बहू देवर की सुहागरात | Bahu Devar Ki Suhagrat | Moral Stories | Devar Bhabhi Story | Bhabhi Ki Kahani

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बहू देवर की सुहागरात ” यह एक Bhabhi Ki Kahani है। अगर आपको Family Stories, Bhabhi Stories या Devar Bhabhi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


अंगद और सुनैना की ये अरेंज मैरिज थी। शादी के अगले दिन ही अंगद और सुनैना हनीमून के लिए शिमला निकलने वाले थे।

अंगद का चचेरा भाई विशाल भी उनके साथ जा रहा था।

अंगद की मां, “अंगद बेटा, विशाल भी तुम्हारे साथ ही जा रहा है क्या?”

अंगद, “हां मां, उसे ऑफिस का कोई ज़रूरी काम है। और बोल रहा था कि उसका भी वही होटल है जो मैंने बुक किया है।

उसने कहा कि उसे अकेले नहीं जाना पड़ेगा, हमारा साथ हो जाएगा। मैंने कहा, कोई नहीं चल ले।”

अंगद और सुनैना एअरपोर्ट पहुँच जाते हैं। विशाल पहले से ही एअरपोर्ट पहुँच चुका था। तीनों मिलकर शिमला पहुँचते हैं।

अंगद, “सॉरी सुनैना, विशाल साथ में था, तो मैं तुमसे ज्यादा देर बात नहीं कर पाया। वैसे घबराओ नहीं, मैंने रात के लिए बहुत अच्छे से इंतजाम कर लिया है।

हमारी सुहागरात यादगार रहेगी, सिर्फ तुम और मैं। वैसे तुम नाराज़ तो नहीं हो ना, विशाल हमारे साथ आया?”

सुनैना, “नहीं नहीं, मैं आपसे बिलकुल भी नाराज़ नहीं हूँ और वैसे भी अब तो आप और मैं बिलकुल अकेले हैं। यहाँ देवर जी नहीं हैं।”

अंगद, “एक सेकंड… विशाल का फ़ोन आ रहा है।”

अंगद, “हाँ विशाल, क्या हुआ? अर्जेंट है क्या? ठीक है, आता हूँ।”

अंगद, “सुनैना, विशाल का अर्जेंट कॉल है। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। तब तक तुम चेंज कर लो और थोड़ा फ्रेश हो जाओ।”

सुनैना, “हाँ हाँ, कोई बात नहीं। आप मिलकर आओ, तब तक मैं हम दोनों के लिए खाना ऑर्डर कर देती हूँ।”

अंगद विशाल से मिलने चला जाता है। काफी देर तक अंगद नहीं लौटता। इसी बीच सुनैना थकी हुई थी और वह सो जाती है।

अंगद के पास एक और चाबी थी। रात को दरवाजा खुलता है। सुनैना गहरी नींद में थी, तभी वह अंगद से बोली,

सुनैना, “अंगद जी, प्लीज़ लाइट मत ऑन करना।मुझे बहुत तेज़ नींद आ रही है। अगर आपने लाइट जलाई तो मेरी नींद खराब हो जाएगी।

अरे! आप तो आते ही चिपकने लग गए‌। खाना तो खा लेते। क्या कर रहे हो? अरे छोड़ो! लगता है आज आप नहीं मानोगे।”

सुनैना और अंगद तो इसी मौके की तलाश में थे। अगली सुबह सुनैना की आँख खुलती है, तो वह देखती है कि अंगद डाइनिंग टेबल पर बैठा चाय पी रहा है।

सुनैना, “कल रात आपने कितना तंग किया? देखा, आपने मेरी गर्दन पर कितनी बड़ी लव बाइट दी है, जिसका निशान महीने भर तक नहीं जाएगा।

मुझे तो शर्म आ रही है। अरे! क्या हुआ? मैं तो मजाक कर रही हूँ। आपको मेरा इस तरह से बात करना अच्छा नहीं लगा क्या?”

अंगद, “नहीं नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। वैसे तुम्हें रात को कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?”

सुनैना, “नहीं अंगद जी, कल रात को मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती। मेरी बेस्ट रात थी कल की रात।”

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अंगद की उदास होने की बड़ी वजह थी उसका चचेरा भाई विशाल। विशाल ने अपने भाई अंगद के साथ धोखा किया। वो जानबूझकर उनके साथ आया था।

विशाल, “वैसे कुछ भी कह लो अंगद भैया, कल रात भाभी के साथ बहुत ही बढ़िया सुहागरात रही। मज़ा आ गया।

उन्हें तो पता भी नहीं चला कि उनके साथ उनके देवर ने सुहागरात मनाई है। वो तो सोच रही है कि सारा मज़ा आपसे मिला है।

पर वे ये नहीं जानतीं कि मुझ जैसा हॉट लड़का उनके साथ था। एक बात सुन लो, आज रात भी मैं उनके साथ रहूँगा।”

अंगद, “विशाल, तुमने जानबूझकर मेरे ऑफिस की लड़की संजना को पैसे देकर उस दिन मेरे साथ गाड़ी में भेजा था।

मैं तुम्हारे बहकावे में आ गया। उसने ड्रिंक नहीं की हुई थी, वो भी तुम्हारे साथ मिली हुई थी।

जानबूझकर वो मेरे ऊपर गिरी, और तुमने उस हालत में वो फोटो ले ली और अब तुम मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो कि मैं उसके साथ था?

गलत तो तुम कर रहे हो। तुम मेरी पत्नी के साथ मेरे रिश्ते को खराब कर रहे हो।

अरे! कुछ तो शर्म करो, तुम मेरे चचेरे भाई हो। सुनैना तुम्हारी भाभी है और तुम उसी के साथ… अगर उसे पता चलेगा तो…”

तभी सुनैना वहाँ आ जाती है। वह सारी बातें सुन चुकी थी।

सुनैना, “अंगद जी, आप ऐसा कैसे कर सकते हो? कल रात आपकी जगह देवर जी मेरे साथ थे।

मैंने आपके साथ सुहागरात नहीं मनाई, मैंने देवर जी के साथ सुहागरात मनाई है।”

अंगद, “मुझे माफ़ कर दो, सुनैना। ये सब विशाल की चाल है। तुम जानती हो, ये मुझे ब्लैकमेल कर रहा है।

मेरी ऑफिस की लड़की के साथ इसने मेरी फोटो खींची है और ये मुझे डरा रहा था कि अगर मैंने इसे तुम्हारे कमरे में नहीं भेजा, तो ये तुम्हें मेरे खिलाफ़ भड़काएगा।

मैं डर गया था कि कहीं तुम्हारा और मेरा रिश्ता शुरू होने से पहले ही खत्म ना हो जाए।

मुझे माफ़ कर दो, अब तो तुम्हें सच्चाई पता चल ही गई है। मेरा विश्वास करो, इसने तुम्हारे साथ जो भी किया…”

सुनैना, “बहुत अच्छा किया। मुझे तो बहुत मज़ा आया। क्यों, देवर जी, आपको मज़ा नहीं आया मेरे साथ सुहागरात मना कर?

ये देखो ना, आप भी कितने शरारती हो? आपने मेरी गर्दन पर ये लव बाइट का निशान छोड़ दिया।”

विशाल, “सॉरी भाभी जी… भाभी जी नहीं, सॉरी डार्लिंग।”

अंगद, “ये सब क्या है, सुनैना? तुम ऐसी हरकत क्यों कर रही हो? मैं ये सब देखकर हैरान हूँ।”

सुनैना, “ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है। मैं और विशाल पिछले 5 साल से गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड हैं।

हमने तो यह सब नाटक तुमसे पैसे ऐंठने के लिए किया था। मुझे विशाल ने बताया था कि तुम अच्छी खासी प्रॉपर्टी के मालिक हो। इसलिए मैंने तुमसे झूठी शादी की।

मैं तो तुम्हें अपने आप को हाथ भी ना लगाने दूं। मुझे तो मेरा विशाल ही छू सकता है।

अब एक काम करो, ज्यादा समय मत लगाओ। अगर तुमने हमें कल दोपहर तक ₹5,00,000 नहीं दिए तो मैं तुम पर इल्ज़ाम लगा दूंगी कि तुमने मेरा इस्तेमाल किया है

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और मुझे मेरे प्यारे देवर जी के साथ सुहागरात मनाने के लिए जबरदस्ती मजबूर किया है।

फिर तुम्हें जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता। अब हम जैसा कहेंगे, तुम्हें वैसा ही करना होगा।

जब हमें पैसे की जरूरत होगी, तुम्हें हमें पैसे देने होंगे। चलो विशाल, मेरा ना बहुत मन कर रहा है, कमरे में चलते हैं।”

विशाल, “लगता है कल रात का ज्यादा ही मज़ा आया है। चलो डार्लिंग, मैं कहां मना कर रहा हूँ?”

अंगद सुनैना और विशाल की चाल में बुरी तरह फंस चुका था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे?

वह घर वापस जाकर सबके सामने लज्जित नहीं होना चाहता था।

अंगद, “मुझे जीने का कोई हक नहीं। ऐसी शर्मसार जिंदगी जीने से तो अच्छा है कि मैं मर जाऊं।”

अंगद जैसे ही पुल से कूदने लगता है, तभी उसका मोबाइल फ़ोन बजता है।

अंगद देखता है कि मोबाइल पर उसकी माँ है। वह अपनी माँ से आखरी बार बात करना चाहता था।

अंगद, “हां माँ ठीक है, मैं होटल पहुँचकर आपकी बात सुनैना से करवा दूंगा। क्या तबियत ठीक नहीं है?

माँ, कितनी बार कहा है कि समय पर दवाई ले लिया करो? हाँ मैं करता हूँ, माँ।”

अंगद फ़ोन रख देता है। उसकी आँखों में आंसू थे। वह अपनी माँ की आवाज़ सुनकर दुखी हो जाता है।

अंगद, “मैं क्या करूँ? मां मेरे बिना अकेली हो जाओगी। मैं ये कदम नहीं उठा सकता।

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। माँ, मैं तुम्हें कैसे बताऊँ कि मैं कितना परेशान हूँ।”

अंगद सड़क पर रोता हुआ पैदल ही चला जा रहा था। अचानक वह एक लड़की से टकरा जाता है।

लड़की, “अंगद, तू और यहाँ शिमला में?”

अंगद, “सौम्या, तू?”

सौम्या, “हाँ मैंने तुम्हें बताया था ना, मैं वकील बन गई हूँ। मैं यहाँ प्रैक्टिस के लिए आई हुई हूँ।

वैसे तुम्हारा मैसेज पढ़कर मैं शादी में जरूर आती, पर यहाँ छुट्टी नहीं मिल रही थी।

सॉरी, मैं शादी में नहीं आ पाई। वैसे… ओह, अच्छा! मैं समझ गई, तुम हनीमून पर आए हो, पर तुम्हारी वाइफ कहाँ है?

तुम अकेले हो… एक सेकंड, तुम्हारी आँखों में आंसू कैसे? क्या तुम रो रहे थे?”

अंगद को कुछ समझ नहीं आ रहा था, वह फूट-फूट कर रोने लगता है। सौम्या अंगद की बचपन की दोस्त थी। सौम्या के कहने पर अंगद उसे सारी बात बता देता है।

सौम्या, “अंगद, घबराने की कोई बात नहीं है। तुम बिल्कुल भी नहीं डरोगे और तुम उन्हें कोई पैसे नहीं दोगे।

मैं तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं होने दूंगी। तुम कल ही सुनैना के खिलाफ़ तलाक के लिए अर्जी दे दो, बाकी सब मैं संभाल लूंगी।”

अंगद, “पर सौम्या, विशाल ने भी मेरे साथ गलत किया है।”

सौम्या, “कोई टेंशन नहीं है। दोनों को तुम्हें ब्लैकमेल करने के जुर्म में कड़ी सजा होगी।

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बस तुम्हें उन दोनों की बातों को इस फ़ोन में रिकॉर्ड करना है। उसके बाद उन्हें सजा से कोई नहीं बचा सकता।”

अंगद सौम्या के कहे मुताबिक होटल जाता है और विशाल और सुनैना की रिकॉर्डिंग कर लेता है।

अंगद, “कान खोल कर सुन लो, मैं तुम दोनों को एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूंगा। तुम्हें जो करना है, कर लो।”

सुनैना, “विशाल, अब क्या करें? ये तो हम दोनों को एक साथ रहने भी नहीं देगा और पैसे भी नहीं देगा।

कहो तो इसके खिलाफ़ पुलिस में झूठी रिपोर्ट कर दूं?”

विशाल, “हाँ सुनैना डार्लिंग, ये तो तुम्हें करना ही पड़ेगा।वरना हम पैसों के मोहताज हो जाएंगे।

ये मुर्गा हमारे हाथ से चला जाएगा तो हम दोनों कैसे एक साथ मज़े कर पाएंगे, यार?”

अंगद तो चाहता था कि सुनैना और विशाल आपस में ऐसी बातें करें जो फ़ोन में रिकॉर्ड हो जाएं और उसे सबूत मिल गया।

सारे सबूत अब सौम्या के पास थे। उसने पुलिस को भेजकर होटल के कमरे से विशाल और सुनैना को पकड़वा दिया।

सुनैना और विशाल को उनके किए की सजा मिल गई।


दोस्तो ये Bhabhi Ki Kahani आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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