जंगल में बर्ड फ्लू | Jungle Me Bird Flue | Hindi Kahaniya | Moral Story | Animal Story | Hindi Story | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जंगल में बर्ड फ्लू” यह एक Bird Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Pakshiyo Ki Kahani पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
जंगल में बर्ड फ्लू | Jungle Me Bird Flue | Hindi Kahaniya | Moral Story | Animal Story | Hindi Story | Hindi Fairy Tales

Jungle Me Bird Flue | Hindi Kahaniya | Moral Story | Animal Story | Hindi Story | Hindi Fairy Tales

मध्य प्रदेश के जंगल में बहुत से पक्षी रहते थे। उनमें कौवे, कबूतर, तोते, मैना, कोयल और बुलबुल इत्यादि पक्षियों का समावेश था। 
उन सभी पक्षियों में कौओं की संख्या सबसे ज्यादा थी। सारे पक्षी मिलजुल कर रहते थे। 
एक दिन एक तोता जिसका नाम सोनू था, वहाँ घोंसलें से जैसे ही बाहर निकला उसके मुँह से चीख निकल पड़ी। 
सोनू,” ओह ! ये सब क्या हो गया ? इन्हें किसने मारा ? “
आस पास बहुत सारे कौओं और कबूतरों की लाशें पड़ी थीं। सोनू का अंतर मन दुख से भर गया। उसके सामने उसके कई दोस्त छन्नू, बल्लू, भूरा और कनु मृत पड़े थे। 
कल तक वह जिनके साथ खेलता था, आज वह सब दुनिया छोड़ गए थे। चारो तरफ मौत का सन्नाटा फैला था। 
सोनू ने पेड़ के दूसरे घोसले पर नजर डाली तो उन्हें खाली देखकर उसका दिल बैठ गया। 
सोनू,” सब के सब पंछी ना जाने कहाँ उड़ गए हैं ? आसपास कोई भी नहीं दिख रहा है। “
सोनू ने दूर मंगरू बंदर काका को भागते हुए देखा। वे सबको सावधान करके वहाँ से हटने का इशारा कर रहे थे। चलो सब लोग भाग चलो। 
एक बहुत बड़ी महामारी की बिमारी आ गई है। अपनी जान बचानी है तो इस जंगल को छोड़कर दूर चले जाओ। 
मंगरू,” सोनू चल भाग चलें यहाँ से। “
मंगरू काका की बात सुनकर सोनू उनके साथ साथ ऊपर उड़ने लगा। उसने आज तक ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं किया था। 
जान बचाने के लिए वहाँ से हटने के सिवा दूसरा रास्ता भी नहीं था। मंगरू बंदर नीचे नीचे भाग रहा था और उनके ऊपर सोनू तोता उड़ रहा था। 
वह उस जंगल से बहुत दूर एक पहाड़ के पास पहुँच चुके थे। पास में एक नदी बह रही थी। 
मंगरू बंदर ने चारों तरफ देखा और उस जगह को ज्यादा सुरक्षित मानकर वहीं अपने कदम रोक लिए। सोनू भी उड़ता हुआ नीचे उतर आया। 
सोनू,” काका, ये सही जगह लग रही है। “
मंगरू,” हाँ, इसलिए मैं यहाँ रुक गया हूँ। पास में नदी का पानी भी है, फलों के पेड़ भी हैं। “
सोनू,” काका, हमारे बहुत साथी हमेशा के लिए दुनिया छोड़ गए। बड़ा दुख हो रहा है। ये कैसी बिमारी है ? “
मंगरू,” बड़ी भयानक बीमारी है बेटा। एक से दूसरे में फैलने पर देरी नहीं लगती। मेरे दो बंदर साथी भी उसकी चपेट में आ गए। 
मुझे भी अपनी जन्मभूमि प्यारी थी। लेकिन जान बचाना जरूरी है। जान है तो जहान है। अरे सोनू ! तुम तो सवेरे उठे और कुछ खाया भी नहीं होगा। “
सोनू,” मुझे भूख तो लगी है। लेकिन वह भयानक। दृश्य देखकर मैं सब कुछ भूल गया। काका, आप बहुत थक गए होंगे, बैठिए। ना। मैं सामने के पेड़ से पके हुए अमरुद तोड़ कर गिराता हूँ, दोनों जन खायेंगे। “
सोनू उड़ गया और कुछ ही देर में देखते देखते उसकी चोट की फुर्ती से कई अमरूद इकट्ठा हो गए। दोनों ने अमरूद खाए और वहीं बैठ गए। दोनों आपस में बातें कर ही रहे थे कि अचानक सोनू की नज़र आने वाले एक बाघ के ऊपर पड़ गई। मंगरू काका के पीठ के पीछे से वह आ रहा था। इसलिए उन्होंने उसे नहीं देखा। 
सोनू ने तुरंत काका को सतर्क किया। मंगरू बंदर झट से पेड़ पर चढ़ गया। सोनू तोता भी उड़कर डाल पर बैठ गया। बाघ उन्हें देखता ही रहा। 
सोनू और मंगरू ने देखा कि उनकी आँखों के सामने एक कबूतर पेड़ पर से नीचे गिर गया और उसकी गर्दन बैठने लगी। बाघ उसे देख ही रहा था लेकिन उसके पास नहीं आ रहा था। वह धीरे धीरे पीछे जाने लगा। 
सोनू,” अरे काका ! यह बाघ तो एक कबूतर से डर गया, पीछे ही हटा जा रहा है। “
मंगरू,” अरे बांगड़ू ! वो कबूतर से नहीं, उसकी बिमारी से डर रहा है। महामारी यहाँ तक भी आ गई है। इसी वजह से कबूतर की जान पर आ गई है। 
अब हमारा यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है। खजूर से गिरे तो बबूल में अटके, चलो यहाँ से अब भाग चलने में ही भलाई है। “
बंदर और सोनू वहाँ से आगे की ओर रवाना हो गए। वो दोनों नदी के किनारे किनारे बहुत दूर तक चले गए। वहाँ उन्होंने बहुत सारे बगुलों की टोली को देखा। 
उन्हें देखकर उनके मन में आशा जाग गईं। उन्हें लगने लगा कि वह स्थान सचमुच रहने लायक है। यदि खतरा होता तो बगुले भी वहाँ ना रहते। 
वह दोनों वहाँ पर रहने लगे और किसी भी आशंका से निश्चिंत हो गए। कुछ बगुलों ने सोनू से दोस्ती भी की। बगुले भयवश मंगरू बंदर के पास नहीं जाते थे। 
बगुला,” सोनू भैया, बंदर से हमें बहुत डर लगता है। एक बार एक बंदर ने मेरी गर्दन पकड़ ली थी, बड़ी मुश्किल से जान बचाई। 
मेरी जान नहीं बचती। मेरी बगुला दोस्त ने एन वक्त पर बंदर को एक केला पेश कर दिया और बंदर ने मुझे छोड़ दिया। “
सोनू,” अरे ! हमारे मंगरू काका ऐसे नहीं है। वह किसी पक्षी को नहीं सताते बल्कि सबकी मदद करते हैं। बड़े नेक स्वभाव के हैं। इसीलिए तो मेरी उनकी बहुत पटती है। “
सोनू की बगुले के साथ बातचीत चल रही थी, इतने में दूर मंगरू बंदर जमीन पर गिर पड़ा। वह परेशान दिखाई देने लगा। 
उसकी तबियत भी खराब हो गयी थी। सोनू उड़कर उनके पास पहुंचने ही वाला था कि उन्होंने इशारे से उसे रोक दिया। 
मंगरू,” सोनू, यहाँ से चले जाओ। मेरे पास मत आना। मैं महामारी का शिकार हो गया हूँ। मैं नहीं चाहता कि तुम्हें भी ये बीमारी लगे। तुम अपनी जान बचाकर यहाँ से भाग जाओ। “
सोनू,” मैं आपको छोड़कर कैसे चला जाऊं ? “
मंगरू,” देखो सोनू, यहाँ दिल से नहीं दिमाग से सोचना है। मैं जानता हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो। जानबूझ कर अपनी जान जोखिम में डालना मुर्खता होगी। यहाँ से जल्दी से निकल जाओ बेटे। “
सोनू की आँखों में आंसू भर आए। वह बगुले के पास पहुँच गया। 
सोनू,” मेरे काका को बचा लो। क्या ऐसा कोई इलाज है जो मेरे काका की जान बचा सकता है ? इस दुनिया में उनके सिवा मेरा कोई भी नहीं है। “
बगुला,” मेरे साथ जल्दी चलो। अब समय बहुत कम है। “
बगुला सोनू को लेकर उड़ चला। उड़ते उड़ते वे दोनों एक पहाड़ के पास पहुँच गए। 
सोनू,” बगुला भाई, यहाँ भी तो महामारी फैली हुई है। “
बगुला,” हाँ, मैं जानता हूँ। लेकिन दवा भी यहीं है। चलो मेरे साथ। “

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पहाड़ पर एक जड़ी बूटी देखकर बगुला रुक गया। उसने उसे तोड़ना चाहा तो एक सांप बीच में आ गया। सोनू ने उड़कर सांप को चोट मार दी। 
सांप पीछे मुड़ गया। सोनू ऊपर उड़ गया। उसने फिर से सांप को अपनी तरफ मोड़ने के लिए चोट मार दी। 
इधर सोनू ने बड़ी चालाकी से सांप को अपनी तरफ व्यस्त कर दिया और उधर बगुले ने जड़ी बूटी को अपने कब्जे में ले लिया। 
जैसे ही जड़ी बूटी बगुले और सोनू के हाथ में लगी, वे दोनों उड़कर अपने क्षेत्र में पहुँच गए। उन्होंने देखा मंगरू बंदर अचेत पड़ा था। 
सोनू,” काका, मैं दवाई ले कर आ गया हूँ। अब आपका अच्छे से इलाज हो जाएगा। आँखें खोलिये ना, दवा खिलाता हूँ। “
मंगरू बंदर के मुँह से कोई आवाज नहीं आ रही थी। 
बगुला,” देखो सोनू, तुमने आने में देर कर दी। अब इन्हें कोई नहीं बचा पाएगा। “
सोनू,” नहीं नहीं, ऐसा मत कहो। मेरे काका को कुछ नहीं होगा। अभी मैं दवा इनके मुँह में डाल रहा हूँ। “
सोनू ने दवा मंगरू बंदर के मुँह में डाल दी और पास में बैठ गया। 
बगुला,” तोतो भाई, इस दवा का सेवन आप भी कर लो। कोई खतरा नहीं होना चाहिए। हम सभी रोज़ इसका सेवन करते हैं इसीलिए मज़े से घूमते रहते है। “
सोनू ने भी वह दवा खा ली और काका के चेहरे की तरफ आशा भरी नजरों से देखने लगा। मंगरू काका को होश नहीं आ रहा था और सोनू का दिल बैठा जा रहा था। उसकी आँखों से लगातार आंसू गिर रहे थे। 
सोनू,” हे भगवान ! मेरे काका को बचा लो। आप का मुझ पर बहुत बड़ा उपकार होगा। मेरे काका ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा है।
उनकी ज़िन्दगी मुझे मेरी ज़िंदगी से भी ज्यादा प्यारी है। आज उन्हीं की वजह से मैं भी जिंदा हुँ। “
सोनू ने अचानक देखा तो खुशी से उछल पड़ा। मंगरू बंदर ने आंखें खोल दीं और सबसे पहले उन्होंने सोनू को देखा। 
मंगरू,” अरे सोनू ! तू यहाँ क्यों बैठा है ? “
सोनू,” काका, अब मैं हमेशा आपके पास ही बैठूंगा। अब ना मुझे कुछ होगा ना आपको कुछ होगा। 
आपने भी दवाई खायी है और मैंने भी। इन सभी ने दवाई खायी है। इसीलिए तो महामारी की बिमारी हम सबने भगाई है। “
मंगरू काका को सारी बात की जानकारी मिली और उनके चेहरे पर खुशी छा गई और उन्होंने सोनू को बड़े प्यार से अपने पास ले लिया।
आज की ये मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Comment में जरूर बताएं।

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