हैवान | HAIVAN | Horror Kahani | Darawani Kahaniyan | Ghost Stories | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” हैवान ” यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


अंधेरे कमरे में बैठे हुए रोहन के पास उसकी पत्नी नंदनी खाना लेकर पहुँची, तो उसे देखकर वह रोने लगा।

उसे चुप कराते हुए नंदनी बोली, “रोहन, मैंने तुमसे कहा था ना कि वहाँ जाना खतरे से खाली नहीं है।

मगर तुमने मेरी एक न सुनी, नतीजा तुम्हारे सामने है।”

रोहन, “तुम सही कह रही हो, मुझे वहाँ पर नहीं जाना चाहिए था। मगर अब इस समस्या का कोई हल भी तो होगा।

क्या मैं ऐसे ही रहूँगा? ऐसे तो मेरी मौत ही भली। हाँ, अब मुझे मरना ही होगा, कोई और उपाय नहीं है।”

कहते हुए रोहन दुखी होकर अपने शरीर की ओर देख रहा था, जिसमें गोड़ के घाव के बस पड़ चुके थे और उनमें कीड़े चल रहे थे।

उसकी आँखें थोड़ी सी भी रोशनी सहन नहीं कर पा रही थीं, इसीलिए वो अंधेरे कमरे में अपनी मौत का इंतजार करने लगा।

नंदिनी, “कोई तो रास्ता होगा। रोहन, मैंने गाँव में माँ से बात की है। उन्होंने कहा है कि वे पहाड़ वाली देवी के यहाँ माथा टेककर आएँगी।

अब वही कोई न कोई रास्ता बता सकती हैं। तुम तब तक खाना खा लो।”

कहते हुए नंदिनी ने खाने की थाली रोहन के आगे की, तो खाने की खुशबू से उसने मुँह बिगाड़ लिया।

रोहन, “ये क्या है घास-फूस? मुझे ये नहीं खाना। मुझे कुछ अच्छा चाहिए, जैसे कि… जैसे कि ताज़ा मांस… नरम मांस।

उसकी खुशबू कितनी लाजवाब होती है…? मुझे उसकी खुशबू आ रही है, ताज़े मांस की खुशबू आ रही है।”

कहते हुए उसने नंदिनी का हाथ पकड़ लिया और उसे चबाने लगा। रोहन की जगह अब एक आदमकद राक्षस खड़ा था।

अजीब सा डरावना चेहरा, बड़े बड़े नाखून…वो ना तो इंसानों की तरह लग रहा था और ना ही जानवरों की तरह। वो नंदिनी के ऊपर धूट पड़ा।

यह देख नंदिनी की चीख निकल गई। वो सोते हुए जागी और अपने रूम में पलंग पर बैठी गहरी साँसें ले रही थी। रोहन वहीं पलंग पर सो रहा था।

नंदिनी, “कितना भयानक सपना था! क्या ये सच हो जाएगा? नहीं, ये सच नहीं हो सकता। ईश्वर, रक्षा करना!”

कहते हुए नंदिनी को कुछ दिन पहले की बात याद आने लगी।

रोहन और नंदिनी की शादी को छह महीने हो चुके थे। वे दोनों घूमने के लिए असम के जंगलों में जा रहे थे।

रोहन की मां, “पूरी दुनिया छोड़कर तुम्हें असम के जंगलों में ही घूमने को मिला? नहीं, वहाँ नहीं जाना है।”

रोहन, “ओह! कम ओन मोम। आप ये कैसी बातें कर रही हैं? केरल, हिमाचल तो सब लोग जाते हैं, मगर हम लोग कहीं अलग जगह जाना चाहते हैं, इसीलिए असम की ओर जा रहे हैं।”

रोहन की मां, “क्यों लोग वहाँ नहीं जाते हैं? कभी सोचा है? वहाँ कामाख्या देवी का मंदिर है।

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वहाँ के जंगलों में कई सारी अपवित्र आत्माएँ हैं और दुनिया भर के तांत्रिक तंत्र क्रियाएँ करते हैं। मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर वहाँ नहीं जाने दूँगी।”

रोहन, “माँ, हम लोग कोई बच्चे थोड़े ही न हैं, जो इस तरह समझा रही हो। हम लोग अपना ध्यान रख सकते हैं।

हमारी टिकट हो चुकी है। अब इस बारे में और कोई बहस नहीं होगी।”

माँ के मना करने के बावजूद रोहन और नंदिनी आसाम के लिए निकल गए। दो दिनों तक उन्होंने बहुत अच्छे से घूमा-फिरा, एन्जॉय किया।

मगर तीसरे दिन जब वे घूमकर होटल लौटे, तो रोहन ने देखा कि होटल रूम की खिड़की से एक बड़ा-सा घर नजर आ रहा है।

उस घर के आसपास सफेद रोशनी बिखरी हुई थी। वहाँ से किसी के रोने की आवाज आ रही थी।

वह अपने कमरे से तुरंत बाहर निकलकर रिसेप्शन पर पहुँचा और उस घर के बारे में पूछताछ करने लगा।

सभी लोग हैरानी से उसका चेहरा देखने लगे। तभी एक रूम सर्विस बॉय उसे कोने में ले जाकर बोला,

सर्विस बॉय, “सर, आज शुक्ल पक्ष की अष्टमी है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उस घर के आस-पास 100 मीटर के दायरे में यदि कोई प्रेग्नेंट लेडी रहे,

तो उस महल में रहने वाला शैतान जागृत हो जाता है। और या तो वह होने वाला बच्चा या फिर पिता आने वाले छह महीने में शैतान बन जाते हैं,

जो अपनी पत्नी या माँ को अपने ही हाथों से मार देते हैं। लगता है यहाँ आसपास कोई न कोई प्रेग्नेंट लेडी जरूर है।”

रोहन के पीछे-पीछे नंदिनी भी अपने रूम से बाहर आ चुकी थी।

उस लड़के की बातें सुनकर नंदिनी को याद आया कि वह भी अपना पीरियड मिस कर चुकी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि वो प्रेग्नेंट है?

नंदिनी, “नहीं, मैं प्रेग्नेंट नहीं हो सकती। अगर मैं प्रेग्नेंट हो गई, तो मेरा मरना तय है। नहीं…।’

चीखते हुए वह बेहोश हो गई। रोहन ने रिसेप्शन की मदद से तुरंत डॉक्टर को होटल में बुलाया।

जब डॉक्टर ने नंदिनी का चेकअप किया, तो पता चला कि वह माँ बनने वाली है।

वह घर अभी भी चमक रहा था। होटल के स्टाफ काना-फूंसी करने लगे।

सर्विस ब्वॉय, “सर, आपकी जान खतरे में है। आपको केवल अपोहु तांत्रिक ही बचा सकता है। आप लोग तुरंत उनसे मिल लीजिए।”

नंदिनी, “कौन तांत्रिक? कहाँ रहते हैं वो? हमें पूरा बता दीजिए, हम लोग तुरंत ही उनसे मिलने जाएँगे।”

रोहन, “व्हाट रबिश! कुछ भी बकवास मत करो। नंदिनी, हम लोग कहीं नहीं जा रहे हैं।

ये कम पढ़े-लिखे लोग कुछ भी बकवास करते रहते हैं और तुम उन सब बातों को मान रही हो?

ये सब बकवास है और वैसे भी आज की हमारी रिटर्न की टिकट है। चलो थोड़ी देर आराम कर लो और फिर हमें निकलना है।”

नंदिनी अभी भी उस तांत्रिक से मिलना चाहती थी।

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नंदिनी, “एक बार वो लड़का जिस तांत्रिक से मिलने के लिए कह रहा है, मिल लेते हैं।

कहीं कुछ गलत हो गया, तो हम खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाएंगे क्योंकि इससे हमारे बच्चे का भविष्य जुड़ा है।”

रोहन, “ये तांत्रिक और जादू-टोने वाले बाबाओं की दुकान तुम महिलाओं के कारण ही चलती है सच में। किसी की भी बात मान जाते हो। चलो, अब आराम करो।”

कहते हुए रोहन नंदिनी का हाथ पकड़कर उसे कमरे में ले जाने लगा।

मगर वो लड़का अभी भी कह रहा था, “एक बार उस तांत्रिक से मिल लीजिए और हाँ, यदि मेरी बात पर यकीन नहीं होता

तो कुछ दिनों के बाद बुरे ख्वाब आना शुरू हो जाएंगे। फिर आप तुरंत यहाँ आ जाना, शायद कुछ हो जाए।”

मगर रोहन ने उसकी बात नहीं मानी। दोनों शहर वापस आ चुके थे।

कुछ दिनों के बाद नंदिनी को अब हर रात भयानक ख्वाब आने लगे। कभी रोहन उसे मारने वाला होता, तो कभी उसकी होने वाली संतान।

नंदिनी, “मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या सही है क्या गलत है?”

सोते हुए उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे।

तभी रोहन उठकर बैठ गया और उसे रोते हुए देखकर गुस्से में बोला, “ये क्या है नंदिनी?

जब से तुम आसाम से आई हो, तुम बिल्कुल बदल गई हो। तुम्हें खुद की तो फ़िक्र है नहीं, कम से कम हमारे होने वाले बच्चे की फ़िक्र तो करो।

हर वक्त रोती रहती हो, टेंशन में रहती हो। इसका उस पर क्या असर पड़ेगा, जानती हो?”

नंदिनी, “रोहन, तुम्हें क्या लगता है कि मुझे अपने होने वाले बच्चे की फ़िक्र नहीं है?

या खुद की फ़िक्र नहीं है? मगर मैं क्या करूँ? मैं खुद परेशान हूँ। मुझे हर वक्त वही सपना आता है।”

रोहन, “तुम उस लड़के की बातों के बारे में ज़्यादा मत सोचो। जैसा हम सोचकर सोते हैं, वैसा ही हमें ख्वाब में भी दिखता है।

ये सब तुम्हारे दिमाग की उपज है और कुछ नहीं। चलो, तुम्हें डॉक्टर को दिखा दूँगा।”

नंदिनी, “मैं जो कुछ भी बोल रही हूँ, वो सब झूठ है। मेरे मन का वहम है। नहीं मैं सच कह रही हूँ

और मैं अपनी होने वाली संतान के साथ कोई रिस्क नहीं ले सकती। समझे..? इसीलिए मैं कल आसाम जा रही हूं।”

नंदिनी असम जाना चाहती थी, मगर रोहन भी अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ था और उसने उसे असम वापस जाने नहीं दिया।

समय पंख लगाकर उड़ चुका था। देखते ही देखते नंदिनी की डिलीवरी का वक्त आ गया। नौ महीने पूरे हो चुके थे।

नंदिनी, “राहुल, किसी भी वक्त डिलीवरी हो सकती है। मुझे बहुत डर लग रहा है।”

राहुल, “डर… कैसा डर ? मैं तुम्हारे साथ हूँ ना।”

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दोनों बात कर ही रहे थे कि अचानक नंदिनी को लेबर पेन शुरू हो गया। राहुल अपनी माँ के साथ नंदिनी को लेकर तुरंत अस्पताल पहुँचा।

रोहन, “डॉक्टर, अभी तो आठ दिन बाकी हैं। इतनी जल्दी लेबर पेन?”

डॉक्टर, “इट्स नॉर्मल, नाइन मंथ्स के बाद कभी भी डिलीवरी हो सकती है।

यू डोंट वरी, यहां पर इंतजार कीजिए, जल्द ही आपको खुशखबरी मिलेगी।”

लेबर रूम के बाहर खड़ा रोहन परेशान होकर चहलकदमी कर रहा था। तभी कुछ देर बाद बच्चों के रोने की आवाज़ आई। उसकी माँ और रोहन दोनों खुश हो गए।

तभी एक नर्स डरकर बाहर की तरफ भागी।

रोहन, “क्या हुआ? सब कुछ ठीक तो है ना?”

डॉक्टर, “वो बच्चा… वो बच्चा नहीं है, बल्कि शैतान है।”

रोहन, “बच्चा बच्चा नहीं बल्कि शैतान है? क्या कहना चाहती हैं आप?”

राहुल तुरंत लेबर रूम में घुस गया और वहाँ का नज़ारा देखकर उसके होश उड़ गए।

नंदिनी बेहोश पड़ी थी और उसके बगल में लगभग साल भर का एक बच्चा बैठा हुआ था। वह नंदिनी के पेट से बहते खून को अपनी जीभ से चाट रहा था।

वो राहुल की ओर देखकर मुस्कुराया और हँसते हुए बोला, “पापा…।”


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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