भूतिया फ्लैट | Bhutiya Flat | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – भूतिया फ्लैट। यह एक Chudail Ki Kahani है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
भूतिया फ्लैट | Bhutiya Flat | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Bhutiya Flat| Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

 भूतिया फ्लैट 

साल 2000 की बात है… खाली जमीन पर कुछ नए फ्लैट्स बने थे, जिनमें दो ब्लॉक थे और हर ब्लॉक में आठ फ्लैट्स थे, जिनमें शिवम और मिस्टर माथुर अपने अपने परिवारों के साथ रहने आए थे। 
दोनों एक दूसरे को जानते तो नहीं थे, लेकिन एक साथ रहने आए थे तो जल्दी जान पहचान हो गई थी। 
शिवम का फ्लैट A – ब्लॉक में था और मिस्टर माथुर का फ्लैट नंबर 13 B – ब्लॉक में था। 
माथुर,” जगह और घर दोनों बहुत अच्छे हैं। अच्छा हुआ बिना कोई देरी की तुमने यह घर खरीद लिया। “
शिवम,” घर तो लेना ही था, ये सही लगा तो ले लिया। चलो… मैं थोड़ी देर पार्क में घूम कर आता हूँ। “
शिवम पार्क चला जाता है जहाँ उसकी मुलाकात मिस्टर माथुर से होती है।
शिवम,” अरे मिस्टर माथुर ! क्या हाल है आपके और घर में सब कैसे है ? “
माथुर,” सब ठीक है, आप बताइये। “
शिवम,” मैं भी ठीक हूँ। औ… नया घर कैसा लगा ? “
माथुर,” अब नई जगह पर सेटल होने में थोड़ा समय तो लगता ही है। धीरे धीरे सब हो जायेगा। “
शिवम,” ये बात भी सही है। चलिए मैं चलता हूँ, फिर मिलेंगे। “
इसके बाद वो दोनों एक दूसरे को बाय बोलकर अपने अपने घर चले जाते हैं। पार्क से वापस आकर जैसे ही मिस्टर माथुर सबको ड्रॉइंगरूम में बैठा देखते हैं, तो उनके पास जाकर बैठते हैं और बच्चों से बोलते हैं। 
माथुर,” बच्चो, तुम अभी तक यहाँ क्या कर रहे हो ? चलो अपने कमरे में जाकर सो जाओ, कल स्कूल भी जाना है। “
बेटा,” पर पापा आपने अभी तक नहीं बताया कि जब से हम इस नये घर में आए हैं, तब से बस एक दिन अपने कमरे में सोने के बाद से आप दोनों यहाँ ड्राइंग रूम में क्यों सोते हैं ? “
माथुर,” क्योंकि हमें यहीं सोना पसंद है। उस कमरे में हमें नींद नहीं आती। “
माथुर की पत्नी,” अब सब लोग सो जाओ और आप भी आ जाओ, मैं सोने जा रही हूं। “
बच्चे अपने अपने कमरे में चले जाते हैं। जिनके जाने के बाद मिसेस माथुर उदास होकर मिस्टर माथुर से बोलती है। 
मिसेस माथुर,” अपना घर मिल गया, सोचकर बहुत खुश हुई थी। लेकिन क्या पता था कि भगवान को वो खुशी मंजूरी नहीं थी ? ऐसे कब तक बच्चों से झूठ बोलते रहेंगे ? “
मिस्टर माथुर,” अभी नए नए यहाँ आये हैं। इतनी जल्दी घर बेचेंगे तो सब घर खरीदने से पहले हजार सवाल करेंगे। थोड़ा समय रुकते हैं फिर इसे बेचकर यहाँ से चले जाएंगे। “
इसी तरह देखते ही देखते 2 साल बीत जाते हैं, लेकिन मिस्टर माथुर अभी भी उस घर में रह रहे होते हैं। 
शिवम और उसका परिवार बहुत खुश होते है, लेकिन मिस्टर माथुर अब पहले जैसी खुश नहीं रहते। 
वो परेशान और चुपचाप रहने लगते हैं, जिसे देखकर सबको बहुत अजीब लगता है और फिर एक दिन मिस्टर माथुर अपना घर खाली करके वहाँ से जाने लगते हैं।
शिवम,” मिस्टर माथुर, क्या आप घर बेच रहे हैं ? “

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मिस्टर माथुर,” हाँ… बस कहीं दूसरी जगह अच्छा घर मिल गया है इसलिए ये बेचकर वहीं जा रहे हैं। “
इसके बाद मिस्टर माथुर का पूरा परिवार वहाँ से चला जाता है।अगले दिन फ्लैट नंबर 13 का नया मालिक कुछ किरायेदारों के साथ वहाँ आता है और उस फ्लैट को किराये पर चढ़ा देता है। 
कुछ दिनों बाद वो नये किराएदार वहाँ रहने आते हैं। लेकिन एक ही हफ्ते में वो उस फ्लैट को खाली करके चले जाते हैं। 
ये सिलसिला कुछ महीनों तक चलता रहता है जिससे उसका मालिक बहुत परेशान हो जाता है।
मकान मालिक,” अब समझ आया, ये मिस्टर माथुर एक ही बार में डील फिक्स करके मुझे ये फ्लैट बेचकर जल्दी जल्दी यहाँ से क्यों चले गए ? 
यहाँ तो कोई रुकने को भी तैयार नहीं और इस समय इस फ्लैट की अच्छी कीमत भी नहीं मिलेगी जो इसे बेच दूं। क्या करूँ ? “
फ्लैट नंबर 13 का नया मालिक ये सब सोच ही रहा होता है तभी राज़ नाम का एक लड़का अपने तीन दोस्तों (जस्सी, सुशांत और परमीत) के साथ वहाँ आता है।
राज़,” सर, हमें रहने के लिए एक फ्लैट चाहिए। लेकिन हम चार लड़के ही है, कोई परिवार नहीं है। क्या हमें कहीं कोई अच्छा फ्लैट मिल सकता है ? “
राज़ की बात सुनकर फ्लैट का नया मालिक खुश हो जाता है और उन्हें फ्लैट नंबर 13 किराये पर देने के बारे में सोचता है।
मकान मालिक,” फ्लैट तो है। सोसाइटी भी अच्छी है और लोग भी, किराया भी कम देना पड़ेगा। लेकिन एक शर्त है। “
राज़,” कैसी शर्त ? ” 
मकान मालिक,” तुम्हें पूरे 1 साल का डिपॉजिट एडवांस देना होगा और अगर एक साल से पहले घर खाली किया तो भी वो डिपॉजिट वापस नहीं होगा ? 
अकेले लड़कों को कोई सोसाइटी आसानी से रखने को तैयार नहीं होती, मैं तुम लोगों को वहाँ अपनी जिम्मेदारी पर रहने की इजाजत दिलवाऊंगा। इसलिए इतना तो करना पड़ेगा। “
अच्छी सोसाइटी में कम किराये पर चार लड़कों के लिए घर मिलना मुश्किल होने की वजह से राज़ बिना कुछ सोचे समझे हाँ बोल देता है और वो लोग एक साल का डिपॉजिट ऐडवान्स जमा करके फ्लैट नंबर 13 में शिफ्ट हो जाते हैं।
राज़,” दोस्ती बहुत मुश्किल से सिर्फ लड़कों को रहने के लिए ये फ्लैट मिला है। नहीं तो हर जगह परिवार वालों की ही डिमांड थी इसलिए यहाँ कोई बदतमीजी नहीं, शांति से रहना; क्योंकि एक साल का डिपॉजिट भी हो चुका है। “
सभी दोस्त,” जरूर दोस्त। “
वो लोग अपना सामान फ्लैट के कमरों में भर देते हैं और पहले दिन ड्रॉइंगरूम में ही सो जाते है। 
अगले दिन कमरा खाली करके सारे घर का सामान सेट करके रात को जैसे ही कमरे में सोने जाते हैं तो कुछ देर बाद डरते हुए वापस ड्रॉइंगरूम में आ जाते हैं।
जस्सी,” क्या यह मेरा सपना था या सच ? “
राज़,”हमारा वहम ही होगा। “
परमीत,” सबकों एक साथ एक जैसा वहम कैसे हो सकता है ? “
सुशांत,” वहां सच में कोई रो रहा था। रहा था नहीं, रही थी… वहाँ कोई रो रही थी। 
परमीत,” मैं वापस उस कमरे में नहीं जाऊंगा। मैं इस घर में ही नहीं रहूँगा, नहीं रहूंगा। “
सुशांत,” शायद इसलिए उन्होंने इतनी आसानी से हमें ये फ्लैट रहने के लिए दे दिया ? “
जस्सी,” और इसीलिए एक साल का डिपॉजिट भी ले लिया जिससे हम खाली करके बिना जा सकें। “
परमीत,” भाई पैसे तो आ जाएंगे लेकिन जान चली गई तो कहाँ से लाओगे ? कल ही यहाँ से खाली कर देते हैं। “
इस सब के बाद वो सब उस रात ड्राइंग रूम में ही सो जाते है।
अगली सुबह राज़ पार्क में घूमने जाता है। वहाँ उसकी मुलाकात शिवम से होती है। शिवम की अच्छे स्वभाव को देखकर और उसी सोसाइटी का पुराना और जानकार सदस्य समझते हुए राज् उसे सारी बात बताता है जिसे सुनकर शिवम हैरान रह जाता है।
शिवम,” क्या यह सच है ? मिस्टर माथुर ने तो इसके बारे में कभी कोई जिक्र नहीं किया। शायद इसीलिए वॉइस प्लेट को छोड़कर चले गए और इसी वजह से यहाँ आने वाला कुछ ही समय में फ्लैट को छोड़कर चला जाता था। “
राज़,” क्या आपको इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था ? मुझे लगा आपको पता होगा इसलिए मैंने आपको बताया। हम अकेले लड़कों को तो घर मिलना वैसे भी बहुत मुश्किल है। मुझे समझ नहीं आ रहा, हम करें तो आखिर क्या ? “

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शिवम,” तुम फिक्र मत करो। हम मिलकर इसका कोई उपाय सोचते हैं। आज रात मैं तुम्हारे घर रुकूंगा। “
उस रात शिवम, राज़ और उनके दोस्तों के साथ उनके फ्लैट पर रुकता है। वो लोग थोड़ी देर बात करके कमरे में सोने जाते हैं। 
बैड पर लेटने के कुछ देर बाद ही शिवम को बैड के सिराने की तरफ से किसी लड़की के रोने की आवाज सुनाई देती है। 
वो उठकर कमरे में चारों तरफ देखता है, लेकिन वहाँ कोई नहीं होता।
शिवम,” यहां तो सच में कोई गड़बड़ है ? “
सुशांत,” यहां गड़बड़ नहीं, बहुत बड़ी गडबड है। इस घर में भूतनी है। “
शिवम,” क्या इसने तुम लोगो को कोई नुकसान पहुंचाया ? “
सुशांत,” नुकसान तो कोई नहीं पहुंचाया, लेकिन दिन हो या रात, हम इस कमरे में बैठ नहीं सकते। जैसे ही हम बैड पर लेटते हैं तभी रोने की आवाज शुरू हो जाती है। “
शिवम दोबारा उसी तरफ सिर करके लेटता है, जिसके बाद दुबारा उसे किसी की रोने की आवाज सुनाई देती है।
वह ऐसा कई बार करके देखता है, बार-बार उसे वही रोने की आवाज सुनाई देती है। लेकिन पता करने पर वहां कुछ नहीं मिलता। 
शिवम,” लगता है ये भूत हिंसक नहीं है इसलिए मेरे बार बार परेशान करने पर भी इसने मुझ पर हमला नहीं किया। “
सुशांत,” हिंसक हो या नहीं, हमें इससे परेशानी तो हो ही रही है। “
शिवम,” चलो आज फिर ड्राइंग रूम में ही सोते है। आज इसका इसका इलाज ढूंढते हैं। “
अगली सुबह शिवम फ्लैट बनाने वाले बिल्डर के पास जाता है और उसे सारी बात बताता है जिसे सुनकर बिल्डर शिवम से माफी मांगते हुए उसी फ्लैट नंबर 13 का सच बताता है। 
बिल्डर,” जब मैं वहां फ्लैट बना रहा था उस वक्त एक छोटी लड़की अपनी मम्मी के साथ कॉन्स्ट्रक्शन साइड पर काम करने आती थी। 
एक दिन जब हम फ्लैट नंबर 13 के मास्टर बेडरूम में काम कर रहे थे, तभी ना जाने कैसे उसके नीचे दबकर उसकी लड़की की मृत्यु हो गई ? 
उस समय ऐसा कुछ नहीं लगा इसलिए कुछ दिनों बाद फिर काम शुरू हो गया। शायद उस लड़की की आत्मा है जो रोती है ? “
बिल्डर की बात सुनकर शिवम फ्लैट नंबर 13 में वापस आता है और बेडरूम में जाकर बोलने लगता है।
शिवम,” बच्चे ! मुझे तुम्हारे बारे में जानकर बहुत बुरा लगा। लेकिन क्या तुम इस फ्लैट को छोड़कर जा सकती हो ? “
शिवम की ये बोलते ही रोने की आवाज तेज होने लगती है।
शिवम,” अच्छा अच्छा ठीक है, रोना बंद करो। हम आराम से बात करते हैं। “
अपनी हर बात के बाद रोने की आवाज शांत होती है और शिवम दुबारा बच्ची के भूत से पूछता है कि क्या वो इस घर को छोड़कर कहीं और जाएगी या नहीं ? 
इस पर भूतनी खून से दीवार पर ‘नहीं’ लिख देती है जिसे देखकर राज़ बहुत घबरा जाता है। 
शिवम,”नहीं, ये तो यहाँ से जाने को भी तैयार नहीं है। हम क्या करेंगे ? “
शिवम,” क्या तुम इन लोगों को कुछ नुकसान पहुंचाओगी ? क्या वो लोग जब यहाँ सोने आएँगे, तो तुम रोना बंद कर सकती हो ? “
बार बार एक ही ‘नहीं’ की जवाब से शिवम उलझन में पड़ जाता है। उसे समझ नहीं आता कि वो क्या करे, क्या नहीं ? कुछ देर सोचने के बाद उसके दिमाग में एक योजना आती है और वो राज़ से बोलता है।
शिवम,” ये तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी। अगर तुम लोग इसके साथ ही इस फ्लैट में रह सकते हो तो मेरे पास एक आइडिया है। अगर नहीं… तो कोई दूसरा घर ढूंढ लो। “
राज़,” अगर ये हमें नुकसान नहीं पहुंचाएगी तो ठीक है। हम यहाँ रहने के लिए तैयार है। और हम सोयेंगे कहाँ ? “
शिवम,” दूसरे कमरे का सामान इस कमरे में भरकर इसे स्टोर रूम बना दो और तुम सब दूसरे कमरे का इस्तेमाल करो। दोबारा इस कमरे में तभी आना जब बहुत जरूरी हो, नहीं तो इसे हमेशा बंद ही रखना। “
शिवम की बात पर सोच विचार करके चारों दोस्त उसी फ्लैट में रुकने का फैसला करते हैं। जिसके बाद वो बेडरूम को स्टोर रूम बना देते हैं और सुकून से घर में रहने लगते हैं। 

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धीरे धीरे वो लोग उस भूत को भी घर का हिस्सा बना लेते है। वो सब अपने हर खुशी में उसके लिए कमरे में खाना रखने लगते हैं और उससे बातें करने लगते हैं जिसका जवाब बच्ची का भूत दीवार पर लिख कर देती है। 
इस तरह धीरे धीरे हर रात बच्ची के रोने की आवाजें भी कम होने लगती है और वो सब मिलकर उसी फ्लैट में रहने लगते हैं।
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