सास लायी बहू की सौतन | Saas Layi Bahu Ki Sautan | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ सास लायी बहू की सौतन ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

सास लायी बहू की सौतन | Saas Layi Bahu Ki Sautan | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories


Saas Layi Bahu Ki Sautan | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories



लड़की (दुकानदार),” माँ जी, बहुत बढ़िया क्रीम है। आप एक बार लगाओगी तो आपके चेहरे की सारी झुर्रियां कुछ ही दिनों में गायब हो जाएंगी। “

सुमित्रा,” अच्छा फिर तो एक नहीं दो क्रीम दे दे। वैसे कितने पैसे हुए ? “

लड़की,” मां जी, मात्र ₹315। ये दोनों ऐंटी एजिंग क्रीम हैं। “

सुमित्रा,” अच्छा रुको, मैं देती हूँ। “

सुमित्रा (मन में),” अरे ! मेरे बटुए में सिर्फ ₹300 हैं। अब क्या करूँ ? “

सुमित्रा,” मेरा घर बस थोड़ी दूर ही है। मैं फिर बाद में ले जाउंगी। अभी तुम मुझे बाकी का सामान दे दो। “

कभी एक दूसरी लड़की दुकान में आती है।

लड़की,” एक सेकंड… ये लो ₹15। “



सुमित्रा,” पर बेटी, मैं तो तुम्हे जानती भी नहीं हूँ और तुम मुझे बिना जाने पैसे दे रही हो। “

लड़की,” अब जान लीजिये। आंटी जी, वैसे मेरा नाम स्वीटी है। टेंशन मत लीजिये वो मैं आपको देख रही थी कि आपको क्रीम पसंद आई है इसलिए। सिर्फ ₹15 की तो बात है, आप मुझे बाद में दे दीजियेगा। “

सुमित्रा,” जीती रहो बेटी। वैसे तुम कहाँ रहती हो ? तुमसे फिर मुलाकात करनी हो तो कैसे करूँ ? तुम्हारे पैसे भी तो देनें है। “

स्वीटी,” रुकिए आंटी जी, मैं आपको अपना फ़ोन नंबर देती हूँ। आप मुझे फ़ोन पर अपना घर का एड्रेस दे दीजियेगा, मैं आ जाउंगी। इसी बहाने आपसे मिलना भी हो जायेगा। “

सुमित्रा,” हाँ, ये ठीक रहेगा। लिख लो तुम मेरा नंबर। “

सुमित्रा पास में ही एक मोहल्ले में अपने बेटा और बहू वर्षा के साथ रहती है। सुमित्रा की बहू वर्षा एक गरीब घर से आई है। 

इसलिए सुमित्रा अपनी बहु वर्षा को पसंद नहीं करती। वो अपने बेटे की दूसरी शादी करना चाहती है इसलिए वो एक अमीर घर की लड़की ढूंढ रही हैं। 

वर्षा ने तलाक देने से मना कर दिया। वो बहुत ही सीधी साधी है और गरीब परिवार की है। इस कारण उसने अपनी सास को कह दिया कि अगर वो दूसरी शादी करना चाहती हैं तो कर सकती है। 

उसे तो बस अपने पति के घर में रहना है, चाहे जैसी मर्ज़ी रहे। उसकी मजबूरी है कि वो उस घर को छोड़कर नहीं जा सकती। 

इस घर के सिवाय वो आखिर कहाँ जाएगी ? इसी मजबूरी में वो अपने दिन काट रही है। 

सुमित्रा,” वर्षा… वर्षा, मेरी मेहमान आने ही वाली होगी, जल्दी से गर्म गर्म पनीर और आलू के पकौड़े तैयार कर। “

वर्षा,” माँ जी, कौन आने वाला है ? फ़ोन तो किसी का नहीं आया है। “

सुमित्रा,” है कोई, तुझे क्या मतलब ? तुझे जितना कहा उतना कर। “

सुमित्रा,” रवि बेटा, थोड़ा देर से ऑफिस चले जाना। मुझे तुम्हें किसी से मिलवाना है। “

रवि,” मुझे पता है माँ, तुम फिर से शुरू हो रही हो। कोई ना कोई लड़की ही होगी। मैंने तुम्हें कितनी बार मना करा है कि मुझे दूसरी शादी नहीं करनी है ? “

सुमित्रा,” तू पहले ही अशुभ बातें निकाल दें अपने मुँह से। अगर तूने दूसरी शादी के लिए मना किया ना तो मैं अपनी जान दे दूंगी। तू अपनी माँ को चाहता है या नहीं ? “

अभी सुमित्रा बात कर ही रही थी कि तभी स्वीटी आ जाती है।

स्वीटी,” नमस्ते आंटी जी ! कैसी है आप ? “



सुमित्रा,” अरे ! आओ बेटी। घर ढूंढने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ना ? “

स्वीटी,” नहीं नहीं आंटी जी। मैंने अपनी गाडी बाहर गेट के पास ही पार्क की है तो कोई परेशानी तो नहीं है ना ? “

सुमित्रा,” अरे ! नहीं नहीं, परेशानी की क्या बात है ? आओ बैठो। “


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सुमित्रा,” रवि बेटा, ये स्वीटी है। बहुत ही प्यारी बच्ची है। “

सुमित्रा स्वीटी के साथ बहुत मीठी मीठी बातें करती है। ऐसे ही अक्सर सुमित्रा स्वीटी को घर बुला लिया करती थी या फिर रवि के साथ उसके घर मिलकर आ जाती थी। 

रवि मजबूर था। अगर वो इन सब के लिए मना करता तो सुमित्रा अपने आप को कुछ कर लेती। 

एक दिन…
वर्षा,” सुनो… मैं यही कहूँगी अगर माझी को कुछ हो गया तो हम दोनों जिम्मेदार होंगे। आप स्वीटी से शादी के लिए हाँ कर दो। मां जी अपने आप ही स्वीटी से बात कर लेंगी। “

स्वीटी फिर शादी के लिए जल्दी ही हाँ कह देती है। 

स्वीटी,” आंटी जी, मैं जानती हूँ आप वर्षा के घर में रहने से खुश नहीं हो। पर आप चिंता मत करो, मेरे पास बहुत पैसा है। हम दोनों खूब ऐशो आराम से रहेंगे, खूब मज़े करेंगे। “

सुमित्रा,” पर एक शर्त पर… अब से तुम मुझे आंटी जी नहीं मां जी कहोगी। “

रवि और स्वीटी की शादी हो जाती है और सुमित्रा अपनी बहू वर्षा के लिए सौतन ले आती है। जैसा सुमित्रा ने सोचा था वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। स्वीटी ने तो आते से ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। 

स्वीटी,” अरे ! ये घर अभी तक गंदा क्यों पड़ा है ? क्या यहाँ पर कोई काम वाली नहीं है ? “

वर्षा,” नहीं स्वीटी, घर की साफ सफाई का सारा काम मैं खुद ही करती हूँ। “

स्वीटी,” तो मां जी अब तक क्या कर रही हैं ? मेरी सहेलियां किटी पार्टी के लिए आने ही वाली होंगी। माँ जी को कहो वो तुम्हारा काम में हाथ बटाएं ताकि काम जल्दी हो सके। “



वर्षा,” मैंने मां जी से कभी कोई काम नहीं करवाया। उनकी उम्र तो देखो। वह इस उम्र में घर का काम कैसे कर सकती है ? तुम चिंता मत करो, मैं अकेले ही कर दूंगी। “

स्वीटी,” तो क्या आराम से बैठ के रोटियां तोड़ने के लिए हैं वो? मैं उन्हें कभी बुलाती हूँ। “

स्वीटी,” मां जी… ओ मां जी ! “

सुमित्रा,” क्या हुआ स्वीटी बहू ? तुमने मुझे आवाज लगायी ? इस वर्षा ने तुम्हें कुछ कहा तो नहीं ? “

स्वीटी,” किसकी मजाल है जो मुझे कुछ कह जाये ? मैं तो आपको बुला रही थी। जल्दी से झाड़ू हाथ में पकड़ो और पूरे घर में लगा दो। 

पूरा घर शीशे की तरह चमकता हुआ दिखाई देना चाहिए। अब आप ऐसे इस तरह बैठी रहेंगी तो घर के काम कैसे होंगे ? “

सुमित्रा,” कैसी बातें कर रही हो स्वीटी बहू ? जब से वर्षा बहू आई है, मैंने घर के किसी काम को हाथ नहीं लगाया। मैं तो घर के काम करना कब का भूल चुकी हूँ ? “

स्वीटी,” तो अब कर लो। अभी तो कर सकती हो ? मुझे कुछ नहीं सुनना, चुपचाप घर का काम कीजिये। ऐसे इस घर में कोई नहीं रह सकता। “

सुमित्रा सोच में पड़ जाती है। उसने अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी थी। वर्षा जैसी बहू के होते हुए उसने स्वीटी जैसी लड़की को अपनी बहू बनाया जिसकी वजह से आज वो इस उम्र में घर के काम कर रही थी। 

स्वीटी की सहेली,” क्या बात है स्वीटी…? तेरी तो दोनों नौकरानी बिलकुल बेकार हैं। इन्हें तो जैसे घर के काम ही नहीं आते। देख इस बूढी नौकरानी ने मेरी साड़ी के पल्ले पर दाल गिरा दी। “

स्वीटी,” क्या..? रुक मैं अभी इन्हें सीधा करती हूँ। “

स्वीटी,” तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी सहेली की साड़ी को खराब करने की ? अब तुम भूखी रहोगी। तुम्हें पूरा दिन कुछ खाने को नहीं मिलेगा। तुम्हारी यही सजा है। “

रवि कहीं बाहर गया हुआ था। उसके पीछे ही स्वीटी ने सुमित्रा और वर्षा को बहुत परेशान किया। सुमित्रा भूखी प्यासी घर के काम कर रही थी तभी वर्षा चुपचाप उसके लिए खाना लेकर जाती है। 

वर्षा,” मां जी ये लीजिये, खाना खा लीजिये। आपको भूख लगी होगी ? “



सुमित्रा,” वर्षा बहू, ये खाना तो तुम्हारा है और तुम मुझे दे रही हो। फिर तुम क्या खाओगी ? “

वर्षा,” माँ जी, मुझे भूख नहीं है। मेरे से ज्यादा आपको खाने की जरूरत है। आपको अपनी बीपी की दवाई भी लेनी होती है ना ? आप ही खाना खा लो। “

सुमित्रा,” मेरे से कितनी बड़ी गलती हो गयी ? मैं अपनी बहू की सौतन ले आई। “

सुमित्रा,” हे भगवान ! मेरी गलती को क्षमा कर देना। “

सुमित्रा,” वर्षा बहू, तू चिंता मत कर। अगर गलती मैंने की है तो मैं ही इसे सुधारूंगी भी। मैं स्वीटी को घर से निकालकर ही दम लूंगी। “

स्वीटी सुमित्रा की बातें सुन लेती है और गुस्से में आ जाती है। 

स्वीटी,” क्या कहा… मुझे घर से निकाल दोगी ? मैं तुम दोनों को ही इस घर से निकालकर बाहर फेंक दूंगी। ये घर मेरा है। 

अब से यहाँ मैं और रवि रहेंगे। हम दोनों पति पत्नी के सिवाय यहाँ कोई नहीं रहेगा। निकलो यहाँ से दोनों बाहर, इससे पहले की रवि आयें। मैं तुम्हारी शक्ल तक नहीं देखना चाहती, निकलो बाहर… निकलो। “

तभी रवि आ जाता है। उसके साथ पुलिस भी थी। 

पुलिस,” मिस्टर रवि, आपने सही समय पर हमें इस लड़की के बारे में खबर दे दी वरना आपका पूरा परिवार जो है ना खतरे में आ सकता था। “

रवि,” माँ, इस लड़की का नाम स्वीटी नहीं, चांदनी है। आज सुबह मैंने एक अखबार में इसके बारे में पढ़ा। ये एक चोर है। 

आप दोनों को घर से बाहर निकालकर ये यहाँ अकेले रहना चाहती थी ताकि ये इस घर को अपने नाम करके सब रुपया पैसा बटोरकर यहाँ से रफूचक्कर हो जाये। 

और आज जो इसकी सहेली आयी थीं ना, वो भी चोर हैं। उन्हें भी पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है। ये पूरा एक गैंग हैं जो रुपया, पैसा, जायदाद अपने नाम करके रफूचक्कर हो जाते हैं। 

वरना खुद ही सोचो कोई अनजान लड़की आपको क्रीम के लिए पैसे क्यों देगी और एकदम से दूसरी शादी के लिए कोई हाँ क्यों करेगी ? 



मां, तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी। वो तो अच्छा हुआ कि मेरी और स्वीटी की शादी लीगल नहीं है और और पुलिस के पास इसका रिकॉर्ड है वरना तुम्हारी इस गलती की वजह से मैं भी जेल जा सकता था। “

सुमित्रा,” मुझे माफ़ कर दे, रवि बेटा। “


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सुमित्रा,” वर्षा बहू, मैंने पैसों के लालच में आकर अपने ही बेटे की जिंदगी खराब करनी चाही। “

सुमित्रा,” इन्स्पेक्टर साहब, ये स्वीटी बहुत गलत लड़की है। इसने मेरा क्या हाल कर दिया ? मेरी वर्षा बहू कितनी अच्छी है ? लाखों में एक है। 

बड़ी आई थी मेरी वर्षा बहू और मुझे घर से निकलने वाली। अब तू जेल की सलाखों के पीछे जब सजा भुगतेगी ना तब मेरे कलेजे को ठंडक पड़ेगी। “

सुमित्रा को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वो अपने बेटा, बहू को गले से लगा लेती है। 

दूसरी तरफ स्वीटी और उसके साथियों को जेल हो जाती है।


आज की ये ख़ास और मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Cooment में जरूर बताएं।

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