हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ देवरानी बनी सौतन ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Devarani Bani Sautan| Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories
देवरानी बनी सौतन
औरत,” सुना है तेरी देवरानी तो बहुत पढ़ी लिखी है। “
जानकी,” हाँ मौसी, सिर्फ पढ़ी लिखी नहीं है बल्कि वो तो नौकरी भी करती थी। “
औरत,’ अच्छा… तो तू ना ज़रा बचकर रहना। “
जानकी,” ज़रा बचकर रहना मतलब मौसी..? मैं कुछ समझी नहीं। “
औरत,” मतलब कि बड़ी तीखी मिर्ची होती हैं ये ज्यादा पढ़ी लिखी लड़कियां। पता चला कि तू है तो जेठानी पर वही आकर पूरे घर पर राज़ करने लगे। “
वो औरत जानकी के मन में अपनी होने वाली देवरानी को लेकर शक पैदा कर गई थी। दरअसल जानकी की शादी 2 साल पहले ही सुरेश से हुई थी।
वो बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं थी लेकिन उसने आते ही पूरा घर बहुत अच्छे से संभाल लिया था।
सुरेश का छोटा भाई था महेश जिसकी शादी अब प्रिया से होने जा रही थी। तब दूल्हे बने महेश को देखकर जानकी ने कहा।
जानकी,” क्या बात है दूल्हेराजा… बड़े जच रहे हो ? अब जाओ जल्दी से हमारी देवरानी ले आओ।
अकेले घर का काम करके तो मेरा तो बुढ़ापा ही आ गया। प्रिया आएगी तो कम से कम मैं भी किसी पर हुकुम चला सकूंगी। “
महेश,” आप भी ना भाभी, कमाल करती हो। “
धूम धाम से महेश और प्रिया की शादी हुई और प्रिया अपने ससुराल आ गई। उधर जब बारात नई दुल्हन को लेकर जानकी के दरवाजे पर आने वाली थी, तभी एक बार फिर वही औरत जानकी के पास आईं और बोली।
औरत,” मेरी बात सुन जानकी, नई बहू तुझसे छोटी है। तू उसे सिर पर मत चढ़ने देना। उसे एहसास होना चाहिए कि जेठानी तू है और वो तेरी देवरानी, समझी..? ”
जानकी,” हाँ हाँ मौसी, तुम चिंता मत करो। मैं सब समझती हूँ। “
उस औरत की बातें जानकी के दिमाग में बस गई थी। जानकी ने भी ठान लिया था कि वो प्रिया से थोड़ा सख्ती से पेश आएगी।
शादी को एक हफ्ता बीत गया। सब ठीक चल रहा था। प्रिया बिना किसी के कहे जानकी का घर के कामों में हाथ बंटाती।
इस तरह जानकी और प्रिया की पटरी अब आपस में मिलने लगी थी। दोनों सारा दिन हँसते और बात करते करते काम निपटाते।
लेकिन बीच बीच में जानकी को जब भी उसकी मौसी की बात याद आती और वो थोड़ा सा सख्त होने की एक्टिंग करने लगती।
एक दिन…
सुरेश,” अरे जानकी ! ज़रा सुनो तो। “
जानकी,” हां जी, कहिये। “
सुरेश,” वो प्रिया और महेश को हमारी कुलदेवी के मंदिर भी तो ले जाना है ना। तो तुम एक काम करो, शहर जाकर उसके लिए एक अच्छी सी साड़ी ले आओ। पैसे अलमारी से निकाल लेना। “
जानकी,” शहर से क्यों ? यहाँ हमारे यहाँ दुकानें कम है क्या ? “
सुरेश,” अरे बाबा ! वो शहर की लड़की है। हो सकता है उसे यहाँ की साड़ी पसंद ना आए। “
जानकी,” अच्छा… आपने कभी मेरे लिए तो शहर से साड़ी नहीं मंगवाई। “
सुरेश,” अच्छा तो तुम भी ले आना अपने लिए एक बढ़िया साड़ी। अब खुश हो। और सुनो… महेश को साथ ले जाना, मुझे कुछ काम है तो मैं कल पूरा दिन बाहर रहूंगा। “
जानकी,” ठीक है। “
सुरेश की बात सुनकर दोनों हंसने लगे।
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अगले दिन...
जानकी अपने देवर महेश के साथ बाइक से शहर के लिए निकल पड़ी। रास्ते में महेश ने जानकी से पूछा।
महेश,” क्यों भाभी… जेठानी और देवरानी की सही बन रही है कि नहीं ? “
जानकी,” तुम बाइक चलाने पर ध्यान दो, बड़े आए रिश्तों के इन्स्पेक्टर। “
महेश,” रिश्तों का इन्स्पेक्टर..? पर देखना भाभी एक दिन आपको प्रिया पर नाज़ होगा। “
जानकी महेश की बातें सुनकर सोच में पड़ गयी। वो भविष्य देखने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसे क्या पता था कि आगे कौन सी अनहोनी उसका इंतजार कर रही है ?
वो जिस रास्ते से जा रहे थे वहाँ एक बेकाबू ट्रक ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर दे मारी जिसकी वजह से महेश ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जानकी भी कई फुट उछलकर दूर जा गिरी थी।
वहाँ मौजूद लोगों ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया।
सुरेश,” वो… वो दोनों तो ठीक है ना डॉक्टर साहब ? “
डॉक्टर,” आई एम सॉरी… आपकी पत्नी जिंदा तो है लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ कि वो भी एक जिंदा लाश से ज्यादा कुछ नहीं है।
इस हादसे में उनके सिर पर गहरी चोट आई है। हम ने उन्हें बचा तो लिया है लेकिन दिमाग में लगी चोट की वजह से ये उनके पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया है।
अंदरूनी अंगों को भी बहुत गहरी चोट आई है। हम उन्हें कुछ दिन ऑब्जर्वेशन में रखेंगे। अगर इस दौरान बदन में कोई हलचल हुई तो ठीक वरना आगे कुछ भी कहना मुश्किल है। “
डॉक्टर वहाँ से चले गए और अस्पताल के एक कोने में सुरेश और दूसरे कोने में प्रिया दहाड़ें मारकर रोने लगे।
सुरेश ने अपने भाई को गंवा दिया था और जानकी जिंदा लाश बन चुकी थी तो वहीं प्रिया शादी के 7 दिन बाद ही विधवा हो गई थी। कई दिनों के बाद भी जानकी के बदन में कोई हलचल नहीं थी। डॉक्टर जवाब दे चूके थे।
फिर एक दिन…
डॉक्टर,” देखिये सुरेश जी, मैं आपको कोई झूठी तसल्ली नहीं दूंगा। हमारी लाख कोशिशों के बाद भी जानकी की हालत में कोई सुधार नहीं है।
उन्हें यहाँ रख कर आप सिर्फ अपना पैसा खर्च कर रहे हैं। इससे अच्छा है कि वो अपने आखिरी दिन आप लोगों के साथ अपने घर में गुजारे। “
सुरेश,” कितना वक्त है मेरी जानकी के पास डॉक्टर साहब ? “
डॉक्टर,” जैसी उनकी हालत है ज़्यादा से ज़्यादा छः आठ महीने। “
डॉक्टर की बात मानकर सुरेश जानकी को घर ले आया। अब जानकी सारे दिन बिस्तर पर पड़ी रहती। उसकी आँखें खुली रहती पर वो किसी से कुछ नहीं बोल पाती।
सुरेश,” चिंता मत करो जानकी। तुम देखना सब ठीक हो जाएगा। मैं तुम्हारा बहुत अच्छे से ख्याल रखूँगा। “
प्रिया,” ये जिम्मेदारी आप मुझ पर छोड़ दीजिये। आप अपना ऑफिस देखिये। दीदी को आज से मैं संभाल लूंगी।
वैसे भी मेरे पास अब करने के लिए है क्या ? अगर मेरी सेवा और प्यार से दीदी ठीक हो जाए तो मैं समझूंगी कि मेरा जीवन सफल हो गया। “
प्रिया की बात मानकर सुरेश ऑफिस चला गया। इधर प्रिया ने जानकी की सारी जिम्मेदारी बहुत अच्छे से संभाल ली। सुरेश ऑफिस जाता और प्रिया सारा दिन जानकी की सेवा में लगी रहती। शाम को सुरेश आकर जानकी से खूब सारी बातें करता।
जानकी बातें सुनती तो थी मगर उनका जवाब नहीं दे सकती थी। उधर दिनभर प्रिया जानकी की दवाइयों से लेकर उसकी साफ सफाई तक का पूरा ख्याल रखती थी।
प्रिया की सेवा और उसका प्यार देखकर जानकी की आँखों से आंसू आ जाते थे और वो मन ही मन सोचने लगी कि कितना गलत सोचती थी मौसी।
एक देवरानी से बढ़कर ये तो मेरी छोटी बहन जैसा ख्याल रखती है। बेचारी का सुहाग नहीं रहा, लेकिन वो सब भुलाकर मेरी सेवादारी में लगी है।
हे भगवान ! मेरा तो जो होना था वो हो गया पर इस बेचारी के साथ इतना अन्याय मत करो। बिना पति के कैसे जिएगी सारी जिंदगी ?
ऐसे ही कई महीने बीत गए। प्रिया के जी जान लगाने के बाद भी जानकी की तबियत में कोई सुधार नहीं था। फिर एक दिन सुरेश ने प्रिया से कहा।
सुरेश,” प्रिया, मुझे काम के सिलसिले में एक हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ेगा। “
प्रिया,” आप फ़िक्र मत कीजिये, मैं सब कुछ संभाल लूंगी। “
सुरेश के जाने के बाद तो प्रिया हर वक्त जानकी के साथ ही रहती और रात को भी उसी के बगल में सोती।
जानकी अब पूरी तरह से समझ चुकी थी कि प्रिया वैसी बिल्कुल नहीं थी जैसा कि उसने सोचा था या उसे पढ़ाया गया था। बल्कि वो सच में नए जमाने की एक बहुत ही जिम्मेदार लड़की थी।
फिर एक रात जब प्रिया सो गयी तो जानकी ने फिर अपने मन में सोचा – कब तक ये दोनों मेरी सेवा ऐसे ही करते रहेंगे ?
कब तक सुरेश अकेले अपना जीवन काटेंगे ? कब तक… कब तक मैं इन दोनों पर ऐसे ही बोझ बनी रहूंगी ?
यही बातें सोचते सोचते जानकी की भी आंख लग गई। एक हफ्ता बीत गया। सुरेश वापस आया तो आते ही वो जानकी के पास बैठ गया। प्रिया भी सुरेश के लिए पानी लेकर वहाँ गई।
तभी अचानक जानकी के हाथ में हलचल हुई। ये देखकर सुरेश और प्रिया बहुत ही खुश हो गए। वो डॉक्टर को फ़ोन करने ही वाले थे कि उससे पहले ही जानकी का कांपता हुआ हाथ सुरेश की तरफ बढ़ा।
सुरेश ने फौरन आगे बढ़कर उसका हाथ थाम लिया और फिर जानकी ने प्रिया को भी आँखों से उसके पास आकर बैठने का इशारा किया। प्रिय भी फौरन जाकर जानकी के पास बैठ गई।
प्रिया,” अब सब ठीक हो जाएगा। मैं… मैं डॉक्टर को अभी फ़ोन करके यहाँ बुलाती हूँ। “
लेकिन प्रिया वहाँ से नहीं जा सकी क्योंकि जानकी ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था। फिर जानकी ने एक गहरी सांस ली और सुरेश और प्रिया का हाथ एक दूसरे के हाथ में दे दिया।
उसकी आँखों में आंसू और होठों पर एक हल्की मुस्कान थी। वो क्या कहना चाहती थी, ये सुरेश और प्रिया अच्छे से समझ चुके थे। तब प्रिया ने उससे कहा।
प्रिया,” आप ये सब मत सोचिये। आप अब ठीक हो जाएंगी। “
कहते हुए प्रिया जानकी के काफी नजदीक आ गई थी। तो जानकी ने प्रिया के सिर पर हाथ रखा और फिर वो हमेशा के लिए शांत हो गई।
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2 साल बाद…
सुरेश,” प्रिया, कहाँ हो ? “
प्रिया,” आई जी, लीजिये ये रहा आपका नाश्ता। “
सुरेश,” बढ़िया और मेरी गुड़िया कहां है ? “
प्रिया,” अभी भी सो रही है। रात भर बस यही रट लगाती रही कि मम्मी प्लीज़ एक कहानी और। “
प्रिया की बात सुनकर सुरेश मुस्कुरा दिया और फिर दोनों अपनी बेटी के कमरे में गए।
सुरेश,” अरे ! देखो तो ज़रा… ये परी अभी तक सोकर नहीं उठी। लेकिन अब जब पापा आ गये है तो मेरी जानकी को तो उठना होगा ना। “
जानकी,” गुड मॉर्निंग पापा, गुड मॉर्निंग मम्मी। “
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