हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बैल पति ” यह एक Pati Patni Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story या Majedar Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Bail Pati| Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Fairy Tales
बैल पति
एक गांव में प्रमोद नाम का एक कमजोर और आलसी व्यक्ति रहता था। उसके आलसीपन के व्यवहार से उसकी पत्नी शर्मीली उससे बहुत परेशान रहा करती थी।
प्रमोद दिन भर घर में पड़ा रहता। एक दिन प्रमोद आराम से चारपाई पर लेटा हुआ था।
तभी उसकी पत्नी शर्मीली खेतों में काम करके थकी हारी घर आई। प्रमोद को आराम करता देख उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
शर्मीली,” शर्म तो आती नहीं है ? दिनभर घर पर पड़े रहते हो। ये नहीं कि खेत में बीबी का हाथ बंटा लिया करो। “
प्रमोद,” ये कैसी बातें करती हो शर्मीली तुम ? तुम तो जानते ही हो कि ये छोटे मोटे काम मेरे लिए नहीं बने। मैं कुछ बड़ा करने के लिए बना हूँ, हाँ। “
शर्मीली,” बड़े रणबीर कपूर बनते फिरते हो, छोटा सा काम तो होता नहीं है और बातें इतनी बड़ी बड़ी मारते हो। निठल्ले कहीं के, पूरे गांव में मेरी नाक कटा के रखी है तुमने। “
प्रमोद,” जब मैं अमीर हो जाऊंगा तब यही गांव वाले तुम्हें सेठानी सेठानी कहकर बुलाएंगे, हाँ। “
शर्मीली,” फ़िलहाल तो मुझे नौकरानी नौकरानी कहकर बुलाते हैं। एक तो तुम कोई काम करते नहीं हो ऊपर से गांव का ऐसा कोई भी व्यक्ति तुमने नहीं छोड़ा जिससे तुमने उधार ना लिया हो। मैं तो तुम्हारी उधारी देते देते तंग आ गयी हूँ। “
प्रमोद,” बस मुझे तुम्हारी यही बात बहुत बुरी लगती हैं शर्मीली कि तुम आते ही पूरा घर सिर पर उठा लेती हो। “
शर्मीली,” तो क्या करूँ ? तुम ही बताओ ना, क्या करूँ मैं ? मुश्किल से हमारे पास दो बीघा जमीन है और दो बैल हैं।
खेतों पर मैं अकेली काम करती हूँ। जब मैं देखती हूँ खेतों में और व्यक्ति कितनी मेहनत से काम करते हैं और उनकी पत्नी उनका हाथ बटाती हैं तो मुझे बहुत बेकार लगता है।
लेकिन यहाँ तो मामला उल्टा ही है। पत्नी काम करती है और पति दिन भर घर में पड़ा पड़ा सपने देखता रहता है। “
शर्मीली की बात सुनकर प्रमोद इतना बेशर्मी से हंसा और बोला।
प्रमोद,” अरे ! बस भी करो शर्मीली, मुझे बहुत तेजी से भूख लग रही है। जाओ जाकर जल्दी से खाना बना दो, हाँ। “
प्रमोद की बात सुनकर शर्मीली ने आटे का खाली कनस्तर जमीन पर पटक दिया और चिल्लाकर बोली।
शर्मीली,” खोने को बनाऊं ? घर में खाने को कुछ है क्या जो तुम्हारे लिए खाने को बनाऊं ?
2 दिन से घर में राशन पानी का एक दाना नहीं है लेकिन तुम्हें इसकी फिक्र है क्या ? “
प्रमोद,” लेकिन परसों तो मैंने तुम्हारे पास देखे थे। “
शर्मीली,” उस मोहन साइकिल वाले से तुमने पैसे उधार लिए थे, उसका ध्यान नहीं है तुम्हें। कल सारे पैसे मैंने उसे दे दिए। “
प्रमोद,” उसे पैसे देने की क्या जरूरत थी ? मैं उससे थोड़ा और वक्त मांग लेता। “
शर्मीली,” घर आकर तुम्हें पीटने की धमकी दे रहा था। अरे भला मैं तुम्हें घर पर पिटता हुआ भी देखूँ। तुम्हें तो कोई शर्म है नहीं। “
प्रमोद,” तुम्हें क्या लगता है कि मुझमें कोई शर्म नहीं है ? “
शर्मीली,” अगर तुम में ज़रा सी भी शर्म बची है तो जाओ जाके कुछ काम करो ताकि शाम के वक्त हमारे घर पर चूल्हा जल जाये। “
शर्मीली की बात सुनकर प्रमोद चुपचाप बाहर चला गया। वो एक पेड़ के नीचे बैठकर अपने आप से बातें करने लगा।
प्रमोद,” अरे ! अब मेरी इस बेवकूफ पत्नी को कौन समझाये ? इस गांव में भला मुझे कौन काम देगा ?
किसको टोपी पहनाऊं हाँ ? एक काम करता हूँ… गांव के ज़मींदार के पास जाकर कुछ पैसे उधार ले आता हूँ। “
ये कहकर प्रमोद उठा ही था कि अचानक उसे कुछ याद आ गया।
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प्रमोद,” नहीं नहीं, जमींदार से तो पहले से ही पैसे लेकर आया हूँ वो भी अभी तक नहीं दिए। उसके पास अगर पहुँच गया तो कहीं वो अपना पुराना कर्जदाना करने बैठ जाये।
मेरे तो लेने के देने पड़ जाएंगे। क्या करूँ, क्या करूँ ? मेरी पत्नी ने कहां मुझे मुसीबत में फंसा दिया ? “
तभी प्रमोद ने देखा कि गांव का मुखिया अपने कुछ साथियों के साथ लाठी डंडे लेकर उसकी ही ओर बड़े गुस्से से चला रहा था।
मुखिया,” बहुत दिन हो गये प्रमोद मुझे बेवकूफ बनाते बनाते हाँ, आज मैं तुझसे अपने पैसे लेकर ही रहूँगा “
प्रमोद,” मुझे थोड़ी मोहलत और दे दो मुखिया जी, मैं आपकी एक एक पाई पाई चुका दूंगा, हाँ। “
मुखिया,” कहां से चुका देगा ? कुछ काम काज तो तू करता है नहीं, धरती पर बोझ है। काम का न काज का, दुश्मन अनाज का। “
प्रमोद समझ गया कि आज तो उसकी मार खाने की पूरी नौबत है।
प्रमोद,” मुझे एक आखिरी मौका दे दो, मुखिया जी। मैं वादा करता हूँ कि एक महीने बाद मैं आपके पैसे लौटा दूंगा। “
प्रमोद की बात सुनकर मुखिया अपनी मूंछों पर ताव देता हुआ हंसता हुआ बोला।
मुखिया,” किस किस की रकम चुकाएगा ? तूने तो हर किसी से उधार ले रखा है। गांव में पता नहीं किस किस को बेवकूफ बनाया होगा ? आज तो मैं पैसे लेकर ही जाऊंगा, हाँ। “
प्रमोद,” मुझे थोड़ी सी मोहलत और दे दीजिये। “
मुखिया,” आज या तो अपने पैसे ले कर जाऊंगा या तो फिर तेरी चमड़ी उधेड़ कर जाऊंगा, हाँ। “
मुखिया,” देखते क्या हो भाई, मारो इसे। “
मुखिया के साथी प्रमोद को लाठी डंडों से मारने ही वाले थे कि तभी प्रमोद की पत्नी भागती हुई मुखिया के पास आकर खड़ी होकर बोली।
शर्मीली,” इन्हें छोड़ दीजिये, मुखिया जी। “
मुखिया,” तुम्हारा ही चेहरा देखकर अब तक मैं प्रमोद को छोड़ता आ रहा हूँ। तुम्हारा पति धरती पर बोझ है। “
प्रमोद,” शर्मीली तुम घर जाओ, मैं संभालूंगा। “
शर्मीली,” अरे ! क्या खाक संभाल लोगे तुम ? अगर मैं नहीं आती तो तुम कुत्ते की तरह मार खा रहे होते। “
प्रमोद शर्मीली को हाथ पकड़कर अलग ले जाकर आहिस्ता से बोला।
प्रमोद,” तुम शायद मेरी बुद्धि को जानती नहीं हो, हाँ ? मैंने इस मुखिया के जैसे कई लोगों को बेवकूफ बनाया, हाँ। “
शर्मीली,” हाँ बनाया होगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि तुम आज इसे बेवकूफ बना पाओगे।
आज तो तुम्हारी ठुकाई पक्की है। लगता है तुम्हें अपनी बुद्धि दिखाने का समय आ गया। है। “
तभी मुखिया दूर से प्रमोद से बोला।
मुखिया,” ये तुम दोनों पति पत्नी क्या खिचड़ी पका रहा है भई ? “
प्रमोद,” कुछ नहीं मुखिया जी, मेरी पत्नी कह रही थी कि मुखिया जी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। आज इनका कर्जा चुका दो। “
मुखिया,” तेरी पत्नी तुझसे ज़्यादा समझदार हैं प्रमोद, हाँ। “
प्रमोद,” देखो मुखिया जी, पैसे तो मेरे पास है नहीं लेकिन मेरे पास दो मोटे मोटे बैल है।
मैं आपको एक बैल दे देता हूँ। जब मेरे पास पैसे हो जाएंगे तो मैं आपको पैसे देकर अपना बैल वापस ले लूँगा। “
मुखिया कुछ सोचता हुआ बोला।
मुखिया,”अब तूने बात पते की कही है, प्रमोद। “
मुखिया प्रमोद का एक बैल ले गया। प्रमोद ने खुश होकर शर्मीली से कहा।
प्रमोद,” देखा अपने पति का दिमाग ? एक बैल का मुखिया क्या करेगा, बेवकूफ कहीं का ? “
शर्मीली,” बेवकूफ वो नहीं, तुम हो। “
प्रमोद,” वो कैसे ? “
शर्मीली,” अरे ! तुम एक बेल से खेत जोत लोगे क्या ? एक बैल हमारे किस काम का है ? हे भगवान ! मेरी तो किस्मत ही फूट गयी है। ऐसा निकम्मा और मूर्ख पति तुमने मुझे क्यों दिया ? “
प्रमोद,” ये तो मैंने सोचा ही नहीं, अब क्या करूँ ? “
शर्मीली,” मुझे कोई मतलब नहीं है। मुझे मेरा बैल चाहिए। “
प्रमोद,” लेकिन वो तो मुखिया ले गया। “
शर्मीली,” कोई बात नहीं, दूसरे बैल की जगह तुम काम करोगे। एक बैल से खेत नहीं चलता और जब खेती नहीं हो पायेगी तो फसल नहीं हो पाएगी और जब फसल ही नहीं होगी तो हम उसके पैसे कहाँ से चुकाएंगे ?
ले देकर बड़ी मुश्किल से कुछ पैसे जमा कर करके बीज लेकर आई थी। अब भला इन बीजों का मैं क्या करूँगी ? “
इतना कहकर शर्मीली वहाँ से चली गई। प्रमोद अपने खेत के एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ अपने निठल्लेपन पर अफसोस कर रहा था कि तभी उसके कानों में एक आवाज टकराई।
बाबा,” इस तरह उदास क्यों बैठा है ? “
प्रमोद ने जैसे ही सामने देखा तो एक साधू जिसके चेहरे पर तेज झलक था, उसके सामने उसे देखकर मुस्कुरा रहे थे।
प्रमोद,” जाओ बाबा, अभी मेरा बात करने का मूड नहीं है। मैं वैसे ही बहुत ज्यादा परेशान हूँ। “
बाबा,” मैं जानता हूँ तेरी परेशानी क्या है ? गांव का मुखिया तेरा एक बैल छीनकर जबरदस्ती ले गया और तेरे ऊपर गांव की उधारी अलग से है।
तेरी पत्नी तुझसे नाराज है और तू यही सोच रहा है कि इन सारी मुसीबतों से छुटकारा कैसे पाया जाए ? “
साधू की बात सुनकर प्रमोद तुरंत उठ खड़ा हुआ और साधू के पैरों पर गिरकर बोला।
प्रमोद,” आप तो बहुत पहुंचे हुए साधू लगते हैं। मेरी मदद कीजिए, साधू महाराज। क्या आप चमत्कार कर सकते हैं ? “
बाबा,” हर इंसान के अंदर चमत्कार छुपा होता है। बस उस इंसान को उस चमत्कार को देखने की और परखने की आवश्यकता होती है। बोल… क्या चाहिए तुझे ? “
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प्रमोद साधू की बात सुनकर कुछ सोचता हुआ बोला।
प्रमोद,” मेरा एक बैल जमींदार जबरदस्ती छीनकर ले गया है। मुझे मेरा बैल वापस दिलवा दीजिये ताकि मैं मेहनत करके अपने खेत जोत सकूँ और अच्छे से फसल उगाकर उसे बेचकर अपनी उधारी चुका सकूँ। “
प्रमोद की बात सुनकर साधू मुस्कुराता हुआ बोला।
बाबा,” तू चाहता तो मुझसे धन, दौलत, सोना, चांदी भी मांग सकता था। इसका मतलब तेरा दिल अंदर से साफ सुथरा है। मगर तेरे ऊपर आलस हावी है। “
प्रमोद,” मेरी मदद कीजिए साधु महाराज। “
बाबा ,” जो चला गया उस पर अफसोस करने से कोई फायदा नहीं है। मैं तुझे कोई दूसरा बैल नहीं दूंगा बल्कि मैं अपनी शक्ति से तेरे शरीर में एक बैल के बराबर ताकत भर सकता हूँ जिससे तू अकेले अपने खेत जोत सकता है। बोल चाहता है ऐसा ? “
साधू की बात सुनकर प्रमोद बहुत गहरी सोच में डूब गया। अचानक उसके चेहरे पर दृढ़ निश्चय दिखाई देने लगा।
प्रमोद,” साधू महाराज, मैं तैयार हूँ। “
बाबा,” तो फिर अपनी आंखें बंद कर। “
प्रमोद ने अपनी आँखें बंद कर ली। कुछ देर के बाद उसके कानों में साधू की आवाज गूंजी।
बाबा,” तेरे अंदर एक बैल के बराबर शक्ति मैंने डाल दी है। अब तू खुद अपना खेत जोत सकता है। “
प्रमोद ने आँखें खोली तो वहाँ पर कोई मौजूद नहीं था। प्रमोद दौड़ा दौड़ा अपनी पत्नी के पास गया और उसे सारी घटना बताई।
शर्मीली,” अरे ! तुमने जरूर कोई सपना देखा होगा। इतनी मुसीबत में भी तुम्हें मुंगेरीलाल के सपने नहीं खत्म हो रहे। “
प्रमोद,” मैं सच कहता हूँ शर्मीली, वो सपना नहीं सच था। “
शर्मीली,” अगर ऐसी बात है तो फिर हमारे एक बैल का जोड़ीदार तुम बनोगे। देखती हूं कितनी शक्ति डाली है उस साधू ने तुम्हारे अंदर ? “
अगले दिन एक बैल के साथ प्रमोद भी अपने खेत जोतने लगा। प्रमोद को अपने शरीर के अंदर असीम शक्ति का अनुभव हो रहा था। प्रमोद के अंदर इतनी ताकत देख शर्मीली की आंखें फटी की फटी रह गई।
कुछ ही दिनों में सारे गांव में यह चर्चा फैल गई कि प्रमोद के अंदर एक बैल के बराबर ताकत आ गई है।
ये खबर उड़ते उड़ते मुखिया के कानों तक भी पहुंची। मुखिया अपने साथियों की ओर देखकर बोला।
मुखिया,” क्या ये सच है कि प्रमोद के अंदर एक बैल के बराबर ताकत आ गई है ? “
मुखिया का एक साथी बोला।
साथी,” मैं सच कह रहा हूँ मुखिया जी। मैंने अपनी आँखों से देखा… प्रमोद एक बैल की जगह खुद काम कर रहा है। मेरी तो आंखें फटी की फटी रह गयीं। “
मुखिया,” अगर ऐसा ही हाल रहा तो फिर तो वह अपने खेत में बहुत अच्छी फसल उगा लेगा और मेरे पैसे लौटाकर अपना बैल वापस ले जाएगा।
उसने मुझे बेवकूफ बनाया था। मैं सोच रहा था कि कुछ दिनों बाद उसका दूसरा बैल भी उठवा लूँगा। मेरी तो सारी की सारी योजना पर पानी फिर गया। “
साथी,” अब क्या करेंगे आप ? “
मुखिया,” जाओ जाकर प्रमोद का पीटपीट कर बुरा हाल कर दो। “
मुखिया की बात सुनकर मुखिया के सभी साथी सहम गए और सभी के माथे पर पसीना आ गया। मुखिया चिल्लाते हुए बोला।
मुखिया,” क्या हुआ तुम सब मुस्टंडों को ? मैं तुम सबको रोज़ ताजा ताजा मट्ठा और दूध पिलाकर पालता हूँ। तुम प्रमोद को मार भी नहीं सकते ? “
मुखिया की बात पर एक साथी डरता हुआ बोला।
साथी ,” मुखिया जी, प्रमोद के अंदर एक बैल के बराबर शक्ति है।अंदाज़ा लगाइये… अगर हम में से कोई उसे पीटने के लिए गया तो हम उसका एक मुक्का बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। “
दूसरा साथी,” मेरी मानिए मुखिया जी, तो आप भी उसे पीटने का सपना छोड़ दीजिये। प्रमोद अब वो प्रमोद नहीं रहा, हाँ। “
अपने साथी की बात सुनकर मुखिया चुपचाप हो गया। सच तो ये था कि मुखिया भी अंदर से घबरा चुका था।
कुछ ही महीनों में प्रमोद की फसल बहुत अच्छी तैयार हो गई और उसकी फसल बहुत अच्छे दामों पर बिकी।
प्रमोद तुरंत पैसे लेकर मुखिया के पास गया।
प्रमोद,” ये लीजिये मुखिया जी अपने रुपए और कृपया करके मेरा बैल वापस दे दीजिये। “
मुखिया ने डरते डरते पैसे लेकर प्रमोद का बैल वापस कर दिया। प्रमोद के घर पर अब खुशहाली आ गई। धीरे धीरे करके प्रमोद ने सारे गांव वालों की उधारी चुका दी।
लेकिन प्रमोद अब रात में भी एक बैल के साथ मिलकर लगातार काम करने लगा। अब उसकी पत्नी उसके काम से परेशान हो गयी।
शर्मीली,” बस भी कीजिये अब, थोड़ा आराम तो कर लीजिये। “
प्रमोद,” नहीं, मेरे अंदर असीम शक्ति है। मैं नहीं रुक सकता। “
शर्मीली,” लेकिन फसल तो कर चुके हैं। बीज अभी बोए नहीं है। खाली जमीन पर हल क्यों चला रहे ? “
प्रमोद,” कोई बात नहीं, मैं दूसरे के खेत में जाकर चलाऊंगा। “
शर्मिली अपने आप से बोली।
शर्मिली,” हे भगवान ! ये तो अब रुक ही नहीं रहे। ऐसे तो इनकी हालत खराब हो जाएगी। “
शर्मीली एक दिन उसी पेड़ के नीचे उदास बैठी थी कि तभी वही साधू फिर से प्रकट हो गए।
बाबा,” क्या हुआ बेटी, उदास बैठी हो ? “
प्रमोद की पत्नी हाथ जोड़कर उन साधू के सामने खड़ी हो गयी।
शर्मीली,” मेरे पति को एक चमत्कारी साधू ने एक बैल के बराबर शक्ति दी थी, बाबा। मगर अब वो रुक ही नहीं रहे, लगातार काम कर रहे हैं। “
शर्मीली की बात सुनकर साधू हंसते हुए बोला।
बाबा,” मैंने ही वो शक्ति दी थी। लगता है एक बैल की जगह दो बैल की शक्ति दे दी उसे। “
शर्मीली,” कुछ कीजिए ना साधु महाराज। ऐसे तो मेरी हालत खराब होती जा रही है।
मैं खाना बनाते बनाते तंग आ गयी हूँ। वो पूरे 10 आदमियों को खाना एक वक्त में खा रहे हैं। “
बाबा,” जैसे ही तुम्हारी इच्छा, बेटी। “
इतना बोलकर साधू ने एक चुटकी बजाई और वहाँ से गायब हो गए। प्रमोद फिर से सामान्य हो गया। लेकिन अब वो मेहनती बन चुका था।
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प्रमोद,” अरे ! थकावट सी हो रही है, थोड़ा आराम किया जाए। “
प्रमोद,” ए शर्मीली ! सुन ज़रा… पानी ला इधर। “
पेड़ के नीचे बैठकर शर्मीली ने प्रमोद को पानी पिलाया।
शर्मीली,” अब आप कैसा महसूस कर रहे हो ? “
प्रमोद,” अब तो हर साल अच्छी फसल उगानी है। चलो अभी घर चलकर आराम किया जाए पहले, हाँ। “
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