चुटकी खाने वाली बहू | Chutki Khane Wali Bahu | Saas Bahu Story | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Family Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” चुटकी खाने वाली बहू ” यह एक Family Story है। अगर आपको Hindi Family Stories, Saas Bahu Stories या Saas Bahu Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


सुरभि की एक बहुत ही बुरी आदत थी। वह हमेशा ही चुटकी खाती रहती थी और वह इस मामले में कभी किसी की सुनती नहीं थी।

सुरभि अपनी माँ अनीता के साथ रहती है। ऐसे ही एक दिन सुरभि कॉलेज से घर आती है

और चुटकी खा रही थी कि तभी उसकी माँ अनीता ने उसे देख लिया और वह सुरभि को ज़ोर से थप्पड़ मारती है और बोलती है,

अनीता, “तुझे मैंने कितनी बार समझाया है कि ये सब मत खाया कर? यह सब खाने से तेरे ही शरीर पर नुकसान होगा।

तू मेरी बात कभी सुनती क्यों नहीं है? मैं जो चीज़ तुझे मना करती हूँ, तुझे करनी है। अरे! मैं तेरी कोई दुश्मन हूँ, जो तेरे लिए बुरा चाहूंगी?

तू मेरी बात नहीं सुनती है। क्यों तू अपनी माँ तक का खून जलाती है? ये खाने से तुझे क्या मिल जाता है?”

सुरभि, “माँ, आपको क्या दिक्कत है? अरे! मैं कुछ भी खाऊं, उसमें क्या हो जाएगा? आप भी ना, हर छोटी-छोटी बातों को लेकर बहुत गुस्सा करने लग गई हो।

मैं कुछ बोलती नहीं हूँ, इसका मतलब यह नहीं कि अब कुछ भी बोलती रहो। चुटकी इतनी बढ़िया चीज़ होती है, मुझे खाना अच्छा लगता है।

मुंह फ्रेश फ्रेश लगता है, तो क्या दिक्कत है इसमें? मैं तो कहती हूँ, आप भी खाओ। आपको भी खानी चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है।”

अनीता, “हे भगवान! इस लड़की का क्या होगा? मैं इसे कितना भी समझा लूँ, कुछ भी समझा लूं, कभी इसके दिमाग में मेरी बात जाती क्यों नहीं है?

अरे! मैं तुझे बोल भी क्यों रही हूँ? तुझे करनी तो अपने मन की ही है। मैं तुझे कुछ बोलूँगी ही नहीं।

जो करना है कर, जो खाना है खा, तेरी मर्जी। वैसे तेरी सास आएगी आज उन्होंने। कहा है कि शादी का लहंगा देखने के लिए तुझे जाना है वहां।”

सुरभि, “आपने ये गलत मुसीबत मेरे सर पर डाल दी और मुझे इतनी जल्दी शादी नहीं करनी थी।

आपने मेरी शादी तय कर दी क्योंकि मैं आपकी सुनती नहीं, बस इसीलिए मैं शादी के लिए मान गई। लेकिन अभी भी बोल रही हूँ कि मुझे शादी में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं है।

शादी करके ज़िन्दगी तो बर्बाद होती ही है, पर वो ज़िन्दगी तो अभी भी बर्बाद है।”

अनीता, “थोड़ा तमीज से बात कर। मैं कोई तेरी सहेली नहीं हूँ, जो कुछ भी बोले। मैं तेरी माँ हूँ।

मैं कुछ भी नहीं सुनने वाली हूँ और हाँ, बोल दिया कि तू उनके साथ जाएगी अपनी शादी की शॉपिंग के लिए, मतलब जाएगी। मुझे इसके आगे कुछ भी नहीं सुनना है।

ठीक है? अब जा, जल्दी से जाकर तैयार हो जा। बकवास करने के लिए कह दो, वो बड़े मज़े से करेगी। काम करना एक भी नहीं जानती।”

सुरभि की शादी भी तय हो गई थी, इसीलिए वो अब अपनी शादी की तैयारियों में लगी रहती है।

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ऐसे ही कई दिन निकल जाते हैं और कुछ दिनों बाद सुरभि की शादी मयंक नाम के लड़के से हो जाती है और शादी के बाद वह अपने ससुराल आ जाती है।

ससुराल आने के बाद वह घर को अच्छे से संभाल लेती है, लेकिन वह जब देखो चुटकी ही खा रही थी। ये बात उसकी सास को नहीं पता होती।

एक दिन सुरभि की सास माला उससे कहती है, “अरे बहू! मैं काफी दिनों से देख रही हूँ, तू जब देखो कुछ न कुछ चबाती रहती है।

अरे! कुछ अलग सा खाती है क्या तू? हमेशा ही तेरा मुँह चलता रहता है। मुझे भी बता दे, मैं भी कुछ खा लिया करूँगी।

वैसे भी मैं बूढ़ी हो गई हूँ, ज्यादा समय तक मेरे दांत चलने वाले नहीं हैं। बता, क्या खाती रहती है?”

सुरभि, “अरे! नहीं माँ जी, आपके काम की चीज़ नहीं है। आपके काम की चीज़ होती तो मैं खुद ही बता देती।

और मैं काम कर रही हूँ, काम के समय मुझे कोई डिस्टर्ब करता है, ये मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं आता।

इसलिए पहले मैं काम करूँगी और फिर बाद में आपसे आराम से बात करूँगी। ठीक है ना?”

माला, “चल ठीक है बहू, तू काम कर ले।”

मगर अक्सर माला अपनी बहू से पूछती रहती है, लेकिन सुरभि कभी भी अपनी सास को कुछ नहीं बताती कि वह खाती क्या है?

ऐसे ही एक दिन सुरभि चुटकी खाने के बाद थूकने जाती है, कि तभी वह थूक उसकी पड़ोसन विमला पर जा पहुँचता है।

विमला को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और वह तमतमाते हुए सीधा माला के घर में आ जाती है और माला पर चिल्लाते हुए बोलती है।

विमला, “अरे माला! अपनी बहू को कुछ समझाती क्यों नहीं है? फालतू की चीज़ खाती रहती है, ऊपर से लोगों पर थूकती रहती है।

अभी मैं जा रही थी गली से कि तेरी बहू ने मेरे ऊपर पता नहीं क्या पान वान खाकर थूक दिया। मेरे मुँह पर लाल-लाल देख, क्या गिरा है?

अपनी बहू को समझा ले। मैं तुझे कब से जानती हूँ, इसलिए प्यार से बोल रही हूँ। यही कोई और होता तो मुझे उसे सीधा करना अच्छे से आता है, ये बात तू भी जानती है।”

माला, “अरे! मेरी बहू पान-वान कुछ नहीं खाती। ऐसी आदतें नहीं हैं मेरी बहू की। तुझे कोई गलतफहमी हुई होगी।

किसी और ने कुछ खाकर तेरे मुँह पर थूक दिया होगा और तू यहाँ लड़ने आ गई। वैसे भी तुझे लड़ने का बहाना चाहिए होता है।”

विमला, “मुझे लड़ने का बहाना नहीं चाहिए होता बल्कि तेरी बहू पान खाने वाली है। बुला, अपनी बहू को और पूछ ले कि मैं सच बोल रही हूँ या झूठ।”

तभी सुरभि नीचे उतरती है और माला उससे कहती है, “अरे बहू! ये विमला क्या कह रही है? तू पान खा रही थी, ये सच है क्या?”

सुरभि, “माँजी… आप भी ना, किसकी बातें सुन रही हो? अरे! ये खुद खाती होंगी और आपके आगे मेरे ऊपर इलज़ाम लगा रही हैं।

मैं तो बस ऊपर से कपड़े लेने गई थी सूखे हुए, वही लेकर आई हूँ। इनका जो मन करता है, वही बोलती रहती हैं।

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आप इनकी बातों पर ध्यान मत दो, वरना आप उनकी ही सुनती रहोगी और मुझे कोसती रहोगी।”

माला, “मेरी बहू बिल्कुल सही कह रही है। उसकी ऐसी फालतू की आदतें नहीं हैं। तू ही बड़ा चढ़ा के यहाँ पर बोलने आ गई।

चल जा यहाँ से, काम करने दे। तेरे जैसे हम लोग नहीं हैं कि बहस करते रहें। हमें बहुत काम है।”

सुरभि अपनी पड़ोसन विमला को गलत साबित करके वहाँ से रवाना कर देती है।

दिन निकल रहे थे और सुरभि की चुटकी खाने की आदत बढ़ती जा रही थी। चुटकी खाते हुए सुरभि की ननद महक देख लेती है।

महक, “भाभी, आप चुटकी खा रही हो? और जब माँ पूछती हैं तब आप झूठ बोल देती हो। मुझे यकीन नहीं हो रहा कि सच में मेरी भाभी चुटकी खाने वाली है।

भाभी, आपको तो पता है ना कि ये ठीक नहीं होता, फिर आप क्यों खा रही हो? मैं अभी माँ को बताती हूँ कि उनकी बहू चुटकी खाने वाली निकली।”

सुरभि, “अरे! नहीं ननद जी, माँ जी को कुछ मत बताओ। बिना बात के गुस्सा करने लग जाएँगी। वैसे भी वो बहुत गुस्सा करती हैं।

तुम्हें तो पता है ना? अगर तुम माँ जी को नहीं बताओगी मेरी चुटकी खाने वाली बात, तो मैं तुम्हें अपनी नई वाली ड्रेस दूंगी।

मुझे पता है, तुम्हें अपने कॉलेज में पहन के जानी है। तुम उस दिन मुझसे मांग रही थी ना?”

महक, “भाभी, जब आपने इतना अच्छा ऑफर दिया है तो मैं कैसे आपकी बात को मना कर सकती हूँ? मैं माँ को कुछ नहीं बताऊँगी।

आप आराम से चुटकी खाओ और मुझे अपनी वो वाली ड्रेस दे दो। वैसे भाभी, इसमें है क्या जो आपको इतना पसंद है?”

सुरभि, “मैं तो चुटकी कई सालों से खाती आ रही हूँ। मुझे तो बहुत सही लगता है। पता नहीं क्यों लोग बोलते रहते हैं कि इससे नुकसान होता है हमारे शरीर को?

आज तक तो कोई नुकसान नहीं हुआ, ऊपर से जब मैं ये खाती हूँ तो मुँह में फ्रेश-फ्रेश फील होता है,

इसलिए मैं तो खाती हूँ, मुझे अच्छी लगती है। लोग जज करते हैं, इसलिए कई बार मैं लोगों से झूठ बोल देती हूँ बस।”

सुरभि के साथ-साथ जब महक भी चुटकी खाने लग गई, तो दोनों ननद-भाभी चुटकी खाते रहते थे, लेकिन उसमें भी सुरभि काफी ज्यादा चुटकी खा रही होती है।

कुछ दिनों बाद सुरभि के दांत सड़ने लग जाते हैं और जब काफी ज्यादा खराब हो जाते हैं, तो फिर वह अपनी सास के साथ डॉक्टर के पास जाती है।

डॉक्टर उसके दांतों का चेकअप करने के बाद बोलते हैं, “तुम्हारे दांतों में बहुत ज्यादा स्वेलिंग हो गई है और कीड़े भी लग गए हैं।

तुम कुछ पान मसाला खाती हो ना, उसी की वजह से ये हुआ है, ना?”

सुरभि, “हाँ, वो मैं चुटकी खाती हूँ।”

माला, “बहू, तू चुटकी खाती है?”

डॉक्टर, “जी हाँ, आपकी बहू चुटकी खाती है और वो भी बहुत ज्यादा मात्रा में। इसलिए इनके दांत सड़ने लगे हैं।

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अगर अभी भी इन्होंने अपने चुटकी खाने वाली आदत को रोका नहीं, तो इनके दांत झड़ जाएंगे, क्योंकि कोई भी चीज़ एक लिमिट तक ही अच्छी होती है।”

डॉक्टर की बातें सुनकर सुरभि को अपनी गलती का अहसास होता है, जिसके बाद वह कभी भी चुटकी नहीं खाती है,

हमेशा के लिए छोड़ देती है। और अंत में चुटकी खाने वाली बहू से साधारण बहू बन जाती है।


दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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