ने तो नहीं किया। ये किसी इंसान का काम नहीं लगता। “

श्याम,” भूत का काम है ये। “

 तभी वो बुढ़िया भी वहाँ से गुजरती हैं।

बुढ़िया (हंसते हुए),” अब किसकी बारी है ? “

आशीष को नींद नहीं आ रही थी। वो बस इसी उधेड़बुन में था कि स्कूल बने और वो पढ़ाना शुरू करें। उसको ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार ये कौन कर रहा है ? 

आशीष,” पक्का कोई गांव का आदमी है जो कि नहीं चाहता कि स्कूल बने। “

तभी अचानक से आज फिर से आवाज हुई। वो दौड़कर घर से बाहर निकलता है। उसको एक परछाई दिखती है जिसने साड़ी पहनी हुई है। वो भाग रही है। 

आशीष,” कौन है वहां ? मैं पूछता हूँ कौन है ? “

आशीष भी उसके पीछे भागने लगता हैलेकिन परछाईं उससे बहुत तेज़ भाग रही थी। मगर तभी एक और चीखने की आवाज आती है। 

इस बार वो मुखिया के घर से आती है। तभी अचानक परछाईं ने भी भागना बंद कर दिया। आशीष परछाई को देखता है। परछाईं पीछे मुड़ती है।



आशीष देखता है कि ये तो सुमन है। लेकिन वो भाग क्यों रही है और कहाँ जा रही थी ? लेकिन इन सभी सवालों से ज्यादा जरूरी आशीष को लगता है कि वह वापस घर की तरफ जाकर देखे कि क्या हो रहा है ? वो वापस घर पहुँच जाता है। 

घर पर लोगों की भीड़ लगी हुई थी। वो देखता है सुभाष मरा पड़ा है और उसका सिर्फ खून से सना धड़ वहाँ पड़ा हुआ है।
मगर उसका सर वहाँ नहीं है। तभी सुनील भागता हुआ आता है।

सुनील,” मास्टर जी, मुखिया जी का कटा हुआ सिर स्कूल पे टंगा हुआ है। “

आशीष,” तुमने किसी को आते जाते हुए देखा ? “

सुनील,” नहीं, मास्टर जी। “

इतने में सुमन भी वहाँ आ जाती है।

सुमन,” ये क्या हुआ ? किसने किया ये सब ? “

आशीष,” मुझे तो लगता है इसमें तुम्हारी कोई चाल है। मैंने कल रात को किसी की चीख सुनी थी और जब मैं चीख सुनकर बाहर आया तो सुमन भी भाग रही थी। मैंने खुद देखा है इसको भागते हुए। “

सुमन,” हां, भाग रही थी। मगर मैंने किसी का खून नहीं किया। मैं भला अपने ही पति को क्यों मरूंगी ? “

सुनील,” तो फिर तुम भाग क्यों रही थी ? “

सुमन,” क्योंकि मैं आशीष जी को डराकर गांव से बाहर निकालना चाहती थी। मुझे बनना था इस स्कूल की हेडमास्टर। वो चीख भी मेरी ही थी। मगर… मगर मैंने किसी को नहीं मारा। “

तभी वो बुढ़िया वहाँ आ जाती है।

बुढ़िया (हंसते हुए),” 2 शिकार… अगला कौन ?

आशीष,” ये क्या कह रही हो अम्मा तुम ? कैसा शिकार ?

सुमन,” 1 मिनट… मुझे लगता है कि इन दोनों हत्याओं का स्कूल से पक्का कुछ ना कुछ लेना देना है। बिरजू स्कूल बनवाने में सबसे आगे खड़ा था, वो अब नहीं रहा।

मेरे पति ने आशीष जी को शहर से यहाँ बुलाया, वो भी अब नहीं रहे। मतलब जो कोई भी है उसका अगला शिकार आशीष जी हैं। “

आशीष,” मैं…। “

सुमन,” हाँ, और हम सब गांव वालों को मिलकर आपको बचाना होगा। आप हमारे बच्चों के लिए इतना कुछ करते हैं और मुझे अपने पति की मौत का बदला भी तो लेना होगा। “

सुनील,” मगर कैसे ? “

सुमन,” कल रात हम सब सोने का नाटक करेंगे और देखेंगे कि वो कौन है जो आशीष जी को मारने आता है। आशीष जी आप जैसे ही उसे देखें, ये घंटी बजा देना। “



सुमन ने आशीष को एक घंटी दे दी। अगली रात जल्दी ही आ गयी। सबको इस रात का बेसब्री से इंतजार था… चुड़ैल को भी।

आधी रात को आशीष की चारपाई हवा में उड़ना शुरू हुई ? चुड़ैल जोर-जोर से हंसते हुए उसके सामने आ खड़ी हुई। 

चुड़ैल (हंसते हुए),” आखिरी शिकार। “

इससे पहले चुड़ैल कुछ करती, आशीष ने वो घंटी बजा दी। गांव के सब लोग तुरंत इकट्ठे हो गए। चुड़ैल को घेर लिया गया। 

इतनी भयानक चुड़ैल… नाक कटी हुई, भयंकर नाखून, आँखों में गुस्सा।

सुमन,” तुम… पद्मश्री ? “

पद्मश्री,” हां, मैं। “

सुमन,” मगर तुम तो…। “

पद्मश्री,” हाँ, मैं मर चुकी हूँ। तुम लोगों ने मेरे बच्चों को स्कूल में इसलिए नहीं पढ़ने दिया क्योंकि हम नीची जाति के थे और जब उसने तुम्हारे बच्चों का खानदानी सामान छू लिया तो तुम लोगों ने सबके सामने मेरी नाक काट दी और हमारे घर में रात में आग लगा दी। 

अब स्कूल बनाने चले हो गांव में अपने बच्चों के लिए। ये कभी नहीं होने दूंगी मैं। अच्छा हुआ सारे यहाँ आ गए। मैं तो एक एक करके मारना चाह रही थी। “

तब तक चुड़ैल और गुस्से में आ गई और उसने आगे बढ़कर सुनील के सर को अपने हाथों में पकड़कर दोनों हाथों से पीट दिया। उसका सर फट गया और उसका खून चारों तरफ फैल गया। 

अब वो श्याम की तरफ बढी। सब भागने लगे। श्याम को पकड़कर उसने को टुकड़ों में काट दिया। तभी वो बुढ़िया वहाँ आई।

बुढ़िया,” रुक जा डायन। “

बुढ़िया ने जाकर चुड़ैल का सिर पकड़ा और उसकी आँखों में अपनी आँखों से एक शक्ति छोड़ी। चुड़ैल अब एकदम शांत हो गयी।

चुड़ैल,” माँ तू…? “

बुढ़िया,” हाँ हाँ, मैं। तेरे मरने के बाद आज तक पागल बनी इस गांव में भटक रही हूँ। इस तरह सबको मारने से क्या होगा? 

ये सब तो पहले ही मरे है। इनके अंदर इंसानियत नहीं है। छुआछूत और ऊंच नीच के चक्कर में सब कुछ भूल गए हैं ये। “

आशीष,” मुझे अगर इस बात का पता होता तो मैं इस गांव में कभी नहीं आता। ऐसे लोगों को पढ़ाकर मिलेगा भी क्या ? “

सब लोग बेहद शर्मिंदा थे। कोई कुछ नहीं बोल पा रहा था। 

सुमन,” पद्मश्री, हमें माफ़ कर दो बहन। हमसे इतनी बड़ी भूल हो गई और हमें इसका अंदाजा तक नहीं हुआ। आज से ही गांव में सब बराबर होंगे। कोई छोटा बड़ा नहीं। “



सभी गांववालों ने एक साथ कहा,” हाँ हाँ। “


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चुड़ैल ने गांव वालों पर भरोसा कर लिया और इस तरह आखिर एक चुड़ैल ने अपने गांव से कितनी बड़ी बिमारी का इलाज कर दिया ? 

स्कूल बना और सभी बच्चे बिना किसी भेदभाव के पढ़ने लगे। वो चुड़ैल भले ही गुस्से में थी मगर क्या वो गलत थी? पूछिए अपने आप से…।


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