ईमानदार चोर | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” ईमानदार चोर ” यह एक Bed Time Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Latest Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
ईमानदार चोर | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

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 ईमानदार चोर 

सूरज एक बहुत ही गरीब व्यक्ति था। उसके घर में उसकी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। सूरज दूसरे के खेतों में काम करता था और उससे जो पैसे मिलते थे उनसे उन सभी का गुजारा होता था। 
अभी बच्चे बहुत छोटे थे इसलिए उनके स्कूल का कोई खर्च नहीं था। पर सूरज की कमाई से उन चारों का खाना भी मुश्किल से चल पाता था।
सूरज को कभी काम मिलता था तो कभी नहीं। उसे कभी-कभी तो खाली ही घूमना पड़ता था। जिन दिनों उसे काम नहीं मिलता था तो उसके घर में खाने के भी लाले पड़ जाते थे।
सूरज अपनी पत्नी से कहता है,” तीन-चार दिनों से काम की तलाश में इधर-उधर घूम रहा हूं लेकिन कोई काम मिलता ही नहीं। कुछ दिनों अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारे घर में खाना कैसे बनेगा ? “
सूरज की पत्नी कहती है,” आप चिंता ना करें। अगर कुछ और दिन काम नहीं मिला तब भी हमारे दिन कट जाएंगे। “
सूरज,” आजकल काम का बहुत अकाल पड़ा हुआ है। मजदूर काफी ज्यादा है और काम बहुत कम। इसलिए काम मिलना भी काफी मुश्किल हो गया है। न जाने मुझे कब काम मिलेगा ?बच्चे भी बड़े हो रहे हैं। मेरे पास उनके खाने-पीने का भी पक्का इंतजाम नहीं है। “
इस तरह सूरज रोजाना घर से काम की तलाश में निकल जाता था पर उसे कोई काम नहीं मिलता। सूरज की बेटी गुड़िया का जन्मदिन आने वाला था। 
वह रोज अपनी मां से कहती,” मम्मी… याद है ना मेरा जन्मदिन आने वाला है। इस बार पिताजी मुझे नई फ्रॉक लाकर देंगे ना ? उन्होंने मुझसे वादा किया था। “
गुड़िया की मां गुड़िया को दिलासा देते हुए कहती है,” हां बिटिया… ” 
वह अपनी बेटी को समझा तो देती है लेकिन मन ही मन काफी चिंतित हो जाती है। काम ना मिलने की वजह से घर में खाने के भी लाले पड़ी हुए थे तो गुड़िया की फ्रॉक कहां से आती ? शाम को सूरज हारा थका हुआ घर वापस लौटता है।
सूरज की पत्नी,” क्या हुआ ? आज कोई काम मिला क्या ? “
सूरज,” नहीं… आज भी दिन भर धक्के खाता रहा और कोई काम नहीं मिला। मेरे साथ और भी कई मजदूर भाई खाली हाथ घूम रहे हैं। पता नहीं कब काम मिलेगा ? “
सूरज की पत्नी,” आपको जल्द से जल्द काम ढूंढना पड़ेगा वरना खाने-पीने के लाले तो पड़ेंगे ही गुड़िया अलग से नाराज हो जाएगी। 
गुड़िया मुझसे कहती है कि उसे उसके जन्मदिन पर नई फ्रॉक चाहिए। अगर काम नहीं मिला तो पैसे कहां से आएंगे ? और पैसे नहीं आए तो नई फ्रॉक कहां से आएगी ? “
सूरज,” मैं भी दिन-रात इसी चिंता में रहता हूं पर क्या करूं ? अगर कल कोई काम नहीं मिला तो अपनी जान पहचान के किसी आदमी से कुछ पैसे उधार ले लूंगा पर गुड़िया को उसके जन्मदिन पर फ्रॉक जरुर दिलाऊंगा। वह कितनी आस लगाए बैठी है ? मैं उसे उदास नहीं कर सकता। “
अगले दिन सूरज सुबह से ही काम की तलाश में निकल जाता है। दिनभर धक्के खाने के बाद भी उसे काम नहीं मिलता तो वह निराश होकर शाम को घर लौट आता है। 
गुड़िया का जन्मदिन पास आ रहा था और सूरज को यह चिंता सता रही थी कि उसके पास नई फ्रॉक के लिए पैसे कहां से आएंगे ? 
सूरज अपने एक दोस्त से कुछ पैसे उधार मांगता है,” भाई… क्या कुछ दिनों के लिए कुछ पैसे उधार मिल सकते हैं ? कुछ ही दिनों में मैं आपको वापस लौटा दूंगा। “

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सूरज का दोस्त,” अ.. ब..ब.. ब… अरे भाई ! तुमको तो पता है आजकल काम की कितनी किल्लत चल रही है ? मेरे पास तो खुद के खर्चे के लिए भी पैसे नहीं है। ” 
इस तरह सूरज दो-तीन लोगों से पैसे मांगने की कोशिश करता है लेकिन कोई उसे पैसे नहीं देता। आखिरकार वह एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है। सूरज मन ही मन सोचता है,” अब मैं क्या करूं ? भला अपनी बेटी की एक छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकता। 
मैंने पूरी कोशिश करके देख ली लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। लेकिन मैं अपनी बेटी की इच्छा जरूर पूरी करूंगा, चाहे उसके लिए मुझे चोरी ही क्यों न करनी पड़े ? 
हे भगवान ! मुझे माफ करना। मैं अपनी बेटी की आंखों में आंसू नहीं देख सकता हूं। ” 
सूरज अपने मन में ऐसे विचार लेकर आगे बढ़ता है। कुछ दूर जाने पर उसे एक आलीशान मकान दिखता है और वह वहां चोरी करने की सोचता है। 
सूरज,” मकान काफी बड़ा लग रहा है। इसमें तो काफी लोग रहते होंगे। चलो मैं इस मकान के अंदर जाता हूं। जो भी पैसे  मिलेंगे उनसे मैं अपनी गुड़िया के लिए एक नई फ्रॉक खरीद लूंगा। 
मैं ऐसा काम कभी ना करता… अगर मुझे अपनी छोटी बच्ची का ख्याल नहीं होता। ” 
सूरज अपने भारी मन से विचार करते हुए उस मकान की ओर बढ़ता है। वह मकान में घुसने की कोशिश करता है। तभी सामने से मकान मालिक और उसकी पत्नी बाहर की ओर निकलते हैं और अपने नौकर से कहते हैं,” देखो रघुराम…. बिटिया का अच्छे से ध्यान रखना। 
उसे कोई भी चीज की कमी ना हो। हम लोग जरूरी काम से बाहर जा रहे हैं। शाम को लौट कर आना होगा तब तक बिटिया को कहीं भी अकेले मत छोड़ना। ” 
यह कहते हुए वह आदमी और औरत कार में निकल जाते हैं। उन्हें जाता देख सूरज सोचता है,” चलो यह तो अच्छा है। ये लोग घर से बाहर चले गए। अब चोरी करने में थोड़ी आसानी होगी। ” 
सोचते हुए सूरज घर के पीछे के दरवाजे से घर में दाखिल होता है। रसोई की पीछे की दीवार की खिड़की से अंदर जाता है। अन्दर उसे कोई भी नजर नहीं आता। वह चुपचाप अन्दर चला जाता है और चोरी की नियत से सामने वाले कमरे में जाता है।
सूरज देखता है कि मेज पर नोटों की एक छोटी सी गड्डी पड़ी हुई है। बस… सूरज उसे तुरंत अपने कुर्ते में छुपा लेता है और वहां से भागने की कोशिश करता है। 
सूरज जैसे ही घर से बाहर निकलता है तुरंत किसी के रोने की आवाज आने लगती है,” बचाओ, बचाओ… कोई मेरी मदद करो। ” 
एक छोटी सी लड़की मदद के लिए चिल्ला रही थी। सूरज खिड़की से वापस कूद जाता है और वहां जाता है जहां से आवाज आ रही थी। सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ जाते हैं। 
उस कमरे में मंदिर के दिये से आग लग गई थी। आग के बीच फंसी एक छोटी सी लड़की जोर जोर से चिल्ला रही थी। वह लड़की व्हील चेयर पर बैठी थी। लड़की पैरों से चल नहीं सकती थी। 
नौकर यह दृश्य देखकर घबरा गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा,” अरे ! कोई मेरी बिटिया को बचाओ। अरे भाई ! मदद करो। ” 
नौकर की हिम्मत ही नहीं हुई कि वह जलती हुई आग में कूदकर अपाहिज लड़की की मदद कर सके। सूरत उस समय सब कुछ भूल गया कि वो वहां चोरी के लिए आया था। वह उस बच्चे की जान बचाने के लिए उस कमरे में घुस गया। 
वहां रखे कंबल से उस लड़की को लपेटकर सूरज बहुत मुश्किल से अपनी जान बचाते हुए बाहर निकल आया। उसके बाद उसने उस आग पर पानी डालकर उसे बुझा दिया। लड़की बेहोश हो गई थी।
नौकर कहता है,” अरे भाई ! तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया। तुमने हमारी बिटिया की जान बचा ली। वरना इस अपाहिज लड़की का तो बाहर आना भी मुश्किल था। अब मैं जल्दी से फोन कर के मालिक को यहां बुला लेता हूं और डॉक्टर को फोन कर देता हूं। 

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नौकर तुरंत डॉक्टर को और अपने मालिक को फोन करता है। कुछ ही मिनटों में घर का मालिक यानी कि लड़की के माता-पिता वहां पहुंच जाते हैं। 
डॉक्टर तुरंत आकर उस लड़की को देखते हैं और कहते हैं,” देखो… घबराने की कोई बात नहीं बच्ची बिल्कुल ठीक है। बस घबराहट की वजह से बेहोश हो गई है। मैंने कुछ दवाइयां दे दी है। कुछ देर बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा। पर अगर थोड़ी देर और हो जाती तो बच्ची के साथ कुछ भी गलत हो सकता था। “
उस घर के मालिक सूरज का शुक्रियादा करते हैं।
घर का मालिक,” तुमने मेरी बेटी की जान बचा कर हम पर बहुत बड़ा अहसान किया है। तुम हमारे लिए एक भगवान की तरह आए हो। परंतु तुम यहां आई कैसे ? “
सूरज उन्हें सब कुछ सच-सच बता देता है,” देखिए सेठ जी ! मैं आपके घर में चोरी करने के लिए आया था। मुझे अपनी बेटी के लिए एक नई फ्रॉक लेनी थी। उसी के लिए पैसों की जुगाड़ करने के लिए मैं आपके घर चोरी करने के लिए आया था। 
मैं यहां से जैसे ही चोरी करके निकल रहा था तभी अंदर से आवाजें आने लगी। मैंने जलती हुई आग में उस बेटी को देखा तो मैं तो पूरी तरह घबरा गया और उसे बचाने के लिए आग में कूद पड़ा। अपनी बच्ची के प्यार में आकर मैंने यह गलत काम किया। आप चाहे तो मुझे पुलिस में दे सकते हैं। “
घर का मालिक,” देखो तुम दिल के बहुत ही अच्छे इंसान हो। तुम तो यहां चोरी करने आए थे परंतु मेरी बेटी को मुसीबत में देखकर खुद मुसीबत में फंसकर मेरी बेटी की जान बचाई… यह तो एक बहुत ही अच्छे और ईमानदार व्यक्ति का संकेत है। 
तुमने अपनी बेटी की नजरों में सही बनने के लिए चोरी की तो भला मैं तुम्हें पुलिस के हवाले क्यों करूं ? तुम बुरा ना मानो तो क्या मैं तुम्हारी बच्ची के लिए कुछ पैसे दे सकता हूं जिससे कि तुम उसके लिए एक नई और सुंदर फ्रॉक खरीद सको ? और हां तुम्हें चोरी के पैसों से अपनी बच्ची के लिए कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। “
सूरज,” आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मालिक… मैं चोरी जैसा काम जिंदगी में कभी नहीं करता अगर मैं मजबूर ना होता। मैं काम की तलाश में इधर – उधर धक्के खा रहा था पर काम नहीं मिल रहा था। 
मेरी गुड़िया नई फ्रॉक के लिए मुझसे कितने दिनों से आस लगाए बैठी है। मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं खाली हाथ घर वापस लौट जाऊं। इसीलिए मैं यहां चोरी करने आ गया था। “
घर का मालिक,” अरे ! तुम बहुत ही ईमानदार व्यक्ति हो। तुमने मेरी बेटी की जान बचाकर मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है जिसकी कीमत में कभी नहीं चुका सकता।
तुम एक काम करना कल मेरे ऑफिस आ जाना। मैं तुम्हें वहां कोई ना कोई काम जरूर दिला दूंगा जिससे तुम्हारी अच्छी खासी कमाई हो जाया करेगी और तुम अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रह पाओगे। “
सूरज,” बहुत-बहुत शुक्रिया साहब। अगर आप मुझे कोई काम दिला देंगे तो यह मेरे ऊपर काफी बड़ा अहसान होगा। मेरे बच्चे भूखे नहीं मरेंगे। “
घर का मालिक सूरज को ₹1000 देता है। सूरज खुशी-खुशी बाजार से एक सुंदर सी फ्रॉक और एक गुड़िया लेकर घर पहुंचता है। 
उसे देखते ही उसकी बेटी खुशी के मारे चिल्लाते हुए कहती है,” पिताजी… पिताजी को देखो वह मेरे लिए कितनी सुंदर गुड़िया और फ्रॉक लेकर आए हैं। यह फ्रॉक पहनकर तो मैं राजकुमारी के जैसी देखूंगी। 
यह देखकर सूरज की आंखों में आंसू आ जाते हैं। सूरज अपनी पत्नी को सारी घटना बताता है,” देखो… भगवान ने हमारी सुन ली। यदि मैं चोरी करके वहां से निकल जाता तो वह पैसे कितने दिन चल जाते ?

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लेकिन भगवान ने हमें इस मुसीबत से बचाया और अब मुझे एक अच्छी खासी नौकरी भी मिल गई। मालिक ने कल मुझे ऑफिस बुलाया है। वह मुझे अपने यहां काम पर रख लेंगे और हमें खाने पीने की अब चिंता करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।
सूरज की पत्नी,” देखो… मैं ना कहती थी, भगवान जरूर हमारी मदद करेंगे। आखिर उन्होंने हमारी सुन ही ली। “
सूरज रोज ऑफिस जाकर इमानदारी से अपना काम करता और अपने बच्चों को बहुत अच्छे से पालता है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

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