रक्त पिशाचिनी | RAKT PISHACHINI | Horror Kahani | Haunted Story | Pishachini Story | Horror Stories

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” रक्त पिशाचिनी ” यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


अमावस्या की काली रात और एक घना जंगल। चारों ओर चमगादड़ आवाज करते हुए उड़ रहे थे। भेड़िए जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, मानो वो किसी बात का जश्न मना रहे हों।

वहीं, जंगल की एक पहाड़ी पार गुफा थी। गुफा के अंदर से जोर-जोर से मंत्र बोलने की आवाज आ रही थी… “भूतम रक्त पिशाच मृति का चिकम, भूतम रक्त पिशाच बृति का चिकम।”

गुफा के अंदर एक औरत, जिसने पूरे काले कपड़े पहने थे और अपना चेहरा ढका हुआ था।

वह एक शव के चारों ओर खून छिड़क रही थी और शव भी पूरी तरह काला था, मानो कई सालों से सड़ी हुई लाश हो।

और उस शव के बाजू में एक और इंसानी बच्चा था जो बेहोश था और वह औरत लगातार मंत्र पढ़े जा रही थी। तभी, वहां दिव्या और एक बूढ़ी औरत आती है।

बूढ़ी औरत, “जब तक मैं जिंदा हूं, तुम जो करना चाहती हो उसमें कभी सफल नहीं हो पाओगी।”

यह सुनते ही वह काले बुरखे वाली औरत गुस्सा हो गई और उसने अपने चेहरे से बुर्खा हटा दिया। उसका आधा चेहरा जला हुआ था और बदन पर छाले पड़ गए थे और वह गुस्से से उन दोनों की ओर देखने लगी।

दिव्या और बंटी सगे भाई-बहन थे। एक साल पहले ही दिव्या के माता-पिता कहीं गायब हो गए थे। पुलिस को न ही उनकी लाश मिली, न ही उनकी होने का कोई सबूत।

और माता-पिता के घूम होने के बाद, वह अपने अंकल के पास रहने लग गई थी। अंकल के घर थोड़े दिन रहने के बाद, उसके अंकल को भी यूएस जाना पड़ा था अपने काम के लिए।

लेकिन इस अनजान शहर में दिव्या और बंटी को अकेला छोड़ना उन्हें ठीक नहीं लग रहा था। यूएस जाने से पहले, वह दिव्या और बंटी को उनके हक का घर देना चाहते थे, जिससे कि उनको बाद में कोई प्रॉब्लम न हो।

कुछ दिन छानबीन करने के बाद उनको पता चला कि कलहरी गांव में दिव्या के पिता दिनेश का एक बड़ा बंगला है जो कई सालों से बंद है।

दिव्या के अंकल ने सोचा कि वो बंगला दिव्या और बंटी के नाम कर देंगे तो आगे जाकर उनको कोई प्रॉब्लम नहीं होगी रहने के लिए।

इसलिए उन्होंने कलहरी गांव जाकर वह बंगला देखा और उसकी साफ सफाई करके वह बंगला दिव्या और बंटी के नाम किया।

अंकल, “देखो बेटा, अब मुझे न चाहते हुए भी यूएस जाना पड़ रहा है। मुंबई में तुम्हारा अपना खुद का कोई घर नहीं था, इसलिए मैं तुम दोनों को यहां लेकर आया हूं।”

दिव्या, “अंकल, क्या यह हमारा घर है?”

अंकल, “हां बेटा, यह तुम दोनों का अपना खुद का घर है। तुम हमेशा के लिए यहां रह सकते हो।”

बंटी, “अंकल, आप भी यहां रुको ना हमारे साथ!”

अंकल, “बेटा, मन तो बिल्कुल भी नहीं है तुम दोनों को ऐसे अकेले छोड़कर जाने का, लेकिन क्या करूं, मजबूरी है। अपना ध्यान रखना।”

ऐसा कहकर दिव्या के अंकल वहां से निकल गए। थोड़ी देर के बाद, एक औरत वहां आई, काले रंग का घाघरा-चोली पहने हुए, हाथों में चूड़ियां, नाक में नथनी, माथे पर काले रंग की बड़ी बिंदी।

रक्त पिशाचिनी | RAKT PISHACHINI | Horror Kahani | Haunted Story | Pishachini Story | Horror Stories

दिव्या उसे देखकर एक पल के लिए घबरा गई। उसने दिव्या से कहा कि उसका नाम मंजरी है और उनकी अंकल ने ही उसको तो दोनों की देखभाल के लिए यहां भेजा है।

दिव्या, “लेकिन, अंकल ने तो हमें तुम्हारे बारे में कुछ भी नहीं बताया?”

मंजरी, “अंकल जल्दी में थे ना, शायद भूल गए होंगे। लेकिन तुम चिंता मत करो। तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझसे मांग लेना।”

दिव्या, “मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए, लेकिन बंटी का दूध पीने का वक्त हुआ है। उसके लिए आप प्लीज दूध ला दीजिए।”

मंजरी, “ठीक है, आप दोनों कमरे में जाओ। मैं बंटी के लिए दूध और तुम्हारे लिए भी कुछ खाने को लेकर आती हूं।”

दिव्या बंटी को लेकर ऊपर कमरे में चली गई। मंजरी किचन में दूध लाने के लिए गई।

मंजरी दूध गर्म कर ही रही थी कि तभी किचन की खिड़की में एक काली बिल्ली आ गई। वह मंजरी की तरफ देखकर जोर-जोर से आवाज करने लगी।

मंजरी ने गुस्से से उस बिल्ली की ओर देखा। बिल्ली घबराकर खिड़की से बाहर कूद कर भाग गई।

फिर, मंजरी ने दूध का गिलास भरा। फिर, गिलास के ऊपर से हाथ फेरती हुई कुछ मंत्र पढ़ने लगी।

दूध का रंग लाल हो गया और कुछ पल में फिर से सफेद हो गया। मंजरी दूध और बिस्किट लेकर दिव्या के कमरे में गई और बंटी को दूध पिलाया।

दूध पीने के बाद बंटी की आंखें लाल होने लगी। यह देख मंजरी मन ही मन हंसने लगी।

दिव्या, “अरे बंटी! क्या हुआ? तुम चुपचाप क्यों हो?”

बंटी, “कुछ नहीं।”

दिव्या, “ठीक है। अब तुम सो जाओ।”

दिव्या और बंटी सो गए। आधी रात को, दिव्या को कुछ आवाजें सुनाई देने लगी। दिव्या घबराकर उठ गई।

उसने देखा कि कमरे की खिड़की खुली हुई है और वहां से हल्की-हल्की हवा अंदर आ रही है। दिव्या उठी और खिड़की के पास गई।

उसने देखा कि एक बूढ़ी औरत खड़ी दिखाई देती है जो दिव्या की तरफ ही देख रही थी।

दिव्या उसे देखकर घबरा गई और उसने खिड़की बंद कर ली और कंबल में आकर सो गई। अगले दिन, उसने मंजरी से उस बूढ़ी औरत के बारे में पूछा।

मंजरी, “तुम उससे क्यों मिली थी?”

दिव्या, “मैं मिली नहीं थी, बस खिड़की से देखा था।”

इसके बाद, मंजरी शांत होकर बोली कि, “देखो दिव्या, वो एक बुरी औरत है। बच्चों को फंसाकर उन्हें मार डालती है। तुम और बंटी उससे जितना दूर रहोगी, उतना अच्छा होगा।”

इस पर दिव्या ने कहा,

दिव्या, “ठीक है।”

रक्त पिशाचिनी | RAKT PISHACHINI | Horror Kahani | Haunted Story | Pishachini Story | Horror Stories

तभी बंटी सीढ़ियों से नीचे आया। उसने मंजरी से खाने के लिए पूछा,

बंटी, “मुझे भूख लगी है, मुझे खाना दो।”

मंजरी बंटी के लिए दूध और बिस्किट लेकर आई। बंटी ने गुस्से से वह दूध फेंक दिया।

बंटी, “मुझे यह सब पसंद नहीं, मुझे मांस चाहिए, मांस!”

यह सुन दिव्या दंग रह गई। इससे पहले बंटी ने कभी मांस नहीं खाया था, उसे बिल्कुल पसंद नहीं था।

लेकिन दूसरी ओर, मंजरी यह सब देख मुस्कुरा रही थी। दोपहर को मंजरी बंटी को चुपके से जंगल की ओर लेकर गई।

वहां उसने खून से एक घेरा बनाया और उसके अंदर एक आग जलाई और बंटी को उस आग के सामने बैठाया और कुछ मंत्र पढ़ने लगी।

फिर उसने एक जिंदा सांप बंटी के हाथ में दिया और उसे आग में फेंकने के लिए कहा।

बंटी ने सांप को आग में फेंका। मंजरी बंटी को घर लेकर आई। उसी रात मंजरी ने उस सांप की राख को बंटी के खाने में मिलाया।

मंजरी, “अब मेरा बरसों का सपना पूरा होगा! अब होगा मेरा इंतकाम पूरा!”

बंटी और दिव्या कमरे में सोने के लिए चले गए। आधी रात को, बंटी अचानक नींद से जागा और दरवाजे की ओर जाने लगा।

दरवाजे की आवाज से दिव्या की आंख खुल गई। उसने देखा कि बंटी रूम के बाहर जा रहा है।

दिव्या, “बंटी… बंटी, कहां जा रहे हो? क्या चाहिए तुम्हें?”

बंटी ने कोई जवाब नहीं दिया, मानो दिव्या की आवाज उसके कानों तक पहुंची ही नहीं। दिव्या बंटी के पीछे गई।

उसने देखा कि नीचे हॉल में बंटी और मंजरी एक दूसरे के सामने खड़े हैं। फिर मंजरी बंटी को अपने पीछे-पीछे घर के बाहर ले आई।

दिव्या, “यह मंजरी आंटी बंटी को इतनी रात को कहां लेकर जा रही है? और बंटी भी मेरी कोई बात नहीं सुन रहा।”

दिव्या जल्दी-जल्दी उन दोनों के पीछे जाने लगी। वह बंटी को फिर से आवाज देने ही वाली थी कि पीछे से उस बूढ़ी औरत ने दिव्या का मुंह अपने हाथों से बंद कर दिया और उसे छिपा लिया।

दिव्या, “तुम कौन हो और… और मुझे… मुझे यहां क्यों खींच के लाई? तुम क्यों हमारे पीछे पड़ी हुई हो? हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”

बूढ़ी औरत, “मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती दिव्या बेटा। मैं तो तुम्हारी मदद करना चाहती हूं।

मंजरी कोई साधारण औरत नहीं है। 1000 सालों से जीती आ रही एक रक्त पिशाचिनी है वह।”

यह सुन दिव्या दंग रह गई। बूढ़ी औरत ने बताया कि उसके दादाजी इस गांव के मुखिया थे। सारा गांव हंसी-खुशी रहता था।

लेकिन एक दिन, एक रक्त पिशाच और रक्त पिशाचिनी हमारे गांव में आ गए और एक-एक करके गांव के लोगों को मारकर जिंदा खाने लगे।

लोगों में डर फैलने लगा। तब तुम्हारे दादाजी ने एक तांत्रिक की मदद से एक ऐसा अस्त्र बनाया, जो उन रक्त पिशाच को मार सकता था।

आज से 90 साल पहले ही आज ही की पूर्णमासी की रात को तुम्हारे दादाजी वह अस्त्र लेकर उन रक्त पिशाचों को मारने के लिए गए थे।

रक्त पिशाचिनी | RAKT PISHACHINI | Horror Kahani | Haunted Story | Pishachini Story | Horror Stories

दादाजी, “पिशाचों, आज मैं तुम सबका खात्मा कर दूंगा और अपने गांव की रक्षा करूंगा।”

रक्त पिशाच और उसके दादाजी के बीच में एक भयानक लड़ाई हुई। लेकिन हार न मानते हुए, दादाजी ने वह अस्त्र रक्त पिशाच के सीने के आर पार कर दिया।

रक्त पिशाचिनी तो वहां से भाग गए। सब गांव वालों को लगा कि सब ठीक हो गया, लेकिन कुछ दिन बाद, तुम्हारे दादाजी की लाश उनके कमरे में मिली, आधे मांस में।

दिव्या, “तो… क्या दादाजी को उस रक्त पिशाचिनी ने मार डाला? और… और अब वो मेरे भाई को भी? नहीं, नहीं! मैं ऐसा नहीं होने दूंगी।”

बूढ़ी औरत, “रक्त पिशाचिनी का सामना अब तुम्हें ही करना पड़ेगा। जिस वंश के लोगों ने उस रक्त पिशाच को मारा है, उसी वंश के बच्चे की बलि से वह फिर से हो जाएगा।”

बूढ़ी औरत दिव्या को उस गुफा में लेकर गई। रक्त पिशाचिनी ने अपना आधा जला हुआ चेहरा दिखाया।

दिव्या उसे देख घबरा गई, लेकिन बूढ़ी औरत ने उसे हिम्मत दी लड़ने की। रक्त पिशाचिनी धीरे-धीरे हवा में उड़ने लगी और जोर-जोर से हंसने लगी।

उसने बूढ़ी औरत पर हमला किया और उसे जमीन पर गिरा दिया। दिव्या ने पीछे से एक अस्त्र निकाला।

यह वही अस्त्र था जिससे दादाजी ने रक्त पिशाचिनी को मारा था। अस्त्र देख रक्त पिशाचिनी डर गई।

दिव्या, “बुराई की कभी जीत नहीं होती! पहले भी नहीं हुई थी और आज भी नहीं होगी।”

ऐसा कहकर दिव्या ने वह अस्त्र रक्त पिशाचिनी के सीने के आर पार कर दिया।


दोस्तो ये True Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


Leave a Comment

लालची पावभाजी वाला – Hindi Kahanii ईमानदार हलवाई – दिलचस्प हिंदी कहानी। रहस्यमय चित्रकार की दिलचस्प हिंदी कहानी ससुराल में बासी खाना बनाने वाली बहू भैंस चोर – Hindi Kahani