हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बुद्धिमान राजा ” यह एक Bedtime Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Budhhiman Raja| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales
बुद्धिमान राजा
एक राज्य था जिसका नाम जूनागढ़ था। राज्य में सभी लोग बहुत ही अच्छे थे।
जूनागढ़ के राजा भैरव सिंह अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे। मगर भैरव सिंह राज्य में हो रही चोरी से बहुत परेशान थे।
इस राज्य में सीनू और मीनू नाम के दो चोर घुस आए थे। यह दोनों जिस नगर में जाते वहां कई महीनों तक रहते और चोरी करते।
दिन में यह दोनों इधर-उधर घूमते और रात में दोनों चोरी करते।
सीनू,” क्यों ना राज महल में चोरी की जाए ? सुना है महल में बहुत सोना चांदी भरा पड़ा है। “
मीनू,” महल में..?? वहां तो बहुत सिपाही होते हैं। पकड़ लेंगे तो उठाकर काल कोठरी में डाल देंगे। समझे..?? “
सीनू,” अरे ! इतना क्यों डर रहा है ? एक बार चलकर देख लेते हैं, क्या होता है ? क्या पता कुछ अच्छा हाथ लग जाए ? जीवन सफल हो जाएगा। “
मीनू,”महल में अगर किसी ने पकड़ लिया तो..?? ना ना… नहीं यार तुम ही जाओ। मैं ना पड़ता इन चक्करों में। “
यह सुनकर सीनू मीनू को खींचकर जबरदस्ती राजमहल ले आया।
सीनू,” तुमको चलना है या नहीं..?? मगर ध्यान रखना जो भी मिलेगा वह मेरा होगा हां..। “
मीनू,” लेकिन राज महल में चोरी कैसे की जाए हां ? यहां सुरक्षा में पहरेदार 24 घंटे तैनात रहते हैं। “
सीनू के दिमाग में एक विचार आया।
सीनू,” जाओ और एक लंबी रस्सी, एक बड़ी – सी चादर, लोहे की कीलें और हथौड़ी लेकर आओ। जाओ…। “
मीनू,” मगर इनसे तुम करने क्या वाले हो ? “
सीनू,” अरे ! लेकर चलो महल की तरफ वही बताऊंगा तुमको क्या करना है ? चलो…। लाओ चादर इधर दो। मैं बताऊंगा कि कैसे और क्या करना है ? “
मीनू,” ठीक है बता भाई। “
सीनू,” तुम इन कीलों को दोनों दीवारों के सहारे चादर के चारों कोनों पर गाढ़ दो जिससे हम उछलकर दीवार के ऊपर जा सकेंगे। “
मीनू,” ठीक है लेकिन जो भी करना है होशियारी से करना है। सुना है… राज महल के सिपाही बहुत ज्यादा तेज है। देख लिया ना तो कहीं का ना छोड़ेंगे। “
सीनू,” देखो… जो कहा है वह करो। सोना चाहिए कि नहीं ? “
मीनू,” कर तो रहा हूं वरना यहां क्यों आता, मरने के लिए ? “
सीनू,” हम इस चादर की मदद से ऊपर पहुंच जाएंगे और फिर महल के अंदर। “
दोनों ने काफी कोशिश की लेकिन वे उछलते और धड़ाम से नीचे आ जाते। ऐसा करते करते दोनों की कमर दर्द करने लगी थी।
मीनू,” भाई, मेरे से नहीं होता बार-बार ऐसे उछलना। मेरी कमर… हाय सीनू ! तो क्या मेरी भी लगी ना कमर में मगर मुझे तो सोना चांदी दिख रहा है। “
मीनू,” कुछ और ही सोचना पड़ेगा। ऐसे काम नहीं चलेगा। इस तरह से तो हम नहीं चल पाएंगे। “
सीनू,” एक काम करो… इन कीलों को निकालो। इन्हें दीवारों पर गाढ़कर ही ऊपर चढ़ सकते हैं। ”
मीनू,” बुद्धू हो क्या..?? इन कीलों को दीवार में गाढ़ते हुए इतनी आवाज होगी कि सारा राज महल जाग जाएगा। काहे के चोर हो यार तुम ? “
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सीनू,” महल के ऊपर जो घड़ी लगी है वह समय बताने के लिए हर घंटे बजती है।
इस घंटे की आवाज में हथौड़े की आवाज दब जाएगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा। “
घड़ी की घंटे वाली आवाज होना शुरू हो गई।
उन कीलों के सहारे वे दोनों महल में घुस गए।
सीनू,” तुम उधर देखो मैं इधर देखता हूं। “
मीनू,” ठीक है। गुम मत हो जाना। मुझे यह महल भूल भुलैया लग रहा है। “
सीनू,” ठीक है, ठीक है। जाओ और देखो… और कुछ भी अजीब लगे तो कोयल की आवाज में सावधान कर देना।
अच्छा रुक तू मत बोलना कुछ भी, तेरी आवाज तो कौए की ही निकलेगी। और बड़ी किसी मुसीबत में फंस जायेंगे। “
मीनू,” कुछ भी बोले जा रहे हो तुम। “
सीनू,” मेरे साथ ही चल यार कहीं गुम हो गए तो लेने के देने ना पड़ जायेंगे। “
दोनों महल के एक एक कोने में देखने लगे और थोड़ी देर बाद एक बक्सा जो कि कमरे में रखा हुआ था, उसे लेकर दोनों रफूचक्कर हो गए।
अगले दिन जब भैरव सिंह को चोरी का पता चला तो उसे यह जानकर बड़ी हैरानी हुई।
राजा,” इतनी सुरक्षा होने के बावजूद भी कैसे कोई राज महल से चोरी करने में कामयाब हो गया ? “
रानी,” आप तो बड़ी-बड़ी डींगे मारते रहते थे कि हमारे महल में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। आपकी नाक के नीचे से आपका कीमती सामान चोरी हो गया। “
महाराज को गुस्सा आया। चोरी की चिंता दोनों को सताने लगी; क्योंकि उस बक्से में सोना, चांदी और जेवरात से ज्यादा कीमती चीजें थी। राजा ने नगर में सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया।
राजा,” कोई भी व्यक्ति रात में घूमता नजर आए तो चोर समझकर गिरफ्तार कर लिया जाए। “
उधर दूसरी ओर दोनों चोर बक्से को लेकर महल के बाहर सीधा जंगल में चले गए। वहां उस बक्से को खोला तो उसमें एक कोट दिखा जिसे देखकर वह दोनों उदास हो गए।
सीनू,” हे ! भगवान मैंने तो सोचा कि आज बहुत बड़ी चीज मिली है जिससे मेरी सात पुस्तें बैठकर खा सकती हैं लेकिन यह तो मामूली सा कोट निकला। अब मैं इसका क्या करूं ? “
मीनू,” हा हा हा… क्या हुआ ? यह हाथ लगा तेरे इतनी मेहनत के बाद, हा हा हा…। “
सीनू,” कोई नहीं, जो हाथ लगा वही सही मगर यह भी देखने में कीमती लग रहा है। “
सीनू ने वो कोट निकालकर पहन लिया और अचानक गायब हो गया।
मीनू को यह देखकर बहुत अचंभा हुआ और वह डर गया।
नीलू,” सीनू, सीनू कहां… कहां है तू ? “
सीनू को मीनू की बात सुनकर हंसी आई।
सीनू,” क्या..? क्या कह रहा है तू ? तेरे सामने ही तो खड़ा हूं। “
मीनू,” नहीं सीनू, सामने कहां है तू ? दिख नहीं रहा। आज मुझे डर सा लग रहा है यार। “
सीनू,” सच में यह कोई मामूली कोट नहीं, इसमें जादू है। मैं इस कोट की मदद से गायब हो सकता हूं और कुछ भी कर सकता हूं। “
दोनों नगर में गए और कोट की मदद से लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया।
मीनू,” अब देखना इस सुनार को कैसे चूना लगाता हूं हां। “
सीनू,” सही बोल रहा है भाई, यह लोगों को बहुत लूटता है आज इसकी बारी है। “
सुनार (सेठ),” लीजिए बहन जी, ऐसे खरे सोने से बने आभूषण आपको पूरे जूनागढ़ में नहीं मिलेंगे हां। एक बार आभूषण लेकर जाओगे तो हमेशा मेरे ही गुण गाओगे हां। “
मीनू गायब होकर सेठ के कान में उंगली करता है।
सेठ,” अबे हट, हट कौन है ? “
औरत,” क्या हुआ जौहरी जी..?? “
सेठ,” अरे ! कुछ नहीं, कुछ नहीं… कान में कुछ चला गया था। आप आभूषण पसंद कीजिए। “
मीनू दोबारा से उसकी कनपटी पर थप्पड़ लगाता है।
सेठ,” कौन है यहां ? किसने मारा मुझे ? सामने आओ। “
औरत,” अरे ! जौहरी जी क्या हुआ ? आज आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही। आप आराम करिए, हम लोग कल आते हैं। “
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सेठ,” नहीं नहीं, ऐसा लगा किसी ने मुझे जोर से थप्पड़ मारा हो। रुकिए… आप आभूषण तो लेते जाइए। ”
सेठ (गुस्से से),” मेरे ग्राहक भाग गए। ”
मीनू,” हां हां, आज तो शेर को सवा शेर मिल ही गया। “
इसके बाद मीनू कुछ आभूषण लेकर वहां से निकलता है। उड़ते हुए गहनों को देखकर सुनार को डर लगता है और वह चिल्लाने लगता है।
सुनार,” अरे ! बचाओ, बचाओ… यह क्या हो रहा है ? भूत, भूत… बचाओ। ”
सेठ वहीं बेहोश हो जाता है। अगले दिन राजा के पास एक किसान आया।
किसान,” महाराज, मैं आपकी नगरी का रहने वाला हूं। मैं बहुत मेहनत से अपने खेत में अनाज उगाता हूं। “
राजा,” तुम्हें क्या समस्या है यह बताओ..?? “
किसान,” महाराज, मुझे नगर में हो रही चोरी पर आपसे बात करनी है। “
राजा,” क्या चोरी हुआ है तुम्हारा..? “
किसान,” मेरी बकरी चोरी हो गई है। “
राजा,” क्या..?? बकरी चोरी हुई ? “
राजा के दरबार में जितने भी लोग थे सब उस किसान पर जोर जोर से हंसने लगे। किसान ने देखा कि सब उस पर हंस रहे हैं, उसे बहुत तेज गुस्सा आया।
किसान,” महाराज, आप यहां के कर्ता धर्ता है। आपको ही मेरी बात को सुनना और समझना चाहिए। मगर आपके दरबार में मेरी बात पर हंसी उड़ाई जा रही है। “
किसान को गुस्से में देख राजा और मंत्री ने उसे शांत होने को कहा।
मंत्री,” तुम इतने गुस्से में क्यों हो ? एक बकरी ही तो है आ जाएगी। “
राजा,” मंत्री, यह क्या सुनने को मिल रहा है ? नगर में चोर है मुझे कोई खबर ही नहीं है। ऐसा क्यों..?? “
मंत्री,” महाराज, मुझे थोड़ा सा सुनने को मिला था। मुझे लगा कोई ऐसे ही मजाक कर रहा है। “
राजा,” अब जाओ और पता लगाओ कि आखिर यह कौन कर रहा है और नगर में अब तक कितनी चोरियां हो चुकी है ? “
मंत्री,” जैसा आपका हुकुम महाराज। “
मंत्री ने नगर में जाकर छानबीन की।
नगर में…
आदमी (मंत्री से),” चोर इतनी सफाई से चोरी करता है कि किसी की भी पकड़ में नहीं आता। सभी का मानना है कि वह किसी की आंख से काजल चोरी कर लेगा फिर भी उसे भनक नहीं लगेगी। “
मंत्री ने सारा हाल महाराज को बताया। महाराज अपनी आपबीती किसको सुनाऐं; क्योंकि उनके महल में खुद चोरों ने चोरी की है।
राजा,” मंत्री जी, कोट की मदद से चोर चोरी कर पा रहा है और किसी को पता नहीं चल पाता है। चोर को पकड़ने के लिए मेरे पास एक योजना है। अपने 4 पहलवानों को बुलाओ। “
मंत्री जाकर चारों पहलवानों को लेकर दरबार में आता है।
राजा,” सुनो… आप लोग मेरे खास लोगों में से हो। मैं आप लोगों से ही बोल सकता हूं। “
पहलवान,” महाराज, हमें यहां बुलाने का क्या कारण है ? आज्ञा दें। वैसे भी बहुत दिनों से किसी को पीटा नहीं है। आज हाथ थोड़ा साफ हो जाएगा। “
राजा,” नहीं नहीं, किसी को मारना नहीं है। मैं हिंसा के विरोध में हूं। बस आप लोगों के भरोसे मैं चोर को पकड़ना चाहता हूं। “
राजा ने सबको योजना समझाई और फिर सबको रात में महल में रुकने को कहा।
राजा,” आज आप सभी लोग यहां रुक जाएं और आराम योजना के अनुसार रात को ही आप लोगों को यह काम करना है। “
मंत्री,” ठीक है। मैं इन सब के रहने का इंतजाम करता हूं। “
राजा,” ठीक है जाओ। “
गांव में शोर हो गया कि राजा ने कुछ पहलवानों को महल में रखा है। राजा ने कुछ कीमती चीजों की रखवाली के लिए उनको बुलाया है। एक चौपार में बैठकर गांव के लोग यही बात कर रहे थे।
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गांव में…
आदमी,” पता नहीं राजा ने महल में पहलवानों को को क्यों बुलाया है ? “
दूसरा आदमी,” क्या फायदा..?? चोर पिछली बार की तरह चोरी कर ही लेगा। “
तीसरा आदमी,” और नहीं तो क्या..? पिछली बार भी इतनी कड़ी पहरेदारी करवाई थी फिर भी चोरी हो गई थी। “
बूढ़ा व्यक्ति,” ऐसा नहीं है बच्चों, मैंने भी इसी गांव में अपनी उम्र बिता दी। राजा अपनी रक्षा करना जानता है। समझे..?? “
सीनू यह सब सुन रहा था।
सीनू,” राजा ने अब ऐसा कीमती क्या अपने महल में रखा है जो मुझे नहीं पता ? मैंने तो आखरी बार सब देख लिया था। “
मीनू,” अरे ! तुझे क्या मुश्किल है ? तेरे हाथ तो जादुई कोट लगा है। अब तू कुछ भी कर, किसी को क्या पता लगेगा ? “
सीनू,” अब यह बात मेरे स्वाभिमान की है। आज जाऊंगा और राजा का यह घमंड भी तोड़ दूंगा। “
राजा ने पूरे महल में अंधेरा करवा दिया था; क्योंकि राजा को पता था कि चोर क्या सोचकर आएगा और उसे कैसे पकड़ सकते हैं।
राजा (सिपाहियों से),” सब लोग जाकर अपना अपना एक कोना पकड़ लो। आज वह चोर यहां से जाना नहीं चाहिए। “
सैनिक,” ठीक है महाराज। मगर इस अंधेरे में हम कैसे पकड़ेंगे उसे ? हमें तो कुछ नजर भी नहीं आ रहा है। “
राजा,” वो सब तो तुम लोग मुझ पर छोड़ दो और जाकर अपनी जगह पर खड़े हो जाओ।
सीनू और मीनू उस कमरे में आए। मगर बहुत अंधेरा होने से उन्हें कुछ सही से नहीं दिख रहा था।
सीनू,” भाई, तुमको कुछ दिख रहा है क्या..?? “
मीनू,” नहीं बड़े भैया, इस अंधेरे कमरे में क्या कोई कीमती चीज होगी ? हम दोनों को भी किसी और को निकालने के लिए आना पड़ेगा। डर सा लग रहा है। “
सीनू,” एक काम कर, गाना गाते हुए चलते हैं। दोनों को डर नहीं लगेगा। “
मीनू,” क्यों..? आपको भी डर लग रहा है क्या ? इतने बड़े होकर डर रहे हो। “
सीनू,” एक रास्ता ओहो ओहो, दो राही आहा आहा। एक चोर ओहो ओहो एक सिपाही आहा आहा।। “
मीनू,” आप तो कोट पहनकर आए हो। आपको तो कोई देखेगा नहीं। मगर इस गाने से मैं तो पकड़ा जाऊंगा ना। “
सीनू,” चुपचाप चल, कुछ नहीं होगा। अरे पगले ! मैं हूं ना। “
मीनू,” तुम हो तभी तो डर लग रहा है। मुझे तो यहां आना ही नहीं चाहिए था। ज्यादा लालच अच्छा नहीं है। “
दोनों डरते हुए गाना गाने लगे; क्योंकि अंधेरे से दोनों को डर लग रहा था। अब सब लोग उसे पकड़ने की राह देखने लगे।
मगर जैसे ही राजा ने चांद की रोशनी को शीशे की मदद से कोट पर मारा तो कोट से भी रोशनी निकलने लगी जिससे राजा को पता चल गया।
तभी राजा ने चोरों को पकड़ने का आदेश दिया।
राजा,” पकड़ो पकड़ो… यह चोर ही है और यह मेरा कोट पहनकर ही आया है। ”
पहलवान,” क्या कहा..?? अरे ! सभी लोग इसके पीछे जाओ। यह रोशनी कोट से आ रही है। “
पहलवानों ने उस रोशनी के चलते हुए सीनू को पकड़ लिया।
पहलवान,” मैंने पकड़ लिया है। “
राजा,” इसका मुंह तो देखो जरा, कौन है जिसने हमारे महल में घुसने की कोशिश की ? “
महारानी,” देखो कौन है नामुराद जिसकी इतनी हिम्मत हुई ऐसा करने की ? “
राजा रानी और बाकी सब सीनू को देखकर काफी नाराज हुए। इसने ऐसा क्यों किया ?
सीनू को पकड़े जाने पर अपने ऊपर बहुत पछतावा हुआ फिर उसने राजा से माफी मांगी।
सीनू,” महाराज, मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। “
राजा,” नहीं, हर गलती की एक सजा होती है। तुमको भी तुम्हारी गलती की सजा मिलेगी। “
सीनू,” मैं हर गलती की सजा चुका दूंगा। मगर मुझे इतना बता दो, आपको कैसे पता चला कि कोट मैं पहनकर आया हूं। “
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राजा,” मेरा वह कोट जादुई है। यह तो तुम्हें पता चल ही गया होगा। मगर मुझे यह कोट मेरे पिताजी से और मेरे पिताजी को यह एक जादूगर से मिला था। “
महारानी,” यह कोई मामूली कोट नहीं था और कोई गलत इस्तेमाल ना करे इसलिए हमने इसे तहखाने में रखा था।
तुमने वहां से इसको भी चुरा लिया और इसका गलत इस्तेमाल किया। “
राजा,” जब भी इसका कोई गलत इस्तेमाल करता है और उसके ऊपर अगर चांद की रोशनी पड़ जाए तो इसके अंदर एक अजीब सी रोशनी उठ पढ़ती थी और इसी वजह से तुम पकड़े गए। “
सीनू को अपनी करनी पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी। फिर राजा ने उन दोनों को सब नगरवासियों के खेत जोतने और सींचने की सजा सुनाई।
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