अलक्ष्मी | ALAXMI | Horror Kahani | Darawani Kahaniyan | Scary Stories | Hindi Horror Kahani | Horror Stories

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” अलक्ष्मी ” यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Scary Stories या Darawani Kahani पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


कुमुद, “आचार्य जी, आप अब आये हैं? सब कुछ खत्म हो गया। आपको कितने फ़ोन किये? 

आपके शिष्यों से कहलवाया, लेकिन आप अब आये हैं जब मेरे पति की लाश मेरी आँखों के सामने पड़ी है।”

कुमुद आचार्य श्रीधर से बिलखते हुए कह रही थी। आचार्य श्रीधर ने भी कुमुद के पति कैलाश की आँखें बंद करते हुए कहा, “भगवान योगेश की आत्मा को शांति दे।”

इतना कहकर आचार्य श्रीधर ने जब योगेश की लाश को देखा तो उनकी भी हालत एक पल के लिए पस्त हो गयी थी।

क्योंकि योगेश का बदन जगह-जगह से छिला हुआ था। इस पर भी उसके चेहरे पर खूब सारे चाकू के निशान थे 

और एक खंजर उसकी छाती में भी गढ़ा हुआ था। हाथ के नाखूनों में मांस के टुकड़े लगे हुए थे और पैर की उंगलियां भी कटी हुई थीं।

आचार्य श्रीधर लाश का मुआयना करते हुए किसी नतीजे पर पहुँच पाते, इससे पहले ही उन्हें कमरे के कोने में किसी के दर्द में कराहने की आवाज़ आई।

आचार्य, “ये अभी जिंदा है। चलो जल्दी करो, इसे अस्पताल लेकर जाना है।”

आचार्य, “कुमुद, तुम सुन भी रही हो? वरना लक्ष्मी यहीं मर जाएगी।”

आचार्य श्रीधर लक्ष्मी को देख तुरंत उसके पास गए और उसका सिर अपनी गोद में रखकर होश में लाने की कोशिश करने लगे।

कुमुद, “मर जाए मेरी बला से। वैसे भी मेरा बचा ही क्या है? सब कुछ तो इसने बर्बाद कर दिया। 

जो कुछ हुआ है, वो इसी ने किया है। मेरे योगेश को मुझसे छीनने वाली यही डायन है।”

कुमुद ने अपने पति की लाश को एकटक देख गुस्से में आचार्य श्रीधर से कहा। आचार्य को भी कुमुद की बात बिना सिर-पैर की लग रही थी।

आचार्य, “नहीं, तुम झूठ बोल रही हो कुमुद। लक्ष्मी ऐसा कभी नहीं कर सकती है। तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हुई है।”

आचार्य श्रीधर अभी बोल ही रहा था कि तभी लक्ष्मी बेहोश हालत में ही खून की उल्टियां करने लगी। उसकी बेहोश आँखों से भी खून गिर रहा था।

आचार्य श्रीधर ने जब लक्ष्मी की पलकें उठाई तो वो भी डर के मारे सहम गया। क्योंकि लक्ष्मी की आँखों की जगह काले गड्ढे थे, जिनसे किसी डायन की उंगलियां बाहर आ रही थीं।

ये सब देखकर आचार्य भी लक्ष्मी को उसके हाल पर छोड़ पीछे हट गया और तुरंत ही कुमुद का हाथ पकड़ उसे घर से बाहर ले जाते हुए कहा,

आचार्य, “कुमुद, तुम्हारा यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है। इस घर से जितना जल्दी चले जाएं, उतना अच्छा होगा।”

इस पर कुमुद ने आचार्य श्रीधर से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा,

कुमुद, “आचार्य, आप जितना आसान ये सब सोच रहे हैं, ये उतना ही मुश्किल है। मैं और मेरे पति पिछले सात घंटों से इससे लड़ रहे हैं। 

अलक्ष्मी | ALAXMI | Horror Kahani | Darawani Kahaniyan | Scary Stories | Hindi Horror Kahani | Horror Stories

उसी में मेरे घर का ये हाल हुआ है। जब जान पर बन आई, तो मेरे पति ने मुझे बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। 

आप यकीन मानो आचार्य श्रीधर, अगर आप दरवाज़े तक गए तो लक्ष्मी जाग जाएगी।”

कुमुद से लक्ष्मी का ज़िक्र सुनकर आचार्य श्रीधर ने जब लक्ष्मी को देखा, तो अभी-अभी खून की उल्टियां कर रही थी वो।

कुमुद, “ये मरेगी ये, जो खुद अपनी आखरी सांसे गिन रही है? अब जल्दी मेरे साथ घर से बाहर चलो, फिर पुलिस के पास जाकर उन्हें सब सच बता देंगे।”

घर से बाहर जाने के नाम पर ही कुमुद डरने लगी थी।

कुमुद, “नहीं, मत जाओ घर के बाहर वरना वो जाग जाएगी। फिर हम में से कोई जिंदा नहीं बचेगा।”

आचार्य, “होश में आओ कुमुद, मैं हूँ ना। कुछ नहीं होने दूंगा तुम्हें, मेरा यकीन करो।”

अचानक श्रीधर की बात सुन कुमुद उसका हाथ पकड़ कांपते हुए बाहर जाने को हुई ही थी कि उसे किसी के घुर्राने की आवाज़ सुनाई दी।

आवाज़ सुन कुमुद ने जब पीछे मुड़कर देखा तो लक्ष्मी तो खून की उल्टियां कर रही थी कि तभी आचार्य श्रीधर ने कुमुद को इशारे से योगेश की लाश को देखने को कहा।

जिसे देख उसके भी होश उड़ गए। योगेश की लाश धीरे-धीरे खुद ब खुद हिलने लगी थी। 

जिसका मतलब साफ था कि अब योगेश किसी के वश में है। पर अगले ही पल आचार्य श्रीधर कुमुद का हाथ पकड़ घर के दरवाजे तक पहुँच गया 

और उसने दरवाज़ा खोलने के लिए हैंडल को पकड़ा ही था कि तभी किसी ने आचार्य श्रीधर के कंधे पर हाथ रख उसके कान में कहा,

योगेश, “इतनी भी क्या जल्दी है, आचार्य? आप अभी तो हमारे घर आए हैं और मेरी पत्नी के साथ आपने अभी तक कोई छल नहीं रचाए, उसके बिना कैसे जा सकते हैं?”

ये बात सुनते ही आचार्य श्रीधर ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, तो उसके होश उड़ गए। उसके कंधे पर हाथ रखने वाला कोई और नहीं, बल्कि पति योगेश था।

योगेश का चेहरा अब पहले से और खूंखार और डरावना हो गया था। उसके चेहरे पर जो कटे हुए निशान थे, उनसे अब कीड़े निकल रहे थे।

जिन्हें देख आचार्य श्रीधर की रूह कांप गई। पर इससे पहले वो कुछ समझ पाता, योगेश ने आचार्य श्रीधर की गर्दन से पकड़ हवा में उठा दिया।

अपनी आँखों के सामने सब होता देख कुमुद योगेश के पैर पकड़ गिड़गिड़ाने लगी थी।

कुमुद, “आचार्य को छोड़ दीजिए। उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। छोड़ दीजिए उन्हें। आपके गुनहगार मैं हूँ, आचार्य नहीं।”

कुमुद ने अपनी बात खत्म की ही थी कि योगेश ने उसे लात मारकर खुद से दूर छिटक दिया और आचार्य श्रीधर के गले को और ज़ोर से दबाने लगा।

आचार्य की आँखों की पुतलियाँ भी अब फटने को गयी थीं कि तभी बहुत हिम्मत कर आचार्य ने अपनी जेब से रुद्राक्ष की माला निकाल योगेश के गले में डाल दी।

अलक्ष्मी | ALAXMI | Horror Kahani | Darawani Kahaniyan | Scary Stories | Hindi Horror Kahani | Horror Stories

जैसे ही माला डाली, योगेश फिर से एक लाश बन गया और आचार्य वापस से जमीन पर आ गिरा।

कुछ पल खुद को संभालने के बाद आचार्य श्रीधर ने फिर से दरवाज़ा खोलने की कोशिश की।

पर वो नहीं खुला और एक बार फिर से घर में किसी के दर्द में कराहने की आवाज़ आने लगी।

आचार्य ने आहिस्ता-आहिस्ता जब चीज़ों पर नज़र दौड़ाई, तो उन्हें कुछ भी ऐसा खास और डरावना नहीं दिखा।

कि अचानक ही उनकी नज़र ठहर गई। उनकी आँखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था।

आचार्य श्रीधर की आँखों के सामने ही कुमुद अपनी आखिरी साँसें गिन रही थी।

दरअसल हुआ ये था कि योगेश ने जब कुमुद को लात मारी, तो एक नुकीली चीज़ कुमुद की छाती के आर-पार घुस गई थी।

आचार्य, “ये कैसे हो गया, कुमुद? तुम भी अब छोड़कर जा रही हो?”

आचार्य श्रीधर कुमुद के पास बैठ अपना दुख मना रहा था। पर कुमुद के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान थी।

कुमुद, “वो कहते हैं ना श्रीधर, जिनका मिलना नसीब में नहीं होता, उन्हें मोहब्बत कमाल की होती है। 

किसे पता था, मेरे जाने के बाद तुम ब्रह्मचर्य जीवन अपना लोगे? मेरे श्रीधर से आचार्य श्रीधर हो जाओगे? 

पर देखो, शायद हम लोग सच्चे थे। हमारा प्यार सच्चा था। इसीलिए तो मरते वक्त मैं तुम्हारा चेहरा देख पा रही हूँ।”

श्रीधर, “हमने कुछ गलत नहीं किया है और मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी, कुमुद। हम अभी अस्पताल जाएंगे।”

कुमुद, “नहीं। मुझे पता है मेरा आखिरी समय आ गया है। एक प्रेमिका होने का फर्ज तो मैं सही से नहीं निभा पाई, 

पर एक पत्नी का फर्ज निभाना चाहती हूँ। मुझे जाने दो श्रीधर… मैं थक गई हूँ… प्यार को ढूंढते-ढूंढते। 

पर तुम अभी जिंदा हो और जिंदा बच भी सकते हो। बस उस डायन के होश में आने से पहले ही उसका गला घोंटकर उसे जान से मार दो।”

श्रीधर, “ये क्या बकवास कर रही हो तुम? वो कोई डायन नहीं है, लक्ष्मी है। वो मरी नहीं है, जिंदा है कुमुद 

और मैं कोई कातिल नहीं हूँ तुम्हारी तरह। मैं लक्ष्मी को अस्पताल लेकर ही जाऊँगा।”

अपने प्रेमी से खुद को कातिल कहते सुन कुमुद मुस्कुराने लगी थी। शायद अब उसे अपनी गलतियों का अहसास होने लगा था।

कुमुद, “सही कहा तुमने श्रीधर, मैं एक कातिल हूँ। पहले तुम्हारे प्यार का कत्ल किया, तुम्हें अकेला छोड़ दिया। 

फिर इस बेचारी लक्ष्मी का, जिसकी वजह से आज तुम्हें ये दिन देखना पड़ा।”

कुमुद, “नहीं, वो लक्ष्मी नहीं थी… वो लक्ष्मी थी, और लक्ष्मी रही। और ये सब तुमने मुझे खुद बताया था।”

श्रीधर, “नहीं कुमुद, लक्ष्मी जिंदा है। तुमने जिसको मारा था, वो अलक्ष्मी थी, लक्ष्मी नहीं और ये सब तुमने मुझे खुद बताया था।”

कुमुद, “ये खेल तो किस्मत ने खेला है मेरे साथ। तुम्हें छोड़ने के बाद मैंने एक अमीर लड़के से शादी कर ली थी। 

सोचा था जीवन में कोई सुख मिले ना मिले, कम से कम बुढ़ापा तो सुख-शांति से कटेगा। 

अलक्ष्मी | ALAXMI | Horror Kahani | Darawani Kahaniyan | Scary Stories | Hindi Horror Kahani | Horror Stories

पर नहीं… योगेश कभी मुझे बच्चा नहीं दे पाया। अमेरिका में भी इलाज करवा लिया, मगर कोई सुधार नहीं हुआ। 

थककर हमने 10 साल की दो जुड़वा लड़कियों को गोद ले लिया — लक्ष्मी और अलक्ष्मी। पर दोनों के घर आते ही योगेश का बिज़नेस डूबने लगा। 

बहुत झाड़-फूंक करवाई, बड़े-बड़े आचार्य और एस्ट्रोलॉजिस्ट को भी दिखाया। सबका यही कहना था कि अलक्ष्मी अशुभ है। 

जिस तरह लक्ष्मी सुख और धन की देवी है, उसी तरह अलक्ष्मी दरिद्रता और गरीबी का प्रतीक है। 

और जब तक वो हमारे साथ है, हमारा बिज़नेस डूबता रहेगा। पर हम किसी को घर से नहीं निकाल सकते थे, ना ही कहीं और भेज सकते थे। 

इसलिए मैंने और योगेश ने एक प्लान बनाया कि हम एक महीने के लिए लंदन जाएंगे हनीमून के लिए। 

पर जाने से पहले अलक्ष्मी को बंगले के तहखाने में बंद कर देंगे, जहाँ वो भूख-प्यास से अपने आप ही मर जाएगी।

और हुआ भी ऐसा ही। जब हम वापस आए तो लाश के सड़ने की वजह से पूरा बंगला बदबू मार रहा था। 

हमको लगा हमारी सारी मुसीबतें अपने आप ही हल हो गईं। किसे पता था हमने तो शैतान के घर जाकर उसे न्योता दिया है वो भी अपनी बर्बादी का?

अगले कुछ महीनों में हम लोग रास्ते पर आ गए। सब कुछ बिक गया। बेसहारा होकर जब दर-दर भटक रहे थे, 

तब हमें किसी ने एक आश्रम का पता दिया। जब वहाँ पहुँचे तो पता चला कि उस आश्रम के आचार्य तुम हो।

एक पल को लगा कि वापस चली जाऊँ तुम्हारे पास और माफ़ी माँग लूँ तुमसे। पर मेरी सोच ही इतनी गहरी हो गई थी… मेरे इरादे कमजोर पड़ गए। हम बस सोचकर ही रह गए।”

इतना सब जानने के बाद श्रीधर ने कुमुद से बस इतना पूछा,

श्रीधर, “तुम किसी शैतान का ज़िक्र कर रही थी… कौन है वो?”

कुमुद, “श्रीधर, मैंने तो उसे अलक्ष्मी समझ कर तहखाने में बंद किया था। वो लक्ष्मी थी और ये चाल अलक्ष्मी ने खुद चली थी।

शायद उसे पता चल गया था कि हम उसे यहीं मरने के लिए छोड़कर जाने वाले हैं। इसलिए उसने लक्ष्मी को अपनी जगह बंद करवा दिया।

वो बेचारी तड़प-तड़प कर मर गई। तुम्हारे सामने जो लड़की खून की उल्टियां कर रही है, वो लक्ष्मी नहीं है बल्कि अलक्ष्मी है।

जिसके कब्जे में लक्ष्मी की भी आत्मा है और मेरे पति योगेश की भी।”

आचार्य, “कब्जे में…भला ये कैसे मुमकिन है?”

कुमुद, “मुमकिन है श्रीधर। न जाने कहाँ से इस अलक्ष्मी ने काला जादू सीखा। तभी तो उसने लक्ष्मी की आत्मा को अपने वश में किया।

मुझे जब इस बारे में पता चला, मैंने उसके खाने में ज़हर मिला दिया।

पर वो भी उसने आधा ही खाया। खा लेती तो शायद मैं विधवा नहीं मरती।

अलक्ष्मी | ALAXMI | Horror Kahani | Darawani Kahaniyan | Scary Stories | Hindi Horror Kahani | Horror Stories

ज़हर का असर कभी भी खत्म हो सकता है। वह कभी भी होश में आ सकती है, श्रीधर।

इसलिए बोल रही हूँ… गला दबाकर उस डायन को मार डालो।”

कुमुद से सारी कहानी जानकर श्रीधर के होश उड़ गए थे। उसे अब सच में डर का अहसास होने लगा था।

वो अभी कुमुद से बात कर ही रहा था कि तभी उसने अपने पीछे किसी को महसूस किया।

श्रीधर ने जब पीछे मुड़कर देखा तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। अलक्ष्मी उसके सामने अपने ही हाथ का मांस नोच-नोचकर खा रही थी।

वो तुरंत ही अपनी जेब टटोल रुद्राक्ष की माला ढूंढने लगा था। पर वो तो उसने कुछ देर पहले ही योगेश को शांत करने के लिए उसके गले में डाल दी थी।

श्रीधर भी समझ गया था कि अब उसकी जान खतरे में है। वो डर के मारे घर से बाहर जाने को हुआ ही था कि तभी अलक्ष्मी ने श्रीधर को गर्दन से पकड़ उसे हवा में उठा दिया।

कुमुद, “छोड़ दे, डायन। श्रीधर ने तेरा क्या बिगाड़ा है? तेरी बहन को मैंने मारा था फिर उसकी सज़ा तुम श्रीधर को क्यों दे रहे हो?

अलक्ष्मी, “क्यों..? जब अपना कोई तेरी आँखों के सामने मरता है तो तुझे बड़ी तकलीफ़ हो रही है?

मेरी लक्ष्मी भी तो इसी तरह तड़पी होगी। उसकी सज़ा तो तुझे मिलकर ही रहेगी।”

ये कहते हुए अलक्ष्मी का गुस्सा फूट पड़ा। जिस वजह से उसने श्रीधर की गर्दन इतनी ज़ोर से दबाई कि उसकी आँखों की पुतलियाँ फटकर बाहर आ गईं।

श्रीधर की ऐसी बेहरम मौत देख कुमुद ने भी अपना दम तोड़ दिया। अगली सुबह जब पुलिस तक इस मामले की खबर पहुँची, तो उन्हें भी कुछ समझ नहीं आया।

पर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने के लिए उन्होंने कुमुद और श्रीधर के कॉलेज की प्रेम कहानी को मुद्दा बनाकर, इसे नया मोड़ दिया और जनता को एक नई कहानी —

कि कुमुद और श्रीधर के बीच अवैध संबंध थे। और जब ये बात योगेश यानी कुमुद के पति को पता चली, तो उसने इन दोनों को मार दिया और खुद आत्महत्या कर ली।

रही बात लक्ष्मी की तो वो अपनी जवानी एक सरकारी अनाथालय में काट रही है, जहाँ उसका हालचाल पूछने के लिए बस एक ही जन है 

और वो है उसकी बहन की आत्मा लक्ष्मी, जिससे वो आज भी घंटों बातें करती है।


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


Leave a Comment

लालची पावभाजी वाला – Hindi Kahanii ईमानदार हलवाई – दिलचस्प हिंदी कहानी। रहस्यमय चित्रकार की दिलचस्प हिंदी कहानी ससुराल में बासी खाना बनाने वाली बहू भैंस चोर – Hindi Kahani