रहस्यमय जंगल | Rahashyamay Jungle | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” रहस्यमय जंगल ” यह एक Rahasyamay Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
रहस्यमय जंगल | Rahashyamay Jungle | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

Rahashyamay Jungle | Hindi Kahaniya| Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

 रहस्यमय जंगल 

एक बार की बात है… सीलमपुर गांव में महेश और उसकी पत्नी विमला रहा करते थे। उनका एक पुत्र भी था। 
उसका नाम था गुड्डू। गुड्डू बचपन से ही होशियार था। उनके घर में एक वफादार कुत्ता, ब्राउनी भी था।
एक दिन जब गुड्डू स्कूल से अपने दोस्तों के साथ घर आ रहा था तभी रास्ते में उसे ब्राउनी दिखा।
गुड्डू,” अरे ब्राउनी ! तू मुझे लेने आया है क्या ? चल मुझे पकड़, देखते हैं कौन जीतता है ? आज तो देखना मैं ही जीतूंगा। 
तू हर बार जीत जाता है। आज मैंने समोसे खाये हैं और अब मैं चीते जैसा दौडूंगा। जो जीतेगा उसे ये बिस्किट मिलेगा। “
दोनों घर की तरफ भागने लगे। ब्राउनी घर पहले पहुँच गया।
गुड्डू,” तू फिर से जीत गया। अरे ! माँ बुला रही है, जल्दी चल। “
ब्राउनी उछलने लगता है।
गुड्डू,” ठीक है, देता हूँ। ये ले। लेकिन हम आधा आधा करेंगे, ठीक है ? “
दोनों ने बिस्किट खाया।
गुड्डू,” अब घर चल। “
ब्राउनी उससे खेलने के लिए कोशिश करने लगा।
गुड्डू,” अरे बाबा ! खाना तो खाने दे फिर खेलूँगा तेरे साथ। पहले हम खाना खाएंगे। समझा..? भूख के मारे मेरी जान जा रही है। अब जल्दी चल, माँ इंतज़ार कर रही होगी। “
गुड्डू जैसे ही अंदर पहुंचा वहाँ चारपाई पर उसने देखा कि उसकी बुआ बैठी है। गुड्डू ने जैसे ही अपनी बुआ को देखा तो चिल्ला कर बोला।
गुड्डू,” बुआ… “
गुड्डू की बुआ,” ले… कितना बड़ा हो गया हमारा बच्चा ? मैंने सुना तू बहुत होशियार हो गया है ? “
गुड्डू,” मैं हमेशा फर्स्ट आता हूँ। “
गुड्डू,” माँ, मुझे बड़ी भूक लगी है, खाना दो ना वरना मैं पतला हो जाऊंगा और हवा में उड़ने लगूंगा। दे दो ना प्लीज़…। “
गुड्डू की बुआ,” भाभी, मुझे भी बड़ी भूख लगी है। पता चले मैं भी उड़ने लगूं। “
गुड्डू के पापा,” अरे ! नहीं बहन, तू हवा में नहीं उड़ेगी, देखना…। “
बुआ,” क्यों ?
गुड्डू के पापा,” क्योंकि उसके लिए तुम्हें पतला होना पड़ेगा और मुझे नहीं लगता कि तुम एक दिन ना खाने से पतली हो जाओगी। “
गुड्डू की बुआ,” भाभी, देखिये ना भैया को। “
गुड्डू की मां,” आप भी ना, अभी आई है वो और आप शुरू हो गए। शांत हो जाइए। “
गुड्डू,” माँ खाना। “
गुड्डू की मां,” आप सब हाथ धो लीजिये, मैं आपके लिए खाना लगाती हूँ। “
सबने खाना खाया। गुड्डू ने जल्दी खाना खत्म किया और खेलने चला गया।
गुड्डू,” मैं चला, माँ। “
गुड्डू की मां,” जल्दी आ जाना। ठीक है ? “
गुड्डू,” आ जाऊंगा। “
दोनों लोग बाहर चले गए। शाम को दोनों घर लौटे।
गुड्डू के पापा,” बेटा गुड्डू, हमें तुमसे कोई जरूरी बात करनी है। गुड्डू, तुम आगे की पढ़ाई बुआ के साथ रहकर करोगे। शहर के अच्छे विद्यालय में जाओगे। “

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गुड्डू,” क्या मैं ब्राउनी को भी लेकर जा सकता हूँ ? “
गुड्डू के पापा,” नहीं बेटा, अगर ब्राउनी भी वहाँ गया तो तुम ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाओगे। 
इसलिए वो यही रहेगा और तुम छुट्टियों में उससे मिलने आना तब तुम्हें दिनभर खेलने से कोई नहीं रोकेगा। “
गुड्डू,” ठीक है। “
रात को गुड्डू ब्राउनी के साथ सोया।
गुड्डू,” मेरे भाई, पापा कह रहे है की मुझे शहर जाना होगा पर मैं तुझे छोड़ के नहीं जाना चाहता और माँ पापा को भी छोड़कर नहीं जाना चाहता। 
लेकिन मैं जब कल चला जाऊंगा तब तू क्या करेगा ? सुन… तू मुझे कॉल कर लेना लेकिन तुझे तो फ़ोन करना भी नहीं आता। 
लेकिन तू माँ को बोल देना, वो तुझसे मेरी बात करा देंगी। तेरा कभी मन करे तो मुझसे मिलने आ जाना, ठीक है। मेरे जाने के बाद तू बाद में कुछ दोस्त बना लेना। 
तू अकेला अकेला बोर हो जायेगा। मैं भी वहाँ नये दोस्त बना लूँगा। लेकिन तुझे पता है… मुझे सबसे ज्यादा तेरी याद आएगी; क्योंकि तू मेरा भाई है ना ? 
अच्छा सुन… तू मुझे याद करेगा ना ? मुझे भूलिओ मत। दोस्त बना सकता है तू, बेस्ट फ्रेंड मत बनइये किसी को। समझा..? “
अगली सुबह…
गुड्डू,” जाने से पहले ब्राउनी, ये ले घंटी। इसे पहनकर रखियो, ठीक है ? “
इसके बाद गुड्डू रोते रोते अगली सुबह बुआ के साथ शहर चला गया।
कार्तिक गुड्डू के गले लगा।
गुड्डू की बुआ,” आज से गुड्डू हमारे साथ ही रहेगा। उसे अपने कमरे में ले जाओ। “
कुछ दिनों बाद गुड्डू का ऐडमिशन कार्तिक के स्कूल में हो गया। दोनों बच्चे मन लगाकर पढ़ने लगे। इसी तरह कई साल बीत गए।
एक दिन…
गुड्डू की मां,” अजी सुनो ना… कितना समय हो गया अपने बेटे से मिले हुए ? आप उससे कहो ना, वो यहाँ आये हमसे मिलने। “
गुड्डू के पापा,” ठीक है, रुको उसे कॉल करता हूँ। “
गुड्डू के पापा,” हैलो ! “
गुड्डू,” हाँ जी पिताजी। “
गुड्डू के पापा,” कैसा है तू ? सुन… तेरी माँ चाहती है कि तू उससे मिलने यहाँ आ जाये। “
गुड्डू,” ठीक है, पिताजी। मैं आज ही कंपनी में छुट्टी के लिए बात करता हूँ। “
गुड्डू के पापा,” ठीक है। “
कुछ दिनों बाद गुड्डू बिना बताए शाम को घर पहुँच गया।
गुड्डू,” माँ…। “
गुड्डू की मां,” गुड्डू, तू… तूने यहाँ आने से पहले बताया भी नहीं कि तू आ रहा है ? बड़ा हो गया मेरा बेटा। “
गुड्डू ने माँ के पैर छुए तब तक पापा भी आ गए और फिर उसने पापा के भी पैर छुए।
गुड्डू के पापा,” बेटा, तूने आने से पहले बताया नहीं, हम तुझे लेने ही आ जाते ? “
गुड्डू,” अगर बता देता तो आप सभी को सरप्राइज़ कैसे करता ? “
गुड्डू की मां,” कितना बड़ा हो गया है मेरा बेटा ? चल हाथ मुँह धो ले, मैं तेरे लिए खाना बनाती हूँ। “
अचानक उनके घर के बाहर से एक बछड़ा जंगल की ओर जा रहा होता है।
आदमी,” अरे ! कोई रोको उसे। अरे ! जाने मत दो, भाई। “
खाना खाते वक्त गुड्डू अपनी माँ से बोला।
गुड्डू,” लगता है यहाँ पर जंगली जानवरों का ज्यादा ही आतंक फैला हुआ है ? तभी तो लोग कितना डर रहे हैं जंगल जाने से ? 
पर जब मैं आया था तो उस तरफ तो कोई जंगल था ही नहीं। तो फिर वो किस जंगल की बात कर रहे हैं ? “
गुड्डू की मां,” नहीं बेटा, वो जानवरों की वजह से नहीं डर रहा बल्कि उस भूतिया जंगल की वजह से डर रहा है। वहां एक राक्षस रहता है। 
वो जंगल सुबह गायब हो जाता है और शाम होते ही वापस अपनी जगह पर आ जाता है। “
गुड्डू,” माँ, ऐसा भी कभी होता है क्या, एक जंगल ही अपनी जगह से गायब हो जाए ? अच्छा… ये बताओ ब्राउनी कहां है एल, तब से दिख नहीं रहा ? “
गुड्डू की मां,” बेटा, वो उस जंगल में चला गया था। हमने बहुत ढूंढा, वो नहीं आया और उसका बहुत इंतज़ार भी किया। “
गुड्डू,” क्या..? आप सभी ने मुझे क्यों नहीं बताया ? “
गुड्डू की मां,” हम सब नहीं चाहते थे कि इन सबका असर तेरी पढ़ाई पर पड़े। इसलिए हमने तुझसे ये बात छुपाई। “
इसके बाद गुड्डू लेट गया और सोचने लगा। उसके दिमाग में कई सवाल चल रहे थे। वो दिमाग में सोचता है कि ये सब चल क्या रहा है ? जंगल कैसे गायब हो सकता है ? “
अगले दिन…
गुड्डू अपने पुराने दोस्तों से मिलने चला जाता है।
गुड्डू चल रहा होता है तभी उसे रास्ते में राजीव मिलता है। “
राजीव,” अरे गुड्डू ! कैसा है मेरे दोस्त..? लगता है तू तो भूल ही गया था कि तेरा एक गांव भी है ? “
गुड्डू,” नहीं यार, बस पहले पढ़ाई और अब ये जॉब। ये सब छोड़ो… रवि और मनु कहां है ? “
राजीव,” चल मैं भी उन्हीं के पास ही जा रहा था। “
दोनों वहाँ पहुंचे।
रवि,” गुड्डू तू..? देखो भाई आज कौन आया है ? बड़ा अच्छा लगा यार तुझे इतने दिनों के बाद देखकर। “
गुड्डू,” हाँ यार, बहुत टाइम हो गया था तुम सब से मिले हुए। अच्छा भाई… ये बताओ, सब लोग जंगल से इतना डरते क्यों हैं ? “
रवि,” अरे भाई ! क्या बताऊँ ? तेरे चले जाने के बाद इस गांव में एक बाबा आया था। वो जंगल में तपस्या कर रहा था। 
कई सालों तक तपस्या करने के बाद उसके ऊपर मिट्टी की परत जम गई और इस गांव के कुछ आदमियों ने नशे में उस बाबा के ऊपर लाठी मार दी और उस लाठी मारने की वजह से बाबा की तपस्या भंग हो गई। 
बाबा को चोट भी आ गई। तब से उस बाबा ने इस जंगल को और इस गांव के लोगों को श्राप दे दिया कि अगर इस गांव का कोई भी इंसान जंगल की तरफ जाएगा तो वो कभी भी वापस नहीं आएगा। 
वो जो लोग वहाँ गए थे वो आज तक वापस नहीं आये और उसके बाद जितने भी लोग जाने अनजाने से गए, वो भी कभी वापस नहीं आए। श्राप कभी खत्म नहीं होगा भई। “
इसके बाद रवि गुड्डू को श्राप कैसे टूटेगा, वो बताता है। 
सुनने के बाद…
गुड्डू,” चलो दोस्तो… मैं घर जाता हूँ। मां भी इंतजार कर रही होगी। “
इसके बाद गुड्डू वहाँ से चला जाता है। घर जाते वक्त वो गांव के उसी रास्ते पर जाता है जहाँ से जंगल शुरू होता है। 
लेकिन उसे जंगल नहीं दिखाई देता इसलिए वो घर लौट आता है और रात होने का इंतजार करता है।
रात होते ही वो बिना किसी को बताए जंगल की तरफ चल पड़ता है। वो जैसे ही जंगल के पास पहुंचता है।
गुड्डू,” यह क्या..? दिन में तो यहाँ कोई जंगल नहीं था। अचानक इतना बड़ा जंगल कैसे आ गया ? “

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पहला भूत,” हा हा हा… देखो तो कौन आया है ? तू यहाँ क्यों आया है, बोल..?
दूसरा भूत,” बस… पिछली बार तुमने पूछा था ना ? इस बार मैं पूछुंगा। “
पहला भूत,” नहीं, मैं पूछुंगा। “
दूसरा भूत,” नहीं, मैं। “
दोनों लड़ने लग जाते हैं। उन दोनों को लड़ता देख गुड्डू चुपचाप आगे बढ़ने लगता है। लेकिन जैसे ही वो आगे बढ़ता है।
पहला भूत,” कहां जा रहा है तू ? बचना चाहता है ? अब हम तुझे भी गायब कर देंगे और तुझे पूरी ज़िन्दगी भर हमारी सेवा करनी पड़ेगी, जैसे कि यहाँ आये बाकी सब हमारी सेवा कर रहे हैं। “
गुड्डू डर जाता है। गुड्डू अचानक बोला।
गुड्डू,” तुम्हें मुझे ले जाने से पहले मेरे मालिक से पूछना पड़ेगा। समझे..? वरना मेरे मालिक तुम सबकी चटनी बनाकर रोटी के साथ खा जाएंगे। लेकिन मैं तुम्हारी उनसे बात करवा सकता हूँ। “
पहला भूत,” करवाओ तो, हम भी तो देखें कौन है तुम्हारा मालिक ? “
गुड्डू अपने फ़ोन में एक ऐप खोलता है और उसमें कुछ टाइप करता है और उस फ़ोन से आवाज आती है।
आवाज,” क्यों याद किया है मुझे ? “
गुड्डू,” मालिक, ये दो छोटे भूत मुझे अपनी सेवा करने के लिए ले जा रहे। मैंने तो कह दिया, मैं बस आपका सेवक हूं। 
तो कहते हैं कि कौन है तेरा मालिक ? तो मैंने आपसे इनकी बात करवाने की सोंची। “
गुड्डू दोबारा कुछ टाइप करता है।
आवाज,” सुनो ओय ! अगर मेरे सेवक को कुछ भी किया तो तुम्हें पुलाव बनाकर खा जाऊंगा। 
तुम जानते नहीं क्या, इस जंगल पर भी अब मेरा राज़ होने वाला है ? बस रजिस्ट्री बाकी बची है। रुको… तुम सबको सबक सीखाता हूँ। “
उसके बाद फ़ोन से बिजली गिरने और डरावनी आवाजें आने लगे। दोनों भूत आपस में बात करने लगे।
पहला भूत,” सुन… लगता है वे हमसे भी ज्यादा शक्तिशाली है। कहीं ऐसा ना हो, इस आदमी के चक्कर में हमें अपनी जान से हाथ धोना पड़े ? “
दूसरा भूत,” दोस्त निकल। जल्दी कर, भाई। ये नई आफत आ गई है जंगल में। “
गुड्डू,” चलो अच्छा हुआ, इन बेवकूफ भूतों से तो छुटकारा मिला। अब मुझे बाबा के पास जाना होगा। “
इसके बाद गुड्डू उस पेड़ के पास गया और बोला।
गुड्डू,” हमें माफ़ कर दो बाबा ! आपके साथ उन लोगों ने जो कुछ भी किया, उसकी सजा बाकी सभी भोले भाले गांव वालों को तो मत दो। मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूँ। “
अचानक बाबा आ गए।
बाबा,” मुझ तक पहुंचना बहुत मुश्किल था। लेकिन तूने अपनी चिंता ना करते हुए, अपने गांव वालों के बारे में सोचा। 
मैं तुम्हारे इस जंगल को श्राप मुक्त कर दूंगा। पहले तुम्हें मेरी पहेली का जवाब देना होगा। “
गुड्डू,” पूछिए बाबा। “
बाबा,” जंगल है पर पेड़ नहीं है। नदी है पर झरना नहीं है। गांव है पर घर नहीं है। बताओ… ऐसा क्या है ? “
गुड्डू थोड़ी देर सोचता है।
गुड्डू,” बाबा, इस पहेली का उत्तर नक्शा है। “
बाबा,” बहुत बढ़िया लड़के, बहुत बढ़िया। लेकिन अभी एक और पहेली। उसके बाद तुम्हें अपने कार्य में सफलता मिलेगी। “
बाबा,” जीवन में सबसे ऊंचा पद किसका है ? लेकिन इस बार तुम्हारे पास समय सीमा होगी। मेरे पांच तक गिरने से पहले तुम्हें उत्तर देना होगा। “
गुड्डू,” मैं ध्यान रखूँगा, बाबा। “
बाबा,” जीवन में सबसे ऊंचा पद किसका है ? “
बहुत सोचने के बाद उसे ध्यान आया।
फ्लैश बैक…
गुड्डू की मां,” बेटा, जिंदगी में हम अपने गुरुका ऋण कभी नहीं उतार सकते। वहीं हमें मार्गदर्शन देते हैं, जिंदगी में सफल बनाते हैं। सबसे उच्चतम पद गुरु का ही होता है। “
गुड्डू,” बाबा, गुरु का पद सर्वोच्च है। “
बाबा,” सही जवाब… तुम सच में एक समझदार लड़के हो। जाओ और अपने गांव वासियों के साथ खुशी से रहो। 
जा… किया तेरे गांव को श्राप से मुक्त, आज के बाद ये जंगल कभी अपनी जगह से गायब नहीं होगा। “
तभी गांव के सब लोग मशाल लेकर जंगल के बाहर खड़े होते हैं और गुड्डू को देखते ही गुड्डू की मां विमला रो पड़ती है।
विमला,” तू वहां क्यों गया था, बेटा ? तुझे कुछ हो जाता तो..? “
गुड्डू,” मां, तू ही बता अगर मैं नहीं जाता तो यह सब ठीक कैसे होता ? कभी ना कभी किसी ना किसी को तो सब ठीक करना ही था ना ? तुझे तो खुश होना चाहिए कि तेरे बेटे ने यह सब हल कर दिया। “
विमला,” हां बेटा, मैं बहुत खुश हूं। “
बूढ़ा आदमी,” लेकिन बेटा, तुमने यह सब किया कैसे ? “
गुड्डू,” ज्यादा कुछ नहीं, मैंने अपनी कंपनी के लिए एक ऐप बनाया था जिसमें हम कुछ भी टाइप करें, तो वो टाइप की हुई चीजें अपने आप आवाज में बदल जाती हैं। हम किसी इंसान की आवाज निकाल सकते हैं। “

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इसके बाद गुड्डू ने इसके बारे में सारी बात गांव वालों को समझाई कि किस तरह उसने गांव को श्राप से मुक्त किया ?
आदमी,” तुम्हारी वजह से बेटा, हम गांव के इस भयानक श्राप से मुक्त हुए। हर बार कोई न कोई वहां चला जाता और अपनी जान से हाथ धो बैठता। लेकिन अब यह हमेशा के लिए खत्म हो गया। “
जैसे ही गुड्डू और सब लोग घर जा रहे होते हैं तभी घंटी बजने की आवाज आई और वहीं कुत्ते की भौंकने की आवाज सुनाई देती है। सब जैसे ही पीछे मुड़ते हैं, ब्राउनी गुड्डू के सामने से दौड़ता हुआ आता है। 
गुड्डू,” ब्राउनी, तू कहां चला गया था ? अरे ! तुझे मेरी याद नहीं आई ? आज के बाद अकेले मत जाइयो। समझा..? 
तेरे लिए ही मैंने उस जंगल में जाने का फैसला किया था, ब्राउनी। अब कभी तुम मुझसे दूर मत जाना। “
वह दोनों एक दूसरे के गले लगते हैं और गुड्डू रोने लगता है। सच में जानवर भी मोह और प्यार के भूखे होते हैं।
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