हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” मायावी गुफा ” यह एक Hindi Story है। अगर आपको Hindi Stories, Hindi Kahani या Achhi Achhi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
आप ये जो घर देख रहे हैं, ये घर संकेत और रोहिणी का है। संकेत, रोहिणी का दूसरा पति है।
रोहिणी का पहला पति रमेश, एक ट्रक ड्राइवर था जो एक सड़क दुर्घटना में मारा गया था।
रोहिणी की दो बेटियां थीं—कंचन और प्रीति। कंचन बड़ी बेटी थी, जोकि रमेश की बेटी थी और छोटी बेटी प्रीति, संकेत की थी।
कंचन को कभी अपने सौतेले बाप से प्यार नहीं मिला। संकेत रोज़ शराब पीकर घर आता था
और कोई भी काम-धंधा नहीं करता था। रोहिणी लोगों के घर जाकर काम करती थी।
एक दिन शाम को कंचन और प्रीति भोजन कर रहे थे। तभी संकेत कंचन से बोलता है,
संकेत, “सारा दिन बस भोजन करती रहती है। इतनी बड़ी हो गई है, ये नहीं कि अपनी माँ के साथ जाकर उसका काम में हाथ बटाए। किसी काम की नहीं है।”
कंचन, “अरे पापा! अभी तो मेरी पढ़ाई चल रही है। पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे बाहर शहर में अच्छी नौकरी मिल जाएगी।”
संकेत, “पढ़ाई-लिखाई कराकर तू इतने पैसे खराब कर रही है। क्या फायदा होगा तेरी ऐसी पढ़ाई से?
ये पढ़ाई-लिखाई छोड़ और अब अपनी माँ के साथ काम कर जा।”
कंचन, “पर पापा, मैं अभी पढ़ना चाहती हूँ।”
संकेत, “तुझे मैंने कितनी बार बोला है कि मैं तेरा पापा नहीं हूँ। तेरा पापा वो था।”
संकेत कंचन पर बहुत गुस्सा करता है। कंचन रोते हुए भोजन छोड़कर अपने कमरे में चली जाती है।
फिर रोहिनी संकेत से बोलती है, “तुम कंचन को हमेशा गुस्सा क्यों करते रहते हो? वो भी तो तुम्हारी बेटी है।
मैं अभी काम कर रही हूँ ना, तो उसे अच्छे से पढ़ाई पूरी करने दो।”
कंचन अपने कमरे में बैठकर रोते-रोते बोलती है, “मुझे कैसे भी करके कोई नौकरी करनी पड़ेगी, जिससे पापा मुझसे खुश हो जाएं।”
कंचन नौकरी की तलाश में सुबह सुबह घर से निकल जाती है। ऐसे ही पूरा दिन बीत जाता है, लेकिन उसे कोई नौकरी नहीं मिलती है
और नौकरी न मिलने पर वह परेशान हो जाती है और सोचते-सोचते जंगल की तरफ निकल जाती है।
थोड़ी दूर चलते-चलते उसे एक पहाड़ दिखाई देता है। उस पहाड़ में एक दरवाजा होता है।
कंचन, “अरे! ये क्या… पहाड़ में दरवाजा?! ये कैसे हो सकता है? इसे देखना पड़ेगा कि आखिर दरवाजे में क्या है?”
कंचन पहाड़ के दरवाजे के पास जाती है और चारों तरफ देखती है। लेकिन उसे वहाँ गुफा के आसपास कोई भी नजर नहीं आता।
फिर वह हिम्मत जुटाकर गुफा का दरवाजा खोलती है और अंदर चली जाती है।
वो जैसे ही अंदर जाती है, गुफा का दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है और वो बहुत डर जाती है।
और गुफा के अंदर डरावनी आवाजें आने लगती है, जिससे वह बहुत ज्यादा डर जाती है। उस पहाड़ी गुफा के बाहर एक पेड़ था।
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उस पेड़ पर दो चुड़ैलें रहती थीं—मामदा छोटी और संपदा बड़ी दो चुड़ैल बहनें थीं।
तभी मामदा संपदा से बोलती है, “संपदा दीदी, बहुत दिनों से हमने किसी इंसान का खून नहीं पिया है।
चलो दीदी, अब हम इंसानी दुनिया में चलते हैं। वहीं जाकर अपनी भूख मिटाएँगे और किसी बड़े इंसान को पकड़कर तोड़-मरोड़कर खाएँगे।”
संपदा, “मुझे इंसान अच्छा नहीं लगता और ना नमकीन खून पीना।”
कंचन, “बाप रे! ये लोग तो इंसानों को खाने की बातें कर रही हैं।”
कंचन अंदर यह सब सुनकर डर रही थी और मामला बाहर इंसानों को खाने की बात कर रही थी।
मामदा, “चलो दीदी, नहीं तो हम अपनी पुरानी जगह घूमकर आते हैं। वहाँ पास में एक हरा-भरा जंगल भी है।
वहाँ ताज़ा-ताज़ा बहुत सारे जानवर भी मिलेंगे, वहीं जाकर शिकार करेंगे।”
संपदा, “हाँ, ये ठीक रहेगा। हम दोनों वहीं घूमकर आते हैं। फिर जानवरों का शिकार करके यहीं वापस आ जाएँगे।”
फिर वे दोनों जादू से पेड़ के साथ हवा में उड़ने लगीं।
कंचन, “हाय राम! ये दोनों अब कहां जानवर खाने जा रही हैं? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है
और ये दोनों कैसी डरावनी बातें कर रही हैं। मुझे अब यहाँ से निकल जाना चाहिए।”
जैसे ही कंचन दरवाजा खोलती है, वह देखती है कि पेड़ के साथ पूरी की पूरी गुफा आसमान में उड़ रही है।
यह देखकर वह बुरी तरह डर जाती है और भगवान से प्रार्थना करने लगती है, “हे भगवान! कैसे भी करके मेरी जान बचा लो।”
थोड़ी देर बाद वह गुफा एक जादुई नगरी में उतरती है और फिर चुड़ैलें जंगल की ओर चली जाती हैं।
उनके दोनों के जाते ही कंचन दरवाजा खोलकर बाहर आती है और जैसे ही बाहर आती है,
वो उस जगह को देखकर हैरान हो जाती है। क्योंकि वह पूरी जगह सोने जवाहरात से भरी हुई है।
कंचन को यह देखकर बहुत खुशी होती है और वह सोचती है, “अगर मैं यहाँ से थोड़ा सा सोना ले जाऊँगी, तो इन चुड़ैलों की इस जादुई नगरी में कोई कमी नहीं होगी।”
और वो एक सोने से भरा बक्सा उठा लेती है और उन दोनों चुड़ैलों के आने से पहले उस गुफा में वापस चली जाती है। थोड़ी देर बाद दोनों चुड़ैलें वापस आकर पेड़ पर बैठ जाती हैं।
संपदा, “आहा! आज बहुत दिनों बाद जानवरों का शिकार करके बहुत ज्यादा मज़ा आया।”
मामदा, “चलो दीदी, वापस चलते हैं।”
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फिर वे दोनों चुड़ैलें उसी पेड़ पर बैठकर गुफा के साथ वापस अपने जंगल चली जाती हैं और थोड़ी देर बाद दोनों चुड़ैलें वहीं पेड़ पर बैठी-बैठी सो जाती हैं।
उन दोनों को सोता देख कंचन धीरे से दरवाजा खोलकर उस सोने से भरे बक्से को लेकर जल्दी से भागकर अपने घर जाती है।
घर के बाहर उसकी माँ उसकी राह देखती है कि तभी कंचन को डरा हुआ भागता आकर देख वो उससे पूछती है कि इतनी देर कैसे हो गई?
फिर उसकी माँ उसे अंदर घर में ले जाती है और उसके हाथ में बक्से को देखकर उसकी माँ कंचन से उस बक्से के बारे में पूछती है।
फिर कंचन अपनी माँ को विस्तार से सारी बातें बताती है। कंचन और रोहिनी की ये सब बातें संकेत चुपके से सुनता है
और अगले दिन रात को संकेत उसी जंगल के रास्ते से उसी पहाड़ी गुफा में चला जाता है और फिर उस दिन की ही तरह दोनों चुड़ैलों के जादू से वो गुफा
और पेड़ उड़कर जादुई नगरी पहुँच जाते हैं, और संकेत उन दोनों के जाने के बाद दरवाजा खोलकर बाहर आता है।
उन सब सोने जवाहरात को देखकर संकेत की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं।
संकेत, “अरे बाप रे! इतना सारा सोना। मैं ज्यादा से ज्यादा सोना यहाँ से ले जाऊंगा, फिर मुझे कभी किसी से पीने के लिए पैसे नहीं मांगने पड़ेंगे।”
ऐसा बोलकर संकेत चार पांच सोने से भरे बक्सों को उठाकर वापस गुफा में चला जाता है।
थोड़ी देर बाद मामदा और सम्पदा भी वापस आकर उसी पेड़ पर बैठ जाते हैं और अपनी जादुई शक्तियां से वापस उसी जंगल में पहुँच जाते हैं
और संकेत फिर जल्दी से गुफा का दरवाजा खोलकर सोने के बक्से को लेकर भागता है।
उसे अंधेरे की वजह से सही से दिखाई नहीं देता और वो पत्थर से टकराकर नीचे गिर जाता है और ज़ोर से चिल्लाता है।
संकेत, “अरे! मैं गिर गया। कोई है यहाँ जो मेरी मदद कर सके? कोई बचाओ।”
संकेत की चिल्लाने की आवाज को वो दोनों चुड़ैलें सुन लेती हैं।
संपदा, “कौन… कौन है वहाँ पर?”
फिर वो दोनों चुड़ैलें संकेत के पास पहुँच जाती हैं।
संकेत, “अरे… अरे! मैं गिर गया। कोई है क्या..?”
संपदा, “अरे! ये तो एक इंसान है और इसके पास तो हमारी जादुई नगरी का सोना भी गिरा हुआ है।
इसका मतलब उसने पक्का हमारी जादुई नगरी से चोरी की है।”
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मामदा, “हाँ दीदी, और ये हमारी जादुई नगरी के बारे में सब जान ही गया है। तब तो हम उसे बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे।
बहुत दिन हो गया है वैसे भी हमने इंसानी खून नहीं पिया। आज पीएंगे।”
संकेत बहुत ही ज्यादा डरा हुआ होता है। वो जल्दी से उठता है और अपने घर के रास्ते की तरफ भागता है।
संपदा और मामदा चुड़ैलें संकेत के पीछे पड़ जाती है और संपदा अपने एक हाथ को लंबा करके संकेत को पकड़ने की कोशिश करता है।
संकेत, “अरे बाप रे! मुझे तो ये चुड़ैल खा लेगी। बचाओ, मुझे कोई बचाओ बचाओ, मुझे बचाओ।”
संकेत के जंगल पार करते ही संपदा अपना हाथ पीछे ले लेती है और उसे जाने देती है।
मामदा, “नहीं नहीं, हम अब इस जंगल में नहीं रहेंगे। अब हम दोनों वापस अपनी जादुई नगरी में चले जाएंगे।”
उसके बाद संपदा और मामदा दोनों चुड़ैलें हमेशा के लिए उसी पेड़ पर बैठकर पहाड़ी गुफा के साथ अपनी जादुई नगरी चली जाती है
और संकेत उचित शिक्षा पाकर और उदास हो जाता है और रोना चिल्लाना शुरू कर देता है।
संकेत, “हाय राम! मुझसे कितना बड़ा सर्वनाश हो गया? मेरे हाथ से सब कुछ वहीं गिर गया।”
कंचना, “पापा, इसीलिए मैं कहती हूँ कि लालच करना बुरी बात है। भगवान ने हमें जो दिया है, हमें उसी में खुश रहना चाहिए।”
संकेत को अपनी गलती का अहसास हो जाता है और फिर वो सब खुशी खुशी रहने लगते हैं।
दोस्तो ये Hindi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!