जादुई बर्तन | Jadui Bartan | Hindi Kahaniya | Hindi Story | Jadui Kahani | Magical Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई बर्तन ” यह एक Magical Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Jadui Kahani या Magical Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


कासगंज नामक गांव में रतन नाम का किसान रहा करता था। रतन बहुत ही ईमानदार था और उसकी पत्नी सुनीता एक काले रंग की थी। 

वो बहुत ही सीधी और अच्छी थी लेकिन उसके रंग के कारण कोई भी उसे पसंद नहीं किया करता था। एक दिन सुबह सुबह सुनीता की पड़ोसन बबली उनके घर आती है, जो बहुत ही सुन्दर थी लेकिन उतनी ही घमंडी। 

बबली,” अरे ओ सुनीता बहन ! कहाँ हो ? ज़रा बाहर तो आओ। अरे ! आज तालाब पर नहीं जाओगी क्या ? चलो चलो जल्दी चलो। “

तभी सुनीता अपने हाथ में एक मिट्टी की मटकी लेकर आती है। 

सुनीता,” अरे ! हाँ हाँ, आखिर क्यों नहीं जाउंगी। चलो चलते हैं वैसे भी अब इतनी गरीबी में थोड़े ही मेरे लिए कोई और पानी लेकर आएगा। 

अपना तो भाग्य ही ऐसा है। ऊपर से मैं ठहरी कुरूप। चलो जल्दी वरना नदी किनारे सभी औरत मुझे देखकर बातें बनाएंगी हाँ। “

बबली,” ये तो तुमने ठीक कहा सुनीता बहन, तुम हो तो कुरूप ही। तुम जैसी बदसूरत तो पूरे गांव में कोई नहीं है। लेकिन खैर अब जाने दो। 

क्या ही किया जा सकता है ? चलो जल्दी वैसे भी शाम होने को आई है। जानती हो ना, यहाँ जंगल में नदी किनारे जंगली जानवर आया जाया करते हैं ? “

सुनीता,” अरे ! हाँ हाँ, जानती हूँ जानती हूँ। तुम क्यों डरती हो ? हम रात होने से पहले ही आ जाएंगे। तुम भी ना बहुत ही डरपोक हो बबली बहन। “

जिसके बाद दोनों अपने हाथ में मटका लेकर नदी किनारे गांव की ओर चल देती हैं। नदी किनारे पहुंचते ही अपने अपने मटके में पानी भरकर वहाँ से चल देती हैं। 

तभी वहाँ पर एक बहुत ही सुंदर सफेद कपड़ों में एक बाबा आता है, जिसके हाथ में एक झोला भी होता है। 

बाबा,” अरे बिटिया ! बहुत प्यास लगी है, क्या मुझे थोड़ा सा पानी मिलेगा क्या ? “

बबली,” अरे रे ! कौन हो तुम ? और दूर हटो मुझसे। क्या जानते नहीं, कितनी दूर से उस नदी से पानी लेकर आई हूँ ? 

और आप चाहते हो मैं अपना पानी तुम्हें पिला दूं ? जाओ जाओ यहाँ से कहीं और जाओ। “

बाबा,” अरे ! पानी पिलाना तो पुण्य होता है। बहुत प्यासा हूँ बेटी, दया करो। “

सुनीता,” अरे बाबा, आप दुखी क्यों होते हैं ? आप मेरी मटकी से पानी पी लीजिए, लीजिए पीजिए। “

बबली,” हाँ हाँ, तुम ही पिलाओ अपनी मटकी से इस बूढ़े को पानी। हर समय अच्छी बनती हो। “

सुनीता,” नहीं बबली बहन, बाबा को प्यास लगी है बस इसलिए वरना पाप लगेगा हाँ। “

सुनीता,” लीजिए बाबा, आप पानी पीजिए। “

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बाबा,” ठीक है बिटिया, तुम ही पीला दो। ऊपर वाला तुम पर कृपा करेगा। “

पानी पीने के बाद…
बाबा,” बहुत बहुत धन्यवाद बिटिया ! तुम एक नेकदिल इंसान हो। ऊपर वाला तुम्हारा भला करेगा। अच्छा अब मैं चलता हूँ हाँ। सब माया है। “

बबली (मन में),” ये कुरूप सुनीता बहुत ही चालाक है। हर किसी से अपनी प्रसन्नता करवाना चाहती है बस हाँ। बड़ी आई कल्लो कहीं की। “

जिसके बाद सुनीता और बबली भी थोड़ी ही दूर पर आगे चलती है। उन्हें चमकता हुआ घड़ा दिखाई देता है। बबली उस घड़े को देखकर हैरान हो जाती है। 

बबली,” अरे वाह वाह ! वो देखो सुनीता, कितना चमकदार घड़ा है ? वाह ! चलो चलकर देखें तो सही, आखिर क्या है इस घड़े में ? “

सुनीता,” नहीं नहीं बबली बहन, रात होने वाली है। अब हमें घर चलना चाहिए। चलो यहाँ से, हमें लालच नहीं करना चाहिए हाँ। “

बबली,” अरे रे ! एक बार देखने तो दो, आखिर क्या है उस घड़े में ? तुम तो इतनी बदसूरत हो, उतनी ही मंदबुद्धि भी। चलो मुझे देखने दो। “

बबली की ऐसी बातें सुनकर सुनीता चुप रह जाती है जिसके बाद बबली उस चमकते हुए घड़े के पास जाती है और देखती है, उसमें खूब सारा सोना चांदी होता है। 

बबली,” अरे वाह वाह ! देखो तो सही कितना सारा धन है ? अरे वाह ! इतना सारा धन तो मैंने कभी नहीं देखा हाँ, कभी भी नहीं। “

सुनीता,” अरे ! लेकिन इस जंगल में धन से भरा घड़ा आया कहाँ से ? मुझे कुछ सही नहीं लग रहा। चलो ना यहाँ से बबली बहन, रात होने वाली है। “

बबली (मन में),” अभी यहाँ से जाना ठीक होगा। अगर ये धन से भरा घड़ा लेकर गई तो ये सुनीता सबको बता देगी। नहीं नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। अब तो ये धन से भरा घड़ा मेरा ही होगा हाँ। “

बबली,” हाँ ठीक है, तुम कहती हो तो चलो यहाँ से। वैसे भी रात होने वाली है। चलो चलते हैं यहाँ से। “

जिसके बाद बबली और सुनीता आपने अपने घर चली जाती हैं। तभी रात को बबली अपनी झोपड़ी में लेटे हुए उसी धन से भरे घड़े के बारे में सोचती है। 

बबली,” अरे वाह ! कितना सारा धन था उस घड़े में ? लेकिन उस सुनीता की वजह से मैं उस घड़े को नहीं ला पाई। अगर ले आती तो कितना अच्छा होता ?

मेरी ये गरीबी के सारे दिन हट जाते हाँ। मैं धनवान हो जाती। लेकिन अब बस… मैं कल सुबह ही उस घड़े को ले आऊंगी हाँ। “

थोड़ी देर बाद सुबह हो जाती है और बबली जंगल में उसी जगह पर जाती है। बबली ये देखकर हैरान हो जाती है कि वहाँ पर धन से भरा हुआ घड़ा है ही नहीं। 

बबली,” अरे ! ये क्या..? कल तो वो धन से भरा घड़ा यहीं था। अब कहाँ चला गया ? कहीं वो कुरूप सुनीता तो घड़ा नहीं ले गई ? चलकर देखना ही पड़ेगा हाँ। “

जिसके बाद बबली अपने हाथ में एक मिट्टी की मटकी लेकर सुनीता के घर जाती है। 

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बबली,” ओ सुनीता बहन ! आज चलना नहीं है क्या नदी किनारे पानी लेने ? मेरे घर में तो एक बूंद पानी भी नहीं है, चलो ना चलते हैं। “

जिसके बाद बबली की नजर सुनीता के पूरे घर में दौड़ती है, लेकिन उसे कुछ भी नजर नहीं आता। 

बबली,” अरे ! यह क्या..? यहाँ तो कहीं भी वो धन से भरा गड़ा दिखाई नहीं दे रहा। क्या पता इस सुनीता ने वो धन से भरा घड़ा कहीं छुपा दिया हो ? हाँ हाँ, यही हो सकता है। “

सुनीता,” अरे ! हाँ हाँ, क्यों नहीं बबली बहन ? मैं तो बस तुम्हें पुकारने ही वाली थी। आज तो मेरे घर भी पानी नहीं है। चलो चलते हैं। “

जिसके बाद दोनों अपने हाथ में मिट्टी का मटका लिए नदी किनारे चल पड़ती हैं। दोनों नदी से अपने मटके में पानी लेती हैं और वहाँ से थोड़ी दूर चलती है तो देखती है कि फिर से उन्हें वही चमकदार घड़ा दिखाई देता है। 

बबली,” अरे वाह वाह ! ये तो वही धन से भरा घड़ा है हाँ, बहुत ही अच्छा। “

लेकिन इस बार वहाँ पर उस घड़े के पास एक और घड़ा होता है जो बिल्कुल खाली होता है। 

बबली,” अरे वाह वाह ! आज तो मैं इस धन से भरे घड़े को अपने साथ लेकर ही जाउंगी, हाँ। अब ये घड़ा मेरा होगा बस मेरा। “

सुनीता,” लेकिन मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा बबली बहन। “

बबली,” अरे ! तुम चुप करो सुनीता बहन। देखो, ये धन से भरा घड़ा तो मैं लेकर ही जाउंगी हाँ। अब से मैं बहुत धनवान हो जाउंगी। “

सुनीता,” अच्छा तो ठीक है, लेकिन देखो तो ज़रा ये दूसरा घरा भी कितना सुंदर है। अरे वाह ! “

बबली,” अरे ! हाँ हाँ, वो तो दिख ही रहा है। लेकिन ये तो बिलकुल खाली है और फिर इसमें भला करूँगी क्या मैं ? “

सुनीता,” ये तो मुझे बड़ा सुंदर लग रहा है। इसे मैं रख लेती हूँ। “

बबली,” क्या बावली हो गई है सुनीता ? आखिर ये घड़ा तो एकदम खाली है। इस खाली घड़े का क्या करेगी भला ? 

तू मेरी तरह समझदार और चालाक नहीं है ना। एक ही धन से भरा घड़ा पाकर मैं तो सबसे धनी हो गई हाँ, सबसे धनी। “

सुनीता,” अरे बबली बहन ! मैं आखिर इस धन का क्या करूँगी ? ना जाने किसका धन है, कौन यहाँ छोड़ के चला गया ? 

नहीं नहीं मुझे क्या..? मुझे तो खाली घड़ा ही चाहिए, हाँ। यही मेरे लिए बहुत होगा। “

जिसके बाद दोनों वहाँ से चली जाती है। तभी वहाँ पर वही सफेद कपड़े वाला बूढ़ा आता है और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगता है। 

बाबा,” सब माया है हाँ, सब माया है। अब माया अपना असली रूप दिखाएगी हाँ। लालच बुरी बला है हाँ। “

बबली,” अरे वाह ! आज तो मैं सबसे धनवान हो गई। अच्छा अभी मैं इस घड़े को कहीं छुपा देती हूँ, हाँ। कहीं किसी की नजर पड़ गई, तो अच्छा नहीं होगा। “

सुनीता,” अरे वाह ! कितना सुंदर घड़ा है ? मन करता है, इसे देखती ही रहूँ। 

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अगर मेरे पास कुछ चांदी के सिक्के होते तो मैं इस घडे़ में उन्हें रखती। वाकई बड़ा सुंदर खड़ा है। “

सुनीता के ऐसा बोलते ही उस घड़े में अचानक से तेज रौशनी होने लगती है। और उनसे कुछ चांदी के सिक्के भी आ जाते हैं।

सुनीता,” अरे वाह ! चांदी के सिक्के… ये तो चमत्कार हो गया। लगता है ये कोई जादुई घड़ा हैं हाँ। मैं कुछ और भी मांगती हूँ इनसे। 

हे जादुई घड़े ! क्या तुम मुझे एक बहुत सुंदर चमकता हुआ सोने का हार दे सकते हो ? बोलो बोलो ? “

तभी उस घड़े में फिर से रौशनी होती हैं और उसमें से सोने का हार आ जाता हैं। 

सुनीता,” वाह ! कितना सुंदर हार हैं ? इस जादुई घड़े को पाकर तो मैं धन्य हो गयी। बस अब मुझे इस घड़े से और कुछ नहीं चाहिए, इतना ही काफी है। “

जिसके बाद सुनीता बहुत ही खुश हो जाती है। अगली सुबह बबली फिर से सुनीता के घर आती है। बबली सुनीता के गले में वो चमकता हुआ हार देखती है और हैरान रह जाती है। 

बबली,” अरे ! ये क्या..? इतना चमकता हुआ हार तुम्हारे पास कहाँ से आया सुनीता बहन ? तुम्हे तो वो खाली घड़ा मिला था ना ? तो ये हार… कुछ समझ नहीं आया। “

सुनीता,” अरे बबली बहन ! वो खाली घड़ा कोई साधारण घड़ा नहीं, बल्कि जादुई घड़ा है हाँ। उसके कारण ही ये सब हुआ है। 

लेकिन बस अब मुझे उस जादुई खड़े से कुछ नहीं चाहिए। मेरे लिए तो इतना ही काफी है हाँ। “

बबली (मन में),” क्या..? वो जादुई घड़ा है ? ये क्या हुआ ? वो खड़ा तो मेरे पास होना चाहिए था।

मैं उसे पाकर बहुत धनवान हो जाउंगी हाँ। मुझे वो जादुई घड़ा चाहिए किसी भी तरह। “

 बबली,” अच्छा अच्छा, ठीक है। अरे सुनीता बहन ! आज ज़रा मेरी तबियत थोड़ी ठीक नहीं है इसलिए आज तुम्हारे साथ पानी लेने नदी किनारे नहीं जा पाऊंगी हाँ। तुम ही जाओ। “

सुनीता,” अच्छा अच्छा ठीक है बबली बहन। तुम आराम करो, मैं चलती हूँ। “

जिसके बाद सुनीता वहाँ से चली जाती है। आंधी रात को चुपके से बबली सुनीता के घर पर आती है। 

जहाँ सुनीता आराम से खर्राटे लेकर सो रही होती है। तभी बबली सुनीता की झोपड़ी से जादुई घड़ा चुराकर चली जाती है। 

बबली,” अरे वाह वाह ! अब तो मेरे पास और भी अधिक धन होगा। इस जादुई घड़े से और धन मांगती हूँ हाँ। “

बबली,” अरे ओ जादुई घड़े ! मुझे खूब सारे गहने चाहिए हाँ, खूब सारी दे दो मुझे गहने। “

जिसके बाद उस जादुई घड़े से खूब ढेर सारे सोने चांदी के गहने आ जाते हैं। 

बबली,” अरे वाह वाह ! इतने सारे गहने। “

बबली सारे गहनों को पहन कर शीशे के सामने खड़ी हो जाती है। 

बबली,” अरे ! ये क्या..? मैं तो इन गहनों में बहुत खूबसूरत लग रही हूँ। नहीं नहीं, मुझे इस पूरे गांव में सबसे सुंदर और धनवान होना है हाँ। 

अरे ! क्यों ना मैं इस जादुई घड़े से अपना रूप और अधिक संवारने को कहूं ? ये तो जादुई घड़ा है। ये सही रहेगा। “

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बबली,” अरे वो जादुई घड़े ! मुझे बहुत सुंदर बना दो हाँ। इतना सुंदर इतना सुन्दर कि पूरे गांव में मुझसे सुंदर और कोई ना हो, कभी ना हो। कर दो मेरा रूप बहुत सुंदर। “

बबली के ऐसा बोलते ही बबली के मुँह पर खूब सारे दाने निकल आते हैं। उसकी नाक लम्बी हो जाती है। बबली जैसे ही खुद को शीशे में देखती है तो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती है। 

बबली,” अरे रे ! ये क्या हो गया ? मेरा तो सारा रूप ही भयानक हो गया। अब तो कोई मुझे देखना भी पसंद नहीं करेगा। 

हाय ! अब मैं इन सारे गहनों का आखिर करूँगी क्या ? कोई नहीं देखेगा मुझे। ये उस सुनीता की वजह से हुआ है। मैं इस सुनीता को ही घड़ा वापस लौटा दूंगी हाँ। “

जिसके बाद सुनीता बबली के पास आती है और उसका भयानक रूप देखकर डर जाती है। 

सुनीता,” अरे रे ! ये आपको क्या हो गया बबली बहन ? इतना भयानक रूप ? “

बबली,” ये सब इस जादुई घड़े की वजह से हुआ है। नहीं नहीं, मैं इसे अपने पास नहीं रखूंगी। “

सुनीता,” हाँ, इस जादुई घड़ी को वहीं जंगल में जहाँ से मिला था, वहीं रख आते हैं। ये सही नहीं है। देखिए ना इसने आपका क्या हाल कर दिया बबली बहन ? “

बबली,” मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ। “

जिसके बाद दोनों उसी जंगल में नदी किनारे जाते हैं। और तभी वो उसी सफेद कपड़े में बाबा को देखती हैं। 

बाबा,” अरे ! आ गई तुम दोनों ? आओ आओ, मुझे पता था तुम यहाँ जरूर आओगी। सब माया है। “

सुनीता,” आप यहाँ क्या कर रहे हैं बाबा ? आप तो वही है ना जिन्हें मैंने पानी पिलाया था ? ये देखिए ना बाबा, बबली बहन का क्या हाल हो गया ? 

हमें यहाँ से दो घड़े मिले थे। एक घड़े में बहुत धन था और दूसरा घड़ा एकदम खाली था। 

बाबा, ये वही खाली घड़ा है जिसे मैंने लिया था। ये एक जादुई घड़ा है। इसने बबली बहन का क्या हाल कर दिया ? “

बाबा,” मैं जानता हूँ बिटिया, सब जानता हूँ। इस बबली बिटिया का यह रूप जादुई घड़े ने किया। लेकिन क्यों किया, यह भी जानता हूँ ? ये मेरी ही माया थी, बेटी। “

ऐसा सुनकर बबली और सुनीता दोनों हैरान हो जाती हैं। 

बबली,” आपकी माया..? आखिर कैसे ? मेरा ये भयानक रूप आपकी माया की वजह से हुआ ? आखिर क्यों ? “

बाबा,” मैं इस जंगल में रहता हूँ। मैं कोई सामान्य मनुष्य नहीं हूँ बल्कि एक तपस्वी हूँ जो भेष बदलकर इस जंगल में तपस्या किया करता हूँ। 

उस दिन जब मैंने तुमसे थोड़ा सा पानी मांगा तो तुमने अपने अहंकार के कारण मुझे पानी नहीं पिलाया, उल्टा मेरा अपमान किया। 

तुम एक लालची और घमंडी स्त्री हो, ये तो मैं पहले ही समझ गया था। इसलिए ही मैंने ही वो माया रची। ये दोनों मायावी घड़े मेरे ही बनाए हुए हैं। 

एक मायावी खड़े के धन से तुम्हारी लालच की भूख शांत नहीं हुई तो तुमने इस नेकदिल सुनीता बेटी का घड़ा भी चुरा लिया, जिससे तुम्हें जरूरत से ज्यादा प्राप्त करना चाहा। पूरे गांव में सबसे सुंदर बनने की चाह ने ही तुम्हारा ये हश्र किया। “

बबली बड़ी ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।

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बबली,” मुझे माफ़ कर दीजिए, बाबा। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे अत्यधिक लालच नहीं करना चाहिए था। लेकिन अब ये मेरा भयानक रूप, अब मैं इसका क्या करूँ ? “

बाबा,” ये भयानक रूप तुम्हारे ही लालच का फल है। इससे अब तुम्हें कभी मुक्ति नहीं मिलेंगे हाँ। “

बाबा,” और सुनीता बिटिया, तुम एक नेकदिल इंसान हो। क्या हुआ जो दुनिया वालों के बनाए गए सुंदरता के पैमानों में तुम्हें सुंदर नहीं समझा जाता ? “

जिसके बाद बूढ़ा वहाँ से चला जाता है और बबली ज़ोर ज़ोर से रोती रहती है। 

बबली,” ये मैंने क्या कर दिया ? मुझे लालच नहीं करना चाहिए था। अधिक रूपवती होने के लालच ने मुझे ले डूबा। हाय ! क्या कर दिया मैंने ? “


दोस्तो ये Jadui Kahani आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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