हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – श्रद्धांजलि। यह एक True Horror Story है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Real Horror Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
रमेश, “भाई, मज़ा आ गया! ऐसी चीज़ अगर रोज़ रोज़ चखने को मिले तो क्या ही कहने? फिर पत्नी को कौन मुँह लगाए?”
रमेश अपने माथे से पसीना पोंछता हुआ, अपनी पैंट को अड्जस्ट करता हुआ बेड पर से उतर रहा था।
रमेश की बात सुन त्रिलोक ने भी मुस्कुराते हुए कहा,
त्रिलोक, “हां रमेश, बात तो तेरी ठीक ही है। मैं खुद एक गाड़ी को 2 साल से ऊपर नहीं चलाता। पता नहीं ये पत्नी को कैसे 20 सालों से संभाल रखा है।”
तभी भीमा अपनी सिगरेट सुलगाते हुए कमरे में आया।
भीमा, “वो इसलिए क्योंकि जब आदमी पर कंगाली आ जाए तो आदमी के पास फिक्स्ड डेपॉज़िट होना चाहिए जो बुरे वक्त में उसके काम आए। समझे?”
भीमा की बात पर रमेश ज़ोर ज़ोर से ठहाके लगाने लगा। पर अचानक एक लड़की की चीख ने सबको शांत कर दिया।
भीमा, “अबे! क्या कर दिया तुमने उसके साथ? कुंवारी थी ये। इस तरह दरिंदगी दिखाने की क्या जरूरत पड़ी तुमको लोगों को?”
कैमरे में तीनों के अलावा एक लड़की भी थी, जो इस वक्त अधमरी हालत में ही बिस्तर पर एड़ियां रगड़ रही थी।
भीमा जब उस लड़की के पास गया तो देखा कि उसका नंगा बदन एक पतली सफेद चादर से ढका हुआ था।
भीमा ने तुरंत उसकी नब्ज़ और उसकी सांसे चेक की तो उसे महसूस हो गया कि बस यह कुछ ही देर की मेहमान है।
भीमा, “क्या किया तुमने? मैं दो मिनट के लिए बाहर गया और तुमने तो इस लड़की को नोच खाया। मरने वाली है वो।
अगर किसी को पता चल गया ना कि हम तीनों ने इसके साथ जबरदस्ती की है, तो पूरी जिंदगी जेल में सड़ेगी।”
भीमा का लहजा गर्म था। उसने एक नज़र बिस्तर पर पड़ी उस लड़की के उथड़े हुए जिस्म पर डाली, जिस पर उसे सिर्फ दांतों और नाखूनों के काटने और खरोंचने की निशानियाँ दिखाई दीं।
फिर उसने त्रिलोक और रमेश को देखा, जिनके चेहरे पर इतना सब करने के बाद भी एक शिकन तक नहीं थी।
त्रिलोक, भीमा और रमेश एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के पार्टनर थे। त्रिलोक के पास अकेले ही कंपनी के आधे से ज्यादा शेयर्स थे।
और जो बच गए थे उनमें रमेश और भीमा किसी तरह अपना हिस्सा ले लेते थे। इसीलिए त्रिलोक ने जब भीमा की तेज़ आवाज सुनी तो उसने गुस्से में भीमा से कहा,
त्रिलोक, “हमारे सामने महात्मा बनने की कोई जरूरत नहीं है, समझा ना..? इस लड़की को अगवा करके कौन लाया?
तू लाया। तूने भी इसके साथ वही किया जो हम लोग कर रहे थे, तो क्या तब ये नहीं तड़पी? जब तूने इसका रोना, इसका गिड़गिड़ाना, इसकी चीखें नहीं सुनीं?
इसलिए फालतू बकवास मत कर और औकात में रह, समझा ना? ज्यादा चपड़ चपड़ करी ना तो अभी के अभी तेरे हिस्से के शेयर्स खरीद के तुझे रास्ते पे ले आऊंगा।”
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त्रिलोक की बात सुन भीमा को भी अपना गिरेबान नजर आने लगा था, पर उसने त्रिलोक की धमकी बर्दाश्त नहीं हुई।
भीमा, “नहीं, कहना क्या चाहता है तू? बोल ना साफ साफ। सारी मेहनत हम करते हैं और प्रॉफिट अकेला तू हज़म कर जाता है। आज तो फैसला होकर ही रहेगा।”
इतना कहकर भीमा त्रिलोक की तरफ गुस्से से बढ़ गया। भीमा को ऐसे गुस्से में आते देख त्रिलोक ने अपनी कमर से बंदूक निकाल कर भीमा पर तान दी, पर भीमा बिल्कुल नहीं डरा।
वो अभी भी उसकी तरफ आ ही रहा था। तभी रमेश ने चीखते हुए कहा,
रमेश, “शांत हो जाओ दोनों और वहाँ देखो। लड़की तड़प रही है और अब तो उसके मुँह से भी खून और नाक से भी खून गिरने लगा है।
अब जल्दी बताओ, करना क्या है इस लड़की का? किसी ने कुछ सोचा है?”
रमेश के कहने पर त्रिलोक और भीमा भी उस लड़की को तड़पते हुए देखने लगे। वह इतने दर्द में थी कि अपने नाखून से बिस्तर को चीरने लगी थी।
वह दर्द में अपने पैरों को ऐसे पटक रही थी मानो वह प्राण त्याग देगी। पर उसकी मौत का आना अभी बाकी था। तभी त्रिलोक ने बंदूक टेबल पर रखी और सोफे पर आराम से बैठते हुए कहा,
त्रिलोक, “अरे गुड़गांव ! वाली साइट है ना, वहाँ कल मिट्टी डालनी है। वहीं कहीं दफना देंगे इसको।
हमारे पापों के साथ हमारे सारे राज़ भी दफन हो जाएंगे। पर इसका कोई परिवार वाला इंसाफ के नारे ना लगाने लग जाए।”
भीमा, “नहीं त्रिलोक, ऐसे कोई मुसीबत नहीं आने वाली है। इंसाफ के लिए इसके परिवार में कोई होना भी तो चाहिए ना।
इसका बाप तो हमारे यहाँ मलबे में दब कर मर गया। माँ भाग गई या मर गई, कुछ पता नहीं। बस उसकी दो छोटी बहन और एक छोटा भाई है।
उन्हीं के लिए हमारे पास काम करने आती थी। पहली नजर में उतनी खास नहीं लगी, लेकिन नशे के बाद तो तुम्हें पता ही है।
पहले पैसे दिए तो मना कर दिया पर नहीं मानी, उल्टा चिल्लाने लगी। मैं भी नशे में था। जबरदस्ती धर लाया उसको अपने पास।
फिर तो तुम लोग जानते ही हो, गुजरे हुए दो-तीन दिन कितने मज़े किए हमने? अच्छा हुआ मर रही है, जब से आई है परेशान ही किया है। इसकी चीखें तो अभी तक मेरे कानों में गूंज रही हैं।”
भीमा की बात सुन सबने चैन की सांस ली और फिर से शराब पीने लगे। देखते-देखते बोतल भी खत्म हो गई और एक बार फिर तीनों नशे में धुत हो गए।
तीनों बैड के सामने सोफे पर बैठे लड़की को तड़पता हुआ देख रहे थे। अब लड़की की सिर्फ ऊँगलियाना हलचल हो रही थी। उसका चीखना, मदद के लिए दुसरों को पुकारना, सब बंद हो गया था।
पर तभी रमेश एकदम से खड़ा हुआ और सबसे कहने लगा,
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रमेश, “मैं चेक करके आता हूँ। लगता है मर गई।”
रमेश कहता हुआ वापस उस लड़की के पास गया। उसने उसकी साँसों को सुनने के लिए अपने कान को उस लड़की के मुँह के पास ले जाकर देखा कि अचानक ही लड़की ने रमेश का कान अपने दाँतों में पकड़कर उसके चेहरे को नोच डाला। रमेश दर्द के मारे चीखने लगा।
रमेश को लहूलुहान देख त्रिलोक और भीमा हंसने लगे थे।
त्रिलोक, “रमेश? तेरे बश की कुछ नहीं है। तू नकारा था, नकारा ही रहेगा। ये ना बंदूक ले जा। उतार दे इसका सारा लोहा लड़की के जिस्म में।”
अपने पार्टनर को खुद पर हंसता देख रमेश नशे में पागल हो गया। वो बिना कुछ सोचे समझे लड़की पर टूट पड़ा और उसकी छाती पर बैठ उसका गला घोटने लगा।
लड़की फिर से अपनी एड़ियाँ रगड़ने लगी और अपने नाखूनों से रमेश का चेहरा नोच रही थी, पर रमेश ने एक पल के लिए अपनी पकड़ कमजोर नहीं की।
लड़की, “मैं तुम में से किसी को ज़िंदा नहीं छोड़ूंगी।”
लड़की ने रमेश से बस इतना ही कहा था। साँस की नली ज्यादा ज़ोर से दबाने के कारण उसकी आँखों की पुतलियाँ फट पड़ीं।
वह एक पल में ज़िंदा से मुठभेड़ हो गई। रमेश जिस खौफनाक तरीके से उस लड़की को मौत के घाट उतारा था, उसे देख यह कहना बिलकुल गलत नहीं था कि कमरे में मौजूद तीनों इंसान नहीं बल्कि राक्षस थे जो कब और कैसे अपनी हैवानियत का नमूना पेश करेंगे, ये किसी को मालूम नहीं था?
बेरहमी से उस लड़की का कत्ल होते देख त्रिलोक और भीमा भी दंग थे। अभी एक मिनट पहले दोनों ने जिसे नकारा और फट्टू का था, रमेश ने उस लड़की को अपने हाथों से मार गिराया था।
त्रिलोक, “वाह मेरे शेर! मैं तो तुझे फुद्दू समझ रहा था, लेकिन तू ही तो बड़ा जिगर वाला निकला यार। चलो, इस खुशी के मौके पर एक पैग बनाते हैं।
बस लड़की की आत्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखते हैं। शायद हमारे पाप धुल जाएँ।”
त्रिलोक यह कहते हुए सबको दारू से भरा ग्लास थमाता है और सामने रखी टेबल पर दो मिनट का टाइमर लगा देता है।
त्रिलोक, “बस 2 मिनट के लिए ही तो अपनी आँख बंद करनी है, फिर ये तमाशा किस लिए?”
त्रिलोक, ” रमेश, हम तीनों नशे में हैं और वक्त का पता नहीं। कहीं आंख खुले और हम लोग किसी अलग दुनिया में मिले तो?
वैसे भी कुछ घंटों में सुबह होने वाली है और बची हुई दारू भी तो खत्म करनी है। इसीलिए दो मिनट से ज्यादा एक सेकेंड भी नहीं, समझा?”
त्रिलोक की इस बात पर रमेश ने भी अपनी आँखें बंद कर ली थीं।
अभी कुछ ही पल गुज़रे थे कि अचानक किसी की दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी, जिसे सुन सभी की आँखें एक पल में खुल गईं।
तीना ने जब कमरे को देखा, तो वो पहले की तरह रंगीन नहीं बल्कि पूरी तरह से वीरान और जर्जर हो रखा था। वे लोग अब सच में किसी और ही दुनिया में आ गए थे।
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चारों तरफ अंधेरा था और उस लड़की की लाश भी गायब थी। दरवाज़े पर होती दस्तक सुनकर सबके पसीने छूट गए।
भीमा, “रमेश, तू देख कर आ।”
रमेश आहिस्ता आहिस्ता दरवाजा खोल बाहर झांकने ही वाला था कि अचानक किसी ने उसे गर्दन से पकड़कर खींच लिया।
रमेश तड़प रहा था, पर उसकी मदद के लिए कोई नहीं गया। भीमा और त्रिलोक चुपचाप खड़े थे। लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि दरवाजे के बाहर जाकर देखे।
फिर अचानक सबके पैरों तले जमीन खिसक गई। वही लड़की, जो कुछ देर पहले बिस्तर पर अपनी जान की भीख मांग रही थी, त्रिलोक और भीमा के सामने खड़ी थी।
उसके गले में रमेश का कटा हुआ सिर और उसके कटे हुए हाथों और पैरों की माला बनी हुई थी। उसकी आँखों की जगह पर केवल गहरे काले घाव दिखाई दे रहे थे।
लड़की के नाक और मुँह से अभी भी खून निकल रहा था, जिसे देख भीमा और त्रिलोक हांफने लगे थे।
लड़की, “कौन है तू और तुने हमारे दोस्त रमेश के साथ क्या किया?”
लड़की, “पिछले तीन दिनों से तुम लोग मेरा जिस्म नोच खसोट रहे थे, मेरी चीखें सुन रहे थे, मुझे तड़पा रहे थे।
अब तुम पूछते हो कौन हूं? इतनी जल्दी भूल गए मालिक। जितना दर्द मैंने झेला है, अब तुम्हारी बारी है।”
इतना कहकर लड़की ने सीधे भीमा के पास जाकर उसके शरीर में अपना हाथ डालकर पहले उसका दिल निकाल लिया।
फिर उसने उसके सिर को इतना जोर से दबाया कि उसकी जबान और आँखें भी बाहर आ गईं। लड़की का मन अब भी नहीं भरा तो उसने भीमा के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।
त्रिलोक का खून जम सा गया और वह कांपते हुए डर के मारे पीछे हट गया। लेकिन अचानक ही वह दीवार से टकरा गया और उसकी आँखों के सामने मौत खड़ी थी।
मौत के डर से त्रिलोक ने अपनी आँखें बंद कर लीं। घड़ी का टाइमर बजने लगा और जब त्रिलोक ने झिझकते हुए आँखें खोलीं, तो वह वापस अपनी दुनिया में आ चुका था।
उसने टाइमर बंद किया और चारों ओर देखा। वहाँ रौशनी थी और बिस्तर पर लड़की की लाश भी पड़ी थी।
लेकिन जैसे ही उसने जमीन पर नजर डाली, तो देखा रमेश और भीमा के कटे हुए सिर और अंग बिखरे हुए थे। उनकी मौत भी उसी तरह हुई थी जैसे त्रिलोक ने अपनी आँखें बंद करते ही दूसरी दुनिया में देखा था।
अचानक हड्डियों की चटकने की आवाज सुनाई देने लगी। त्रिलोक ने आवाज का पीछा किया और देखा कि लड़की की लाश की हड्डियाँ अपने आप मुड़ रही थीं। लड़की उल्टा रेंगती हुई त्रिलोक के पास आ रही थी।
लड़की, “क्या हुआ त्रिलोक..? अपनी मौत देखकर डर गया? अभी तो मैंने तुझे छुआ भी नहीं। आ, एक बार फिर से मेरे साथ जबरदस्ती कर।”
लड़की की बात सुनकर त्रिलोक का डर बढ़ गया। उसने सामने टेबल पर रखी बंदूक उठाई।
वही बंदूक जिसे उसने भीमा को मारने के लिए तानी थी। बंदूक हाथ में लेते ही त्रिलोक ने अपना मुँह खोला और एक झटके में अपना सिर उड़ा लिया।
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शायद सच्ची कहा था उसे लड़की ने कि वह अपना बदला लेकर रहेगी। उस लड़की ने अपना बदला ले लिया था, लेकिन भारत में हर 16 मिनट में एक लड़की का शोषण किया जाता है।
ये तो वो केस है जो रिपोर्टेड है। न जाने कितने केस ऐसे रोज़ होते होंगे जो कभी हमारी और आपकी नजर में आए ही नहीं?
इसीलिए अगर आपके साथ या आपके किसी अपने के साथ ऐसा कुछ होता है, तो आवाज जरूर उठाएं। क्योंकि आवाज नहीं उठाओगे तो इन हैवानों की हिम्मत और बढ़ जाएगी।
दोस्तो ये True Horror Story आपको कैसी लगी नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!