हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” चतुर बेटा ” यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Chatur Beta | Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales
चतुर बेटा
राजगढ़ का राजा बहुत ही चालक और होशियार था। उसने अपने हर एक महल को बड़े ही सुंदर और भाव्यपूर्ण बनवाया था। उसने राजगढ़ में भी एक बहुत ही सुंदर महल बनवाया था।
लेकिन वह बहुत परेशान था, यह सोच कर कि नये महल में ऐसी कौन सी आफत आ गई जो उस महल में रहने से सब डर रहे हैं ?
राजा,” लाखों रुपए खर्च करके इतना सुंदर महल बनवाया लेकिन वहां रह ना सका। ऐसी कौन सी बुरी ताकत है जो हमारे महल को कब्जा कर बैठी है। मंत्री जी, कुछ कीजिए। “
मंत्री,” महाराज ! आपके उस महल में परेशानी की वजह भूत ही है। ”
राजा,” क्या कर सकते हैं मंत्री ? इतना खर्चा करके मैंने ऑनलाइन उस महल का डिजाइन मंगवाया था। अब ऐसे डिजाइन दोबारा नहीं मंगवा सकता। अब तो वह इंटीरियर डिजाइनर भी अमेरिका सिफ्ट हो चुका है। ”
मंत्री,” उन भूतों को भगाने के लिए बड़े-बड़े पंडित आये, ज्योतिषी आये, बड़े – बड़े बाबा बैरागी आये लेकिन कोई उनको उस महल से टस से मस भी न कर सका। “
कुछ समय बातचीत करने के बाद सबने विचार किया कि ज्योतिष और पंडित को बुलाया जाए।
ज्योतिष,” ये काल भैरव की भूतों की मंडली है। उसको कोई निकाल नहीं सकता। “
लेकिन दक्षिणा के लालच में कुछ पंडितों ने कहा,” हम अपनी तंत्र मंत्र की शक्ति से भूतों को भगा सकते हैं। हम न्यू टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करते हैं। “
पंडितों के कहे मुताबिक ढेर सारी हवन सामग्री और और फल मंगवाए गए। पंडित लोग महल में गए और वहां भूत की कनेक्टिविटी को ढूंढने लगे। फिर पूजा की और महल के चारों ओर मंत्र युक्त कीले गाढ़ दिए गए।
पंडित,” अब यहां भूत तो क्या स्वयं भूतनाथ भी आने की हिम्मत नहीं करेंगे, हां। “
मंत्री,” अच्छा देखते हैं तुम कितने बड़े पंडित हो ? जो कोई ना कर सका,वह तुमने किया ऐसा हो नहीं सकता है। “
पंडित,” मंत्री… जाकर राजा से कहो कि अब वह इस महल में आकर सोएं। अब ऐसी कोई चिंता की बात नहीं है। “
मंत्री,” अभी मैं राजा को यहां लेकर आने का दुस्साहस नहीं करूंगा। पहले दो-चार दिन तुम दोनों यहां रह कर बताओ। जब सब कुछ ठीक होगा तभी हम राजा को यहां बुलाएंगे। “
परंतु पंडितों का पूजा-पाठ बिल्कुल निकम्मा साबित हुआ। रात के वक्त जब भूतों को जोर आया तो उन्होंने इन पंडितों को उठा उठाकर इधर-उधर पटकना शुरू कर दिया।
भूत,” हा हा हा… चलो अब इन सब का नाटक खत्म, अब हमारी बारी है। चलो ए… इनको यमराज के वाईफाई से कनेक्ट करते हैं।
पंडित,” अरे ! यह नहीं हो सकता। तुम लोगों को यहां नहीं होना चाहिए। चलो यहां से भागो नहीं तो फोकट में इंटरटेनमेंट हो जाएगा। ”
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दोनों पंडित वहां से तेजी से भागने लगे। तभी एक भूत बोला,” यह गया दलदल में। ” और उसके कहते ही पहला पंडित दलदल में जा गिरा। “
पंडित,” भूत भाई… मेरी ओला बुक कर दो, मैं अभी निकल जाऊंगा। ”
भूत,” अरे ! नहीं पंडित जी… मैं आपको ऊबर से भेजता हूं। “
दूसरा भू,” इसका तो सिर ही फोड़ दूंगा। ” ऐसा कहते ही दूसरा पंडित एक पेड़ से सिर के बल टकराया और उल्टा होकर जमीन पर जा गिरा।
पंडितों की पराजय से राजा बहुत दुखी हुआ। उसने दूसरे दिन चारों ओर ढिंढोरा पिटवा दिया – जो मेरे महल से इन भूतों को निकाल देगा, उसे मैं 5 लाख का इनाम दूंगा।
इन रुपयों के लालच में इस बार बड़े बड़े मॉल दीप, मुल्ले, भगत सयानी आए। लेकिन उनकी भी भूतों ने बुरी दुर्गति कर डाली और वह भी भाग खड़े हुए।
परंतु राजा अभी भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ था। उसने अपने मंत्री से कहा,” मंत्री… तुम देश-विदेश में ढिंढोरा पिटवा दो कि जो व्यक्ति इस महल से भूतों को निकाल देगा, उसे राजा अपनी राजकुमारी का वर बनाकर आधा राज – पाठ उसके नाम कर देगा।
ढोल पीटने वाला,” खलक खुदा का, मुल्क हिंदुस्तान का, हुकुम राजा बहादुर का… जो भी व्यक्ति महल से भूतों को निकाल देगा, उसे राजा अपनी राजकुमारी का पति बनाकर आधा राजपाट सौंप देंगे। “
मगर कोई ना आया लेकिन खबर चारों तरफ फैल गई। नगर के लोगों ने महल के आसपास तक जाना बंद कर दिया। यहां तक की महल के पास से जो भी गुजरता, भूत उसको उल्टा वहीं पेड़ से लटका देते।
नगर के लोगों ने सोच लिया था कि वो इस नगर को छोड़कर कहीं दूसरी जगह चले जाएंगे। नगर के पंचायत घर में सभी को मेल करके बुलाया गया।
सरपंच,” देखो… मैं तुम सबको कॉल करके नहीं भुला सकता था इसीलिए मेल करना पड़ा। “
आदमी,” ठीक है, ठीक है। लेकिन इस तरह से बुलाने का क्या कारण है ? “
सरपंच,” काल भैरव के भूत। ”
महिला,” हां, काल भैरव के भूत ने हम सब को बहुत ज्यादा तंग करके रखा है। ”
सरपंच,” काल भैरव के भूत को कोई नहीं निकाल सकता। जिसको जान देनी हो वही जाए। इसलिए मैंने सबको यहां इस नगर को छोड़ने की सलाह देने के लिए बुलाया है। ”
आदमी,” कई महीने बीत गए लेकिन उसे कोई नहीं निकाल पाया। इन दिनों राजा बहुत उदास रहा है। मगर क्या कर सकता था ? “
सरपंच,” राजा ने एक शर्त के तौर पर अपनी बेटी की जान को दाव पर लगाया है। ऐसा कौन करता है ? “
बड़ी सहयोग की बात है कि पंचायत में राजा के मुंशी का बेटा भी पहुंच गया और नगर में ऐसी बात सुन उसे अपनी बुद्धि का सही जगह इस्तेमाल करने का भी मौका मिल गया।
मुंशी बेचारा मर गया। उसका एक इकलौता बेटा था और बूढ़ी कमजोर पत्नी। बेचारे गरीबी की मार से दुखी होकर अपना जीवन जैसे तैसे काट रहे थे।
लड़का नौकरी की तलाश में रोज राजा के दरबार में जाता लेकिन खाली हाथ ही वापस लौटता। बेचारी मां बेटे भूख से बिलखने लगे। 1 दिन बीता, दो दिन बीते… ऐसे ही तीसरा दिन हुआ।
मुंशी का बेटा,” भूतों के महल में चला जाए ? ” सोचते सोचते उसके मन में एक तरकीब आई। झटपट उठा और अपने स्वर्गीय पिता का कमर दान लिया। एक पट्टी उठाई, एक टाट का बोरा और एक तीखा चाकू संभाल कर पेंट में रख लिया।
फिर लालटेन लेकर मां से बोला,” मां मैं बाहर काम पर जा रहा हूं जो लौटकर ना आऊं तो राजा के यहां से पूछ लेना कि मेरा बेटा कहां गया ? पता लग जाएगा। “
बूढ़ी मां उसकी कोई बात समझ ही नहीं सकी।
मां,” बेटा कहां जा रहा है ? ”
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कोई जवाब ना देते हुए बेटा वहां से निकला और सीधा भूतों के महल के पास जा पहुंचा। महल के बाहर शानदार फाटक था वहां राजा के सिपाही पहरा दे रहे थे।
मुंशी के बेटे ने कहा,” फाटक खोलो मैं भूतों से लड़ने आया हूं। “
सिपाही हंस पड़े।
सिपाही,” पिद्दी जैसा लड़का भूतों से लड़ेगा। बड़े-बड़े पंडित ने तो कान पकड़ लिए और तू क्या अपनी जान देने आया है ? “
मुंशी का बेटा,” वह लोग मंत्रों से लड़े, मैं बुद्धि से लड़ लूंगा। तुम लोग फाटक नहीं खोलोगे तो मैं राजा से शिकायत कर दूंगा। ”
डर के मारे दोनों सिपाहियों ने फाटक खोल दिया।
सिपाही,” ले, जा मर। “
मुंशी का बेटा झट से महल में अंदर प्रवेश कर जाता है और वहां का वातावरण परखता है। तालाब के किनारे एक बुग्गी बंधी थी।
उसी में अपनी सब चीजें रखकर महल की ओर बुग्गी को ले जाने लगा। महल में भूत कांव-कांव करके शोर मचा रहे थे। लेकिन वह लड़का डरा नहीं।
बिजली की गड़गड़ाहट तेज होने लगी।
लडक कहता है,” काल भैरव ने मुझे यहां भेजा है और मैं तुम्हारी खबर लेने के लिए ही यहां आया हूं। मैं मुंशी चित्रगुप्त की औलाद हूं। ”
लड़के की इस बात को सुनकर महल में सन्नाटा छा गया। तभी लड़का थोड़ा सा और आगे बढ़ता है और फिर से अपनी बात को दोहराता है।
लड़का,” मैं काल भैरव का दूत हूं। उनके जितने भी भूत भागे हैं, वह सब मेरे सामने आएं और अपना नाम लिखवाएं। अगर नहीं लिखवाएंगे तो आधे पहर के अंदर वीरभद्र की टोली भूतों को आसमान में ही जला डालेगी। ”
भूतों में खलबली मच गई। सभी भूत डरते – कांपते बाहर आए। लड़का सबके नाम पूछने के लगा, वही खाते में नज़र मारी और चाकू दिखाते हुए कहा,” बैठो, तुम्हारी नाक काटेंगे। ”
भूत डरकर गिड़गिड़ाने लगे।
भूत,” नहीं, नहीं तुम ऐसा न करना। अगर नाक कट गई तो हम लोगों की इज्जत नहीं रहेगी। हम लोग ऐसे कैसे यमलोक जा पाएंगे। “
मुंशी का बेटा,” मुझसे कॉमेडी कर रहे हो, कॉमेडी कर रहे हो हां ? “
दूसरा भूत,” चित्रगुप्त को लाइव पता चल जाता है। आजकल तो इंटरनेट का जमाना है। “
मुंशी का बेटा,” काल भैरव की आज्ञा से तुम लोगों को सजा तो दी जाएगी चाहे नाक कटवा लो या फिर आग में जलो। अपनी मंजूरी जल्दी बताओ। ”
भूतों का मुखिया बोला,” आप हमारी नाक ही काट लें और हमें जीने दें। “
मुंशी का बेटा,” नाक कटवाओ और राजा के महल से 500 कोस दूर कहीं चले जाओ। अगर दोबारा वापस लौटकर आये तो इन्हीं नाकों के सहारे तुम्हें जलाया जाएगा। “
भूत बहुत डर गए थे इसलिए आकर लड़के के बही खाते में अपना अपना नाम लिखवाते, नाक कटवाते और वहां से भाग जाते।
मुंशी जी के बेटे ने सब भूतों की कटी नाक एक बोरे में भरी और सिल दिया और उसे तकिया बनाकर उसी बोरे पर अपना सिर रखकर सो गया।
नाक कटे सभी भूत वहां से भाग गए और मुंशी जी का बेटा चैन से खर्राटे भरने लगा।
सुबह होते ही सिपाही आए, उस लड़के की लाश निकालने।
पहला सिपाही,” यह तो लगता है मर गया है। “
दूसरा सिपाही,” आया बड़ा भूत भगाने… लगता है खुद ही भूत बन गया है। चलो चलकर राजा को खबर करते हैं इसकी। “
दूसरा सिपाही,” पर लड़का तो नाक की बोरी पर सिर रखकर खर्राटे भर रहा है। “
तभी लड़का हंसता हुआ बोला,” भूत है ही कहां जो मुझे मारते ? भूत तो मेरे बोरे में बंद है। जाओ, राजा को जाकर खबर करो कि राजा अब यहां आकर रहें और राजकुमारी से मेरा ब्याह करें। “
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ऐसा ही हुआ… राजा ने राजकुमारी के साथ उस लड़के का विवाह कर दिया और कहा,” इस नये महल में तुम ही रहो और राजपाट करो। लेकिन इतना जरूर बता दो कि तुमने किस मंत्र की मदद से इन भूत को यहां से भगाया है ? “
मुंशी का बेटा,” मैं मुंशी जी का बेटा हूं इसीलिए दिमाग से काम लेता हूं। मेरे पास केवल एक ही मंत्र था और वह था बुद्धि का मंत्र।
राजा रानी यह सुनकर बड़े खुश हुए और लड़के की मां को भी महल में बुलवा लिया गया। जैसे उनके सुख के दिन लौट आए वैसे ही राम करे सबके दिन लौट आऐं।
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