बदमाश डॉक्टर और नई बहू | Badmash Doctor Aur Nayi Bahu | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बदमाश डॉक्टर और नई बहू ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Kahaniyan या Bedtime Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


वर्षा की शादी को 15 दिन हो चुके थे। हनीमून से वापस आते ही वह गाँव अपनी ससुराल जाने की पैकिंग करने लगी।

नकुल, “वर्षा, तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा ना कि मैं तुम्हें अकेले गाँव माँ-बाबूजी के पास भेज रहा हूँ? क्या करूँ, फैक्टरी में काम बहुत है? 

मालिक छुट्टी नहीं दे रहे हैं। अगर वो छुट्टी दे देते तो मैं भी तुम्हारे साथ चलता। वैसे मैंने उन्हें बोल दिया है कि दो हफ्ते बाद मुझे 10 दिन की छुट्टी चाहिए, क्योंकि मेरी बहन की शादी है।”

वर्षा, “हाँ हाँ, कोई बात नहीं। पहले काम जरूरी है और वैसे भी मैं कोई पराई जगह थोड़ी जा रही हूँ। मैं तो अपने ससुराल जा रही हूँ, अपने घर। 

वहाँ रहूंगी तो माँ जी को सहारा मिलेगा। सुनैना की शादी भी तो है अगले महीने। मुझे कोई बुरा नहीं लग रहा। तुम परेशान मत हो।”

नकुल वर्षा को बस में बैठा देता है। शहर से गाँव की दूरी 7 घंटे की थी। वर्षा गाँव पहुँचती है। सब लोग नई बहू का स्वागत करते हैं। 

वर्षा की सास और ननद बहुत अच्छे स्वभाव की थीं। उन्होंने वर्षा को महसूस ही नहीं होने दिया कि वह किसी नई जगह आई है।

सास, “वर्षा बहू, गाँव की कुछ औरतें तुम्हारी मुँह दिखाई के लिए आने वाली हैं। सबका बहुत मन था तुम्हें देखने का। एक काम करो, तुम जल्दी से तैयार होकर आँगन में आ जाओ।”

सुनैना, “भाभी, आज मैंने आपके लिए पूड़ी, आलू और खीर बनाई है। मैं अभी आपके लिए लेकर आती हूँ।”

सुनैना ने जबरदस्ती वर्षा को भारी नाश्ता खिलाया। मेहमान भी बार-बार आ रहे थे, इसलिए वर्षा को सबके साथ कुछ न कुछ खाना पड़ा। 

अगले दिन वर्षा की तबियत थोड़ी खराब हो गई और उसके पेट में दर्द होने लगा।

जानकी, “कमला बहन, बहू को नजर लग गई। एक काम कर, बहू की नजर उतार दे।”

कमला, ” हां जानकी बहन, मैंने नजर तो उतार दी है। जरूर नजर ही लगी है मेरी प्यारी बहू को। चेहरा देखो, कैसे उतर गया है? बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है बहू?”

वर्षा, “हाँ, पता नहीं पेट में मरोड़ उठ रहे हैं। रुक-रुक कर दर्द हो रहा है।”

सुनैना, “माँ, मुझे लगता है वर्षा भाभी को गाँव के खाना-पानी की वजह से ही दिक्कत हो रही है। क्यों भाभी, मैं ठीक कह रही हूँ ना?”

वर्षा, “हो सकता है मुझे यहाँ का पानी सूट ना किया हो। पहले इतना दर्द नहीं होता था।”

जानकी, “एक काम कर, बहू को डॉक्टर विनोद के पास ले जा। कोई न कोई दवाई दे देंगे।”

कमला, “हाँ, ये ठीक रहेगा। चल बहू, मैं तुझे डॉक्टर साहब के पास ले चलती हूँ। बहुत अच्छी दवाई देते हैं वो। उनकी एक ही खुराक से आराम आ जाता है।”

सुनैना, “माँ, भाभी को वो जो दवाई की दुकान वाला है, उससे दवाई लेकर दे दो। डॉक्टर साहब के पास ले जाने की क्या जरूरत है? थोड़ा सा ही तो पेट में दर्द है भाभी के।”

कमला, “अरे ! तू ये कैसी बातें कर रही है सुनैना? ये थोड़े ही है कि तूने उन डॉक्टर के पास जाना छोड़ दिया तो हम सब भी जाना छोड़ देंगे। 

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अरे ! बहुत अच्छे डॉक्टर हैं वो। इतने सालों से हमारे गाँव में मरीजों की देखभाल कर रहे हैं। तू चुप कर। चल बहू, इसकी बातों पर ध्यान मत दे। मैं तुझे लेकर चलती हूँ।”

वर्षा उस समय कुछ नहीं बोली पर उसे सुनैना की बात थोड़ी अटपटी लगी। सुनैना की बातों पर उसने उस समय ध्यान नहीं दिया। 

उसे लगा कि वैसे ही सुनैना कुछ बोल रही होगी। वर्षा अपनी सास के साथ डॉक्टर विनोद के क्लिनिक पर जाती है। 

क्लिनिक के बाहर औरतों की बहुत भीड़ थी। वर्षा का नंबर सबसे आखिरी था, इसलिए वह लाइन में पीछे लगी।

कुछ समय बाद वर्षा का नंबर आ जाता है। वर्षा अपनी सास के साथ डॉक्टर के कमरे में जाने लगती है तो बाहर खड़ा गार्ड उन्हें रोक देता है।

गार्ड, “माताजी, आप मरीज के साथ अंदर नहीं जा सकती हो। डॉक्टर साहब गुस्सा करेंगे।”

वर्षा, “माँ जी आप यहीं रुको, मैं दिखाकर आती हूँ।”

कमला, “ठीक है बहू, मैं यहीं रुकती हूँ। अच्छे से सब बता देना।”

वर्षा अंदर जाती है। एक कुर्सी पर लगभग 40-42 साल का आदमी बैठा था। उसके चेहरे पर कुछ निशान थे जैसे गहरी पुरानी खरोंचें। वही था डॉक्टर विनोद।

डॉक्टर विनोद, “वर्षा, बताओ क्या तकलीफ है?”

वर्षा, “डॉक्टर साहब, आज सुबह से ही पेट में बहुत दर्द है। रुक-रुक कर हो रहा है।”

डॉक्टर विनोद, “आपकी पूरी बॉडी का चेकअप करना होगा। अंदर लेट जाओ।”

वर्षा, “पेट दर्द के लिए डॉक्टर साहब पूरी बॉडी का चेकअप?”

डॉक्टर विनोद, “हाँ, पूरी बॉडी का चेकअप। तभी मुझे पता चल पाएगा कि पेट में दर्द क्यों है? और फिर तभी मैं सही दवाई दे पाऊंगा।”

वर्षा को लगा कि डॉक्टर तो कई बार ऐसे चेकअप करते हैं। वर्षा अंदर कमरे में लेट जाती है। डॉक्टर विनोद अंदर आता है और दरवाजा बंद कर देता है। 

वर्षा को थोड़ा अटपटा सा लगता है क्योंकि उसने देखा था कि अक्सर जब भी डॉक्टर मरीज को लिटाकर चेकअप करते हैं तो साथ में घर का कोई न कोई सदस्य जरूर खड़ा होता है। पर यहाँ वर्षा को बिल्कुल अकेले अंदर आने के लिए बोला गया था।

डॉक्टर विनोद, “वर्षा जी, अपनी साड़ी का पल्ला थोड़ा ऊपर कीजिए, मुझे पेट देखना है। कहाँ… कहाँ दर्द है, मैं दबाता जाऊंगा, आप बताते जाना। यहाँ…?”

वर्षा, “जी नहीं, यहाँ नहीं साइड में इधर।”

डॉक्टर विनोद, “एक काम करता हूँ, मैं पूरे पेट पर दबाकर देखता हूँ जहाँ ज्यादा दर्द हो, बता देना।”

अब वर्षा को थोड़ी घबराहट महसूस होने लगी। विनोद वर्षा के शरीर को गलत तरीके से छूने की कोशिश करने लगा। वर्षा ने विनोद का हाथ झटक दिया और जोर से उसे तमाचा लगाया।

वर्षा, ” बत्तमीज इंसान, तुम डॉक्टर के नाम पर धब्बा हो। मैं अभी जाकर तुम्हारी काली करतूत सबको बताती हूँ। 

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तुम्हारे चेहरे पर ये जो खरोंच के निशान हैं, शायद ये उन्हीं औरतों के नाखूनों के हैं जिनके साथ तुमने ऐसी घटिया हरकत करने की कोशिश की होगी।”

डॉक्टर विनोद, “क्या बताओगी? इस गाँव में कोई भी औरत मेरे खिलाफ़ कुछ नहीं बोल सकती क्योंकि मेरे पास सभी की वीडियो और फोटो हैं। 

अगर मैं चाहूं तो इस पूरे गाँव की औरतों को बदनाम कर सकता हूँ। तुम्हारी वीडियो और फोटो मैंने नहीं रिकॉर्ड की हैं। 

मैं तो बस नशे का इंजेक्शन देकर तुम्हारी आराम से कोई भी तस्वीर या वीडियो ले सकता था। पर क्या करूँ, तुमने समय से पहले ही सब कुछ खराब कर दिया?

अब यहाँ से चली जाओ, वरना मैं सब औरतों की वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर डाल दूंगा।”

वर्षा उस समय चुप रही क्योंकि उसे गाँव की औरतों की इज्जत की परवाह थी। घर आकर उसने सारी बात फोन पर अपने पति नकुल को बताई। 

सुनैना पहले से ही डॉक्टर के अत्याचार का शिकार थी। वह डर गई थी कि कहीं उसने घर में किसी को कुछ बताया तो डॉक्टर विनोद उसकी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर ना डाल दे। 

वह भी सब कुछ वर्षा को बताती है। नकुल गाँव आता है और अब डॉक्टर विनोद को रंगे हाथों पकड़ना था। 

वर्षा को डर था कि अगर डॉक्टर को थोड़ा सा भी शक हुआ तो वह अपने फोन से सब कुछ डिलीट कर देगा और उसका जुर्म सामने नहीं आएगा। 

वर्षा नकुल को सब कुछ समझा देती है और प्लान के अनुसार वह डॉक्टर विनोद के क्लिनिक में जाती है।

डॉक्टर विनोद, “क्या बात है? आज तो मछली खुद जाल में फंसने चली आई। क्यों… मेरा छूना तुम्हें इतना पसंद आया?”

वर्षा, “बस कुछ ऐसा ही समझ लीजिए कि मेरे रोग की दवा आपके पास ही है। वैसे मैं बाद में आऊं या फिर अभी आप मुझे दवाई देंगे?”

डॉक्टर विनोद, “अरे ! नहीं नहीं, बाद में क्यों आओगी? मैं अभी तुम्हारा इलाज कर देता हूँ। आओ अंदर चलते हैं।”

वर्षा यही चाहती थी कि डॉक्टर उसकी बातों में आ जाए और वह डॉक्टर का फोन चुरा ले।

वर्षा, “डॉक्टर, आपके पास से दवाइयों की बदबू आ रही है। पहले आप अपना ये कोट उतारकर अच्छे से हाथ-मुँह धो लो, तभी मज़ा आएगा करीब आने में।”

डॉक्टर विनोद, “ओह ! तुम यही रुको, मैं वाशरूम से मुँह धोकर आता हूँ।”

विनोद को ध्यान ही नहीं रहा। वह अपना कोट उतारकर वाशरूम चला जाता है और कोट में ही उसका मोबाइल फोन था। 

वर्षा जल्दी से विनोद का मोबाइल निकालती है और क्लिनिक से बाहर आ जाती है। वहीं नकुल भी खड़ा हुआ था। 

दोनों पुलिस स्टेशन जाते हैं और वर्षा सारी बात पुलिस को बताती है। पुलिस डॉक्टर विनोद को अरेस्ट कर लेती है और उससे पूछ्ताछ करती है। 

गाँव वालों को जब पता चलता है कि उनके घर की सीधी-साधी औरतों के साथ विनोद कितना गलत करता था और उन्हें धमकी देता था तो वह सब भी यह देखकर दुखी होते हैं।

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सुनैना, “मां, आज भाभी ना होती तो विनोद जैसा बदमाश डॉक्टर पुलिस की हिरासत में कभी नहीं आता। भाभी ने मेरे साथ-साथ और भी गाँव की औरतों को इंसाफ दिलवाया है।”

कमला, “हम तो सचमुच यह सब जानकर बहुत दुखी हैं। वर्षा बहू, तुमने तो आज अपने घर की इज्जत बचाने के साथ-साथ गाँव की सब औरतों की भी इज्जत की रक्षा की है। जीती रहो बहू, जीती रहो।”

बाबूजी, “उस डॉक्टर को तो सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए।”

पुलिस ने उस डॉक्टर को जेल में डाल दिया है और उसे कड़ी सजा हुई। 

नकुल,” भगवान का लाख-लाख शुक्र है, सब ठीक हो गया।”

सब लोग वर्षा की बहुत तारीफ करते हैं। अपनी ननद सुनैना की शादी के बाद वर्षा नकुल के साथ वापस शहर चली जाती है।


दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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