गरीब टोकरीवाला | Gareeb Tokriwala | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गरीब टोकरीवाला ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


यह कहानी भानुमति और भुवन की है। वे बांस की टोकरी बनाते थे और उन्हें बेचकर किसी तरह अपना गुज़ारा कर रहे थे।

उनके दो बच्चे थे, राजू और रंजू। दोनों पास के स्कूल में पढ़ते थे। गरीब होने की वजह से स्कूल के बच्चे उनका मजाक बनाया करते थे।

एक दिन… 
भानुमति,” आ गये जी..? कुछ मिला खाने को? बच्चे भूख से रोते-रोते सो गए। मुझसे इनकी ये हालत और नहीं देखी जाती। 

शाम को मंदिर से थोड़ा प्रसाद मिला था, वही खिला के सुलाया है आज। कैसे चलेगा ये सब? पता नहीं ये दुख के दिन कब खत्म होंगे? अब तो प्रभु आपका ही सहारा है। “

भुवन,” प्लास्टिक आ जाने से बांस की टोकरी अब कोई नहीं लेता। आज भी खाली हाथ आया हूँ।”

अगली सुबह…
पड़ोसी औरत,” क्या बात है भानुमति, सुबह-सुबह यहाँ? एक तो रात भर तुम्हारे बच्चे रोते रहते हैं और सुबह तुम दरवाजा पीटने लगती हो। क्या इरादा है? क्यों शांति से नहीं रहने दे रहे हो? “

भानुमति,” वो बच्चे कल से भूखे हैं, इसलिए रो रहे हैं। कुछ आता है तो दे दो ना बहन। घर में आते ही लौटा दूंगी। “

पड़ोसी औरत,” देखो भानुमति, तुम लोग किसी और के घर जाकर भीख मांगो। तुम्हारे बच्चे जब भीख मांगेंगे तो कुछ ना कुछ मिल ही जाएगा। 

इस तरह कितना दिन चलता रहेगा? चार बासी रोटी है, ले जाओ, कुत्तों को आज नहीं दूंगी। “

भानुमति आँसू भरी आँखों से रोटी लेकर घर पहुंची। बच्चों को रोटी में नमक लगाकर खिलाकर उन्हें स्कूल भेज दिया। 

क्लास में…
पहला लड़का,” ऐ राजू ! जूते नहीं है तेरे पास? पापा से बोलकर बांस के जूते बनवा लिया कर, यूनिक रहेगा। “

दूसरा लड़का,” अच्छा, इसके पापा आर्टिस्ट है क्या? “

पहला लड़का,” तुझे नहीं पता..? अरे ! गली गली में शोर है, राजू के पापा बंसौर है? “

प्रिंसिपल,” राजू और अंजू कौन है, दोनों स्टेज पर आओ ? तुम लोग छह महीने से फीस नहीं भरे हो। 

मैली कुचैली ड्रेस क्यों पहन कर आये हो? और जूते कहां गए? तुम्हे मालूम है ना कि चप्पल यहाँ अलाउ नहीं है? “

राजू,” जी सर, हमें पता है कि चप्पल अलाउ नहीं है यहाँ। लेकिन हमारे पापा बहुत गरीब है। उनके पास पैसे नहीं है जूते खरीदने के लिए। “

 प्रिंसिपल,” और तुम्हारा रंजू, तुमने क्यों नहीं पहने जूते और ड्रेस में प्रेस भी नहीं किया हुआ है? तुम दोनों के पास प्रॉपर किताब भी नहीं हैं। “

रंजू,” जी सर, राजू मेरे भैया हैं। हम दोनों के पिताजी एक ही हैं। “

प्रिंसिपल,” देखो बच्चो, यह एक प्रतिष्ठित स्कूल है। यहाँ के कुछ नियम और कायदे हैं जिसको फुलफिल करना हम सब की जिम्मेदारी है। 

आज से तुम दोनों स्कूल नहीं आओगे। मैं अभी तुम्हे ट्रांसफर सर्टिफिकेट दे रहा हूँ। पापा से कहना कि सरकारी  स्कूल में नाम लिखवा दें।

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राजू और रंजू दोनों रोते हुए घर पर आए। शाम में जब भुवन घर आया, तो उसे पता चला कि उसके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया है। 

भुवन स्कूल गया और प्रिंसिपल से मिलने के बाद पता चला कि उनकी फीस कभी समय पर नहीं आई थी। 

प्रिंसिपल,” तुम्हारे बच्चों का पहनावा जोकर जैसा है। पैर में चप्पल, जूता कभी नहीं पहन के आए। फटे पुराने बिना प्रेस किए हुए कपड़े, ऐसा हमारे स्कूल में नहीं चलता। “

भुवन,” सर, पैसे की कुछ तंगी है, इंतजाम होते ही दे दूंगा। “

प्रिंसिपल,” मैंने उन्हें टीसी दे दी है। तुम इनका दाखिला किसी और स्कूल में कराओ। “

भुवन प्रिंसिपल की बेइज्जती से आहत होकर सड़क पर जा रहा था। तभी किसी ट्रक वाले ने उसे पीछे से टक्कर मार दी। 

टक्कर लगने की वजह से भुवन की उसी समय मृत्यु हो गई। पुलिस ने उसके शरीर को अस्पताल पहुँचवा दिया, जहाँ डॉक्टर ने उसे मरा हुआ घोषित कर दिया। 

भानुमति को भुवन के एक्सीडेंट के बारे में बताया गया। वह अपने बच्चों के साथ दौड़ती हुई अस्पताल पहुंची और भुवन को मरा हुआ देखकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। भुवन के जाने के बाद उनकी स्थिति बद से बदतर हो गई। 

मकान मालकिन,” भानुमति, आज भुवन को मरे तीन महीने हो गए हैं। अब तो हम तुम्हें नहीं रख सकते। “

भानुमति,” कुछ दिन की और मोहलत दे दीजिए। “

मकान मालकिन,” क्या होगा? रोज उधारी वाले गाली-गलौज करते हैं। तुम आज किराया दो, नहीं तो घर खाली करो। “

आखिर में भानुमति ने बच्चों के साथ नानी के घर जाने का फैसला किया। 

रंजू,” नानी का इतना बड़ा घर है? लगता है कभी हवेली रही होगी। हमारे नानाजी इतने अमीर थे? “

भानुमति,” हां बेटा, लेकिन तेरे नानाजी के पिताजी और तेरे नाना कुछ काम नहीं कर सके और बेच-बेचकर जिंदगी चलाई। 

दोनों के जाने के बाद नानी यहाँ रहती थी। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अब यह सिर्फ खंडहर हवेली ही हमारे पास है। “

राजू ने कहा,” दिवाली आ रही है। इस बार हम नाना जी की इस हवेली को साफ-सफाई कर दीप जलाएंगे।”

भानुमति,” ठीक है बेटा, इतनी बड़ी हवेली को साफ करने में एक सप्ताह से कम समय नहीं लगेगा। “

राजू ने काम शुरू कर दिया। तीसरे दिन हवेली में एक कमरा मिला, जिसमें ताला लगा हुआ था। 

राजू ने माँ से पूछा, “माँ, वो बंद कमरा जो पीछे है, उसकी चाबी कहाँ है? “

भानुमति,” पता नहीं बेटा, वो कमरा मैंने आज तक खुलते हुए नहीं देखा। तेरे पापा ही खोलते थे उसे। अब तो वह भी नहीं रहे। “

राजू और रंजू ने उस कमरे के ऊपर के जाले साफ किए। तभी नानी ने रंजू को ऊपर से फिसलवा दिया। 

रंजू दरवाजे के चौखट में लगे हिरन का सींग पकड़ते हुए नीचे गिर गई। दरवाजा गड़गड़ाहट के साथ खुलने लगा।

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राजू ,”रंजू, तुम ठीक तो हो? “

रंजू,”हाँ भैया, मैं बिलकुल ठीक हूँ। “

राजू,”अरे ! ये दरवाजा तो अपने आप खुल रहा है। “

रंजू,” भैया, मुझे डर लग रहा है। कोई भूत-प्रेत न हो। जितना जल्दी हो यहाँ से चलो। “

राजू ने कहा, “अरे क्यों डर रही हो? मुझे भी डरा रही हो। चुपचाप मेरे पीछे चलती आओ।”

राजू और रंजू ने कमरे का दरवाजा खोला और अंदर गए। उन्हें बहुत सारा खजाना मिला। 

राजू,” मां, जल्दी आओ। बाप रे ! इतना सारा खजाना ! अब तो हमारी बल्ले-बल्ले हो जाएगी। “

भानुमति,” अरे ! कहाँ हो तुम दोनों? कमरा कैसे खुला? इसमें तो ताला लगा हुआ था। “

राजू,” माँ, कमरे में आओ। मैं टॉर्च दिखा रहा हूँ। देखो, इस कमरे में हमें क्या मिला है? “

भानुमति,” शायद यह खजाना हमारे पुरखों ने जमा किया हो, ताकि जब ऐसा दिन आए तो यह खजाना हमारे काम आए। “

राजू,” हाँ माँ, अब हम भी अमीरों वाला खाना खाएंगे। हम भी अब त्योहारों पर नए-नए कपड़े पहनेंगे। “

दिवाली में हवेली को रंग-रोगन कर दीपों से सजाया गया। पड़ोसी मंथरा ने हवेली को चमकता हुआ देखा और जल गई। 

उसने अपने पति जगदेव से कहा, “कुछ देखा आपने जी? कुछ नोटिस किया कि नहीं? “

जगदेव, “क्या हुआ? क्या नोटिस करना था? भानुमति अपने बच्चों के साथ मायके आई है तो अपने साथ धन संपत्ति भी लाई होगी।”

मंथरा,” भानुमति के आने से पहले उसके बच्चे फटे कपड़े पहनते थे और अब उसके पास खजाना है।”

मंथरा ने जगदीश उर्फ जग्गा को सारी बात बता दी। वो अपने दोस्त दादा की मदद से हवेली में पैसों की चोरी करने के लिए जाता है। 

जगदेव,” ये जग्गी यहाँ क्यों आया था? “

मंथरा,” क्यों..? साला है आपका, यहाँ आ नहीं सकता क्या?”

जगदेव,” चोर डकैत किसी के सगे नहीं होते, समझी? मैं नहीं चाहता कि यहाँ आकर भी वो चोरी डकैती करे। “

दादा,” भाई जग्गी, पक्का पता है ना कि इस घर में पैसों से भरा कमरा है? वो क्या है ना कि ये खंडरनुमा हवेली से मेरे को डर लगता है। बोले तो मुझे भूत प्रेत से बहुत डर लगता है।”

जग्गी,” अबे घोंचू ! तो चोरी करता है लेकिन तुझे पुलिस से डर नहीं लगता और जो दिखता नहीं उस भूत प्रेत से डर लगता है।”

दादा,” देख जग्गी भाई, एक तो रात ऊपर से खंडहर हवेली डर तो दिल में बनता ही है ना। मेरे भाई एक काम कर कल दिन में आकर अपुन चोरी करेगा।
 “

जग्गी,” दिन में सभी जागे होंगे, तू चोरी का प्लान बना रहा है या पिटवाने का?”

दादा,” ठीक है भाई, अब ऐसा कर तू आगे चल। मैं तेरे पीछे पीछे चलूँगा। मेरे को अभी भी डर लग रहा है। 

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सुना है इस खंडहर हवेली में रात में भानुमति की माँ भूतनी बनके घूमती है, हाँ। “

दोनों धीरे धीरे आगे की ओर बढ़ रहे थे, तभी दादा का शर्ट पीछे से एक कील में फंस जाता है। दादा को लगता है कि उसे भूतनी ने पकड़ लिया है।

दादा,” जग्गी, मेरे पीछे देख पीछे। पीछे कोई है जिसने हमें पकड़ लिया है। “

जग्गी,” अबे दादा तेरे पीछे कोई नहीं है, तू अपने मन से भूतनी का भ्रम निकाल दे और चुप चाप मेरे साथ चल। “

दादा,” आलतू जलालतू आई बला को टाल तू। बाप रे… बाप रे पकड़ लिया, पकड़ लिया भाई पकड़ लिया बचाओ, बचाओ।”

दादा ज़ोर लगाकर भागता है। उसकी शर्ट कील में लगने की वजह से फट जाती है। 

जग्गी,” अबे क्या हुआ, चिल्लाए जा रहा है? हम चोरी करने आये है, चौकीदारी नहीं कि जागते रहो चिल्लाना शुरू कर दिया। 

मरवाएगा क्या? एक बार बोल दिया कि पीछे कोई नहीं है, फिर भी तुम डरे जा रहे हो।”

दादा,” भाई, भाई भूत है भाई कोई आदमी नहीं जो तुझे दिखाई देगा। ये देख मेरी शर्ट पीछे से फट गयी है। “

जगदेव,” अरे ! ये तो जग्गी और दादा की आवाज है। रुको, मैं अभी पुलिस को फ़ोन लगाता हूँ। “

नानी भूत दादा को डराना शुरू कर देती है। 

दादा,” भाई भाई उधर देखो, थक थक की आवाज करते करते कोई आ रहा है। जान बची तो लाखों पाए, भाई वो खजाना तू ही संभाल, मैं तो चला। “

भानुमति,” ऐ कौन है वहाँ पर? चोर चोर पकड़ो। “

भानुमति की ज़ोर ज़ोर से चिल्लाहट की आवाज़ सुन जग्गी और दादा दोनों सरपांव लेकर भागने लगते है। लेकिन जगदेव द्वारा बुलाई गई पुलिस उन्हें पकड़ लेती है। 

अदालत हवेली में मिली संपत्ति को पुश्तैनी करार देती है। अब राजू और रंजू पढ़ने के लिए शहर से हटकर राज्य के सबसे बड़े स्कूल में पढ़ते है।


ये Hindi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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