कालू मदारी | Kalu Madari | Hindi Kahani | Moral Stories | Majedar Kahaniyan | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” कालू मदारी ” यह एक Hindi Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Majedar Stories या Achhi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


नगर खजुरा गांव में बिल्लू अपने पिताजी हरिया के साथ रहता था। पढ़ने में उसका मन नहीं लगता था।

वो दिन भर कुत्ते, गाय, भैंस, बकरियों के साथ रहा करता था। जानवरों से उसे बेहद प्यार था।

पिताजी के गुजर जाने के बाद बिल्लू एक बंदर, जिसका नाम उसने बंटी रखा था, को लेकर गांव में मदारी का शो दिखाने लगा।

इस गांव में गांव का ही एक छोटा लड़का कलुआ, जमूरा बन के लोगों को हंसाने और बिल्लू की मदारीगिरी में मदद करने लगा।

एक दिन बिल्लू मदारी शहर के मेन चौराहे पर अपने बंदर बंटी और कलुआ जमूरा के साथ अपना खेल दिखा रहा था।

बंटी की कलाबाजी और बिल्लू की मस्त मजेदार तुकबंदी वाले डायलॉग के कारण बहुत से लोग वहाँ जमा हो जाते हैं।

बिल्लू, “अरे! आ जाओ, आ जाओ सब। बिल्लू और बंटी लेकर आए हैं गजब का खेला, टेंशन भरी जिंदगी में खुशियों का मेला!”

जमूरा, “उस्ताद, बंटी के हाथ में तो उसकी जनलिया डिसूजा का फोटो है।”

बिल्लू, “बेटा बंटी, जिसे समझ रहा है तू खुशियों का मेला, दरअसल वो है जिंदगी का झमेला। इसके लिए कमाने जाना होगा परदेस, मेरा चेला।”

जमूरा, “उस्ताद देखिए, ये तो घर छोड़ कर जा रहा है।”

बिल्लू, “अच्छा बेटा, तो बीवी के लिए परदेस भी जाएगा? अरे भैया! मत जा परदेश, बाबू लोग भर देंगे तेरे पैसे का थैला। एक दिन चले जाना सब छोड़ के अकेला।”

तभी एक हवलदार आता है।

हवलदार, “ओए मदारी! ये सार्वजनिक संपत्ति नहीं है तुम्हारी। बंद करो अपना गाना और चलो सीधा थाने।”

बिल्लू, “अरे!आप ही तो हो मेरे माई-बाप। क्या यही है इंसाफ? आया हूँ कमाई कर कुछ खाने और आप कहते हो चलो थाने।”

हवलदार, “ओए बंदर! चल समेट अपना थैला और डंडा।”

बिल्लू, “अरे साहब! क्यों बंद करवा रहे हो मेरा धंधा? बंटी को दिखाओ मत अपना डंडा, कहीं गायब ना कर दे तुम्हारा दोनों अंडा?”

हवलदार, “ओए मदारी! वापस कर। मेरे अंडे गायब हो गए, वापस कर, नहीं तो ऐसे ऐसे दफा लगाऊंगा की जिंदगी भर जेल में सड़ेगा।”

बिल्लू, “अरे बंटी! वापस कर दो इसका अंडा, बड़ा मनहूस लगता है ये बंदा।”

बिल्लू, “पांडु भाई! कुछ ले-देख कर मामला रफा-दफा नहीं कर सकते क्या?”

हवलदार, “ओ बिल्लू मदारी! मेरा नाम है पांडु हवलदार। मेरे एक डंडे से हिल जाती है सरकार।

वहाँ पर तुम्हें खेल दिखाने का नहीं था अधिकार, इसलिए जेल जाने को हो जाओ तुम तैयार।”

बिल्लू, “अरे वाह उस्ताद वाह! क्या किया है तुमने तुकबंदी? आ जाओ मेरी टीम में, क्यों बना रहे हो हमको बंदी?”

हवलदार, “घूस देने की कोशिश ना कर बेकार, मेरा नाम है पांडु हवलदार। ज्यादा करेगा बक-बक तो डंडे लगाऊंगा चार।

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मैं करता हूँ नौकरी सरकारी, तुम बना रहे हो मुझे मदारी?”

बिल्लू, “सुन रहा है बंटी बंदर, ये करेगा हमको अंदर। चौक चौराहे पर 20-20 रूपए मांगता है बनकर भिखारी और कहता है नौकरी है सरकारी।”

जमूरा, “क्या कहते हो पांडु चच्चा? उस्ताद बात तो कर रहा है सच्चा। छोड़ो लंगोट, अब पहनो कच्छा।”

हवलदार, “तुम्हें तो मैं सुधारग्रह भेजूंगा, क्योंकि तू है अभी बच्चा।”

पांडु हवलदार बिल्लू मदारी, जमूरा और बंटी बंदर को हवालात में बंद कर देता है। दोपहर का खाना खाकर हवलदार टेबल पर सर रखकर सो जाता है।

जमूरा, “बंटी देख, हवलदार अभी सो रहे हैं, दिखा अपना कमाल।”

बंटी बंदर रोशनदान से निकल कर पांडु हवलदार की जेब से चाबी गायब कर बिल्लू मदारी को छुड़ा लेता है

और साथ में कई अपराधियों के डाक्यूमेंट्स गायब कर देता है।

बिल्लू, “अरे शाबाश बंटी! तुमने तो बजा दी हवलदार की घंटी। चल अब मारते हैं यहाँ से कल्टी, नहीं तो हो जाएगा गेम यहाँ पर पल्टी।”

तीनों के हवालात से भाग जाने के बाद थानेदार टोंडे आता है और थाने में पांडु हवलदार को सोए देख चिल्लाता है, “पांडु ये घर नहीं, थाना है।”

हवलदार, “जीजी, वो खाना खाने के बाद थोड़ा आंख लग गई थी।”

टोंडे, “चलो, आज का रिपोर्ट दो।”

हवलदार, “सर, शहर के मेन चौराहे पर ये तीनों मदारी का खेल दिखा रहे थे, जिससे जाम लग रहा था। तो इन्हें गिरफ्तार करके ले आया हूँ।”

टोंडे, “किन्हें गिरफ्तार करके लाए हो?”

हवलदार, “ये तीनों… बिल्लू मदारी, जमूरा और बंदर को। ये देखिये, तीनों को ही हिरासत में रखा था मैंने। अरे! ये ताला कैसे खुल गया? वो तीनों कहाँ गए?”

टोंडे, “कितना ले देकर छोड़ा उन्हें?”

हवलदार, “सर, मेरा नाम है पांडु हवलदार, मेरे एक डंडे से हिल जाती है सरकार। लेना-देना आपका है काम, हम तो छुड़ाते हैं सिर्फ ट्रैफिक का जाम।”

टोंडे, “अच्छा… अगर तीनों 48 घंटे के अंदर नहीं मिले, तो देख लेना अंजाम। चलो, वो दोनों आतंकवादी का फाइल दो। कल उसे कोर्ट में पेश करना है।”

हवलदार, “सर, मैंने यही पर फाइल रखा था। पूरा अलमारी ढूंढ लिया, पर पता नहीं कहाँ चला गया है?”

टोंडे, “पांडु हवलदार, तुम्हें अभी सस्पेंड किया जाता है।”

पांडु हवलदार सस्पेंड होने के बाद एक दिन हताश होकर बीच पर बैठा रहता है।

तभी वहाँ बिल्लू मदारी अपने जमुरे और बन्टी बंदर के साथ आता है।

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बिल्लू, “अरे जुमरा! देख तो… ये भिखारी अपने पांडु हवलदार के जैसा हूबहू दिखता है।”

बिल्लू, “हाँ उस्ताद, बस फटे हुए पैंट और शर्ट की जगह इसे वर्दी पहना दिया जाये तो बिलकुल पांडु हवलदार दिखेगा।”

बिल्लू, “ये लो ₹20 बाबा, कुछ खा लेना। तुम्हारा कोई जुड़वां भाई है क्या बाबा? क्या ज़माना आ गया है, एक भाई भिकारी और दूसरे की नौकरी सरकारी?

भिखारी, “मैं पांडु हवलदार ही हूं।”

बिल्लू, “अरे हवलदार साहब! हमे पहचाना? मैं बिल्लू मदारी और ये जमूरा और अपना बंटी बंदर।”

बिल्लू, “अरे हवलदार साहब! हमें पहचाना? मैं बिल्लू मदारी और ये जुमरा और ये अपना बंटी बंदर।”

हवलदार, “तुम तीनों को कैसे भूल सकता हूँ कमीनो? कभी था मेरे पास वर्दी सरकारी और जिप्सी गाड़ी, लेकिन तुम तीनों के कारण आज बन बैठा हूँ भिखारी।”

फिर पांडु हवलदार अपने साथ हुई घटना को बताता है कि किस तरह उन तीनों के कारण और आतंकवादी की फाइल गायब हो जाने के कारण थानेदार टोंडे ने उसे सस्पेंड कर दिया।

बिल्लू, “भाई, मैं तो कहता हूँ… करते हो तुम कितनी अच्छी तुकबंदी? आ जाओ मेरी टीम में, मगर हमारी तो पहले से है रजामंदी।”

बिल्लू, “जमुरा, इसे आतंकवादी वाली फाइल तो दे।”

हवलदार, “अरे वाह! अब ये फाइल ले जाकर थानेदार टोंडे के सीदा मुँह पर मारूंगा।”

फाइल लेकर पांडु हवलदार सीधा अपने घर जाता है और वहाँ से वर्दी पहन थाने पहुँचता है। थाने में थानेदार टोंडे से आतंकवादियों की फाइल देकर कहता है,

हवलदार, “ये लो सर, आतंकवादियों का सीक्रेट फाइल। अब मेरा सस्पेंशन वापस ले लो।”

थानेदार टोंडे, “अरे बेवकूफ! कोर्ट ने सीक्रेट फाइल नहीं जमा करने पर हमें ऑर्डर दिया है कि एक महीने के अंदर दोनों आतंकवादियों को कोर्ट में पेश करो,

नहीं तो हम दोनों नौकरी से सस्पेंड नहीं,डायरेक्ट बर्खास्त कर दिए जाएंगे।”

हवलदार, “मेरा नाम है पांडु हवलदार, मेरे एक डंडे से गिर जाती है सरकार। उन दोनों आतंकवादियों को पकड़ कर लाऊंगा तोड़कर सारी दीवार।”

पांडु हवलदार जाकर बिल्लू मदारी से मिलता है और बताता है कि उसका सस्पेंशन तब तक वापस नहीं होगा जब तक वो दोनों आतंकवादी पकड़े नहीं जाते।

उसका मिलना तो अब मुमकिन नहीं है, इसलिए पांडु हवलदार भी मदारी का शो दिखाएगा।

अब पांडु हवलदार, बिल्लू मदारी, जमूरा और बंटी बंदर चारों मिलकर मदारी का शो दिखाने का काम करने लगते हैं।

एक दिन रेलवे स्टेशन के पास,
बिल्लू, “आइए सब मेहरबान कदरदान, आप के लिए लाया हूँ बिल्कुल नया मदारी श्रीमान।

बंदर गायेगा रिलीज़ वाला गाना।अब हमारा खेल छोड़कर बीच में मत जाना।”

पांडु हवलदार, “जमूरा बनेगा बंदर करके स्माइल, बना लो टिकटोक या रील्स ओपन करके अपना मोबाइल।”

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जमूरा, “बहुत अच्छा पांडु उस्ताद, बिलकुल सही जा रहे हो।”

बिल्लू, “तो सब लोग एक बार ज़ोर से बजा दो ताली, क्योंकि अब खेल शुरू होने वाली।

आपके सामने है सुपरस्टार बंटी बंदर, जिसके गाने के आगे फीका है आजकल के गायकार धुरंधर।”

हवलदार, “हाँ तो गुरु, हो जाओ शुरू।”

बिल्लू, “ओ खई के पान बना रसवाला, खुल जाए बंद अकल का ताला, फिर तू ऐसा करे धमाल कि सीधी कर दे सब की चाल, ओ छोरा गंगा किनारे वाला…।”

जमूरा, “एक मिनट एक मिनट उस्ताद, पीछे से कोई बोल रहा है कि बंटी बंदर नहीं गा रहा, सिर्फ मुँह हिला रहा है और उसके बदले आप गा रहे हो।”

बिल्लू, “अरे! मैंने बोला था कि बंदर गाएगा रिलीज वाला गाना, आप हमारा खेल छोड़कर बीच में मत जाना।”

जमूरा, “हां उस्ताद, यही तो पब्लिक भी कह रही है कि आपने कहा था बन्दर गाएगा रिलीज वाला गाना,

लेकिन यहाँ तो बंदर सिर्फ मुँह चला रहा है। गा तो आप ही रहे हो, उस्ताद।”

बिल्लू, “तो रिलीज़ में कौन गाना गाता है? सभी तो सिर्फ मुँह हिलाते हैं।”

हवलदार, “हां तो मेरे कदरदानियो, छोड़ो ये झमेला। अब शुरू करते हैं दूसरा खेला। जमूरा, हो जाओ तैयार।

यहां के तुम हो राजकुमार। बेटा, दिखाओ इन्हें कैसे हंसते हैं धर्मेन्द्र?”

हवलदार, “बेटा, मैंने बोला था धर्मेन्द्र, ना कि बंदर। अब दिखाओ कैसी हंसती है कट्रीना?”

हवलदार , “अबे ललिता पवार की हंसी है ये।”

जमूरा, “ओके उस्ताद, अबकी बारी ठीक से दिखाऊंगा।”

हवलदार, “ठीक है, अब लास्ट में जिसकी हंसी बहुत कम देखने को मिलती है, सुपरस्टार सनी की, जिसके ढाई-ढाई किलो के…”

जमूरा, “बस बस उस्ताद, समझ गया। समझदार के लिए इशारा ही काफी है। ये देखिए, लाखों दिलों की धड़कन की हंसी।”

हवलदार, “अबे साले! मैंने सनी देओल कहा था, ना कि सनी लियोन।”

बिल्लू, “चलो भाई, एक बार बजाओ ताली और अपनी जेब करो खाली। नहीं तो बंटी बंदर जानता है एक से एक सुपर गाली।”

बंटी बंदर और जमुरा थैला लेकर सभी से पैसे मांगते हैं। उसी में से एक आदमी ₹5000 देकर जमूरे से बोलता है कि अभी आधा घंटा खेल और दिखाओ।

जमूरा जाकर पांडु हवलदार और बिल्लू मदारी को बताता है कि वो आदमी ₹5000 देकर आधा घंटा और खेल दिखाने को कह रहा है।

पांडु हवलदार फाइल में आतंकवादी का फोटो देखकर उस आदमी को पहचान लेता है।

वो साइड में जाकर तुरंत थानेदार टोंडे को सारी बात बताता है और फौरन वहाँ पहुंचने को कहता है।

वापस आकर…
हवलदार, “हाँ तो भाइयो और बहनो, आप ही के बीच से एक हमारे सुपर कदरदान, हमारे मेहमान की स्पेशल डिमांड पर ये खेल फिर से चालू हो रहा है।

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तो आप अभी जाए नहीं। हमारा बंटी बंदर और जमुरा का जुगलबंदी शुरू हो रहा है।”

बिल्लू, “हाँ तो सुपरस्टार बंटी बंदर मुकाबले को हो तैयार? अरे रे! कितना उतावला है मेरा बंटी करने को जुगलबंदी?”

जमूरा, “हाँ, उस्ताद, मैं भी हूँ तैयार।”

बिल्लू , “अच्छा… तुम कहीं हो ना जाओ फरार, क्योंकि तुम्हारे सामने है बंटी सुपरस्टार।”

जमूरा और बंटी बंदर दोनों अपने खेल में जुगलबंदी दिखा रहे थे, तभी थानेदार टोंडे अपने सिपाहियों को लेकर वहाँ पहुँच जाता है।

शेरा पठान आतंकवादी पुलिस को देखकर भागने लगता है।

बिल्लू, “बंटी तेरे खेल में नहीं हैं जान, तभी तो बीच में छोड़ जा रहे हैं श्रीमान।”

बंटी बंदर दौड़कर शेरा पठान का पैर पकड़ लेता है।

शेरा, “अरे बंदर! छोड़ मेरा पैर। ऐ मदारी! इस बंदर को हटाओ, मुझे एक इम्पोर्टेन्ट काम से जाना है।”

बिल्लू, “पर साहब अभी तो 15 मिनट ही हुए हैं। आपने कहा था आधा घंटा और देखने को है खेला। नाराज़ हो गए क्या? कहो तो दूसरा खेल दिखाऊं?”

शेरा, “नहीं नहीं, अब प्लेन चेंज हो गया है। मुझे अभी तुरंत जाना होगा, नहीं तो सब गड़बड़ हो जाएगा। हटा अपना बंदर।”

हवलदार, “क्या बात है कदरदान? किसने किया आपका अपमान? क्यों रे चेला, साहब क्यों जा रहे हैं छोड़ बीच में खेला?”

शेरा, “देखो, स्टेशन से ट्रैन पकड़ना है। ट्रैन छुट जाएगी। ऐ बंदर! छोड़ मेरा पैर।”

शेरा पठान बंदर को लात मारकर भागने लगता है, तभी थानेदार टोंडे अपने दल बल के साथ आतंकवादी को घेर लेता है।

होंगे, “हैंड्स अप… शेरा पठान, तुम चारों तरफ से घिर चुके हो।”

शेरा पठान पांडु हवलदार की कनपटी पर रिवॉल्वर दान देता है।

शेरा, “आओ थानेदार टोंडे। कान खोलकर सुन लो, अगर किसी ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो इस मोटू मदारी के परखच्चे उड़ा दूंगा। ए मदारी! हटा अपना बन्दर।”

बिल्लू, “बेटा बंटी मार ले कल्टी।”

बंटी फुर्ती से उछलकर शेरा पठान से रिवॉल्वर छीन लेता है। पांडु हवलदार तुरंत शेरा की गर्दन को अपनी बाजुआ में कस लेता है।

होंगे, “शाबाश पांडु, मैं रिकमेंड करूँगा कि तुम्हें प्रमोशन दिया जाए।”

शेरा, “तुम लोगों का..? अभी 2 मिनट रुक जाओ, फिर पता चलेगा कि प्रमोशन होगा या डिमोशन।”

बिल्लू , “बंटी, फिर मारकर कल्टी।”

बंटी उछलकर शेरा पठान की दोनों टांगों को पकड़ लेता है। शेरा का दर्द के मारे हाथ से रिमोट छूट जाता है।

शेरा, “आह..! कोई मुझे बचाओ, मैं मर जाऊंगा। इस बंदर को यहाँ से हटाओ, बाप रे…।”

होंगे, “नहीं पहले अपना प्लान बताओ।”

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शेरा, “दो नंबर स्टेशन पर बुक स्टोर के पास बम रखा है, जिसे मैं अभी मुंबई से खच खच भरी हुई ट्रैन आने पर रिमोट से उड़ाने वाला था।”

होंगे, “हवलदार पांडु, इसे जल्दी जिप्सी में बिठाओ और दो नंबर प्लेटफार्म पर चलो।”

सभी शेरा पठान को लेकर तुरंत दो नंबर प्लेटफार्म पर पहुंचते हैं। मुंबई की ट्रैन आने ही वाली थी।

स्टेशन मास्टर से बात करके थानेदार टोंडे मुंबई वाली गाड़ी को चार नंबर प्लेटफार्म पर रुकवा देता है।

फिर दो नंबर प्लेटफार्म के बुक्स टोल के पास रखे बम को डिफ्यूज करता है।

इस काम के लिए हवलदार पांडु और थानेदार टोंडे को प्रमोशन मिलता है और बिल्लू मदारी की टीम को 5 लाख का इनाम दिया जाता है।


दोस्तो ये Hindi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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