लालची बुढ़िया | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Dadi Maa Ki Kahaniya | Gaon Ki Kahani

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची बुढ़िया ” यह एक Dadi Maa Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bed Time Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
लालची बुढ़िया | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Dadi Maa Ki Kahaniya | Gaon Ki Kahani

Greedy Old Woman | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Gaon Ki Kahani

 लालची बुढ़िया 

चन्दनपुर गांव में जमुना नाम की एक बूढ़ी औरत रहती थी। उसका एक इकलौता बेटा था जो कोई भी काम नहीं करता था। वह उसे हर रोज समझाती थी कि उसे कोई काम करना चाहिए।
बेटे ने कहा कि वह शहर जाकर काम करना चाहता है और उसके लिए कुछ रुपए चाहिए। यह सुनकर जमुना ने उसे अपने सारे गहने दे दिए।
बेटा,” मां मैं शहर जाकर चिट्ठी लिखता रहा करूंगा और हर महीने रुपए भी भेजा करूंगा।
जमुना,” बेटा… तू अपना ध्यान रखना।
बेटे के जाने के बाद जमुना अकेली रहने लगी। शहर जाकर बेटे ने ना तो मां की सुध ली और ना ही कोई रुपए भेजे। उसे रोज के खर्चे के लिए भी परेशानी होने लगी। 
एक दिन वह हाथ में पोटली लिए कहीं जा रही थी ? तभी एक पड़ोसी जमुना से कहता है,” काकी कहां जा रही हो ? “
जमुना आगे की ओर संकेत करके निकल जाती है। 1 सप्ताह में 3 से 4 दिन बाहर जाने लगी और काफी रात होने के बाद ही घर लौटती थी। 
उसकी पड़ोसन सुगंधा सब कुछ बड़े ध्यान से देख रही थी। सुगंधा रात को खिड़की से जमुना को अपने घर जाते देखा।
उसने अपने पति से कहा,” अजी सुनते हो, जमुना काकी इस उमर में जाती कहां है ? देखो तो इतनी रात को अंधेरे में वापस आई है। “
सुगंधा का पति,” अरे ! तुम्हें क्या है जाने दो जहां भी जाती है ? बेटा तो शहर जाकर मां को भूल ही गया। काकी के सारे गहने और पैसे भी अपने साथ ले गया। “
सुगंधा,” देखो तो इतनी रात को वापस लौटी है। मुझे तो कुछ ठीक नहीं लग रहा। “
सुगंधा का पति,” मेरे पास इतना फालतू समय नहीं है जो मैं यह सब पता करूं। मुझे वैसे भी बहुत काम है। और तुम क्या आधी रात को काकी – काकी कर रही हो ? अब तुम खुद भी आराम करो और मुझे भी करने दो। “
सुगंधा,” आप भी ना, इन बातों पर तो कभी ध्यान ही नहीं देते। “
सुबह काकी सुगंधा का दरवाजा खटखटाती है।
सुगंधा (विस्तर से),” अरे ! कौन है इतनी सुबह सुबह ? चैन से सोने भी नहीं देते। “
सुगंधा दरवाजा खोलकर,” अरे काकी ! तुम… आओ, अंदर आओ। “
जमुना,” नहीं सुगंधा अभी काफी काम है। (एक कटोरी देते हुए) ये ले हलवा अभी-अभी बनाया है। एकदम गरमा गरम है। तेरे बिट्टू को हलवा बहुत पसंद है ना, उसे खिला देना। “
सुगंधा,” आज कोई नई बात है क्या ? “
जमुना,” आज मेरे राजकुमार का जन्मदिन है। “
सुगंधा,” ओहो… आप भी ना काकी, उस भगौड़े में आज भी मन लगाकर बैठी हो। बुढ़ापा खराब कर दिया उसने आपका। इस उम्र में जब हर कोई अपने परिवार के साथ रहता है, वह सब कुछ अकेला छोड़ कर शहर भाग गया। “
जमुना,” मैं अपने बेटे से बहुत प्यार करती हूं। वह जैसा भी है, मेरा बेटा है। “
सुगंधा,” अच्छा काकी आप रात में जाती कहां हो ? ऐसा कौन सा काम है जो इतनी रात को घर वापस लौटती हो ? “
जमुना,” अब तू छोड़ इन बातों को। मैं चल घर चलती हूं। “
सुगंधा (मन में),” हो ना हो गड़बड़ है कुछ काकी ? “
थोड़ी देर बाद बिट्टू की तबीयत खराब हो गई। वह उल्टियां करने लगा।

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सुगंधा का पति,” अरे ! तुमने इसे क्या खिला दिया ? बेचारा तब से उल्टी किए जा रहा है। “
सुगंधा,” मैंने तो इसे अभी कुछ खाने को भी नहीं दिया। काकी सुबह हलवा दे गई थी, बस वही तो खाने को दिया था। “
बिट्टू,” पापा – मां, मैं मर रहा हूं। “
सुगंधा,” नहीं बेटा, ऐसा नहीं बोलते। “
सुगंधा का पति,” चलो इसे डॉक्टर के पास लेकर चलते हैं। “
सुगंधा,” सुबह तो अच्छा खासा था। पता नहीं किसकी नजर लग गई ? जाइए जल्दी से डॉक्टर के पास लेकर जाइए, नहीं तो इसके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी। “
तभी सुगंधा की पड़ोसन वहां आती है,” अरी सुगंधा… सुना है बिट्टू की तबीयत खराब हो गई है। “
सुगंधा,” हां… पर अब आराम है। दवाई लेकर सो रहा है। पता नहीं क्या हो गया उसे ? “
सुगंधा की पड़ोसन,” हो जाता है ऐसा कभी कभी। सुन रास्ते में जमुना काकी को देखा था। वह इतनी जल्दी में थी कि कुछ बोली ही नहीं। “
सुगंधा,” हां, पता नहीं कहां जाती हैं ? आधी रात को घर वापस आती है। “
सुगंधा की पड़ोसन,” मुझे तो दाल में कुछ काला लगता है। “
सुगंधा,” क्या मतलब ? मैं कुछ समझी नहीं। “
सुगंधा की पड़ोसन,” मुझे लगता है यह काकी कोई तांत्रिक पूजा कर रही है। आधी रात को हमारी तो बाहर जाने को हिम्मत ही नहीं होती और यह बुढ़ापे में देखो। 
परसों रात को तो काले कपड़े पहने पोटली लिए आ रही थी। मैंने पूछा तो गुस्से में लग रही थी। पक्का यह बढ़िया कोई जादू टोना कर रही है। तुम ध्यान रखना। “
यह कहते हुए सुगंधा की पड़ोसन वहां से चली जाती है।
सुगंधा मन ही मन कहती है,” आज सुबह काकी का हलवा खाते ही बिट्टू की भी तबीयत खराब हो गई थी। हे भगवान ! … “
रात को सुगंधा अपने आंगन से चारपाई उठा रही थी। तभी सामने के रास्ते से एक काली परछाई आती हुई दिखाई दी। 
काले कपड़े पहने, बाल खुले, सिर पर लाल बिंदी और काजल लगाए, हाथों में एक लालटेन लिए एक बूढ़ी औरत लाठी टेकते हुए आ रही थी। उसे देखकर सुगंधा डर के मारे अपने घर के अंदर भाग गई।
सुगंधा,” हे भगवान ! रक्षा कर। पता नहीं कौन सी बुरी आत्मा है ? “
उसने खिड़की में से ध्यान से देखा। वह औरत जमुना काकी के घर में गई। 
सुगंधा,” अच्छा तो यह जमुना काकी है। पता नहीं चुड़ैल जैसा रूप बनाकर यह जाती कहां है ? मेरी तो जान ही निकल गई कि यह कौन है ? काकी… तुम्हें तो मैं सुबह देखती हूं। “
तभी गांव के लोग लालटेन और लाठियां लेकर आये। गांव के लोग,” माधव, माधव जल्दी बाहर आ। “
सुगंधा,” सुनिए जी… बाहर आपको कोई बुला रहा है ? “
सुगंधा का पति,” अरे इतनी रात को कौन है ? “
वह जल्दी से बाहर आता है।
गांव का एक आदमी,” माधव… जल्दी चल हमारे साथ। “
माधव,” क्या हुआ ? बताओ तो सही। “
गांव का व्यक्ति,” कैलाश का बेटा नहीं मिल रहा। 3 घंटे पहले टहलने गया था पर अभी तक नहीं आया। उसे अंधेरे से बहुत डर लगता है। ” 
माधव भी उनके साथ चला गया।
सुगंधा,” हे भगवान ! इतनी देर हो गई और यह अभी तक नहीं लौटे। “
सुगंधा की पड़ोसन,” सुगंधा, अरी ओ सुगंधा… “
सुगंधा (बाहर आकर),” अरे गोरी ! तुम। “
गौरी,” हां… अकेले मेरा जी घबरा रहा था। गांव के सारे आदमी अभी तक नहीं आए। “
फर्श पर बैठे-बैठे बातचीत करते करते सुगंधा और गौरी को नींद आ गई।

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सुबह कैलाश और उसकी पत्नी के रोने की आवाज आने लगी। गौरी और सुगंधा झट से बाहर आई तो कैलाश के बेटे की लाश पड़ी थी और पूरा परिवार रो रहा था।
कैलाश की पत्नी,” तुझे क्या हो गया ? तू तो बोल रहा था कि थोड़ी देर में आता हूं। चल अब सोया क्यों है ? खड़ा हो। “
तभी वहां पुलिस आ गई। अरे इसकी बॉडी पर तो चोट के निशान है। पुलिस लाश को लेकर चली गई और गांव वाले कैलाश और उसकी पत्नी को संभालने लगे।
गांव की कुछ औरतें सवाल करती हुई कहती हैं,” यह सब कैसे हुआ ? “
उनमें से एक आदमी जवाब देता है,” हम सब बाहर सड़क पर टहल रहे थे। तभी कैलाश का बेटा हमें वहां पड़ा हुआ दिखा। “
सुगंधा,” मैं जानती हूं कि यह सब किसने किया है ? “
गांव के सभी लोग हैरान होते हुए पूछने लगे,” किसने किया है यह सब ? “
सुगंधा,” जमुना काकी ने। आपके जाने के बाद सबसे पहले वही लौटी थी। आजकल गांव के बाहर पता नहीं कहां जाती है ? इसे देखकर तो मैं पूरी तरह घबरा ही गई थी। वह आधी रात गए ही वापस आती है। 
कल जैसे ही आप निकले थे, ठीक उसके बाद वह अपने घर में घुस गई थी। कल जब उसने हलवा दिया तो मेरे बिट्टू की भी तबीयत खराब हो गई थी। “
गौरी,” हां पता नहीं इनके घर में क्या चल रहा है ? इनका बेटा तो इन्हें भूल ही गया है। “
गांव का एक व्यक्ति,” बुरा मत मानना, कई दिनों से शक तो मुझे भी था कि यह बढ़िया अजीब अजीब सी हरकतें कर रही है। शायद कोई तांत्रिक क्रिया। “
गौरी,” मुझे तो लगता है यह अपने बेटे को घर लाने के चक्कर में हमारे बेटों की बलि दे रही है। कैलाश के लड़के को इसी ने मारा है। उस रात को यही सबसे पहले घर आई थी। “
सुगंधा,” ना ना ऐसा मत बोलो। भगवान सब की रक्षा करें।
गांव का व्यक्ति,” गांव में पंचायत को बुलाओ और इस बढ़िया को भी, जल्द से जल्द फैसला करो। “
शाम को एक व्यक्ति जमुना काकी को बुलाने जाता है तो वह बूढ़ी औरत हाथ में एक पोटली लिए दरवाजा बंद कर रही थी।
आदमी,” अरे काकी ! तुम्हें पंचायत ने बुलाया है। “
जमुना काकी,” अभी तो मैं जरूरी काम से बाहर जा रही हूं, बाद में आ जाऊंगी। “
आदमी,” काकी… पंचायत बैठी हुई है। बहुत जरूरी काम है आपसे, जल्दी चलो। “
जमुना काकी,” अरे मेरा काम भी तो जरूरी है। जा कह दे बाद में आऊंगी। “
आदमी,” ना ना जल्दी चलो वरना उठा के ले जाएंगे। “
जमुना काकी,” अरे ! कोई जबरदस्ती है। “
आदमी,” आप चुपचाप चलो मेरे साथ। “
जमुना काकी गांव के उस आदमी के साथ पंचायत चली जाती है।
सरपंच,” जमुना काकी तुम आजकल रात में कहां जाती हो ? सुना है आधी रात को लेट घर आती हो। “
जमुना काकी,” मैं कहीं भी जाऊं ? कितनी ही देर रात आऊं ? गांव वालों को इससे क्या ? “
सरपंच,” पोटली में क्या है ? “
जमुना काफी,” कुछ नहीं। ” 
सरपंच,” जरा खोलकर दिखाओ। “
जमुना काकी,” ना ना यह मेरी है। मैं क्यों दिखाऊं ? ” 
सरपंच के इशारे पर एक आदमी ने काकी से पोटली छीन ली और उसे खोला। 
सरपंच,” काले कपड़े, बिंदी, चूड़ी, माला, दिया और अगरबत्ती… क्या मतलब है इनका ? “
गौरी,” मैं ना कहती थी यह बुढ़िया जरूर कोई तांत्रिक क्रिया करती है और आज पता नहीं किसकी बलि देगी ? “
सुगंधा,” बिल्कुल सही कह रही हो। कल रात चुड़ैल के भेष में आई थी। मैं तो डर ही गई। पहचान ही नहीं पाई कि यह काकी थी। “
सरपंच,” काकी क्या तू यह सही कर रही है ? “
गांव का एक आदमी कहता है,” इसी ने मारा है कैलाश के बेटे को। मुखिया जी, इसे तो सीधा पुलिस के हवाले कर दो। “
सरपंच,” काकी क्या तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है या ये जो लोग कह रहे हैं वह सच है ? यहां तुम्हारे रहने के तौर तरीकों से तो गांव वालों की बात सच लग रही है। “

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जमुना काकी,” मैं क्या बताऊं ? मुझे देर हो रही है। मैं जा रही हूं। “
जमुना काकी जब वहां से जाने लगी तो सरपंच ने एक आदमी को काकी को रोकने का इशारा किया और वह आदमी काकी का रास्ता रोक कर खड़ा हो गया।
गांव का आदमी,” मैं तो कहता हूं इस बुढ़िया को ऐसा सबक सिखाओ कि इसका पूरा जादू टोना निकल जाए हां। ” कहते हुए उसने एक कंकड़ उठाकर बुढ़िया के ऊपर फेंक दिया। 
गौरी,” इसे गांव से धक्का मार कर बाहर निकाल दो। “
आदमी काकी का हाथ पकड़कर उन्हें जबरदस्ती खींचने लगा और वह गिर गई। तभी काले कपड़े पहने, बाल खोले चार बूढ़ी औरतें भागती हुई आई। 
औरतें,” तुम्हें शर्म नहीं आती उनके साथ ऐसा करते हुए ? “
गांव के लोग,” अच्छा… तो यह अकेली नहीं पूरा का पूरा गैंग है। तभी मैं सोचूं काकी के अकेले ऐसा करने की हिम्मत कैसे हो गई ? “
गौरी,” सरपंच जी, अब तो सब कुछ आपकी आंखों के सामने है। ये सब जादू टोना करके पूरा गांव बर्बाद कर देंगे। इससे पहले कि किसी और की जान जाए, कुछ करो। “
सरपंच,” तुम लोगों ने कैलाश के बेटे को मारा है ? सच-सच बताओ वरना ठीक नहीं होगा। “
जमुना काकी,” नहीं नहीं सरपंच जी, हमने ऐसा कुछ नहीं किया और औलाद के जाने का दुख मुझसे ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता। “
सरपंच,” तो सच क्या है ? तुम यह जादू टोना किस लिए करती हो ? “
जमुना काकी,” यह सब औरतें दूसरे गांव की है। हम सब जादू टोना नहीं करते। घर चलाने के लिए काम करते हैं ताकि इस उम्र में किसी और के आगे हाथ ना फैलाना पड़े। “
गौरी,” ऐसा कौन सा काम करती हो ? “
जमुना काकी,” बुढ़ापे में कौन काम देता है ? इसीलिए हम सभी रुदाली (किसी दूसरे की मौत पर मातम मनाने वाली) बन गए। अमीर लोगों के पास अपनों के मरने पर रोने का समय नहीं होता। 
जग दिखाई के लिए वे रुदाली बुला लेते हैं। हम सब वहां जाकर मातम मनाते हैं। लाश के आगे दीया बाती करके खूब रोती हैं। 
किसी और की मौत पर रोने के लिए काले कपड़े पहनने की हमारी मजबूरी है। मनहूस काम है तो छुप छुपकर कर रहे हैं ताकि किसी और को पता ना चले। “
जमुना काकी,” वहां जाकर हम अपने हालातों को याद कर लेते हैं और रोना अपने आप आ जाता है। मातम आधी आधी रात तक चलता है और बदले में रोने के कुछ रुपए मिल जाते हैं। उसी से हम अपना घर चला रहे हैं। 
वापस लौटते हुए देर हो जाती है तो उन्हीं कपड़ों में सबसे छिपती हुई आती हूं। अगर आपको लगता है यह गलत काम है तो आप जो सजा देना चाहते हो, दे सकते हो। “
सुगंधा,” फिर कैलाश के बेटे को किसने मारा ? “
सरपंच,” पता नहीं क्या हो रहा है ? “
तभी वहां कुछ पुलिस वाले आए।
पुलिसकर्मी,” सभी गांव वाले ध्यान से सुनो। कैलाश के बेटे की हत्या किसी आदमी ने नहीं बल्कि जानवर ने की है। पोस्टमार्टम में जो उसके शरीर पर निशान पाए गए हैं वह एक बैल के सिंह के हैं। “
गांव का व्यक्ति,” बैल ? लेकिन यहां तो सब अपनी बैलों को बांध कर रखते हैं। “
पुलिसकर्मी,” हमारी तहकीकात में पता चला है कि कल रात जमींदार का एक खतरनाक बैल उसके नौकर को धक्का मारकर वहां से निकल गया था। नौकर ने डर की वजह से किसी को यह बात नहीं बताई। “
गांव का व्यक्ति,” इससे यह पता थोड़े ही ना चलता है कि बैल ने ही उसे मारा है। “
पुलिसकर्मी,” भाई… हमारे पास और भी कई सबूत है। जब वह बैल जमीदार के घर वापस गया तो उसकर सीगों पर खून के निशान थे। 
वह खून कैलाश के लड़के का है। हमने बैल, जमींदार और नौकर तीनों को हिरासत में ले लिया है। ” यह कहकर पुलिसकर्मी वहां से चले गए।

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सरपंच,” काकी, तुम्हें छुपकर काम करने की कोई जरूरत नहीं है। हमें माफ कर दो। “
जमुना काकी,” सरपंच जी किसी और के मरने पर मातम मनाने का काम में आपको कैसे बताती ? आप लोग कैलाश और उसकी पत्नी को संभालो। उनका दुख मुझसे ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता। “
अब जमुना काकी बिना किसी डर के उन औरतों के साथ दूसरों की मौत पर मातम मनाने का काम करती है और उससे मिलने वाले पैसों से अपने घर का गुजारा चलाती है। 
गांव के सभी लोग अब जमुना काकी से प्यार से बातचीत करते हैं और उनके बेटे की अनुपस्थिति से उन्हें दूर रखने की कोशिश करते हैं।
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