पीरियड वाली स्कूल स्टूडेंट | Periods Wali School Student | Moral Stories | Student Period Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ पीरियड वाली स्कूल स्टूडेंट ” यह एक First Period Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
पीरियड वाली स्कूल स्टूडेंट | Periods Wali School Student | Moral Stories | Student Period Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

Periods Wali School Student | Moral Stories | Student Period Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

 पीरियड वाली स्कूल स्टूडेंट 

रमेश की आज ऑफिस में बहुत ही इम्पोर्टेन्ट मीटिंग थी। उसे ऑफिस जल्दी निकलना था इसीलिए आज वो सुबह जल्दी से उठा और अपनी बेटी जागृति के लिए ब्रेकफास्ट बनाने लगा।
जागृति भी जाग गई थी लेकिन आज उसे थोड़ी सुस्ती लग रही थी इसलिए वो बेड पर ही थी। तभी उसकी नजर घड़ी पर गई तो उसमें 7:30 बज गए थे। 
जागृति,” अरे बाप रे ! 8:00 बज गए। पता नहीं क्या हो गया मुझे, आज इतनी देर तक सोई रही ? अब स्कूल जाने में देर हो जाएगी और आज तो मैथ का पेपर है। “
वो जल्दी से उठी और फटाफट तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर बैठी ही थी कि उसके पापा उसके लिए ब्रेड लेकर आए। ब्रेड को देखकर जागृति ने कहा। 
जागृति,” पापा, ये ब्रेड का क्या किया आपने, ये तो पूरी तरह जल गई है ? “
रमेश,” अरे ! वो ऑमलेट बना रहा था तो ब्रेड पर ध्यान ही नहीं रहा इसलिए जल गया। रुको, मैं तुम्हारे लिए ऑमलेट लेकर आता हूँ। “
जब वो आमलेट लेकर आया तो ऑमलेट की हालत भी ब्रेड की तरह ही थी। पूरी तरह जली हुए ऑमलेट को देखकर जागृति ने अपने पापा की ओर मुस्कुराते हुए देखा और कहा। 
जागृति,” मैं जानती हूँ… मैं जानती हूँ वो आप एक तरफ ब्रेड सेंक रहे थे इसीलिए आमलेट पर ध्यान नहीं रहा, इसलिए जल गया। “
उसकी बात सुनकर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े। 
रमेश,” सॉरी बेटा ! वो क्या है ना कि आज तुम्हारे पापा की एक जरूरी मीटिंग है तो मैं ब्रेकफास्ट कम बना रहा था और मीटिंग के बारे में ज्यादा सोच रहा था। “
जागृति,” अरे ! कोई नहीं पापा, कभी कभी जली चीजों में भी बहुत स्वाद होता है। बस शर्त है कि वो पापा ने जलाई हो। “
रमेश,” सुन बेटा, मैं निकल रहा हूँ। तुम्हारी भी बस थोड़ी देर में आ जाएगी। “
ये कहकर रमेश निकल गया। पिछले 5 साल से रमेश जागृति के लिए उसकी माँ और पापा दोनों का रोल निभा रहा था। 
5 साल पहले रमेश को अपनी पत्नी जयंती के पेट में कैंसर के बारे में पता लगा। लेकिन जब तक पता लगा तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 
5 साल पहले…
रमेश,” ये तुम सही नहीं कर रही हो, जयंती। तुमने कहा था हमेशा साथ निभाओगी। तुम इस तरह बीच रास्ते में मुझे छोड़कर नहीं जा सकती। “
जयंती,” रो मत रमेश। जाना कौन चाहता है लेकिन ये कमबख्त बिमारी ही ऐसी है कि मुझे जीने नहीं दे रही। “
जयंती चली गई… बहुत दूर, तमाम उम्मीदों और दर्द के परे, दूसरी दुनिया में। उसके जाने के बाद रमेश टूट जाता लेकिन उसने जयंती से वादा किया था कि वो जागृति का पापा भी बनेगा और मम्मी भी। 
उसके जाने के बाद उससे जितना बन पड़ता था उससे कहीं ज्यादा वो अपनी बेटी जागृति के लिए करता था। जागृति के लिए भी वह दुनिया का सबसे बेस्ट पापा था। 
बहरहाल… उस दिन रमेश के ऑफिस जाने के बाद जागृति के पेट में बहुत दर्द होने लगा। वो दर्द असहनीय था। 
जागृति,” ये पेट में इतनी ज़ोर से दर्द क्यों होने लगा ? पापा को कॉल करू क्या..? नहीं नहीं, उनकी तो आज बहुत ही इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है। “
जागृति ने बर्दाश्त करने की बहुत कोशिश की लेकिन दर्द तो कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। तभी उसे लगा कि उसके कपड़ों में कुछ लगा है। 
वह बाथरूम गई लेकिन बाथरूम जाकर उसने जो देखा उसे देखकर वो बहुत डर गई। 
जागृति,” ये… ये क्या हो गया है मुझे ? ये तो खून है। ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ। कहीं मुझे कोई बड़ी बिमारी तो नहीं हो गई ? “
यह उसका पहला पीरियड था। उसकी माँ तो थी नहीं इसलिए उसे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। वो बेहद डर गई थी। 
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किससे बात करे और इस बारे में किससे पूछे। उसने अपनी बेस्ट फ्रेंड श्वेता को फ़ोन किया।
लेकिन उस दिन फ़ोन का नेटवर्क बहुत ही खराब था। वो उसे फ़ोन पर अपनी कंडीशन बताने की कोशिश करने लगी। लेकिन…

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जागृति,” तू सुन रही है ना श्वेता, मैं क्या कह रही हूँ ? “
श्वेता,” यार जागृति, तू ज़ोर से बोल ना, तेरी आवाज़ बिलकुल नहीं आ रही है। “
इसी बीच फ़ोन कट गया। जागृति ने फिर से श्वेता को कॉल करने की कोशिश की लेकिन उसका नंबर नहीं लगा। 
वैसे तो जागृति के और भी दोस्त थे लेकिन वह किसे फ़ोनकर ये सब बताए, उसे समझ नहीं आ रहा था ? 
स्कूल की बस के आने का समय भी हो रहा था। आज वो स्कूल छोड़ भी नहीं सकती थी क्योंकि आज उसका मैथ्स का पेपर था। 
वो अपने ख्यालों में खोई हुई थी। तभी स्कूल के बस के हॉर्न की आवाज आयी। वो अनमने ढंग से स्कूल बस की ओर निकल पड़ी। 
जैसे ही वो बस में चढ़ी, सभी स्टूडेंटस उसे घूर घूरकर देखने लगे। 
जागृति,” ये सभी लोग मुझे घूर घूरकर देख रहे हैं। जरूर इन्हें भी मेरे कपड़ों में लगा खून दिख गया होगा ? 
अब इन सभी को पता लग जाएगा कि मुझे खतरनाक बिमारी हो गई है और सभी मुझसे दूर रहना चाहेंगे, कोई मेरे पास नहीं आएगा। “
जैसा जागृति ने सोचा था, बस में बैठी सारी लड़कियां उसके साथ वैसा ही व्यवहार कर रही थी। 
सीमा,” अरे अलका, पूनम, मालती ! इस जागृति से दूर ही रहना सब लोग। देख रही हो ना… उसके कपड़ों में खून लगा है ? उसे बहुत खतरनाक बिमारी हो गयी है। उससे दूर रहना होगा हमें। “
अलका,” हाँ सीमा, सही कह रही हो। हम नहीं बैठेंगे उसके साथ । कहीं हमें भी ये बिमारी हो गयी तो ? “
जागृति की सीट के बगल में उस दिन बस में कोई नहीं बैठा। उधर जब वो स्कूल पहुंची तो वहाँ भी सभी का यही हाल था। सभी उसे घूर घूरकर देख रहे थे और अजीब अजीब बातें कर रहे थे।
सीमा ,” ओए ! बड़ी अंदर की खबर लाई हूँ। जागृति ना ऊपर जाने वाली है। “
मालती,” ऊपर..? ऊपर कहां जाएगी ? “
सीमा,” अरे ! ऊपर मतलब यमराज के पास जहाँ उसकी माँ गयी है। “
मालती,” पागल है क्या तू ..? कैसी बाते कर रही है ? “
सीमा,” अरे ! मैं सही कह रही हूँ। तुमने नहीं देखा, उसके कपड़ों में कितना खून लगा है ? इस तरह खून निकलने का मतलब होता है मर जाना। “
सभी की बातों को सुनकर जागृति बहुत ही डर गई। उसे हर ओर यमराज नजर आने लगे। उसे अपने पापा की भी बहुत याद आने लगी। वो सोचने लगी। 
जागृति (मन में),” मम्मी भी मर गई और अब मैं भी मर जाऊंगी तो फिर तो पापा बहुत अकेले हो जाएंगे। 
लेकिन क्या करूँ ? मरना तो होगा ही ना ? ये सभी कह रहे है कि मुझे खतरनाक बिमारी हो गई है। “
जागृति ये सोचकर ज़ोर ज़ोर से रोये जा रही थी तभी उसके कानों में फ़ोन की घंटी की आवाज सुनाई दी। 
उसे लगा कि उसके कान बज रहे हैं। फिर उसने देखा कि उसका मोबाइल फ़ोन बज रहा है। 
उसकी बेस्ट फ्रेंड श्वेता ने उसे कॉलबैक किया था जिसे उसने कुछ देर पहले कॉल किया था और नेटवर्क की गड़बड़ी के कारण बात नहीं हो पाई थी। 
जागृति,” अरे ! मैं तो घर पर ही हूँ। इसका मतलब वो सारी चीज़ें जो मैं देख रही थी, वो एक सपना था ? 
वो सब तो सपना था लेकिन मेरी यूनिफॉर्म में तो खून लगा है। ये तो सपना नहीं है। इसका मतलब मुझे सच में कुछ हो गया है। “
जागृति ने फ़ोन उठाया।
जागृति,” हैलो श्वेता ! यार तू कहाँ है ? मुझे तुझे बहुत जरूरी बात बतानी है। मैं ना मरने वाली हूँ। “
ये कहकर जागृति रोने लगी। 
श्वेता,” ओए ! क्या हो गया जागृति ? तू रो क्यों रही है और यह तू क्या फालतू की बातें कर रही है कि तुम मरने वाली है ? अरे ऐसा क्या हो गया तुझे ? “
जागृति ने श्वेता की बात का कोई जवाब नहीं दिया और वो रोती रहीं। श्वेता को लगा कि जागृति को उसकी आवाज नहीं जा रही, इसलिए उसने पूछा। 
श्वेता,” जागृति, मेरी आवाज आ रही है ना तुम्हें ? अरे ! तू रो क्यों रही है ? अरे ! बोल ना… क्या हुआ तुझे ? मुझे टेंशन हो रही है। “
तब जागृति ने श्वेता को सबकुछ बताया जिसे सुनकर श्वेता ने कहा। 
श्वेता,” ये बात है… तू ने तो मुझे डरा ही दिया। सुन… ये नॉर्मल है। ये हर लड़की को होता है। मुझे भी होता है यह। इसे पीरियड कहते हैं। “
जागृति,” पीरियड..? अरे ! स्कूल में तो पीरियड होते ही हैं, इंग्लिश का, मैथ्स का, हिंदी का। अब ये कौन सा पीरियड है ? “
जागृति की बातें सुनकर श्वेता हंसते हुए बोली।
श्वेता ,” सुन… मैं तुरंत तुम्हारे घर कुछ लेकर आ रही हूँ। “
श्वेता थोड़ी देर बाद जागृति के घर आई। उसके हाथों में सैनिटरी पैड का पैकेट था जिसे देखकर जागृति ने कहा। 
जागृति,” अरे ! ये क्या है ? ये क्या लेकर आई है तू ? “
श्वेता,” जागृति, ये सैनिटरी पैड है। इसकी तुझे अब हर महीने जरूरत पड़ने वाली है। “
जागृति,” हर महीने… पर ऐसा क्यों ? “
श्वेता,” देख जागृति, तेरी माँ नहीं है इसलिए यह बात मैं तुझे बताती हूँ। ये जो तुझे हो रहा है, वह एकदम नॉर्मल है। 
हर लड़की में 28 दिन का ये चक्र होता है। अब तुम धीरे धीरे वुमैन बन रही हो। “
जागृति,” वुमैन। “
श्वेता,” हाँ। सुनो… इन दिनों तुम्हें अपनी साफ सफाई का बहुत ध्यान रखना होगा। तुम्हारा मूड भी कभी अच्छा तो कभी खराब रहेगा। 
लेकिन फिर सब नॉर्मल हो जाएगा। और हाँ… इस पैक में सारे इन्स्ट्रक्शन्स दिए हैं। उसे पढ़कर तुम इसे इस्तेमाल करना जान जाओगी। पीरियड यह भी बताता है कि तू बिल्कुल नॉर्मल है। “
श्वेता की बातों को सुनकर जागृति ने उसे गले लगा लिया। 

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दोस्तों आज भी लड़कियां पीरियड को लेकर ज्यादा जागरूक नहीं हैं। वो डर जाती है जब उन्हें पहली बार पीरियड होता है।
संकोचवश वो किसी से कुछ भी नहीं कह पाती और वो अपने आपको दोषी समझने लगती हैं। 
आप उन्हें समझाएं। ये तो एक प्रक्रिया है जिसका हर लड़की को सामना करना पड़ता है और ये बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। इसलिए डरे नहीं, जागरूक बनें।
आज की ये ख़ास और मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Cooment में जरूर बताएं।

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