धोखेबाज एसडीएम बीवी | DHOKEBAAZ SDM BIWI | Family Story | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” धोखेबाज एसडीएम बीवी ” यह एक Family Story है। अगर आपको Family Stories, Moral Stories या Rishto Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


निशा, “लीजिये मां जी, मुंह मीठा कीजिए। आज मेरा सपना पूरा हो गया। आज मैं एसडीएम बन गई। मेरे बचपन का सपना पूरा हो गया।”

निशा, “ये लीजिए आशीष जी, आप भी मुंह मीठा कीजिए।”

गर्वित, “मम्मी, आप एसडीएम बन गए वॉव!”

निशा, “हाँ गर्वित बेटा, मैं एसडीएम बन गई हूँ।”to fir

आशीष, “निशा ये सब तुम्हारी मेहनत का फल है।”

निशा, “वो तो है। मैंने खूब मेहनत की थी ताकि मैं इस पोस्ट को हासिल कर सकूँ।”

आशीष की मां, “निशा बहू, आशीष ने भी तो तुम्हें एसडीएम बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। वो भी दिन रात तुम्हारे साथ लगा रहा।”

आशीष, “अरे माँ! ऐसा कुछ नहीं है। निशा तो मेरी पत्नी है, मैं इसके लिए ये सब नहीं करता तो फिर किसके लिए करता? 

निशा और मैंने सात फेरे लेकर इस रिश्ते को निभाने का वादा लिया था। आज निशा को उसका मुकाम मिल गया। बस मेरे लिए यही खुशी की बात है।”

निशा, “मुझे कल सुबह ही अपनी नौकरी पर निकलना है और आप पीछे से गर्वित का ध्यान रखेंगे ना? गर्वित का स्कूल, उसकी ट्यूशन सब कुछ है।”

आशीष, “अरे! तुम चिंता मत करो। मैं हूँ, माँ है, हम सब संभाल लेंगे और अब तो वैसे भी हमारा गर्वित बेटा बड़ा हो गया है। वो बहुत समझदार है।”

गर्वित, “आप जाओ मम्मी, मैं पापा और दादी के साथ रुक जाऊंगा और आप टेंशन मत लो, मैं पापा और दादी का ख्याल अच्छे से रखूँगा।”

आशीष, “अच्छा बच्चू, अब तुम हमारा ख्याल रखोगे।यह भी बढ़िया है, अब तुम बड़े हो गए हो।”

आज से 7 साल पहले आशीष और निशा की शादी हुई थी। आशीष एक सफाई कर्मचारी की नौकरी करता है। 

निशा के पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं, उसी पर उनका पूरा परिवार निर्भर है। 

जिस वक्त निशा के आशीष के साथ शादी हुई थी। उस वक्त निशा ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रही थी। 

शादी के बाद निशा ने ग्रैजुएशन कंप्लीट किया। निशा पढ़ने में बहुत होशियार थी। 

शादी के बाद निशा ने अपनी एसडीएम बनने की इच्छा जब आशीष के सामने रखी, तो आशीष ने भी अपनी पत्नी का पूरा सहयोग दिया। 

बेटे गर्वित के होने के छह महीने बाद ही निशा ने एसडीएम की पढ़ाई शुरू कर दी और उसके अच्छे अंक आए, जिसके चलते उसने डिग्री ले ली और उसकी एक अच्छी पोस्ट पर नौकरी लग गई। 

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निशा अपनी नौकरी के लिए लखनऊ आ जाती है। लखनऊ आकर निशा अपनी नौकरी में व्यस्त हो गई। 

उधर आशीष भी अपनी नौकरी के साथ साथ घर और बच्चे की जिम्मेदारी संभाल रहा था। शुरू शुरू में निशा फ्री होते ही फ़ोन पर बात करती थी।

पर कुछ दिनों से निशा आशीष का फ़ोन नहीं उठा रही थी। बस उसे मैसेज कर दिया था कि वह काम में बीज़ी है। 

इसलिए आशीष ने सोचा कि एक बार खुद ही जाकर निशा से मिल आएगा। 

इसलिए वह निशा को सरप्राइज़ देने के लिए लखनऊ पहुँच गया। पर वहाँ पहुँचकर आशीष ने कुछ ऐसा देखा, जिसे देखकर वह दंग रह गया। 

आशीष, “क्यूं… दंग रह गई ना? मैंने सोचा अचानक पहुँच कर तुम्हे चौंका दूँ। मुझे पता था आज तुम्हारी छुट्टी होती है और तुम मुझे घर पर ही मिलोगी।”

निशा, “वो… वो आशीष, तुम और अचानक? आशीष, एक सेकंड रुको।”

आशीष, “ये कौन है निशा और तुम्हारे साथ इस तरह ये यहाँ क्या कर रहा है?”

आशीष निशा के साथ एक अनजान व्यक्ति को कमरे में देख लेता है और गुस्से में भर जाता है।

आशीष, “तुम नौकरी की आड़ में मेरे पीठ पीछे ये गुल खिला रही हो? तुम्हे शर्म नहीं आती? 

तुम मेरे साथ ऐसा धोखा कैसे कर सकती हो? तुमने मेरे साथ विश्वासघात किया है, धोखेबाज कहीं की।”

आशीष, “मैंने तुम्हे कहीं देखा है, मुझे याद नहीं आ रहा है। अरे हाँ, तुम तो शायद निशा के साथ ही नौकरी करते हो ना? 

हाँ, एक बार परीक्षा के दिनों में मेरी मुलाकात तुमसे हो चुकी है। क्या नाम बताया था तुमने अपना? सूरज… हाँ याद आया, सूरज।”

सूरज, “बिलकुल ठीक पहचाना।”

सूरज, “निशा, तुम्हारे पति की तो याददाश्त बड़ी तेज है।”

निशा, “ओय! सुन, तू एक मामूली सफाई कर्मचारी है और सूरज मेरी तरह पढ़ा लिखा एक अच्छी पोस्ट पर नौकरी करने वाला इंसान है। 

अरे! तेरी पत्नी बनकर रहना मेरी मजबूरी थी, मैं तो सिर्फ तेरा फायदा उठा रही थी कि तू मेरे ऊपर पैसा खर्च करे और मुझे एसडीएम की डिग्री मिल जाए। 

अब मैं तेरे साथ नहीं रहना चाहती, चला जा यहाँ से और मेरा तेरे से कोई नाता नहीं है। वरना ज्यादा चू चपड़ की, तो तू जानता नहीं है कि हम तेरे साथ क्या कर सकते हैं?”

आशीष, “तुम इतना बदल जाओगी निशा, ये मैंने कभी नहीं सोचा था। तुम अपनी शादीशुदा जिंदगी और अपने बच्चे को कैसे भूल सकती हो? 

गर्वित तुमसे मिलने के लिए जिद कर रहा है। मैंने उसे कहा था कि कुछ दिनों के लिए तुम घर आकर रहोगी इसलिए वो घर पर तुम्हारा इंतजार कर रहा है।”

निशा, “मेरा तुमसे और उस बच्चे से कोई मतलब नहीं है। मुझे तुमसे छुटकारा चाहिए बस। अभी के अभी यहाँ से निकल जाओ।”

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सूरज, “सुन लिया ना तूने, निशा ने क्या बोला? चल जा यहाँ से चल निकल। बढ़ा आया निशा का पति बनने। अरे उसके लायक ही नहीं है तू।”

आशीष की आँखों में आंसू थे। जिस निशा को उसने लखनऊ नौकरी करने के लिए भेजा था, वो इतनी बदल जाएगी, ये उसने कभी नहीं सोचा था।

आशीष ने अपनी सारी आपबीती घर में बताई। आशीष को दुख इस बात का था कि निशा ने उसके साथ जो विश्वासघात किया, उससे उसका पूरा परिवार बर्बाद हो गया। 

अपनी पत्नी के सपनों को पूरा करने की इतनी बड़ी सजा आशीष को मिलेगी, ये उसने कभी नहीं सोचा था। 

निशा ने अपने पति की अच्छाई को नहीं समझा और एक अनजान रिश्ते को अपना बना लिया। 

निशा ने पति पत्नी के पवित्र रिश्ते का अपमान किया था। इसलिए अब आशीष पूरी तरह से जानता था कि अब इस रिश्ते का कोई महत्त्व नहीं है।


दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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