हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” कितनी मोहब्बत है “। यह इस कहानी का (भाग -3) है। यह एक True Love Story है। अगर आप भी Love Story, Romantic Story या Hindi Love Story पढ़ना पसंद करते हैं तो कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story
कितनी मोहब्बत है : (भाग -3)
अब तक आपने पढ़ा…
निधि मीरा को अपने घर ले आई है। घर में उसने मीरा से हर एक का परिचय करवाया। मीरा को भी उसे घर में अपनापन महसूस होने लगा था।
उसका चेहरा घर में आने के बाद खिल उठा था। वह घर में लगभग सभी से मिल चुकी थी लेकिन अभी तक निधि का भाई उसे सामने से नहीं दिखा था।
वह नहा धोकर फ्रेश होती है और अपना सामान कमरे में व्यवस्थित करती है।
अब आगे…
बाल सुखाकर मीरा वहां से निधि के कमरे की ओर आती है। रघु कमरे की सफाई कर चुका था।
निधि अपने और मीरा के लिए कॉफ़ी ले आई और उसे लेकर अपने कमरे में आई। मीरा ने देखा कमरा बहुत खूबसूरत था।
बड़ा सा गद्देदार बिस्तर जिस पर फूलों वाली बेड शीट बिछी हुई थी और तकियो का ढेर लगा हुआ था। उन्हीं के बीच पड़ा था एक हल्के गुलाबी रंग का टेडी।
मीरा कमरे का जायजा लेने लगी। बिस्तर के बिल्कुल सामने कबोर्ड बने थे। उनसे लगकर अटैच बाथरूम था।
दीवार से लगकर एक स्टडी टेबल था जिसके ऊपर किताबें रखी थी और एक नाइट लैंप भी। बिस्तर से कुछ ही दूर एक बड़ी खिड़की थी और उससे लगकर एक बालकनी थी जिसमें हल्के गुलाबी रंग के पर्दे थे।
मीरा को ऐसे देखकर निधि ने कहा।
निधि,” अरे ! क्या हुआ..? बैठो ना, कॉफ़ी ठंडी हो जाएगी। “
कहकर निधि बिस्तर के एक किनारे पर बैठ गई। मीरा ने निधि की ओर देखकर कहा।
मीरा ,” समझ नहीं आ रहा निधि तुम्हारा ये एहसान हम कैसे चुका पाएंगे ? तुमने हमें यहाँ लाकर हम पर बहुत बड़ा एहसान किया है। “
निधि,” तुम फिर शुरू हो गई। नीचे दादू ने क्या कहा था कि एक दोस्त ही दोस्त के काम आता है। तो इसमें एहसान कैसा हुआ, बोलो ? “
मीरा,” तुम नहीं जानती निधि, तुमने हमारे लिए क्या किया है ? “
मीरा ने शांत भाव से कहा।
निधि,” अच्छा जब जरूरत होगी तब हम तुमसे कुछ मांग लेंगे। तुम दे देना, उतर जाएगा अहसान। “
निधि ने कॉफ़ी का घूँट भरते हुए कहा।
मीरा,” ठीक है। “
निधि,” ऐसे नहीं, वचन दो मुझे। तुम राजपूत लोगों के लिए तुम्हारा वचन बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है ना ? चलो दो। “
निधि ने हाथ आगे करते हुए कहा। मीरा ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा।
मीरा,” हम वचन देते हैं… तुम जो मांगोगी, हम देंगे। “
निधि मुस्कुराते हुए मीरा के गले लगी और कहा।
निधि ,” तुम खुश रहो, इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं चाहिए। “
मीरा भी मुस्कुराती है। निधि ने वहीं बैठे बैठे मीरा को घर वालों के किस्से सुनाना शुरू किए।
निधि,” चलो मैं तुम्हें सबके बारे में बताती हूँ। सबसे पहले दादा जी के बारे में। दादू एकदम मस्त इंसान है।
मैंने कभी भी उनको गुस्सा करते नहीं देखा। हमेशा हंसते मुस्कुराते रहते हैं। सबसे ज्यादा प्यार दादी माँ को करते हैं।
जानती हो, उस जमाने में भी दोनों ने लव मैरिज की थी ? हाउ रोमेंटिक ना ?
दादी माँ कोलकाता से हैं। साल में एक बार दादा दादी वहाँ जरूर जाती हैं, एज ए लव बर्ड्स। “
मीरा,” इस उम्र में भी उन दोनों के बीच इतना प्यार है ? सच में दादी माँ बहुत लकी हैं। “
निधि मुस्कुराई और कहने लगी।
निधि ,” हाँ बिल्कुल, उन दोनों के बाद मम्मी पापा हैं। पापा तो हर वक्त काम में बीज़ी रहते हैं और मम्मा, मम्मा पापा की जरूरतों का ख्याल रखने में बीज़ी रहती हैं।
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जब घर में हो तब भी और ऑफिस हो तो फ़ोन करके उन्हें खाने, दवाइयों के बारे में याद दिलाती रहती हैं। “
निधि रुकी और मीरा की ओर देखकर कहा।
निधि ,” पता है मीरा, मम्मा पापा ज्यादा बात नहीं करते फिर भी मम्मा को पता होता है कि पापा को किस वक्त क्या चाहिए इंटरेस्टिंग ना..? “
मीरा,” क्योंकि उन दोनों में ढेर सारा प्यार है। “
निधि,” हाँ, उसके बाद अर्जुन भैया। अर्जुन भैया बिल्कुल तुम्हारी तरह है… शांत, आदर्शवादी और चुप चुप रहने वाले।
उन्हें शोर शराबा बिलकुल पसंद नहीं है। एम बी ए किया है और अब पापा के साथ मिलकर ऑफिस संभाल रहे हैं। “
मीरा (उठते हुए),” सब हो गए..? “
निधि ने मीरा का हाथ पकड़कर वापस बैठाया और कहा।
निधि,” अरे ! एक इंसान के बारे में तो मैं बताना ही भूल गई। “
मीरा,” कौन ? “
निधि,”अक्षत भैया दुनिया के आठवें अजूबे कहूं तो गलत नहीं होगा। उनको ना आज तक कोई नहीं समझ पाया है।
मम्मा पापा भी नहीं। अभी अभी कॉलेज खत्म हुआ है उनका। हिस्ट्री में कॉलेज में टॉप किया है उन्होंने। “
मीरा (धीरे से),” नाइस। “
निधि,” वो जो सामने होल से लगकर कमरा बना है ना, वो उन्हीं का है। उस साइड कोई नहीं जाता।
उनका कहना है वो उनका हिस्सा है। अपने ही घर में क्या अपना क्या पराया ? “
मीरा की आँखों के आगे वो नेम प्लेट आ गई जिस पर लिखा हुआ था “अक्षत व्यास ए कॉम्प्लिकेटेड बॉय “। मीरा को अब इस शब्द का मतलब समझ आ रहा था।
अक्षत से उसका सामना कैसे होगा, ये वो नहीं जानती थी ? पर इतना जान चुकी थी कि वो बाकी घर वालो से अलग ही था।
सबके बारे में बताने के बाद निधि ने कहा।
निधि,” अब तुम भी इस घर का हिस्सा हो, है ना ? तो तुम्हारा इंट्रो मैं लोगो को ऐसे दूंगी… मेरी सबसे खूबसूरत दोस्त मीरा (मीरा राजपूत) थोड़ी चुप चुप, थोड़ी खामोश लेकिन इसकी आँखे बहुत बातें करती हैं। “
मीरा हसने लगी और कहा।
मीरा,” अरे ! बस कर, हम इतने भी खूबसूरत नहीं हैं। “
निधि ने मीरा की ओर देखा और कहा।
निधि (मज़ाक में),” इतनी खूबसूरत तो हो कि कोई भी मर मिटे। मैं लड़का होती ना तो पक्का शादी कर लेती तुमसे। “
मीरा,” चुप करो। सच में बहुत बड़ी नौटंकीबाज हो। “
निधि,” अच्छा मीरा, मार्केट चलें ? “
मीरा,” निधि, अगले महीने हमारे एग्ज़ैम शुरू होने वाले हैं और एक महीने कॉलेज नहीं आने की वजह से मेरा सारा रिविशन बाकी है। मैं नहीं जा पाऊंगी। “
निधि ,” इट्स ओके, मैं भी नहीं जा रही फिर। “
मीरा,” अरे ! तुम क्यों नहीं जा रही अब? “
निधि,” तुम्हें अकेला छोड़कर अच्छा लगता है क्या ? “
मीरा,” अरे ! हम रह लेंगे। हमारी वजह से तुम अपनी खुशी बर्बाद मत करो। तुम जाओ। “
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मीरा ने प्यार से निधि के गाल को छूकर कहा।
मीरा,” थैंक्स, अच्छा मीरा वो जो फर्स्ट फ्लोर वाला कबर्ड है ना… वो खाली है, उसमें तुम अपने कपड़े और बाकी सामान रख लेना और बुक्स मेरी वाली टेबल पर ही रख लेना और कुछ चाहिए हो तो मम्मा से कह देना या मुझे फ़ोन कर लेना। “
निधि एक सास में बोल गई।
मीरा,” हम सब देख लेंगे, तुम बेफिक्र हो के जाओ। “
निधि अपना पर्स और फ़ोन लेकर वहाँ से चली गई। मीरा ने दरवाजा बंद किया और फिर निधि के बताए कबर्ड में अपने कपड़े और सामान रखने लगी।
सामान रख कर मीरा ने अपनी किताबें निकाली और पढ़ने लगी। किताबों के बीच एक घंटा कब निकल गया, मीरा को पता ही नहीं चला ?
उसने एक किताब उठाई और लेकर बालकनी में पड़ी कुर्सी पर आ बैठी। वो अत्मिनान से किताब के पन्ने पलटते हुए पढ़े जा रही थी।
तभी एक तेज चमक उसे अपने चेहरे पर महसूस हुई। मीरा ने उस ओर देखा लेकिन वो चमक सीधी उसकी आँखों में पढ़ रही थी जिससे वो चाहकर भी अपनी आंखें नहीं खोल पा रही थी।
वो तेज चमक शीशे की थी। मीरा साइड में हुई तो पत्तों की ओट में नीचे खड़े किसी शख्स की आँखें दिखी।
जिस शीशे की चमक मीरा की आँखों में आ रही थी वो शीशा नीचे खड़े उस शख्स की घड़ी का ही था जो उसके हाथ में बंधी हुई थी।
जैसे ही उसने हाथ ऊपर किया एक बार फिर वही रौशनी मीरा के चेहरे पर आ गिरी। मीरा ने देखने की कोशिश की लेकिन इस बार सिर्फ उसके सुर्ख होठ दिखाई दिए।
मीरा को झुंझलाहट हो रही थी। एक तो वो तेज रौशनी ऊपर से वो नीचे खड़े उस शख्स को देख नहीं पा रही थी। उसकी आँखों ने मीरा के दिल में बेचैनी बढ़ा दी थी।
वहीं लगी हुई तार पर कपड़े सूख रहे थे। मीरा ने जैसे ही उस तार को पकड़ा, वो तार टूटी और उसके सारे कपड़े मीरा पर आ गिरे।
मीरा उन कपड़ों में ऐसी उलझी कि उस शख्स को देख ही नहीं पाई। जब उठी और नीचे देखा तो वो उसे बाहर जाता दिखा।
मीरा को पहली बार बहुत निराशा हुई। हाथ में पहनी लड़के की घड़ी का शीशा अभी भी चमक रहा था। चलते चलते उसने जैसे ही हाथ उठाया एक तेज रौशनी एक बार फिर मीरा की आँखों में आ गिरी।
मीरा अंदर आकर लेट गई लेकिन आँखों के आगे बार बार वो दो आँखें और सुर्ख होठ आ रहे थे। मीरा की झुंझलाहट अब और ज्यादा बढ़ गई तो वो कमरे से बाहर आ गई।
नीचे आकर वो बगीचे में दादी के पास चली आई। दादी ने देखा तो उसे पास आने को कहा और बोली।
दादी,” मन लग गया ना तुम्हारा यहाँ ? “
मीरा (धीरे से),” हां। “
दादी,” आओ बैठो। “
मीरा आकर उनके पास बैठ गई। दादी ने बड़े गौर से देखा और कहा।
दादी,” तुम कुछ परेशान नजर आ रही हो। मुझे बताओ, किसी ने कुछ कहा ? “
मीरा,” नहीं दादी माँ, ऐसी कोई बात नहीं है। सब बहुत अच्छे है। “
मीरा ने नजरें चुराते हुए कहा।
दादी ,” तो फिर इतने प्यारे से चेहरे पर परेशानी के भाव क्यों ? देख… मैं दादी माँ हूँ, चेहरा पढ़ लेती हूँ। “
दादी माँ ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा।
मीरा,” दादी माँ, वो अभी यहाँ नीचे कोई आया था क्या ? “
मीरा ने झिझकते हुए कहा।
दादी,” यहाँ… हाँ, वो कुछ देर पहले अक्षत आया था। लेकिन वो पट्ठा एक जगह टिकता कहां है ? आया कि वापस चला गया।
उस लड़के को बस दिन भर घूमना, फिरना, मस्ती करनी है। पता नहीं अपनी जिम्मेदारियों को कब समझेगा ये ? “
मीरा (मन में),” ओह ! तो वो थे अभी। उससे मिली भी नहीं हूँ और टॉर्चर करना शुरू। आई होप, हम उससे ना ही मिलें। “
दादी ,” क्या हुआ..? तुमसे कुछ कहा उसने ? “
मीरा,” नहीं दादी माँ, कुछ नहीं… कुछ नहीं कहा। हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे थे। “
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दादी,” अच्छा तुम कहाँ से हो ? “
मीरा,” जी भोपाल से। “
और उसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई जिससे मीरा उन आँखों को कुछ देर के लिए भूल गई। “
इस भाग में बस इतना ही। आगे मीरा और अक्षत की मुलाकात किस तरह होगी जानने के लिए कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें और इस कहानी का सबसे खूबसूरत मूमेंट Comment में जरूर बताएं।