बहरा नौकर | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बेहरा नौकर ” यह एक Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

बहरा नौकर | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Hindi Fairy Tales

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 बहरा नौकर 

धनीपुर गांव में मुंशी नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसका एक नौकर था जिसका नाम था गोपाल। गोपाल को कम सुनाई देता था जिसकी वजह से उसे अपने मालिक से काफी डांट खानी पड़ती थी।
1 दिन मुंशी ने अपने नौकर को आवाज लगाई,” गोपू… जरा मेरे लिए तंबाकू और हुक्का ले आ। “
गोपाल ने जैसे ही आवाज सुनी वह तुरंत एक कच्चा पपीता और जलती हुई मशाल ले आया।
” लो मालिक। लेकिन मालिक मुझे यह बताओ कि क्या आपके पेट में गड़बड़ है जिसकी वजह से कच्चा पपीता मंगाया है ? “
यह सब देख मुंशी को काफी गुस्सा आया। उसने कहा,” अरे बहरे,, मैंने तुझसे क्या मंगाया था और तू क्या लेकर आ गया ? “
मैंने पपीता और यह जलती हुई लकड़ी नहीं मंगाई। मैंने तो हुक्का और तंबाकू मंगाया था।
यह सुनकर गोपू अपनी गलती को छुपाते हुए बोला ,” अभी रुको मालिक,, मैं तुरंत जाकर ले आता हूं। “
वह जाता है और तंबाकू और हुक्का लेकर आता है और मुंशी को सौंप देता है।
मुंशी हुक्का लगाते हुए कहते हैं,” अरे गोपू सुन… आज जमींदार के यहां माता पधारी है। मैं तो अपने ससुराल जा रहा हूं क्योंकि तेरी मालकिन की तबीयत खराब है। 
तो एक काम करना,, मेरी तरफ से कच्चे चावल और कच्चे केले लेकर जाना और सीधा जमीदार के हाथों पर रख देना। “

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गोपाल सारी बातें ध्यान से सुनता है और कहता है,” ठीक है मालिक। मैं सुबह होते ही जमीदार के यहां कच्चे चावल और कच्चे केले लेकर चला जाऊंगा। “
अब रात बहुत हो गई है और सुबह जल्दी भी उठना है तो आप सो जाइए मालिक।
सुबह गोपाल बिना बताए कच्चे चावल और कच्चे केले लेकर जमींदार के महल जाता है। जमीदार के सिपाही गोपाल से पूछते हैं,” यहां क्यों आए हो… क्या काम है ? “
गोपाल कहता है,” जमींदार की मां मर गई है। मैं उनके खाने के लिए कच्चे चावल और कच्चे केले लेकर आया हूं। “
ये सुनकर सिपाही हंसते हैं और कहते हैं,” पागल हो गए हो क्या ? जमींदार की मां तो कल ही यहां आई है। और तू ने उन्हें मार भी दिया। “
दोनों सिपाही गोपाल को लेकर जमीदार के पास जाते हैं और कहते हैं,” महाराज ! यह देखो,, यह कह रहा है कि आपकी मां मर गई है और आपके खाने के लिए कच्चे चावल और कच्चे केले भी लेकर आया है। “
यह सुनकर जमींदार कहता है,” कौन हो तुम ? और तुमसे ऐसा किसने कहा ? “
” महाराज ! मैं मुंशी जी का नौकर हूं। उन्होंने ही मुझसे कच्चे केले और कच्चे चावल सीधा आपको भेंट करने के लिए कहा था। “
जमींदार – इस मुंशी को अभी यहां बुलाकर लाओ।
सिपाही जाते हैं और मुंशी जी को जमीदार के सामने पेश करते हैं।

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” महाराज ! क्या हुआ..?? क्या मुझसे कोई गलती हो गई ? “
अरे ! मुंशी जी मैं तो आपको बहुत ही भला इंसान समझता था। लेकिन आपने तो मेरी मां को जीते जी मार दिया।
लेकिन हुआ क्या..?? महाराज
इसे जानते हो ? यह तुम्हारा ही तो नौकर है ? यह कह रहा है कि तुमने मेरी मां की मौत होने के पर मेरे लिए कच्चे चावल और कच्चे केले भेजे हैं।
मुंशी तुरंत महाराज से माफी मांगते हुए कहता है,” महाराज… ऐसा नहीं है। मैंने तो इससे यह कहा था कि महाराज के यहां माता पधारी है तो सुबह उनकी भेंट के लिए कच्चे चावल और कच्चे केले लेते जाना। “
महाराज इस बात से काफी क्रोधित थे। इसलिए उन्होंने कहा,” नहीं मुंशी जी… आपको इस नौकर को अपने काम से निकालना होगा। तभी इसे सबक मिलेगा। “
गोपाल माफी मांगते हुए कहता है,” मालिक आप घर जाइ। मैं भी कहीं अपनी जगह ढूंढ लूंगा। “
गोपाल वहां से चला जाता है। और चलता चलता एक जंगल में काफी दूर निकल जाता है। काफी समय तक कुछ खाने को न मिल पाने के कारण वह भूख से बिलखने लगता है। 
उसे सामने एक नदी दिखाई पड़ती है।‌‌ वह जाकर उस नदी का पानी पीता है। और आराम करने के लिए जगह तलाश करता है। सामने ही एक टूटा फूटा मंदिर होता है,, वह उसमें चला जाता है।
जैसे ही वह सोने वाला होता है, कुछ आवाज उसे सुनाई देने लगती हैं।
” सरदार… सुना है जमींदार के यहां माता बैठाई गई हैं। माता की मूर्ति के नीचे जमींदार ने काफी सारा सोना और खजाना छुपा रखा है। अगर हम किसी तरह से उस खजाने को ढूंढ लेते हैं तो हम अपने बाकी के जीवन को काफी आराम से बिता सकते हैं। “

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सरदार अपने सेवक की बात सुनकर काफी खुश होता है। और उस खजाने को ढूंढने के लिए काफी विचार करने लगता है। कुछ समय तक सोचने के बाद वह अपने सेवकों से कहता है,” सेवकों… माता के स्थान के चारों ओर फैल जाओ और ध्यान रहे कोई भी हमें पहचान ना पाए। “
सरदार के कहे अनुसार उसके सेवक चारों ओर फैल जाते हैं।
गोपाल उन सब की बातें छुपकर सुन रहा था। उसे अब समझ आ चुका था कि जमींदार का खजाना और उसकी जान खतरे में है। 
वह तुरंत वहां से भाग भाग कर जमीदार के महल वापस आता है और उसने यह सारी घटना सुनाता है।
यह सब सुनकर जमींदार को गोपाल की बातों पर विश्वास नहीं होता है क्योंकि उसे ठीक से सुनाई ही नहीं देता है। जमीदार कहता है,” फिर से तुम आ गए… बकवास करने।
” महाराज, मैं कोई बकवास नहीं कर रहा हूं। यह सच है। आपका छुपाया हुआ खजाना खतरे में है। अगर आप अपने सैनिकों से सतर्क होने के लिए नहीं कहोगे तो आपका छुपाया हुआ खजाना चोरी हो जाएगा। “
” खजाना..??  कौनसा खजाना ? “
वही खजाना जो आपने काली माता की मूर्ति के नीचे छुपाया हुआ है।
जमीदार एक पल के लिए सोचता है कि यह सब इसे कैसे पता है ?
वह गोपाल से पूछता है,” तुम इसके बारे में कैसे जानते हो। “
महाराज यहां से जाकर मैं एक जंगल में रुका। मैंने वहां पर एक सरदार को बात करते हुए सुना कि वह सब आपके छुपाए हुए खजाने पर हमला करने वाले हैं। “
जमींदार तुरंत अपने सैनिकों से कहता है,” सैनिकों, अपने हाथों में बंदूक और मसाले ले लो और किसी भी बाहर वाले व्यक्ति को अंदर मत घुसने देना। “

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सभी सैनिक अपने जमींदार की बात मानते हैं और गांव के चारों ओर फैल जाते हैं। उन्हें डाकुओं का एक झुंड मिलता है जो उस खजाने को लूटने आए थे।
सभी सैनिक उन्हें घेर लेते हैं और वही मार देते हैं।
कुछ समय बाद सभी सैनिक महाराज के पास आते हैं और उन्हें यह खबर बताते हैं। यह सुनकर महाराज काफी खुश होते हैं और कहते हैं कि अब हमारा खजाना सुरक्षित है।
” गोपाल तुम नहीं जानते तुमने कितना बड़ा काम किया है ? तुमने खजाने को ही नहीं हमारे प्राणों की भी रक्षा की है। इसके बदले में हम आपको एक अशर्फी भेंट करते हैं। “
और बताओ तुम्हें और क्या चाहिए ?
” महाराज… मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं तो केवल यही चाहता हूं कि मैं अपने मालिक के साथ रहूं। कृपया आप मेरे लिए इतना ही कर दीजिए। “
” ठीक है गोपाल। जब भी तुम चाहो तुम मुंशी जी के घर आ सकते हो और जा भी सकते हो। “
धन्यवाद महाराज !
इसके बाद मुंशी और गोपाल दोनों एक साथ घर के लिए रवाना हो जाते हैं।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में जरूर बताएं।

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