हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” यमराज की दावत ” यह एक Funny Story है। अगर आपको Short Funny Stories, Comedy Funny Stories या Majedar Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
एक दिन की बात है। गेंदा सेठ गुस्से से बड़बड़ाते हुए जंगल की ओर चले जा रहे थे।
सेठ, “मेरी पत्नी अपने आप को पता नहीं क्या समझती है? ज़रा सा भोजन क्या कर लेता हूँ, आसमान सर पर उठा लेती है।
अब मैं गांव में नहीं रहूँगा, जंगल में ही रहकर अपना जीवन व्यतीत करूँगा, हाँ।”
अचानक गेंदा सेठ की नाक में ताजे फलों की सुगंध टकराई।
सेठ, “अरे! ये तो ताजे अमरूद और सेब की सुगंध है। वैसे भी घर से चलते हुए काफी दूर निकल आया हूँ। मुझे तो बहुत तेजी से भूख लगने लगी है, मैं क्या करूँ?”
गेंदा सेठ इधर-उधर देखने लगे। तभी उन्होंने देखा कि एक साधु हाथों में फलों की टोकरी पकड़े हुए जाल में बंद था।
सेठ, “अरे! लगता है मुझे भूख कुछ ज्यादा ही लग रही है। जाल में बंद जानवर भी मुझे साधु नजर आने लगा।”
साधु, “मैं कोई जानवर नहीं, साधु ही हूँ।”
सेठ, “अरे साधु महाराज! ये तो आप ही हैं, लेकिन आप इस जाल में कैसे बंद हुए?”
साधु, “ये किसी शिकारी की करतूत है। जरूर उसने ये जाल जंगली जानवर को पकड़ने के लिए फेंका होगा।”
सेठ, “और गलती से इसमें आप फंस गये और शिकारी आपको ले जाकर क्या करेगा भला? आपको बाजार में कौन खरीदेगा?”
साधु, “मूर्ख, बकवास बंद… और मुझे इस जाल से आज़ाद कराओ।”
सेठ, “ज़रूर साधु महाराज, लेकिन वो क्या है कि मुझे भूख बहुत लग रही है। आप उसके बदले में क्या अपनी टोकरी के सारे फल मुझे खाने को देंगे?”
साधु, “क्या..? ये तो बहुत सारे फल हैं। क्या तू सारे फलों को खा जाएगा?”
सेठ, “साधु महाराज, आपके ये फल मेरी भूख तो नहीं मिटा पाएंगे। हाँ, लेकिन फिर भी मेरे पेट में ज़रा सा वजन पहुँच जाएगा और थोड़ी सी ताकत आ जाएगी।”
साधु, “ठीक है, जल्दी से मुझे इस जाल से आजाद कराओ।”
साधु की बात सुनकर गेंदा सेठ खुश हो गया और उसने उस जाल को जमीन से उखाड़ दिया। साधु आजाद हो गया।
साधु, “तो तूने मुझसे फल मांगे हैं? लेकिन तुने मेरी मदद भी की है। ये ले, ये सारे फल जाकर इन्हें आराम से बैठकर खा ले।”
सेठ, “अरे साधु महाराज! इतने फल तो मैं खड़े खड़े ही निपटा लेता हूँ।”
इतना कहकर गेंदा सेठ सारे फल बड़ी फुर्ती से खा गया।
साधु, “लगता है तुझे भोजन से बहुत प्यार है? मांग क्या मांगता है?”
सेठ, “मुझे और क्या चाहिए? मुझे तो बस बहुत सारा भोजन चाहिए।”
साधु, “भोजन के अलावा भी बहुत कुछ है।”
यमराज की दावत | Yamraj Ki Dawat | Funny Story | Best Comedy Stories | Funny Stories in Hindi
सेठ, “आप तो बहुत पहुंचे हुए साधु लगते हैं। आप मुझे कोई ऐसा वरदान दीजिए जिससे भोजन मुझसे कभी भी अलग न हो।”
साधु गेंदा सेठ की बात सुनकर ज़ोर ज़ोर से हंसते हुए बोले, “जा, मैं तुझे वरदान देता हूँ। अधिक भोजन मनुष्य की जान ले लेता है,
लेकिन तेरे साथ इसका उल्टा होगा। जब तक तू भोजन खाता रहेगा, तब तक तू सुरक्षित रहेगा।
भले ही चाहे यमराज तेरे सामने आ जाए, भोजन खाते में वो तुझे अपने साथ नहीं ले जा सकते।”
इतना कहकर साधु महाराज वहाँ से चले गए, मगर साधु महाराज का वरदान गेंदा सेठ के दिमाग के ऊपर से निकल गया।
सेठ, “ये कौन सा वरदान हुआ? मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आया। एक काम करता हूँ, घर पर जाता हूँ।
मुझे घर से नाराज होकर आना ही नहीं चाहिए था। अपनी पत्नी को मना लूँगा। मुझे बहुत तेजी से भूख लगने लगी है।”
गेंदा सेठ सीधा अपने घर की ओर गया, मगर गेंदा सेठ नहीं जानता था कि यमराज और चित्रगुप्त में उसी को लेकर बहस चल रही थी।
यमराज, “लाओ चित्रगुप्त, पृथ्वी पर उन इंसानों की लिस्ट मुझे जल्दी से दो जिनकी आत्माओं को आज मुझे खींच कर लाना है। पृथ्वीवासियों को पता चलना चाहिए कि यम हैं हम।”
चित्रगुप्त, “ये लीजिए यमराज।”
यमराज चित्रगुप्त की लिस्ट को देखते हुए आश्चर्य से बोले।
यमराज, “ये क्या चित्रगुप्त? तुमसे कितनी बार कहा है कि तुम्हारा ध्यान अब काम से भटक रहा है? इस लिस्ट में तो सिर्फ एक ही इंसान का नाम है – गेंदा सेठ।”
चित्रगुप्त, “यमराज, ये एक इंसान बहुत से इंसानों के बराबर है। आप इसे नहीं जानते।”
यमराज, “तो तुम ये कहना चाहते हो चित्रगुप्त कि हम कुछ नहीं जानते? शायद तुम भूल रहे हो कि यम हैं हम। हम सब कुछ जानते हैं।”
चित्रगुप्त, “क्या खाक जानते हैं आप? अरे! पिछली बार आप एक 60 वर्षीय मनुष्य की आत्मा को उसके शरीर से खींचकर यहाँ ले आए थे। बाद में पता चला कि उसकी आयु 100 वर्ष की थी।”
यमराज, “उसमें गलती मेरी नहीं बल्कि तुम्हारी थी, चित्रगुप्त। तुम्हारा ध्यान अब काम की तरफ कम बल्कि नाचती अप्सराओं की तरफ ज्यादा होता है।
कितनी बार मैंने तुमसे कहा है कि अपने तौर-तरीके बदल लो? देखो इन इंसानों को,
ये अब अपना सारा डेटा टैबलेट और कंप्यूटर में फ़ीड रखते हैं। तुम अभी तक वही कलम और कागज़ का यूज़ करते हो।”
चित्रगुप्त, “आपको क्या हो गया है यमराज? मत भूलो, ये पृथ्वी लोक नहीं है।
यमराज, “पृथ्वीवासियों से कुछ सीखना चाहिए। इंसानों ने टेक्नोलॉजी में कितनी ज्यादा तरक्की कर ली है? तुम्हें कुछ अंदाजा भी है?”
चित्रगुप्त, “वो सब छोड़िए, यमराज। जाइए, इस गेंदा सेठ की आत्मा को खींचकर यहाँ लाइए।
इस गेंदा सेठ ने पृथ्वीवासियों का जीना हराम कर रखा है। उसे इसकी सजा मिलेगी। उसे नर्क में रखा जाएगा।”
यमराज, “तुम यहीं रुको चित्रगुप्त, मैं अभी कुछ देर में उसकी आत्मा उसके शरीर से खींच कर लाता हूँ
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और अपने हाथों से उसकी आत्मा को नर्क में डालूंगा। क्योंकि गेंदा सेठ शायद नहीं जानता कि यम हैं हम।”
इतना कहकर यमराज वहाँ से गायब हो गए। इधर गेंदा सेठ आराम से गहरी नींद सो रहा था। तभी अचानक वहाँ पर यमराज प्रकट हो गए।
यमराज, “सो रहा है, मूर्ख? आँखें खोल, तेरे सामने यमराज खड़े हैं।”
मगर गेंदा सेठ बहुत ही गहरी नींद में था। उसके खर्राटे और ज्यादा तेज हो गए।
यमराज, “आँखें खोल, मूर्ख मनुष्य! तेरे सामने यमराज खड़े हैं। अरे! मेरी आवाज सुनकर तो बड़े-बड़े सूरमाओं के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, मगर तू टस से मस नहीं हो रहा। तू जानता नहीं है कि यम हैं हम।”
गेंदा सेठ सोते हुए बोला, “पता नहीं, मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि कोई बोल रहा है कि बबल गम हैं हम?”
यमराज, “बबल गम नहीं, मूर्ख… यम हैं हम, यम हैं हम।”
अचानक गेंदा सेठ की आँख खुल गई और वो यमराज की तरफ गौर से देखने लगा।
यमराज, “देख क्या रहा है, मूर्ख मनुष्य! अपनी आँखों से मुझे देखकर तेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई ना?
अब तो तुझे यकीन हो गया कि तेरे सामने वास्तव में यमराज खड़े हैं। तेरा समय आ गया है। अब जल्दी से मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो।”
सेठ, “मैंने सुना तो था कि अगर रात के समय मिर्ची की सब्जी ज्यादा खा लो तो सोते हुए सपने खराब आते हैं।
आज विश्वास भी हो गया। मुझे वो मिर्ची वाली सब्जी खानी नहीं चाहिए थी। कल से मैं थोड़ी कम मिर्ची खाऊंगा, तब मुझे अच्छे अच्छे सपने आएँगे।”
यमराज, “ये जो कुछ भी तू देख रहा है मूर्ख मनुष्य, वो सपना नहीं बल्कि सत्य है। तेरे सामने वास्तव में यमराज खड़े हैं।”
इतना कहकर यमराज ने एक चांटा गेंदा सेठ के गाल पर जड़ दिया।
सेठ, “अरे! मेरे सामने तो वास्तव में ही यमराज खड़े हैं।”
यमराज, “हाँ गेंदा सेठ, ये मैं ही हूँ यमराज। अब तुझे पता लगेगा की यम है हम।
गेंदा सेठ यमराज को देखकर रोते हुए बोला, “मुझे मत ले जाओ, यमराज। अभी मैंने इस संसार में देखा ही क्या है?”
यमराज, “मूर्ख, इस संसार में तू पूरे 50 वर्ष बिता चुका है और मैंने सुना है कि इन 50 वर्षों में तूने 50 हजार लोगों का जीना हराम कर रखा है। अब और लोगों को परेशान करना चाहता है?”
अचानक गेंदा सेठ के मन में उस साधु का विचार आ गया और वह मन ही मन अपने आप से बोला, “उस साधु ने भी आज यमराज का ही जिक्र किया था।
हो ना हो, वो पहुंचा हुआ साधु इस बारे में जरूर कुछ जानता होगा। मुझे उसके वरदान के बारे में गहराई से सोचना होगा। जरूर उसके वरदान में कुछ न कुछ छुपा हुआ है।”
गेंदा सेठ साधु के वरदान के बारे में गहराई से सोचने लगा और उसकी आँखों के सामने साधु के दृश्य घूम गए।
साधु, “जा, मैं तुझे वरदान देता हूँ। अधिक भोजन मनुष्य की जान ले लेता है, लेकिन तेरे साथ इसका उल्टा होगा।
जब तक तू भोजन खाता रहेगा, तब तक तू सुरक्षित रहेगा। भले ही यमराज तेरे सामने क्यों न आ जाए, भोजन खाते वक्त वो तुझे अपने साथ नहीं ले जा सकते।”
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गेंदा सेठ मन ही मन बोला, “समझ गया, मुझे यमराज के सामने रोना नहीं चाहिए। बल्कि कोई योजना सोचनी चाहिए।”
गेंदा सेठ, “जब आप मेरे सामने आ ही गए हैं यमराज, तो फिर आपके सामने मेरी क्या ही चल सकती है?
लेकिन मेरे एक प्रश्न का उत्तर तो आप दे ही सकते हैं, ना?”
यमराज, “मैं एक प्रश्न का उत्तर नहीं, बल्कि सैकड़ों प्रश्नों के उत्तर दे सकता हूँ, क्योंकि यम हैं हम।”
गेंदा सेठ, “मैंने सुना है, ईश्वर दूसरों को भोजन खिलाने से बहुत प्रसन्न होते हैं। क्या ये सत्य है?”
यमराज, “बिलकुल सत्य है।”
गेंदा सेठ, “तो फिर क्या आप मुझे भोजन नहीं खिलाएंगे? मुझे बहुत तेजी से भूख लगी है।”
यमराज, “मुझे देखकर लोगों की भूख मर जाती है। पहली बार ऐसे इंसान को देख रहा हूँ जिसके सामने यमराज खड़ा है
और उसे भूख लग रही है। मैं तेरी आखिरी इच्छा को अवश्य पूरी करूँगा, क्योंकि तूने मेरे सामने ईश्वर का नाम लिया है।
और तू तो अब समझ ही गया होगा कि यम हैं हम।”
इतना कहकर यमराज ने अपनी गदा सामने की ओर कर दी। गदा में से सफेद रंग की किरणें फूटने लगीं और गेंदा सेठ के सामने एक से एक लज़ीज़ व्यंजन रखे हुए थे।
यमराज, “ले खा ले आखिरी भोजन, उसके बाद तुझे मेरे साथ चलना ही होगा।”
गेंदा सेठ, “एक शर्त पर मैं इस भोजन को हाथ लगाऊंगा। अगर मेरा इस भोजन को खाकर पेट भर जाएगा,
तभी आप मेरे शरीर से मेरी आत्मा खीचोगे, भूखे पेट नहीं। क्या ये वादा करते हो आप?”
यमराज, “अरे! तेरे सामने 20 व्यक्तियों का भोजन रखा है, मूर्ख मनुष्य। फिर भी मैं वचन देता हूँ, क्योंकि यम हैं हम।”
यमराज की बात सुनकर गेंदा सेठ के होठों पर रहस्यमयी मुस्कान आ गई। गेंदा सेठ कुछ ही देर में सारा भोजन चट कर गया।
गेंदा सेठ, “मेरा कुछ भला नहीं हुआ यमराज।”
यमराज ने उससे भी अधिक भोजन उसके सामने रख दिया। देखते ही देखते गेंदा सेठ ने वो सारा भोजन भी खा गया।
गेंदा सेठ, “थोड़ा और लाइए, यमराज।”
यमराज, “तुने मुझे क्या अपना गुलाम समझ रखा है? मैं यहाँ तेरी आत्मा खींचने आया हूँ, तुझे भोजन कराने नहीं।”
गेंदा सेठ, “लेकिन आपने तो वचन दिया था।”
यमराज, “अब मैं तेरे सामने इतना अधिक भोजन रखूँगा, जिसकी तूने कल्पना भी नहीं की होगी। मगर इसके लिए मुझे कुछ देर के लिए यहाँ से जाना होगा।”
इतना कहकर यमराज वहाँ से गायब हो गए। तुरंत चित्रगुप्त के पास पहुँचे। चित्रगुप्त भोजन कर रहा था।
चित्रगुप्त, “यमराज, आप खाली हाथ आए हैं? गेंदा सेठ की आत्मा कहाँ है?”
यमराज, “सवाल मत करो चित्रगुप्त, सवाल करने का अधिकार सिर्फ हमारा है, क्योंकि यम हैं हम। हम यहाँ से बहुत सारा भोजन ले जाने के लिए आए हैं।”
यमराज ने चित्रगुप्त का और वहां रखा सारा भोजन लेकर गेंदा सेठ के सामने रख दिया।
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यमराज, “अब देखता हूँ, तेरा पेट कैसे नहीं भरता?”
गेंदा सेठ आराम से फिर से भोजन करने लगा। मगर अब वह धीरे-धीरे भोजन कर रहा था और यमराज को यही बात सबसे ज्यादा विचलित कर रही थी।
तभी यमराज के कानों में चित्रगुप्त की आवाज टकराई, “यमराज, इसने आपको मूर्ख बना दिया है।
कितनी बार कहा है आपको कि अपने काम पर ज्यादा ध्यान दीजिए, ना कि इस बात पर कि यम हैं हम?
अरे! पृथ्वी लोक पर इस भुक्कड़ का पेट कोई नहीं भरवा सकता और आप यहाँ का भी सारा भोजन ले गए। सभी अप्सराएं भूखी बैठी हुई हैं।”
यमराज, “तो फिर तुम ही बताओ चित्रगुप्त, मैं इस स्थिति में क्या करूँ? मैंने इसे वचन दिया है, मैं तो फँस चुका हूँ।”
चित्रगुप्त, “अरे! वचन के बाद ईश्वर से क्षमा मांग लेना और इसकी भोजन करते ही प्राण खींच लो।”
यमराज, “शायद तुम सही कहते हो, मुझे इस मनुष्य ने मूर्ख बना दिया है। इसे इसकी सजा जरूर मिलेगी, क्योंकि शायद यह अभी तक नहीं जानता कि यम हैं हम।”
यमराज ने जैसे ही अपनी गदा से गेंदा सेठ के प्राण खींचने की कोशिश की, तभी उनकी गदा उल्टा यमराज के ही सिर पर पड़ गया।
यमराज, “ये कैसे संभव हो सकता है? ऐसा पहली बार हुआ है कि मेरी गदा मेरे ही सिर पर पड़ गया।”
यमराज क्रोधित होकर गेंदा सेठ की ओर देखकर बोले, “मुझे बता मूर्ख मनुष्य, तेरे प्राण मैं क्यों नहीं खींच पा रहा हूँ?”
गेंदा सेठ, “आप मेरे प्राण चाहकर भी नहीं खींच सकते, यमराज। क्योंकि मुझे वरदान मिला हुआ है कि भोजन करते हुए यदि मेरे सामने यमराज भी आ जाए, तब भी वे मुझे अपने साथ नहीं ले जा सकते।”
यमराज, “वरदान? जहाँ तक मैं जानता हूँ, तूने तो सिर्फ लोगों को परेशान किया है। आखिर तुझे वरदान किसने दिया?”
गेंदा सेठ, “एक साधु ने मुझे वरदान दिया है।”
यमराज, “आखिर वो साधु तुझे वरदान देने वाला होता कौन है? वरदान देने से पहले उसे मुझसे पूछ तो लेना चाहिए था।”
गेंदा सेठ, “साधु महाराज वरदान देने से पहले आपसे क्यों पूछेंगे?”
तभी वहाँ पर वही साधु प्रकट हुए और मुस्कुराते हुए यमराज से बोले, “क्या हुआ यमराज? आप इतने क्रोधित क्यों नजर आ रहे हैं?”
यमराज ने क्रोधित होते हुए सारी घटना साधु को बता दी।
साधु, “आपको कुछ गलतफहमी हो गई है, यमराज। गेंदा सेठ की आयु अभी 50 वर्ष है, जबकि ईश्वर ने इसकी आयु 100 वर्ष लिखी है।”
यमराज, “ऐसे कैसे संभव हो सकता है? मेरे पास चित्रगुप्त का दिया हुआ लेटर है। ये देखिए।”
साधु, “मुझे लगता है, आप इस लेटर को स्वयं देखिए।”
यमराज ने जैसे ही उस लेटर को देखा, उसमें गेंदा की आयु 100 वर्ष लिखी हुई थी।
यमराज, “जब मैं पृथ्वी पर आया था, तब तो इसकी आयु 50 वर्ष लिखी हुई थी।”
साधु, “हाँ, लेकिन जब मैंने इसे वरदान दिया, तब ईश्वर ने इसकी आयु के 50 वर्ष और बढ़ा दिए। शायद चित्रगुप्त लिखना भूल गए।”
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यमराज, “ठीक है गेंदा सेठ, अभी तो मैं जाता हूँ, लेकिन 50 वर्ष बाद मैं जरूर आऊंगा। और उसके बाद मैं तेरी बातों में नहीं आऊंगा।”
गेंदा सेठ, “वो सब तो बहुत बाद की बात है यमराज, लेकिन आप जो भोजन लेकर आए हैं, वो बहुत ही स्वादिष्ट है।
इतना स्वादिष्ट भोजन तो मैंने पृथ्वी लोक में भी नहीं खाया। क्या आप थोड़ा सा भोजन और ला सकते हैं?”
गेंदा सेठ की बात सुनकर यमराज क्रोधित हुए और वहाँ से गायब हो गए। साथ ही साथ साधु भी।
गेंदा सेठ, “जो भी हो, इतना तो मुझे पता लग गया है कि दूसरों की सहायता जरूर करनी चाहिए।
आज सुबह मैंने साधु महाराज की सहायता की और देखो, कितना अधिक भोजन खाने को मिला?”
भोजन समाप्त करके गेंदा सेठ आराम से वहाँ पर खर्राटे लेकर सो गया।
दोस्तो ये Funny Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!