बंदर की वफादारी | Bandar Ki Bafadari | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बंदर की वफादारी ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Stories, Bedtime Story या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बंदर की वफादारी | Bandar Ki Bafadari | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Bandar Ki Bafadari| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

 बंदर की वफादारी 

गढ़वाली जंगल के पास बसे सीतापुर गांव में रामू अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन रामू जंगल से गुजर रहा था तब उसे एक आवाज सुनाई दी।
बंदर,” बचाओ, अरे ! कोई मेरी मदद करो, भाई बचाओ। “
रामू ने देखा तो वहाँ एक घायल बंदर मदद मांग रहा था।
बंदर,” मेरी मदद करो, नहीं तो मैं मर जाऊंगा। “
रामू,” अरे ! तुम तो अति घायल हो। आखिर तुम्हें हुआ क्या है ? “
बंदर,” मैं खेल रहा था तभी एक शेर ने मुझ पर अचानक हमला कर दिया। मेरी जान बचाते बचाते मेरे माता पिता शेर का शिकार बन गए और मैं बच गया। 
रामू,” तू फिक्र मत कर, मैं तेरा इलाज भी करूँगा और तुझे सहारा भी दूंगा। “
रामू घायल बंदर को उसका इलाज करने के लिए अपने घर पर ले आया।
रामू की पत्नी,” अरे ! आप ये बंदर कहां से उठा ले आये हो ? “
रामू,” ये घायल है। इसे इलाज की जरूरत है। मैं इसे इलाज के लिए यहाँ ले आया हूँ। “
रामू की पत्नी,” नहीं, मैं इसे यहां नहीं रहने दूंगी। हमारा बच्चा अभी छोटा है, ये बंदर उसे मार डालेगा तो ? “
बंदर,” माता, मैं आपके बच्चे को कभी भी हानि नहीं पहुंचाऊंगा। मुझे इलाज की जरूरत है। कृपया मुझे यहाँ रहने दीजिये। मैं आपका एहसानमंद रहूंगा। “
गंगा बंदर को किसी भी सूरत में अपने घर में रखने के लिए तैयार नहीं थी। मगर रामू के बहुत समझाने पर आखिर वो मान गई। 
फिर रामू ने उस बंदर का इलाज शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में वह ठीक हो गया। ठीक होते ही बल्लू बंदर ने रामू से कहा।
बल्लू बंदर,” आपने मेरी जान बचाई है, मैं सारी उम्र आपका एहसानमंद रहूंगा। आप मुझे आज्ञा दीजिये। “
रामू,” नहीं बल्लू, मैं तुझे यहाँ से जाने की आज्ञा नहीं दूंगा; क्योंकि मैं जानता हूँ तेरे माँ बाप अब इस दुनिया में नहीं है। अब तुझे जंगली जानवरों से कौन बचाएगा ? “
गंगा,” इसे जंगली जानवर से बचाने की आपको फिक्र है मगर अपने बेटे को इस बंदर से बचाने की कोई चिंता नहीं। “
रामू,” गंगा, हमने बल्लू की जान बचाई है, ये हमारे मुन्ना को कभी नहीं मारेगा। “
गंगा,” नहीं, मुझे बंदरों पे भरोसा नहीं है। आपको याद है ना, पिछले साल पड़ोस वाले मोहल्ले में पांडे जी के छोटे बेटे को बंदर उठा ले गए थे ? “
रामू,” हाँ, मुझे याद है। “
गंगा,” तब तो आपको ये भी याद होगा कि उन बंदरो ने पांडे जी के बेटे को मार दिया था ? “
बल्लू बंदर,” माता, मुझ पर विश्वास कीजिये। मैं कभी भी आपके परिवार वालों को हानि नहीं पहुंचाऊंगा। “
गंगा इस बार भी बल्लू बंदर को अपने घर में नहीं रखना चाहती थी। तब रामू उसे समझाता है।
रामू,” देखो गंगा, बल्लू अनाथ है, इस वक्त उसे हमारे सहारे की जरूरत है। बल्लू भी हमारे मुन्ना की तरह छोटा ही हैं। विश्वास करो वो हमारे मुन्ना का दोस्त बनके रहेगा। “

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रामू के काफी समझाने के बाद आखिर गंगा बल्लू को अपने घर में रखने के लिए तैयार हो गई। 
कुछ दिन बाद बल्लू ठीक हो गया। अब वो पहले की तरह एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक उछल कूद कर सकता था।
गंगा,” सुनते हो जी… आपके कहने पर मैंने बल्लू बंदर को अपने घर में रखा, मगर अब वो ठीक हो गया है इसलिए आप उसे जंगल में छोड़ दीजिये। “
रामू,” नहीं गंगा, मैं इसे मरने के वास्ते जंगल में नहीं छोड़ सकता। “
गंगा,” आप समझते क्यों नहीं, ये हमारे बेटे को मार डालेगा ? देखो जब तक वह घायल था, मैंने आपके कहने से उसे घर में रखा। मगर अब वो ठीक हो गया है। अब वो यहाँ नहीं रह सकता है। “
रामू,” भाग्यवान, अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं ? “
बल्लू बंदर,” माता, आप ये कह रही हो,
अब मुझे जंगल में लौट जाना चाहिए ? मगर क्या आप मेरी जान बचाने के बाद मुझे मारना चाहोगी ? “
गंगा,” क्या मतलब ? “
बल्लू बंदर,” माता, जंगल में जाते ही मेरा मरना तय है। शेर से बचूंगा तो चीता मार देगा और चीते से बचूंगा तो भेड़िया मार देगा। कोई ना कोई तो मुझे मार ही देगा, माता। “
रामू,” बल्लू ठीक कह रहा है। “
बल्लू बंदर,” माता, अगर आपको मुझ पर विश्वास नहीं है तो मैं सारा दिन बाबूजी के साथ खेत पर रहकर उनका हाथ बटाऊँगा और रात को उस पेड़ पर सो जाऊंगा। मैं आपके बेटे के करीब भी नहीं जाऊंगा। “
रामू,” गंगा, अब तो हाँ कह दो। अरे भाई ! खेत में मुझे इसकी मदद भी मिल जाएगी और हमारे यहाँ इसको सहारा भी मिल जायेगा। “
ना चाहते हुए भी गंगा बल्लू को पनाह देने के लिए तैयार हो गई। 
गंगा,” ठीक है। मगर एक बात याद रखना, मेरे बेटे के करीब कभी मत जाना। “
बल्लू बंदर,” जी माता। “
बल्लू अब दिनभर खेत में रहकर रामू की मदद करता था और रात को पेड़ पर सो जाता था। 
एक दिन सुबह के वक्त बल्लू जब नींद से जागा तो उसने देखा कि दो बंदर उसके पास खड़े थे।
पहला बंदर,” मेरा नाम चुन्नू है। “
दूसरा बंदर,” और मेरा नाम मुन्नू। तुम्हारा नाम क्या है ? “
बल्लू बंदर,” मेरा नाम बल्लू है और मैं यही रहता हूँ। “
मुन्नु,” तब तो बड़ा मज़ा आएगा। अब हम तीनो मिलकर बिस्किट खायेंगे। “
बल्लू,” तीनों मिलकर बिस्किट खायेंगे, मैं कुछ समझा नहीं ? “
मुन्नू,” अरे भाई ! इस घर की जो मालकिन हैं ना, वो रोज़ सुबह अपने बेटे के झूले में बिस्किट रखती है और वो बिस्कुट उठाकर खा जाता है। अब आज से हम तीनो मिलके खाएंगे। “
बल्लू,” खबरदार… आज के बाद अगर तुम दोनों ने मुन्ना का बिस्किट उठाकर खाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। “
मुन्नू,” लो कर लो बात। अरे भाई ! हम तेरे फायदे की बात कर रहे हैं और तू है कि हमें ही धमकी दे रहा है और धमकी देने से पहले तुझे इतनी तो अकल होनी चाहिए कि हम दो है और तू अकेला। “
बल्लू,” मैं गांव में उछल कूद करने वाला मदारी का बंदर नहीं हूँ। जंगल का रहने वाला बंदर हुँ। तुम दोनों को तो मैं यूं चुटकियों से मसल सकता हूँ। समझे..? “
चुन्नू,” मंजूर है तेरी चुनौती, हमें मंजूर है। अब तो तू हमे चुटकियों में मसल के बता या कुछ ही दिनों में हम बिस्किट के साथ तेरे मालकिन के बेटे को भी उठाकर ले जाएंगे। “
यह सुनकर बल्लू गुस्सा हो जाता है।
बल्लू,” जान प्यारी है, तो यहाँ से चले जाओ। गेट आउट…। “
चुन्नू,” जाते हैं, मगर हमारी चुनौती याद रखना। अब हम बिस्किट के साथ बच्चे को भी उठाके ले जाएंगे। “
बल्लू,” अबे चपडगंजू ! अगर तुझमें हिम्मत है तो बिस्किट के साथ बच्चे को भी उठा ले जाना। “
गंगा,” सुना तुमने… बिस्किट के साथ बच्चे को भी उठा ले जाना। “
बल्लू की आधी अधूरी बात सुनकर गंगा को गलतफहमी हो जाती है। वह समझती हैं कि बल्लू ने दूसरे बंदरों के साथ मिलकर उसका बच्चा चुराने का प्लैन किया है। इसलिए गंगा बल्लू को मारने का प्लैन बनाती है।
अगले दिन…
रामू,” बल्लू, जल्दी से नीचे आओ। हमे थोड़ा जल्दी खेत में जाना है। “
गंगा,” रुकिए… खेत में जाने से पहले मेरे बेटे को नाश्ता तो करने दीजिए। “
गंगा,” ये लो बेटे, तुम्हे हलवा पसंद है ना ? आज तुम्हारे लिए मैंने स्पेशल हलवा बनाया है। “
गंगा ने बल्लू को जान से मारने के लिए हलवा में जहर मिला दिया है।
बल्लू,” माता, सच में आपने मेरे लिए हलवा बनाया है ? “
गंगा,” हाँ बेटे, ये लो। “
बल्लू,” अब तो ये हलवा मैं पेट भरके खाऊंगा। “
बल्लू हलवा खाकर रामू के साथ खेत में जाता है। खेत में पहुंचते ही बल्लू की तबियत खराब हो जाती है।
बल्लू को बीमार देखकर रामू उससे वैद्यराज के पास लेके जाता है। वैद्यराज उसका फौरन इलाज करके बल्लू की जान बचा लेते हैं।

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गंगा,” सुनते हो जी..? मैं बाजार जा रही हूँ, मुन्ना का ध्यान रखना। “
रामू,” ठीक है। “
गंगा,” और हाँ… वो बंदर से मेरे बेटे को बचाकर रखना। मुझे उस बन्दर पर ज़रा सा भी विश्वास नहीं है। “
ये बोलकर गंगा बाजार जाती है और बल्लू पेड़ से नीचे आता है।
बल्लू,” बाबूजी, आज खेत में नहीं जाना है क्या ? “
रामू,” गंगा बाजार गयी है, उसके वापस आने के बाद हम खेत में जाएंगे। “
तभी एक गांव वाला आता है।
आदमी,” रामू भैया, रामू भैया… आपके खेत में जानवर घुसके अनाज खा रहे हैं। “
ये सुनकर रामू घबरा जाता है।
रामू,” बल्लू, मुझे इसी वक्त खेत में जाना होगा। गंगा के आने तक तुम मुन्ना का ख्याल रखना। “
बल्लू,” ठीक है, बाबूजी। “
रामू खेत में जाता है और बल्लू पेड़ पर चढ़कर मुन्ना की निगरानी करता है। परंतु कुछ देर बाद एक सांप आता है और मुन्ना के झुले की ओर आगे बढ़ता है। पेड़ पर बैठा बल्लू उस सांप को देखता है।
मगर बल्लू मुन्ना तक पहुंचे इससे पहले सांप मुन्ना तक पहुँच जाता है। मुन्ना की जान खतरे में देखते ही बल्लू पलक झपकते ही साँप को पकड़कर बाहर फेंक देता है और मुन्ना को झूले से निकालकर घर में हिफाजत से रख देता है। 
कुछ देर बाद गंगा घर पर आती है मगर मुन्ना को झूले में ना देखकर वो सोचती है।
गंगा,” हे भगवान ! इस बंदर ने मेरे बेटे को मार दिया तभी तो मेरा बेटा झूले में नहीं है। मैं इसे नहीं छोडूंगी। “
बल्लू गंगा के पास जाकर सांप वाली बात बताने ही वाला होता है, तब अचानक गंगा एक लकड़ी से बल्लू के सिर पर प्रहार कर देती है। 
गंगा,” तुमने मेरे बेटे को मार दिया। मैं तुझे जान से मार दूंगी। ये ले। मेरे बेटे के कातिल, तुझ पर तो मुझे पहले से ही शक था। तुझे तो पहले ही मार देना चाहिए था। “
मुन्ने की रोने की आवाज सुनकर गंगा घर में जाती है और देखती है कि मुन्ना तो जिंदा है। मुन्ना को जिंदा देखकर गंगा खुश हो जाती है। 
दूसरे ही पल उसकी नज़र दूर बैठे सांप पर पड़ती है। तब गंगा को समझने देर नहीं लगती कि जब सांप ने मुन्ना पर हमला किया होगा तब बल्लू ने सांप से बचाने के लिए मुन्ना को हिफाजत से पलंग पर लेटा दिया होगा।
गंगा (रोते हुए),” हाय राम ! ये मुझसे क्या हो गया ? “
तभी रामू घर पर आता।
रामू,” अरे ! ये सब क्या हो गया ? बल्लू को किसने मारा ? “
तब गंगा रोते हुए सारी बात रामू को बताती है।
गंगा,” मेरी एक गलत फैमी की वजह से मैंने मेरे बेटे को बचाने वाले बंदर की जान ले ली है। भगवान ! मुझसे यह क्या हो गया ? “
गंगा को अपने किए पर पछतावा हो रहा था।
थोड़ी देर बाद…
बल्लू,” मुझे मत मारो, मुझे मत मारो। मैं आपके बेटे का दुश्मन नहीं हूँ। मुझे मत मारो। “
बल्लू की आवाज सुनकर दोनों बल्लू को देखते हैं।
गंगा,” देखो… बल्लू जिंदा है। बल्लू जिंदा है, इसे बचा लीजिये। “
रामू,” मैं बल्लू को लेकर अभी हॉस्पिटल जाता हूँ। “
बल्लू,” अस्पताल जाने की कोई जरूरत नहीं है बाबूजी, मैं ठीक हूँ। “
बल्लू को ठीक देखकर दोनों खुश हो जाते है। 
गंगा,” मुझे माफ़ कर दे। तू तो मेरे बेटे का रखवाला है और मैं तुझे ही दुश्मन समझ बैठी। मुझे माफ़ कर दे, बेटे। “
बल्लू,” माँ, तुझे मुझ पर विश्वास नहीं था, ये तो मैं पहले से ही जानता था। तुने मेरे खाने में जहर मिलाया था, ये मैंने अपनी आँखो से ही देखा था “
गंगा,” और फिर भी तूने जहर वाला खाना खा लिया ? “
बल्लू,” हाँ माँ, मैं तेरा दिल नहीं तोड़ना चाहता था। तुम मुझे मारना चाहती थी तो मैंने सोचा जंगल में शेर के हाथों से मरने से अच्छा है कि मैं एक माँ के हाथों से मारा जाऊं। इसलिए मैंने जहर वाला खाना खा लिया था। “
रामू,” अरे ! जब मैं तुझे इलाज के लिए वैद्यराज के पास ले गया था और वैद्यराज ने जो कहा था वो झूठ था ? “
फ्लैशबैक…
वैद्यराज,” बंदर अब खतरे से बाहर है। मगर एक बात आपको बता दूं, इसके खाने में किसी ने जहर मिलाया था। “
रामू,” तो क्या गंगा ने खाने में जहर मिलाया होगा ? “
तब गंगा को बचाने के लिए बल्लू बोला।
बल्लू,” नहीं बाबूजी, आप माता पर शक मत कीजिये। दरअसल जब हम खेत की ओर आ रहे थे, तब गलती से मैंने धतूरा खा लिया था। माँ ने खाने में जहर नहीं मिलाया था। 
बल्लू,” हाँ बाबूजी, उस दिन मैंने झूठ बोला था। उस दिन मैंने कोई धतूरा बतूरा नहीं खाया था। “
रामू,” देखा गंगा, कितना वफादार बंदर है ये। ये जानता था कि तू इसे जहर खिला रही है, फिर भी उसने जहर खा लिया। “

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गंगा,” हाँ, और अपनी जान की परवाह किए बिना इसने मेरे बेटे की जान बचाई। आज से ये बंदर नहीं, मेरा बेटा है। अब से ये यहीं रहेगा हमारे साथ। 
यह सुनकर सब खुश हो जाते हैं। अब बल्लू रामू के साथ गंगा का बेटा बनकर रहता है।
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