बैड पर सूसू करने वाली बहू | Bed Per SuSu Karne Wali Bahu | Saas Bahu | Family Story | Saas Bahu Kahaniyan

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बैड पर सूसू करने वाली बहू ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Saas Bahu Stories, Family Stories या Parivar Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


निखिल और आयुषी अपनी कार से रात में कहीं जा रहे थे। निखिल कार ड्राइव कर रहा था, तभी अचानक आयुषी को सुसू लग आई।

आयुषी, “निखिल, मुझे बहुत ज़ोर की सुसू आई है।”

निखिल, “आयुषी, घर चलकर कर लेना। यहाँ चारों तरफ जंगल है। यहाँ कोई वाशरूम तो है नहीं।”

आयुषी, “तब तक तो निकल जाएगी। जल्दी कुछ करो वरना मैं कार में ही कर दूंगी।”

निखिल, “नहीं नहीं रुको, मैं गाड़ी साइड में लगाता हूँ। यहीं रोड के किनारे तुम सुसू कर लो।”

आयुषी कार से बाहर निकली और वहीं सड़क के किनारे बैठकर सुसू करने लगी। वो काफी देर तक सुसू करती रही, लेकिन उठने का नाम ही नहीं ले रही थी।

निखिल, “अरे! हो गया क्या?”

आयुषी, “अरे! एक मिनट रुकिए।”

आयुषी कम से कम एक घंटे तक सुसू करती रही, लेकिन वहाँ से उठी नहीं। निखिल परेशान हो गया।

निखिल, “आयुषी, एक घंटा हो गया। कितना सुसू करोगी? पूरा समुंदर पी गई थी क्या?”

आयुषी सुसू करती जा रही थी, लेकिन उसकी सुसू रुक ही नहीं रही थी।

सुसू करते-करते अचानक उसकी नींद खुल गई, क्योंकि वो ये सब सपने में देख रही थी। तभी उसे अहसास हुआ कि उसने बिस्तर पर ही सुसू कर दिया है।

आयुषी, “ये क्या? मैं तो सपने में सुसू कर रही थी। बिस्तर पर ही सुसू कर दिया!”

आयुषी ने धीरे से कम्बल उठा कर देखा तो निखिल की पैंट भी भीगी हुई थी। यानी आयुषी ने इतना ज्यादा सुसू कर दिया था कि उसकी सुसू से निखिल भीग गया,

लेकिन वो बेचारा सो रहा था। उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं था।

आयुषी, “चुपचाप सो जाती हूँ, सुबह में सारा इल्ज़ाम निखिल पर डाल दूंगी।”

सुबह आयुषी जल्दी उठ गई और उसने नहा धो भी लिया। वो चाय लेकर निखिल के पास आई और उसे जगाया।

आयुषी, “अरे निखिल! उठिए ना। आज आपको ऑफिस नहीं जाना क्या?”

निखिल, “अरे! सोने दो न आयुषी। मैं लेट भी चला जाऊंगा तो बॉस मुझे कुछ नहीं कहेगा। आखिर तुम्हारे भाई उस कंपनी के मैनेजर हैं।”

आयुषी ने निखिल के ऊपर से कम्बल हटा दिया। उसकी पूरी पैंट गीली थी। आयुषी ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया।

आयुषी, “अरे! ये क्या? आपने तो बच्चों वाली हरकत कर दी। आप अभी तक बिस्तर पर ही सुसू कर देते हो? ये देखिए, आपकी पूरी पैंट गीली हो गई है।”

निखिल चौंककर उठ गया। उसने अपनी पैंट देखी तो पूरी गीली थी।

निखिल, “अरे! ये क्या हो गया? मैंने तो बिस्तर पर ही सुसू कर दिया और मुझे पता भी नहीं चला।

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प्लीज़ तुम माँ को कुछ मत बताना, मैं जल्दी से नहा लेता हूँ और तुम जल्दी से बेड शीट बदल दो।”

निखिल उस घर में जमाई था। इतने में आयुषी की भाभी राधिका वहाँ पर आ गई।

राधिका, “मैंने सब कुछ देख लिया, नंदोई जी। आप तो आज भी बिस्तर पर सुसू कर देते हो।”

निखिल, “भाभी जी, मुझे बिल्कुल पता नहीं चला, ये सब कैसे हो गया?”

निखिल तुरंत बाथरूम में घुस गया और नहाने लग गया। आयुषी ने बेड शीट बदल दी।

आयुषी की मां, “अरे बेटा! कितना काम करोगी? चल, बहू ने नाश्ता तैयार कर दिया है।”

राधिका ने नाश्ता बना दिया। निखिल, मोहन, आयुषी और उसकी माँ ने नाश्ता किया। निखिल और मोहन अपना टिफिन लेकर ऑफिस चले गए।

दोपहर में टीवी देखते-देखते आयुषी को नींद आ गई।

आयुषी, “माँ, भाभी आप लोग टीवी देखो, मुझे तो बहुत नींद आ रही है।”

माँ, “हाँ बेटा, जा।”

भाभी, “हाँ, जाइए ननद जी। निखिल ने सुसू कर दिया था, इसलिए तुझे जल्दी उठना पड़ा होगा। जा, थोड़ा आराम कर ले।”

आयुषी, “भाभी, माँ के सामने तो…।”

राधिका, “ओह! सासु माँ को नहीं बताना था?”

खैर, आयुषी अपने कमरे में जाकर सो गई। जैसे ही उसकी आँख लगी, वैसी वो एक बार फिर से सपना देखने लगी जिसमें वो पहाड़ों पर बैठकर सुसू कर रही थी।

अचानक जैसे ही उसकी नींद खुली, उसने देखा कि पूरा बिस्तर गीला हो चुका था।

आयुषी, “ये क्या हुआ? मैंने तो दिन में ही बेड पर सुसू कर दिया। रात में तो मैंने सारा इल्ज़ाम निखिल पर डाल दिया था,

पर अब मैं क्या करूँ? जल्दी से बैडशीट बदल देती हूं और थोड़ा सा परफ्यूम भी डाल देती हूं ताकि महक ना आए।”

आयुषी ने जल्दी से बेडशीट एक बार फिर से बदल दी और पूरे बेड पर परफ्यूम भी डाल दिया। इतने में उसकी माँ कमरे में आ गईं।

माँ, “अरे आयुषी! तू तो यहाँ सोने आई थी। ये बेडशीट क्यों बदल दी तूने? अभी सुबह तो बदली थी।”

अब आयुषी को समझ में नहीं आ रहा था कि वो अपनी माँ को क्या जवाब दे। लेकिन किसी तरह उसने बात को संभाला।

आयुषी, “वो माँ, इस बेडशीट से बहुत बदबू आ रही थी, इसलिए मैंने चेंज कर दी।”

माँ, “ठीक है ठीक है, इसमें घबराने वाली क्या बात है बेटा? मैं तो तुझे ये बताने आई थी कि पड़ोस की तेरी निर्मला काकी आई हुई है। वो बोल रही है कि तेरी बेटी के हाथ की चाय और पकौड़ी खानी है।”

आयुषी, “हां मां, आप लोग गप्पे मारो तब तक मैं चाय और पकौड़ी बना कर लाती हूँ।”

आयुषी उन लोगों के लिए चाय पकोड़े बनाकर लाई। तभी अचानक आयुषी की माँ ने कहा, “अरे! तुमको पता है, मेरा दामाद तो अभी भी बच्चा है? कल रात उसने बेड पर ही सुसू कर दिया।”

आयुषी (मन में), “सुसू तो मैंने किया था, लेकिन मेरी वजह से निखिल की बेइज्जती हो रही है। अब काकी ये बात पूरे गाँव में बता देंगी।”

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आयुषी, “अरे माँ! ये बात आप काकी को क्यूँ बता रही हो? निखिल बड़े हो गए, अगर उन्हें पता चला तो वो क्या सोचेंगे?”

राधिका, “अरे आयुषी! काकी तो अपनी है, कोई पराई थोड़े ही ना हैं।”

खैर, रात हो गई और निखिल अपने घर वापस लौट रहा था। निखिल जैसे ही घर पहुंचा, तभी पड़ोस की एक चाची ने उसे रोकते हुए कहा, “अरे दामाद जी! आ गए काम से।”

निखिल, “हां चाची, बस आ ही गया। घर ही जा रहा था। आप बताइए, छोटू कैसा है?”

चाची, “छोटू तो ठीक है। निखिल, वो भी काफी समझदार हो गया है। अब तो वो बिस्तर पर सुसू भी नहीं करता और तू इतना बड़ा हो गया है, फिर भी आज भी बिस्तर पर सुसू कर देता है।”

निखिल, “अरे चाची! ऐसा कुछ नहीं है। ये आप क्या कह रही हैं?”

चाची, “अरे बेटा! मुझसे कैसा शर्माना? शर्माओ मत, अपने घर जाओ।”

निखिल घर आते ही आयुषी पर टूट पड़ा।

निखिल, “आयुषी, तुम मेरा मजाक उड़ाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ दी। गाँव की ममता चाची को तुमने क्यों बताया कि मैंने बिस्तर पर सुसू कर दिया था, हाँ?”

इससे पहले कि आयुषी कुछ बोल पाती, उसकी माँ वहाँ पर आ गईं।

माँ, “मेरी बेटी पर गुस्सा करने की कोई जरूरत नहीं है। वो जरूर तेरी काकी ने बताया होगा पूरे गाँव को।”

राधिका, “हाँ दामाद जी, कल सासु माँ ने मजाक-मजाक में उनसे बता क्या दिया, उन्होंने तो पूरे गाँव में ही बता दिया।”

निखिल, “क्या सासु माँ, आप भी कमाल करती हो? आपको पता है ना काकी के पेट में कोई बात नहीं पचती?”

खैर, निखिल खाना पीना खाकर सो गया। रात में एक बार फिर से आयुषी ने एक ऐसा सपना देखा जिसमें वो किसी राजमहल में सुसू कर रही थी।

जैसे ही उसकी आँख खुली, उसने देखा कि उसने फिर से बिस्तर पर सुसू कर दिया है।

निखिल की पैंट थोड़ी सी गीली हो गई थी।

उसने सोचा, “ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ? जब भी सोती हूँ, बिस्तर पर सुसू कर देती हूँ। चुपचाप सो जाती हूँ,

अगर किसी को पता चला कि मैं ही बिस्तर पर सुसू करती हूँ, तो मेरी तो वाट लग जाएगी। सबसे ज्यादा भाभी मेरा मजाक बनाएगी।”

अगले सुबह जब निखिल सोकर उठा, तो उसने देखा कि उसकी पैंट फिर से गीली थी। आयुषी ने फिर से चादर बदल दी।

निखिल, “आयुषी, मुझे लगता है कि मुझे डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा। कोई न कोई प्रोब्लम जरूर हो गई है।

इसी वजह से मैं बिस्तर पर सुसू कर देता हूँ। सासु माँ, भैया, भाभी क्या सोचेंगे मेरे बारे में?”

निखिल ऑफिस जाने से पहले डॉक्टर के पास गया और उसे सारी समस्या बताई। डॉक्टर ने निखिल का चेक-अप किया

और कहा, “देखिए मिस्टर निखिल, आपकी रिपोर्ट तो बिल्कुल नॉर्मल है। मुझे नहीं लगता कि आप बिस्तर पर सुसू करते होंगे।”

खैर, निखिल डॉक्टर के पास से वापस आ गया। शाम को जब वो अपने घर लौट रहा था, तब गाँव की कुछ लड़कियां और औरतें उसका मजाक उड़ाने लगीं।

लड़का, “क्या जीजा, रात को हमारी दीदी को देखकर सुसू आ जाता है? क्या आपको इतना डर लगता है उनसे?”

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औरत, “बीवी का डर तो हर किसी को होता है।”

खैर, निखिल बिना कुछ बोले वहाँ से वापस अपने घर आ गया। उसने सारी बात अपनी पत्नी को बताई।

निखिल, “आयुषी, डॉक्टर ने तो बता दिया कि मुझे कोई समस्या नहीं है, फिर पता नहीं क्यों मैं रात में सुसू कर देता हूँ और मुझे पता भी नहीं चलता?”

आयुषी बेचारी कुछ नहीं बोल पा रही थी। उसे तो पता ही था कि बिस्तर पर सुसू निखिल नहीं, बल्कि वो खुद करती है।

रात में निखिल छत पर इधर-उधर टहलने लगा।

उसने सोचा, “कहीं ऐसा तो नहीं कि बिस्तर पर सुसू मैं नहीं, बल्कि आयुषी करती है? लेकिन इस बात का पता कैसे चलेगा?”

तभी अचानक निखिल के दिमाग में एक आइडिया आ गया।

आयुषी, “आप इतनी रात में कहाँ जा रहे हैं, निखिल? आपने कुछ बताया भी नहीं।”

निखिल, “अरे! मैं तुमको बताना ही भूल गया। अभी जस्ट 10 मिनट पहले मेरे स्कूल के दोस्त का फ़ोन आया था।

आज हम सभी स्कूल के फ्रेंड्स मिलने वाले हैं, तो मुझे जाना पड़ेगा। वरना वो कल सुबह अमेरिका निकल जाएगा।”

आयुषी, “ठीक है, इसमें परेशान होने वाली क्या बात है?”

निखिल घर से बाहर निकल गया, लेकिन वो कहीं नहीं गया, बल्कि अपने कमरे के पीछे खड़ा हो गया और खिड़की से सब कुछ देखने लगा।

निखिल, “आज रात मैं आयुषी पर नजर रखूँगा। अगर इसने बिस्तर पर सुसू की, तो ये बेडशीट जरूर चेंज करेगी।”

रात में फिर से आयुषी ने बिस्तर पर सुसू कर दी। आधी रात को जब उसकी नींद खुली, तो उसे इस बात का पता चला।

वो तुरंत ही बेडशीट चेंज करने लगी, लेकिन तभी निखिल बोल पड़ा।

निखिल, “ऐं… पकड़ लिया, पकड़ लिया। इसका मतलब बिस्तर पर सुसू मैं नहीं, बल्कि तुम करती थी, आयुषी।”

आयुषी, “मुझे माफ कर दीजिए, निखिल। मैं ही हर रोज़ बिस्तर पर सुसू कर देती थी और आपका नाम लगा दिया करती थी हर बार। प्लीज़ आप किसी को मत बताना।”

निखिल, “अरे! नहीं बताऊँगा यार। तुम कल मेरे साथ डॉक्टर के पास चलना, सब ठीक हो जाएगा।”

अगले ही दिन कोई बहाना बनाकर निखिल आयुषी को डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने जब उसकी जांच की, तो पता चला कि उसकी किडनी में कोई समस्या थी।

इसी वजह से जैसे ही वो पानी पीती थी, थोड़ी देर बाद उसे सुसू लग जाती थी।

डॉक्टर ने उसे दवाई दी और उस दिन से ही आयुषी का बिस्तर पर सुसू करना हमेशा के लिए बंद हो गया।


दोस्तो ये Saas Bahu Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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