हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गरीब बुढ़िया ” यह एक Dadi Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Gareeb Budhiya | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
गरीब बुढ़िया
रामपुर गाव में हीरा नाम का एक गरीब किसान रहा करता था। कई दिनों से उसकी फसल अच्छी नहीं हो रही थी। उसके घर में खाने तक को कुछ नहीं था। उसकी एक बकरी थी जिसका नाम प्यारी था। हीरा को अपनी बकरी प्यारी से बहुत लगाव था।कई दिनों से हीरा के खेत में फसल ना होने के कारण हीरा के घर में अब एक भी अनाज का दाना नहीं था।हीरा की पत्नी,” देखिये जी, आज कई दिन हो गए हैं लेकिन घर में कुछ भी खाने को नहीं है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम भूखे मर जाएंगे। कई दिन हो गए हैं और पेट में एक भी अन्न का दाना नहीं गया है। हाँ, ये देखिये आ गयी आपकी प्यारी। इसकी भूख का तो ख्याल तुम्हें रहता है ना, इसलिए रोज़ ले जाते हो इसे जंगल। ये तो घास फूस खाकर अपना गुज़ारा कर सकती है। लेकिन मैं तो घास फूस नहीं खा सकती ना। ना जाने वो दिन कब आएगा जब तुम दो वक्त की रोटी मुझे दे सकोगे ? अब मुझसे और नहीं सहा जाता, बताए देती हूँ हाँ। “हीरा,” अरे भाग्यवान ! तुम तो जानते ही हो, मेरी मेहनत में तो कोई कमी नहीं है। अपने खेत में जो भी फसल बोता हूँ वो होती ही नहीं है। अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ ? लेकिन तुम चिंता मत करो भाग्यवान, जल्दी ही कोई ना कोई रास्ता निकल आएगा हाँ। “हीरा की पत्नी,” अगर जल्दी से तुमने कुछ नहीं किया तो मैं ही तुम्हारी टूटी झोपड़ी छोड़कर चली जाउंगी हाँ, बता देती हूँ तुम्हें। “अगली सुबह हीरा अपने खेत में चला जाता है और उसकी बकरी उसकी झोपड़ी में ही बंधी होती है और काफी चिल्ला रही होती है।हीरा की पत्नी,” अरे ! क्या हुआ ? क्यों आज सुबह सुबह इतना चिल्ला रही है ? मैं कहती हूँ चुप हो जाओ। अच्छा… तो तू ऐसे नहीं मानेगी। आज तो मैं तुझे अच्छा सबक सिखाउंगी। आज तुझे बेचकर कुछ पैसे ही मेरे हाथ आ जाएंगे। कुछ दिनों से कुछ अच्छा भोजन नहीं खाया मैंने। तू किस काम आएगी मेरे ? “जिसके बाद हीरा की पत्नी बकरी प्यारी को एक चरवाहे के पास बेच देती है और बदले में कुछ पैसे लेकर खुश हो जाती है। शाम को हीरा जब खेत से वापस आता है और देखता है कि उसकी प्यारी बकरी झोपड़ी में नहीं है तो दुखी हो जाता है। तभी हीरा देखता है कि उसकी पत्नी बैठकर खूब सारी मजेदार जलेबियाँ और समोसे खा रही होती है।हीरा की पत्नी,” अरे वाह वाह ! बहुत ही स्वादिष्ट… वाह वाह वाह बहुत ही मजेदार है। आज तो मज़ा ही आ गया… वाह वाह वाह। हीरा,” अरे भाग्यवान ! आज इतनी सारी जलेबियाँ और समोसे कहाँ से आए और मेरी प्यारी कहीं नजर नहीं आ रही है ? आखिर कहाँ हैं प्यारी ? हीरा की पत्नी,” अरे ! ये जलेबियां और समोसे पास वाली बिमला देकर गई हैं। वाह ! बड़े मजेदार हैं और भला मुझे क्या पता तुम्हारी प्यारी कहां है? गयी होगी जंगल में कुछ चरने। अब भला यहाँ तो उसे कुछ मिलता नहीं है। जाओ जाओ, जाकर ढूंढो अपनी प्यारी को। “हीरा,” अरे ! प्यारी तो कभी जंगल में अकेली जाती ही नहीं है, हमेशा मेरे साथ ही जाती है फिर भला उसे आज क्या हुआ ? जाकर देखता हूँ उसे। “हीरा की पत्नी (मन में),” जाओ जाओ ढूंढो अपनी प्यारी को। उसे बेचकर ही तो मुझे आज जलेबी और समोसे खाने को मिले हैं, हाँ। “हीरा,” ना जाने मेरी प्यारी कहाँ चली गयी है ? मेरी प्यारी ठीक तो है ना ? जाने इस जंगल में कोई जानवर उसे खा तो नहीं गया ? अरे प्यारी… अरे प्यारी ! कहाँ चली गयी तू ? “तभी थोड़ी देर बाद हीरा को उसकी प्यारी बकरी नजर आती है। वह कुछ देर हीरा को देखती है और फिर भागने लगती है। हीरा भी उसे देखकर उसके पीछे भागने लगता है।हीरा,” अरे प्यारी ! रुक तो सही। आज ये क्या हुआ है तुझे ? मैं कहता हूँ रुक जा। अरे प्यारी ! क्या हुआ है ? अरे रुक जा प्यारी, रुक जा। “लेकिन उसकी बकरी नहीं रुकती और वह जंगल की ओर भागने लगती है। भागते भागते वो एक सुन्दर से पेड़ के पास आकर रुक जाती है।
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हीरा,” अरे… अरे ! तू भी ना प्यारी, मुझे तो तूने आज डरा ही दिया था। ऐसे अकेले इस जंगल में क्यों चली आयी थी ? कब से यहाँ ढूंढ रहा हूँ और तू मुझे यहाँ क्यों लेकर आई है प्यारी ? “
तभी हीरा को एक बूढ़ी अम्मा की रोने की आवाज सुनाई देती है। हीरा थोड़ा हैरान हो जाता है और आगे चलकर देखता है कि एक बुढ़िया जिसके बहुत ही लंबे लंबे, घने, काले चमकदार बाल होते हैं, उसी सुंदर से पेड़ के पीछे बैठकर रो रही होती है।
हीरा,” अरे माँ ! क्यों रो रही हो तुम ? सब ठीक तो है ना ? “
बुढ़िया,” अरे ! क्या बताऊँ बेटा..? मैं बहुत ही अभागी हूँ। इसी जंगल में कई वर्षों से अपनी छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहती थी।
लेकिन कल रात एक ऐसी भयानक आंधी आई जिसमें मेरी झोपड़ी तहस नहस हो गई। बेटा, मुझ दुखियारी का इस दुनिया में कोई नहीं है। अब मैं कहाँ जाऊंगी बेटा ? “
हीरा,” अम्मा तुम रोती क्यों हो ? तुम दुखी मत हो अम्मा, तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। मैं बहुत गरीब हूँ। ना जाने तुम्हें शायद दो वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल से मिल पाएगी। “
बुढ़िया,” अरे वाह बेटा ! तू कितना नेकदिल इंसान है ? आज से तू ही मेरा बेटा है। मैं बहुत बूढ़ी हो चुकी हूँ।
तेरे घर जो मुझे भोजन मिलेगा, मैं उसमें ही संतुष्ट हो जाउंगी बेटा। मुझे अपने साथ अपने घर ले चल। “
हीरा,” अच्छा तो ठीक है मां, तो मेरे घर में मेरी माँ बनकर ही रहना, मुझे बहुत खुशी होगी। “
तभी उसकी पत्नी हीरा के साथ बूढ़ी अम्मा को देखकर बहुत गुस्सा हो जाती है।
हीरा की पत्नी,” अरे ! ओह जी…ये किसे सिर ले आये तुम ? “
हीरा,” क्या देखती नहीं हो ? “
हीरा की पत्नी,” आखिर मैं कहती हूँ कौन है ये बुढ़िया और तुम्हारे साथ क्या कर रही है ? अरे भगवान ! आज से ये अम्मा मेरी माँ है और हमारे साथ ही रहेंगी।
जैसी भी रुखी सुखी रोटी हम खाते हैं, माँ भी वही खा लेगी। इनका इस दुनिया में कोई नहीं है। इसलिए मैं इन्हें जंगल से अपने साथ ले आया। “
हीरा की पत्नी,” अरे वाह वाह ! यह भी कोई बात हुई भला ? क्या जानते नहीं… हम दोनों का ही गुज़ारा कितनी मुश्किल से हो पाता है और एक और मुसीबत लेकर आ गए ? “
हीरा,” अच्छा अच्छा भाग्यवान, अब गुस्सा मत करो। आज से ये ही मेरी माँ है। इनका इस दुनिया में और कोई नहीं। जाओ, रसोई में जो भी खाने को हो वो मां के लिए ले आओ। “
हीरा की पत्नी,” खुद एक वक्त की रोटी नहीं खा पाते, ऊपर से ले आये इस अम्मा को यहाँ। अरे ! घर में तो कुछ नहीं है सिवाय कुछ चावल के दानों के।
भला उनसे इस अम्मा का पेट थोड़े ही भरेगा। तुम भी ना जाने किसे ले आये ? खुद एक वक्त की रोटी नहीं खा पाते हैं ऊपर से ले आए इस अम्मा को यहाँ। “
बुढ़िया,” अरे बिटिया ! मैं उन थोड़े से चावल के दानों से ही अपनी भूख मिटा लूंगी। तुम दुखी मत हो। मुझे बस वही चावल के दाने लाकर दे दो। “
हीरा की पत्नी,” अच्छा अच्छा ठीक है, लाकर देती हूँ तुम्हारे लिए चावल के दाने। मैं भी तो देखो भला बहुत ही कम मात्रा में चावल के दानों से तुम अपनी भूख कैसे शांत करोगी ? “
तभी हीरा की पत्नी अंदर रसोई में जाती है और एक पतीले में जिसमें बहुत ही कम चावल के दाने होते हैं, अचानक से चावल के दानों से भर जाता है जिसे देखकर वह हैरान रह जाती है।
हीरा की पत्नी,” अरे रे ! ये कैसे हुआ ? ये तो एक चमत्कार है हाँ। इतने सारे चावल के दाने… अरे वाह वाह ! मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। “
तभी वहाँ पर हीरा आ जाता है और ये सब देखकर हैरान हो जाता है।
हीरा,” अरे भाग्यवान ! ये कैसे हुआ ? इतने सारे चावल के दाने ? “
हीरा की पत्नी,” हाँ, मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा। ये कैसे हुआ ? “
जिसके बाद हीरा की पत्नी बूढ़ी अम्मा को खूब सारे चावल एक थाली में दे देती है। जिसके बाद अम्मा वो चावल बड़े चाव से बैठकर खाती है।
तभी हीरा की पत्नी बूढ़ी अम्मा के लंबे लंबे बाल बड़े ध्यान से देखती है जो काफी चमक रहे होते हैं।
हीरा की पत्नी,” अरे वाह ! इस बुढ़िया के बाल तो कितने लंबे और चमकदार है ? वाह वाह ! इतने सुंदर बाल। इस जैसे बाल तो पूरे गांव में किसी के नहीं हैं। “
बुढ़िया,” अरे वाह वाह ! यह तो सच में बहुत स्वादिष्ट भोजन है।
वाकई हीरा बेटा, मेरी आत्मा को शांति मिल गयी। वाह वाह… बहुत ही मजेदार। “
हीरा की पत्नी,” आज तो न जाने कैसे ये चमत्कार हुआ और इन चावलों से हमारा पेट भर गया ? लेकिन कल क्या होगा ? कल कैसे हमारी भूख मिटेगी ? “
तभी बूढ़ी अम्मा अपनी पलकें झपकाती हुई मुस्कुराती है। थोड़ी देर बाद जब हीरा और उसकी पत्नी सो रहे होते हैं तभी बूढ़ी अम्मा रसोई में जाती है और हीरा की पत्नी भी चुपके से उठकर बूढ़ी अम्मा के पीछे पीछे जाती है।
तभी बूढ़ी अम्मा के बाल अचानक से और लंबे हो जाते हैं और बूढ़ी अम्मा अपनी आँखों की तेज रौशनी से रसोई में रखे खाली डिब्बों में खूब सारा आटा, चावल, दाल सब कुछ डिब्बों में भर देती है।
हीरा की पत्नी,” अरे ! ये क्या..? ये चालक बुढ़िया तो कोई साधारण बुढ़िया नहीं है बल्कि जादुई है। इसके बाल अचानक से इतने घने कैसे हो गये ?
कहीं ये जादुई चुड़ैल तो नहीं जिसके बाल लंबे होते हैं? ना जाने ये मेरी झोपड़ी में किस इरादे से आई है ? पता तो लगाना ही पड़ेगा हाँ। “
तभी थोड़ी देर बाद बहुत तेज बारिश होने लगती है जिसकी वजह से हीरा की झोपड़ी से पानी टपकने लगता है। हीरा और उसकी पत्नी यह देखकर घबरा जाते हैं।
हीरा,” अरे ! ये क्या ? इस बारिश को भी अभी आना था। अब हम क्या करेंगे ? हमारी टूटी झोपड़ी में बरसात का पानी टपक रहा है। “
हीरा की पत्नी,” हाय हाय ! अब हम क्या करेंगे जी ? मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा। “
हीरा,” क्या करेंगे ? इस बरसात के टपकते पानी में ही हमें रात बितानी होगी। इस बरसात को भी अभी आना था। “
अगली सुबह हीरा जब उठता है तो ये देखकर हैरान हो जाता है कि उसकी टूटी झोपड़ी के सामने बहुत सारी ईंटें लगी हुई हैं।
हीरा,” अरे भाग्यवान ! जल्दी आओ। ये देखो हमारी झोपड़ी के सामने आखिर इतनी सारी सीटें आई कहाँ से ? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। “
हीरा की पत्नी,” अरे रे ! मुझे तो लगता है ये भगवान का चमत्कार है। उन्होंने हमारी सुन ली है जी।
इन ईंटों से तुम अपनी टूटी फूटी झोपड़ी को एक पक्के घर में बदल दो, हाँ। बस और मुझसे रहा नहीं जाता इस टूटी झोपड़ी में। “
बुढ़िया,” अरे ! हाँ हीरा बेटा, लगता है यह भगवान की ही मर्जी है। तू इन ईटों से अपनी टूटी झोपड़ी को पक्का कर ले। “
जिसके बाद हीरा खुशी से सिर हिलाता हुआ उन ईंटों से अपना घर बनाने लगता है और देखते ही देखते बहुत सुंदर सा घर बन जाता है।
हीरा की पत्नी,” अरे वाह ! हमारा कितना सुंदर घर बनकर तैयार हो गया जी ? देखिये तो… ये देखने में कितना सुन्दर लग रहा है ? “
हीरा,” अरे हां भाग्यवान, तुम बिलकुल सही बोल रही हो। मां, हमारा घर देखो तो सही कितना सुन्दर है ? “
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बुढ़िया,” हाँ बेटा, देख रही हूँ। हीरा बेटा, तेरा घर तो बहुत सुन्दर है। वाह वाह ! सब ऊपर वाले की मर्जी है बेटा। उसके खेलने नियाले हैं बेटा। “इसके बाद बूढ़ी अम्मा हंसने लगती है। हीरा की पत्नी (मन में),” मुझे तो लगता है ये जादू भी इस जादुई चुड़ैल बुढ़िया का ही है। अब मुझे जल्दी कुछ करना होगा। कहीं ऐसा ना हो कि हम दोनों को खा जाये ? नहीं नहीं, मुझे जल्दी ही जादुई चुड़ैल का पता लगाना ही होगा। “आधी रात को जब बूढ़ी अम्मा सो रही होती है तभी चुपके से हीरा की पत्नी अपने हाथ में एक बड़ी सी कैची लेकर सोती हुई बूढ़ी अम्मा के पास जाती है। हीरा की पत्नी,” अब आएगा मज़ा। अब देखती हूं इस चुड़ैल के लंबे घने बालों में कोई जादू है ? मैं इसके ये बाल ही काट दूंगी हाँ। फिर देखती हूँ कैसे दिखाती हैं अपना जादू ? “और उस बूढ़ी अम्मा के सारे बाल काट देती है। जिसके बाद हीरा की पत्नी वहाँ से चली जाती है। और तभी बूढ़ी अम्मा की आंख खुलती है और वो शीशे में अपने बाल को देखकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगती है।बुढ़िया,” अरे ! ये पगली भी ना… बहुत ही नासमझ है। अभी जानती नहीं है मुझे। मैं कोई साधारण बुढ़िया नहीं हूँ। “तभी बुढ़िया की जादुई शक्ति से उसके बाल फिर से लंबे हो जाते हैं। अगली सुबह जब हीरा की पत्नी बूढ़ी अम्मा को छुपकर देखती है तो हैरान रह जाती है। हीरा की पत्नी,” अरे रे… ये क्या..? इस जादुई चुड़ैल बुढ़िया के बाल फिर से आ गए। ये क्या हो रहा है ? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। ये तो कोई बड़ी मायावी चुड़ैल लगती है। इसका तो मुझे पता ही लगाना पड़ेगा। “तभी आधी रात को बूढ़ी अम्मा सो रही होती है और हीरा की पत्नी छुपकर उसे देख रही होती है। तभी अचानक से बूढ़ी अम्मा अपनी आंखें खोलती है और बाहर जंगल की ओर जाने लगती है। हीरा की पत्नी भी बूढ़ी अम्मा के पीछे पीछे जाने लगती है और तभी वह देखती है कि बूढ़ी अम्मा जंगल में तालाब के पास जाती है और अचानक से उस तालाब के पास जाकर एक बहुत सुंदर स्त्री बन जाती है जो बहुत सारे जेवर पहने होती है।तभी तालाब में छवि आती है जो दिखने में बहुत ही भयानक होती है। छवि,” प्रणाम रानीपरी ! अब आपका समय धरती लोक पर थोड़ा ही शेष बचा है। आप एक जादुई नगरी से है और परियों की रानी भी। जादुई नगरी को आपका इंतज़ार है। “परी,” मैं जानती हूँ, अब मेरा मनुष्यों के बीच एक साधारण मनुष्य बनकर रहने का समय समाप्त होने को है। लेकिन जितना भी समय बचता है, मैं अपने बेटे हीरा के साथ बिताना चाहूंगी। हीरा बहुत ही ईमानदार और नेक दिल इंसान है। मैं बहुत जल्दी ही जादुई नगरी वापस आ जाउंगी। “छवि,” जी रानी परी, जो आपकी इच्छा। अब मैं चलती हूँ। “जिसके बाद छवि वहाँ से गायब हो जाती है।हीरा की पत्नी,” अरे रे ! इसका मतलब ये बुढ़िया जादुई चुड़ैल नहीं बल्कि जादुई नगरी की परियों की रानी है। अरे वाह वाह ! कितने अच्छे भाग्य हमारे ? अस मुझे समझ आ गया। मैं इस परियों की रानी को ऐसे नहीं जाने दूंगी। “थोड़ी देर बाद हीरा की पत्नी अपने घर आती है और हीरा को सारी बात बता दी है।हीरा,” अरे ! तुम ये क्या बोल रही हो ? क्या सच में माँ कोई जादुई नगरी की रानी परी है ? मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है। “हीरा की पत्नी,” अरे ! हाँ, बिल्कुल सच बोल रही हूँ। मैंने सब अपनी आँखों से देखा है। वो परियों की रानी, रानीपरी है हाँ। “कुछ समय बाद…हीरा की पत्नी,” देखो अम्मा, अब मुझे पता चल गया है तुम कोई साधारण अम्मा नहीं हो बल्कि एक जादुई नगरी की रानी परी हो। “बूढ़ी अम्मा हैरान हो जाती है। इतना सुनते ही बूढ़ी अम्मा फिर से वही सुन्दर रानी परी का रूप धारण कर लेती है। हीरा यह सुनकर बहुत हैरान होता है।हीरा,” अरे माँ ! मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है। ये मैं क्या देख रहा हूँ ? तुम ने अचानक से अपना रूप कैसे बदल लिया ? “बुढ़िया,” ये सच है हीरा बेटा। मैं जादुई नगरी से परियों की रानी रानी परी हूँ जो इस धरती पर कुछ दिन मनुष्यों के बीच रहने आयी थी और एक ऐसी जगह ढूंढ रही थी जहाँ पर मैं कुछ दिन रह पाऊं। उस दिन जब मैंने तुम्हें जंगल में अपनी बकरी के लिए रोते देखा तो मुझे ये अनुभूति हो गयी थी कि तुम्हारा हृदय बहुत कोमल और नेक है। इसलिए मैंने सोचा कि मैं तुम्हारे साथ ही अपने कुछ दिन धरतीलोक पर बिताऊं। तुम जिस बकरी के पीछे मेरे पास आये थे, वो तुम्हारी बकरी नहीं थी। तुम्हारी पत्नी ने तो तुम्हारी बकरी को एक चरवाहे को बेच दिया था। जिस प्यारी से तुम उसे दिन जंगल में मिले और अपने साथ लाये, वो मेरी माया थी। मैं तुम्हें दुखी नहीं देखना चाहती थी बेटा। तुम एक नेक दिल इंसान हो जिसके साथ मैं कुछ दिन इस धरती लोक पर रह सकती थी। इसलिए ही मैंने अपना भेष एक बुढ़िया के रूप में बदल लिया और यहाँ तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चली आयी। “हीरा यह सुनकर बहुत हैरान होता है।हीरा ,” तो रानी परी, धन्य भाग है मेरे जो आप मेरे साथ मेरी माँ बनकर रहने आईं। आपको अपनी माँ के रूप में पाकर मुझे बहुत खुशी हुई रानीपरी। “हीरा की पत्नी,” देखो रानी परी, तुम तो जानती हो। तुमने इतने दिन हमारे साथ बिताए हैं तो मैं तुमसे कुछ मांगना चाहती हूँ। तुम जादुई नगरी से हो, मेरे पति ने तुम्हें अपनी माँ समझा है इसलिए तुम्हें मेरी इच्छा पूरी करनी होगी हाँ। “परी,” आखिर क्या इच्छा है तुम्हारी ? मैं अवश्य ही पूरा करूँगी। बताओ मुझे ? “तभी हीरा की पत्नी काफी सोच में पड़ जाती है और दो मिट्टी के घड़े लेकर आती है।हीरा की पत्नी,” ये रहे मिट्टी के घड़े, तुम इन दोनों घरों को धन और सोने चांदी से भर दो। मैं बहुत अमीर हो जाउंगी हाँ। इतना धन पाकर तो हमारी सारी समस्या दूर हो जाएगी हाँ। “परी,” अच्छा ठीक है, अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो मैं जरूर तुम्हारी इच्छा पूरी करुंगी बेटी। लेकिन इन दोनों मिट्टी के घडों में से तुम्हें सिर्फ पहले घड़े को ही चुनना है क्योंकि उसी मैं तुम्हारे लिए इतना धन और सोना चांदी होगा जो तुम्हारे जीवन के लिए पर्याप्त होगा। दूसरा मिट्टी का घड़ा लालच का घड़ा है। इस घड़े को तुम हाथ मत लगाना वरना अच्छा नहीं होगा बेटी। “और तभी देखते ही देखते दोनों मिट्टी के घड़ों में सोने चांदी भर जाते हैं। हीरा की पत्नी ये देखकर बहुत खुश हो जाती है। हीरा की पत्नी,” अरे वाह ! इतना सारा सोना चांदी। वाह वाह ! अब तो मैं बहुत अधिक धनवान हो जाउंगी। “परी,” अच्छा हीरा बेटा, अब मेरे यहाँ से जाने का वक्त हो गया है। तुम्हारे साथ कुछ दिन बिताकर मुझे आनंद मिला। “परी,” लेकिन बेटी, तुम ध्यान रखना जो भी मैंने तुमसे कहा है। इन दोनों घड़ों में से केवल पहला घड़ा ही छूना वरना परिणाम अच्छा नहीं होगा। “जिसके बाद वो रानी परी वहाँ से गायब हो जाती है।हीरा की पत्नी,” अरे वाह ! इतना सारा धन। अब जरा इस धन से भरे घड़ों को छू शकर तो देखूं। वाह ! इतना सारा धन… अब तो मैं पूरे गांव में सबसे अधिक धनी हो जाउंगी। “वह पहला घड़ा उठाती है और बहुत खुश हो जाती है। लेकिन फिर हीरा की पत्नी की नजर दूसरे घड़े पर पड़ती है जो सोने और चांदी से चमक रहा होता है। हीरा की पत्नी,” अरे वाह ! ये धन का दूसरा घड़ा तो बहुत चमक रहा है। अरे वाह ! अगर इस मटके का धन भी मेरा हो जाये तो कितना अच्छा होगा ? मैं और धनी हो जाउंगी। “हीरा,” नहीं नहीं भाग्यवान, ये तुम क्या कर रही हो ? तुम्हें याद नहीं, रानी परी ने क्या कहा था ? दूसरा घड़ा लालच का घड़ा है। तुम्हारे हाथ लगाने से इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। ऐसा मत करो। “हीरा की पत्नी,” अरे ! तुम चुप करो। क्या देखते नहीं हो, कितना सारा सोना चांदी है इस दूसरे घड़े में भी ? अगर ये भी मेरा हो जाये तो मैं सबसे अधिक धनवान हो जाउंगी। “
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जिसके बाद हीरा की पत्नी जैसे ही वह घड़ा उठाती है, अचानक से सारा सोना चांदी काले रंग के कीड़ों में बदल जाता है।हीरा की पत्नी,” अरे रे ! ये क्या हो गया ? अरे ! सही कहा था रानी परी ने। मुझे लालच के घड़े को हाथ नहीं लगाना चाहिए था। और ये हाँ ये मेरे अधिक धन पाने के लालच के कारण ही यह सब हुआ हुआ। “हीरा,” ये तुमने क्या किया भाग्यवान ? रानीपरी ने कहा था दूसरा घड़ा मत छूना। लेकिन तुम्हें तो सबसे धनवान होना था। देखा… तुम्हारे लालच ने क्या कर दिया ? “इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।
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