हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” रहस्यमय खजाना ” यह एक Hindi Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Rahasamay Khajana | Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
रहस्यमय खजाना
राजू और चेतन दो पक्के दोस्त थे और एक साथ ही पढ़ते थे।कॉलेज की परीक्षा पास आने के कारण वह अपनी पढ़ाई जोरों शोरों से कर रहे थे।
वे दोनों किराए पर एक ही कमरे में रहते थे और मकान मालिक हर रोज उनसे किराया मांगता रहता था। मगर उनके पास किराया देने के पैसे नहीं थे।
मकान मालिक,” तुम दोनों ने अभी तक कमरे का किराया नहीं चुकाया है ? “
राजू,’ हमारे पास अभी पैसे नहीं है। जब हमारे पास पैसे आ जाएंगे तो हम आपका किराया दे देंगे। “
मकान मालिक,” नहीं नहीं, मुझे आज ही और इसी वक्त किराया चाहिए। “
चेतन,” हमारे पिताजी ने अभी तक पैसे नहीं भेजे है। इसलिए हम किराया नहीं दे सकते। “
मकान मालिक,” अगर किराया नहीं दे सकते तो कल सुबह इस कमरे को खाली कर देना और यहां से रफूचक्कर हो जाना। “
राजू,” चेतन… जो मेरे पास बहन के इलाज के लिए 50 हजार रुपए है, क्या उनमें से इन्हें दे दूं ? “
चेतन,” 50 हजार..?? “
राजू,” उसमें 2 हजार कम है वही इनको दे दे। मेरी बहन का क्या ? उसका इलाज फिर कभी हो जाएगा। तब तक वह जिंदगी और मौत से लड़ती रहेगी। लेकिन उससे इन्हें क्या ? “
मकान मालिक को राजू की दुख भरी बातें सुनकर दया आ जाती है और वह कहता है,” यह लो 2 हजार और अपनी बहन का इलाज कराओ। मैं इतना की निर्दयी नहीं हूं कि तुम्हारी बहन का दर्द भी ना समझ सकूं।
मकान का किराया फिर कभी दे देना। तुम्हारी बहन पहले की तरह स्वस्थ जरूर हो जाएगी, भरोसा रखो। “
चेतन,” अरे चाचा जी ! मुझे कुछ नहीं… मैं तो बस यह सोच रहा था कि इसकी बहन पैदा कब हुई ? मुझे पता कैसे नहीं चला ? “
मकान मालिक,” क्या..?? तेरी कोई बहन नहीं। तुम दोनों मिलकर मुझे बेवकूफ बना रहे हो। चलो निकल यहां से… अपना बोरिया बिस्तर उठाओ और जाओ यहां से। “
मकान मालिक दोनों के कपड़े और जरूरत का सामान घर से बाहर निकाल कर फेंक देता है और उन्हें जाने को कहता है।
वे दोनों अपना-अपना सामान उठाकर जंगल की तरफ भटकते भटकते पहुंचते हैं। वहां एक बंदर राजू की टोपी छीन कर पेड़ पर चढ़ जाता है।
राजू,” अरे बंदर ! यह टोपी मुझे दे दे। वैसे भी मेरे पास केवल यही एक टोपी है जो मुझे पसंद है। दे दे… “
चेतन,” एक काम कर, तू उसे पत्थर फेंक कर मार फिर यह बदले मैं तुझे टोपी फेंक कर मारेगा।
राजू ठीक ऐसा ही करता है। वह पास ही पड़े पत्थरों को उठाता है और बंदर पर फेंकता है। लेकिन बंदर टोपी के बजाय पेड़ पर लगे आमों को तोड़कर राजू के ऊपर फेंकने लगता है। जब आम खत्म हो जाते हैं तो वह डाली में फंसे नक्शे को फेक कर मारता है।
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चेतन,” सच ही कहा है किसी ने, जमाना पूरी तरह बदल चुका है। तभी तो बंदर हाथ में लिए सामान की बजाय आम तोड़कर मार रहा है और यह नक्शा कैसा है ? जरा देख तो इसे…। “
राजू,” अरे ! यह तो मुझे किसी खजाने का नक्शा लगता है। “
चेतन,” क्या खजाने का नक्शा ? यह तो बहुत अच्छा हुआ। अभी अभी किराए के मकान से निकले और अब खजाने का नक्शा मिल गया। “
राजू और चेतन नक्शे को उठाकर नक्शे के मुताबिक बताई दिशा में आगे बढ़ने लगते हैं। जैसे ही वह थोड़ा आगे बढ़ते हैं, पेड़ बंदर पीछे से उसकी टोपी को भी फेंक देता है।
राजू टोपी को उठाकर पहनता है और फिर दोनों नक्शे की दिशा में बढ़ते हुए एक गुफा के पास पहुंचते हैं।
राजू,” नक्शे के अनुसार तो यही गुफा है। “
चेतन,” अन्दर चलकर देखते हैं कि यह रास्ता कहां तक जाता है ? “
तभी गुफा में से आवाज आती है,” तुम्हें अगर मेरे अंदर आना है तो सबसे पहले एक काम करना होगा। “
राजू,” काम, कैसा काम ? “
आवाज,” इस गुफा पर एक ताला लगा हुआ है और इस ताले की चाबी इसी जंगल के एक तालाब में है। वह तालाब कोई मामूली तालाब नहीं है बल्कि उसमें कई सारे मगरमच्छ हैं जो बहुत भूखे हैं।
और सूर्योदय होने से पहले तुम्हें इस काम को अंजाम देना होगा, नहीं तो तुम हमेशा हमेशा के लिए उसी तालाब में कैद हो जाओगे। “
दोनों सोच में पड़ जाते हैं कि क्या करना चाहिए ? उसके बाद दोनों उस तालाब की ओर आगे बढ़ते हैं। जैसे ही वह दोनों तालाब पर पहुंचते हैं तो उन्हें तालाब में कई सारे मगरमच्छ तैरते हुए दिखाई देते हैं।
राजू ,” अरे ! यह तालाब तो पूरी तरह मगरमच्छों से भरा हुआ है। अगर थोड़ी सी भी गलती हुई तो यह मगरमच्छ हमें देखते ही खा जाएंगे। “
चेतन,” लेकिन हमें खजाने तक पहुंचने के लिए इस पड़ाव को तो पार करना ही होगा। मेरे पास एक उपाय है… हम दोनों तालाब के दोनों सिरों से चाबी ढूंढने के लिए जाएंगे।
जैसे ही पहला तालाब में घुसेगा, सारे मगरमच्छ उसी की ओर जाने लगेंगे और पीछे की ओर से दूसरा तालाब से चाबी निकाल लेगा। “
राजू,” यह काम मैं कर लूंगा। “
चेतन,” तू क्यों ? मैं करूंगा। “
राजू,” क्योंकि मैं तुमसे बड़ा हूं। “
चेतन,” इसमें बड़े और छोटे की क्या बात है ? मैं ही आगे से जाऊंगा और तुम पीछे से चाबी निकाल लेना। “
इसके बाद राजू और चेतन दोनों अपनी जान की बाजी लगाने को तैयार हो जाते हैं।
चेतन के काफी जिद करने पर भी राजू नहीं मानता और वह सबसे पहले तालाब में कूद जाता है। तालाब में कुत्ते ही सारे मगरमच्छ एक सुनहरे कमल के फूल में बदल जाते हैं।
चेतन,” यह क्या ? तालाब के सारे मगरमच्छ कहां गए ? यह सारे तो कमल का फूल बन गए। “
तभी तालाब के बीचो बीच एक तेज रोशनी होती है और उसमें से एक देवी प्रकट होती है।
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राजू,” यह देवी कौन है ? “
चेतन,” कुछ समझ नहीं आ रहा… मगरमच्छ कमल का फूल बन गए और तालाब में से देवी प्रकट हो रही है। आखिर यह सब हो क्या रहा है ?
राजू और चेतन की दुविधा देखकर देवी बोलती है,” मैं इस तालाब की देवी हूं और इस तालाब की रक्षा करती हूं। मैं ही मगरमच्छ बनकर तालाब की रक्षा कर रही थी।
मगर तुम्हारे मन की सच्चाई और एक दूसरे के लिए अपार प्रेम देखकर तुम्हारे सारे रास्ते खोल दिए। अब तुम्हें कोई विपत्ति नहीं आएगी। तुम आसानी से इस तालाब में से खजाने की चाबी ले सकते हो। “
इतना कहकर तालाब की देवी गायब हो जाती है। राजू और चेतन तालाब में चाबी ढूंढने के लिए टूट पड़ते हैं और गुफा की चाबी ले आते हैं।
वे दोनों चाबी को गुफा के ताले पर लगाते हैं और गुफा के दरवाजे को खोल देते हैं। जैसे ही वह दोनों गुफा में अंदर घुसते हैं तो चमगादडों का एक झुंड आता है और चेतन को उठा ले जाता है।
राजू,” अरे बेवकूफ हो क्या ? इसको क्यों उठा कर ले जा रहे हो ? इसको तो यही छोड़ जाओ। “
उनमें से चमगादड़ की रानी बोलती है,” मैं तुम्हारे इस दोस्त को छोड़ दूंगी। अगर तुम इस छोटी गुफा के ताले को खोलने में कामयाब हो गए तो…”
राजू,” पर यह खुलेगा कैसे ? “
चमगादड़ की रानी,” इसकी चाबी यहीं पर है। “
राजू जल्दी-जल्दी उस चाबी को अपने आसपास ढूंढना शुरू कर देता है। मगर उसे चाबी नहीं मिलती। थककर वह एक पुतले पर हाथ रखकर बैठ जाता है।
राजू के हाथ रखते ही यह पुतला घूम जाता है और छोटी गुफा का दरवाजा अपने आप खुल जाता है।
राजू,” अरे ! तो यहां थी इस छोटी गुफा की चाबी। मैं तो जाने कहां-कहां ढूंढ चुका हूं ? “
तभी चमगादड़नी आती है और चेतन को ऊपर से ही छोड़ देती है। चेतन बेचारा जमीन पर गिरकर अपनी कमर सहलाता हुआ खड़ा होता है।
अब वह दोनों गुफा में और आगे बढ़ते हैं। तभी उन दोनों का पैर फिसलता है और वह गड्ढे में जा गिरते हैं। वह खड्डा किसी रहस्यमई रास्ते की ओर जा रहा था। दोनों उस ओर चल देते हैं। वहां उन्हें एक नदी दिखाई देती है।
राजू,” नक्शे के मुताबिक तो हम सही दिशा में जा रहे हैं। पर इस नदी को पार कैसे किया जाए ? यहां तो कोई नाव भी नहीं दिख रही। “
चेतन,” हमें इस नदी को तैर कर पार करना होगा; क्योंकि खजाने तक पहुंचने के लिए हमें नदी और इस नक्शे को पार करना होगा। यह देखो, नक्शे में भी यही लिखा हुआ है। “
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राजू और चेतन नदी में कूद जाते हैं और तैरते हुए आगे बढ़ते हैं। आगे उन्हें एक छोटा रास्ता दिखाई देता है जो एक खुफिया रास्ता होता है।
चेतन,” अब यहां आ तो गए हैं पर ऐसा ना हो कि बाहर के लोगों को हमारे बारे में पता ही ना चले। यह अजीबो गरीब रास्ते हैं। इन रास्तों में आगे तो बढ़ सकते हैं लेकिन पीछे लौटने का कोई भरोसा नहीं। “
राजू,” अभी हमारे लिए खजाना ढूंढना सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए हमें आगे बढ़ना ही होगा। “
थोड़ी देर बातचीत करने के बाद राजू और चेतन फिर आगे बढ़ना शुरू कर देते हैं।
उन्हें रास्ते के ठीक सामने एक बड़ी मूर्ति दिखाई देती है।
राजू,” चेतन… देख यह मूर्ति सोने से लदी हुई है और कितनी बड़ी भी है ना ? “
चेतन,” हां हां सही कहा भाई, बहुत सारा सोना, चांदी और अशर्फियां, खजाने की तो पूरी तिजोरी है इसके हाथों में। “
राजू उस मूर्ति के हाथों में से उस खजाने के बक्से को उठाता है। जैसे ही राजू उस बक्से को उठाता है, गुफा के अंदर पत्थरों का गिरना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे यह पत्थर आकार में बड़े होते जाते हैं।
राजू,” चेतन… लगता है जैसे ही हमने इस मूर्ति के हाथों से इस बक्से को उठाया है, इस गुफा में पत्थरों की बारिश होना शुरू हो चुकी है। चल निकलते हैं यहां से। “
चेतन,” हां हां चल। “
दोनों भागते भागते उस गुफा से बाहर निकलते हैं। जैसे ही वे दोनों गुफा से बाहर आते हैं, गुफा देखते ही देखते मिट्टी और पत्थरों का ढेर बन जाती है। वे दोनों खजाने के बक्से को पाकर बहुत खुश होते हैं।
राजू,” अब तक हम किराए के मकान में रहते थे लेकिन अब हमें अपना मकान लेने से कोई नहीं रोक सकता। “
चेतन,” हां हां सही कहा तुमने। इससे तो अब हम बहुत अमीर हो जाएंगे और हम किराए के मकान में रहेंगे नहीं बल्कि अपने मकान में किरायेदारों को रखेंगे। “
राजू,” पर हम किरायेदारों से हर महीने किराया नहीं लेंगे; क्योंकि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि जब हमारे पास पैसे नहीं होते थे तो हमारे मन में किस तरह के विचार होते थे। “
राजू और चेतन उस सोने को बेचकर एक अच्छी सी गाड़ी और एक बड़ा बंगला खरीदते हैं। वे दोनों अब काफी अमीर हो जाते हैं।
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वे इस बात का किसी को पता नहीं चलने देते और ऐसे लोगों की मदद करते हैं जिनके पास या तो खुद का घर नहीं है या फिर वे मकान मालिकों के तानों से परेशान होकर इधर-उधर भटक रहे हैं।
वहीं उनका पुराना मकान मालिक अब उनके ठाट वाट को देखकर उनसे बहुत जलता है।
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