हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – अंधविश्वास। यह एक Haunted Story है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Andhvishwas | Horror Story | Bhutiya Kahani | Dayan Ki Kahani | Haunted Stories in Hindi
अंधविश्वास
भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर आप विश्वास करें या न करें, लेकिन लोग आपको अंधविश्वास के चंगुल में फंसा ही लेते हैं। इसी अंधविश्वास के कारण न जाने कितने परिवार तबाह हो गए।
आज की ये कहानी ऐसे अंधविश्वास की है जिसने गुजरात के रहने वाले जयेश भाई के परिवार को वो दिन दिखाए, जो वो कभी सपने में भी सोच नहीं सकता था।
पड़ोसी,” आपके बेटे पर किसी का साया है। मेरी मानो तो इसे बंगाल लेकर चले जाओ। “
औरत,” अरे जयेश भाई ! करोड़ो की संपत्ति है, कंजूसी क्यूँ कर रहे हो ? जब बेटा ही नहीं रहेगा तो करोडों का क्या अचार डालोगे ? “
जय भाई और उनकी पत्नी लोगों की बातें सुन और अपने बेटे को बेचैन दर्द में तड़पता देखते हैं। सुमित लगभग 7 से 8 सालों से बिस्तर से नहीं उठा था।
वह कुछ बोलता भी नहीं था, बस पलकें झपकाए ही सब कुछ देखता रहता था। जवान बेटा उस पर बीमारी की ऐसी मार कि जयेश भाई के घर में खुशियों ने आना ही छोड़ दिया था।
जयेश,” बड़े से बड़े अस्पताल में सुमित का इलाज करा लिया पर हमारा सुमित ठीक ही नहीं होता। यहाँ तक कि हाकीम, मालवी, तांत्रिक, अघोरी सबके चक्कर में लाखों रुपए भी दान कर दिए।
पर सुमित की हालत में रत्ती भर भी सुधार नहीं आया।
आधी रात को शमशान घाट जाना, कच्चा मांस कौओं को खिलाना, पीपल के पेड़ में 13 अमावस पानी देना, कितना कुछ तो करके देख लिया।
और अब आप लोग बंगाल जाने की बात कर रहे हैं। भला ऐसा क्या है वहां, जो पूरे भारत में कहीं नहीं है ? “
जयेश के इस सवाल पर सब लोग शांत हो गए कि तभी जयेश भाई की पत्नी विमला ने अपने पति से कहा।
विमला,” सुनिए जी, चलकर देख लेते हैं एक बार। क्या पता दवा ना सही कोई दुआ ही हमारे बेटे को ठीक कर दे। “
एक माँ का दिल अभी भी उम्मीद लगाए था कि किसी तरह उसका बेटा बस ठीक हो जाए।
विमला की बातें सुन जयेश भाई भी अपना मन मार कोलकाता के नीमतला पहुँच गए, जहाँ इस बात की चर्चा बहुत मशहूर थी कि नीमतला घाट पर काले जादू की मदद से किसी मुर्दे में भी जान फूंकी जा सकती है।
जयेश और विमला भी निमतला घाट पहुंचे ही थे कि उन्होंने देखा कि अघोरी अपनी जीभ पर कपूर जलाकर एक औरत के चारों तरफ चक्कर काट रहा था।
वो औरत भी बेजान सी लेटी हुई अघोरी को सामने देख रही थी। उस औरत की हड्डियाँ तड़पने को हो रही थी।
पर जैसे ही अघोरी ने अपने मुंह में जल रही कपूर की एक फूंक उस औरत के मुंह पर मारी, वो बेजान सी औरत एक पल में उठकर बैठ गयी। यह देख आसपास मौजूद लोग भी खुशी से झूम उठे।
उस अघोरी ने सचमुच जयेश और विमला की आँखों के सामने बेजान जिस्म में जान डाल दी थी। अपनी आँखों से चमत्कार होते देख जयेश और विमला की आँखें भी चमक उठी थीं।
जयेश ने जब आस पास पता किया तो मालूम हुआ कि उस अघोरी का नाम ब्रजलाल है जो इस तरह की झाड़ फूंक और काले जादू में माहिर है।
जयेश अपने बेटे को ठीक करने के लिए कोई भी मौका खाली नहीं जाने देना चाहता था। वो तुरंत अपने बेटे सुमित को अघोरी ब्रजलाल के पास ले गया।
पर अघोरी ब्रजलाल ने जब सुमित की हालत देखी तो उसे छूने से भी इनकार कर दिया।
अघोरी,” जयेश, तेरे बेटे पर किसी डायन का साया है। सच कहूँ तो इसके पास केवल 13 दिन बचे हुए हैं।
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मैं भी अब इसे नहीं बचा सकता हूँ। जाओ इसे यहाँ से ले जाओ, मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। “
अघोरी ब्रजलाल की बातें सुन विमला और जयेश उसके पैरों में गिर गए।
जयेश,” अघोरी बाबा, ऐसा मत बोलिये। हम लोग बहुत आस लेकर आपके पास आये हैं।
बाबा, आपको जितना पैसा चाहिए, मैं आपको देने के लिए तैयार हूँ। बस किसी तरह मेरे बेटे को ठीक कर दीजिये। “
विमला और जयेश की बात सुन अघोरी का मन भी पसीज गया। उसने सुमित के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
अघोरी,” ठीक है। मेरे पास 1 जिन्नात की आत्मा कैद है तो मैं उसकी और तेरे बेटे में जिस डायन का साया है, उसकी लड़ाई करवाऊंगा और तेरे बेटे को पूरी तरह से ठीक कर दूंगा।
पर पहले बता दूं, इस विध्या में लाखों का खर्चा होता है और जयेश तुम्हें उस जिन्नात की आत्मा को अपने अंदर समाना होगा और तुम्हें अपने बेटे के ऊपर उस डायन के साये से लड़ना होगा। यही आखिरी रास्ता है जिससे तुम्हारा बेटा ठीक हो सकता है। “
अघोरी की बात सुन जयेश चौंक गया। उसने अपने बेटे की जान के लिए अपनी जान दाव पर लगा दी थी।
बहुत सोचने के बाद जयेश और विमला ने हाँ कर दी जिसे सुन अघोरी ब्रजलाल ने दोनो को आधी रात के पहर अकेले पचीस लाख रुपयों के साथ शमशान घाट बुलाया था।
जहाँ अघोरी ब्रजलाल आधी जली चिता में आहुती डाल के मंत्र पढ़ रहा था।
अघोरी,” आ गए तुम लोग ? मैं तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा था। बहुत खुश किस्मत है तुम्हारा बेटा। ये देखो, बड़ी मुश्किल से कुंवारी लाश मिली है मुझे।
बस चिता की आग बुझने से पहले ही हमें तुम्हारे बेटे को ठीक करना होगा। वो पैसों को मेरे हवाले कर दो और जब तक पूजा नहीं हो जाती, मेरी पूजा में कोई विघ्न नहीं डालेगा। “
तभी जयेश ने कहा।
जयेश,” नहीं नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा। मैं अपने बेटे को कुछ भी नहीं होने दूंगा। आप बस जल्दी से मेरे जिन्नात की आत्मा डालिए बाकी मैं उस डायन को संभाल लूंगा। “
ये कहते हुए जयेश पैसों से भरा बैग अघोरी को दे दिया। अघोरी ने भी पैसे मिलते ही अपने अनुष्ठान का काम शुरू कर दिया।
उसने पहले तो जयेश के माथे पर किसी जानवर का खून लगाकर उसे चिता के सामने बैठा दिया। फिर उसके हाथ में खोपड़ी पकड़ाकर उसके चारों तरफ घूमने लगा और मंत्र पढने लगा।
विमला भी कोने में खड़ी ये सब होते देख रही थी और मन ही मन ये दुआ कर रही थी कि जल्दी उसका पति और उसका बेटा दोनों सही सलामत लौट आयें।
अघोरी के मंत्र उच्चारण करते ही चिता की आग की लपटे काली हो गयी। उसके आसपास काले साये मंडराने लगे, जो सुमित के जिस्म के आस पास घूम रहे थे।
फिर अगले ही पल अघोरी ब्रजलाल ने चिता से आग का टुकड़ा उठाकर जयेश की जीभ पर रख दिया और तुरंत ही उसका मुंह बंद कर दिया ताकि जयेश की तड़पने की चीख सुन कोई उसकी पूजा में विघ्न न डाले।
फिर तुरंत ही अघोरी ब्रजलाल ने एक छोटी सी बोतल निकालकर जयेश को देते हुए कहा।
अघोरी (मदिरा देते हुए),” ले पी जयेश इसे, इसमें जिन्नात की आत्मा कैद है।
इसे पीते ही ये आत्मा तेरे अन्दर आ जाएगी और फिर तू अपने बेटे के अन्दर छिपी डायन को भी देख पाएगा और उससे लड़ भी पाएगा। “
दहकती आग को अपनी जीप पर रख जयेश की जीभ पूरी तरह से जल चुकी थी। वो इस वक्त जिस दर्द से गुज़र रहा था वो तो सिर्फ वही जानता था।
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अपने बेटे को ठीक करने के लिए इस दर्द को भी वह खुशी खुशी बर्दाश्त कर गया। अघोरी बृजलाल के कहे अनुसार जिन्नात की आत्मा वाली बोतल भी एक घूंट में पी गया।
वह इतनी कड़वी थी मानो जैसे किसी ने उसे करेला पीसकर मिलाया हो। बोतल खत्म होते ही जयेश की आँखें लाल हो गयी।
अघोरी,” वाह मेरे जिन्नात ! देख मैंने तेरे लिए कितना अच्छा शरीर ढूंढ निकाला है ? चल अब शुरू हो जा और जल्दी से मेरा काम कर दे। “
अघोरी ब्रजलाल के कहते ही जयेश जोर जोर से हंसने लगा। उसकी हंसी में एक अजीब किस्म का दर्द था।
विमला ने भी जब जयेश की हंसी सुनी तो उसे विश्वास हो गया कि उसके पति के अन्दर जिन्नात की आत्मा आ गई है और जल्दी उसका बेटा भी ठीक हो जाएगा।
वो बेचारी तो आँखें बंद कर बस सबकी सलामती की दुआ करने लगी। पर असल में तो जयेश अपने आपे से बाहर हो चुका था।
अघोरी ब्रजलाल ने जयेश के हाथों में खंजर पकड़ाकर उसे अपने बेटे के पास खड़ा कर दिया और जयेश से बोला।
अघोरी ,” अपने बेटे के शरीर के अन्दर छिपी डायन से बात कर और उससे बोल कि अगर उसने शरीर नहीं छोड़ा तो तू ये शरीर ही हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर देगा। “
जयेश ने भी अघोरी ब्रजलाल की बात मान अपने बेटे के पास जाकर उससे अघोरी ब्रजलाल का कहा कहने लगा।
इस वक्त जयेश का मुंह धंधकते कोयले की वजह से खून से लबालब भर चुका था। जयेश का बेटा सुमित पहले की तरह ही बेजान लेटा हुआ अपने पापा को देख रहा था।
अपने पापा को इतना दर्द बर्दाश्त करते देख उसकी आँख से आंसू थम नहीं रहे थे।
जयेश,” बोल डायन सुमित का शरीर छोड़ती है या नहीं ? नहीं तो मैं सुमित का शरीर ही हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर दूंगा। बोल जल्दी… डायन बोल। “
जयेश नशे में मदहोश खूंखार जानवर बन चुका था। उसे इस वक्त ये भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके सामने जो बेजान जिस्म पड़ा है, उसका खून उसका बेटा सुमित है।
जयेश के इतनी बार पूछने पर भी जब सुमित का कोई जवाब नहीं आया तो जयेश ने अपने हाथ में लिए खंजर से अपने बेटे सुमित का जिस्म चीर डाला।
यह देख विमला के पैरों तले जमीन खिसक गई। वो चीखते हुए जयेश के पास ही आ रही थी कि तभी अघोरी ब्रजलाल ने उसे पकड़ते हुए बोला।
अघोरी,” रुक जा पगली, अभी मेरी पूजा पूरी नहीं हुई है। मुझे दो और लोगों की बलि देनी थी। अभी तो एक का मरना बाकी है।
वैसे तो साल में एक दो बार ऐसा होता है। तुम जैसे अमीर अपने विश्वास के चक्कर में मेरे पास मरने के लिए चले आते हो और बदले में खूब सारे पैसे भी देते हो। “
यह कहते हुए अघोरी विमला को खुद से दूर झटक देता है और जयेश के पास जाकर उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगता है।
जयेश,” मालिक, मुझे माफ़ कर दो। मैं आपका एक छोटा सा काम भी नहीं कर पाया। मैं सुमित के शरीर से उस डायन को नहीं निकाल पाया मालिक, मुझे माफ़ कर दो। “
अघोरी,” नहीं मेरे गुलाम, मेरी अदालत में माफी नहीं सजा मिलती है सजा, मौत की सजा। तो अब तुझे पता है ना कि तुझे क्या करना है ? “
अघोरी के कहते ही जयेश खुद व खुद अपने हाथ में पकड़े खंजर को अपनी गर्दन पर रख लेता है और सीधा जलती हुई चिता की तरफ चलने लगता है। विमला भी चीखते हुए अपने पति को ये अनर्थ करने से रोक रही होती है।
विमला,” रुक जाओ सुमित के पापा, यह न करो। बेटा तो छोड़ कर चला गया, अब आप भी जा रहे हो।
मैं कहती हूँ रुक जाओ सुमित के पापा, होश में आओ। अघोरी ढोंगी है। पता नहीं इसने आपको क्या पिला दिया है ? होश में आओ, मैं कहती हूँ। “
विमला चीख चीखकर जयेश को रोकने की नाकाम कोशिश करती रहती है। पर जयेश ने विमला की एक नहीं सुनी और चिता के पास पहुँचकर एक झटके में जयेश ने अपना सर अपने धड़ से अलग कर दिया और घुटनों के बल चिता पर ही जा गिरा।
पहले बेटा फिर पति एक रात में विमला ने अपना बसा बसाया घर तबाह कर लिया था। कहते हैं इस हादसे के बाद विमला पागल हो गई और आज भी वो उसी नीमतला घाट पर किसी तरह अपना गुजर वसर कर रही है।
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लेकिन इस घटना ने बहुत ही बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सही में भारत में काले जादू या झाड़ फूंक के नाम पर अंधविश्वास होता है ?
और अगर होता भी है तो किस कारण से होता है और इस तरह अंधविश्वास के नाम पर कब तक मासूम लोगों की बलि चढ़ती रहेगी ?
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