हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” कपटी दोस्त ” यह एक Friendship Story है। अगर आपको Frendship Stories in Hindi, Hindi Moral Stories या Dosti Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
एक दिन सुबह-सुबह चंदनपुर गांव में सन्नाटा छा जाता है।
महिला, “अरे बहन! तुझे पता है, वो जो सुरेश है ना।”
दूसरी महिला, “कौन… वो तोतला?”
महिला, “अरे! वही, जो सरपंच जी के घर के पास रहता है, उसका किसी ने खून कर दिया।”
दूसरी महिला, “क्या… खून? और वो भी हमारे गांव में?”
महिला, “हाँ। अभी-अभी सरपंच साहब ने पुलिस को खबर की है। वो बस आती ही होगी।”
तभी पुलिस की गाड़ी सुरेश के घर आती है। पुलिस वहाँ पर लाश को देखती है।
सुरेश की लाश खून से लथपथ जमीन पर पड़ी होती है। पुलिस पूरे घर को अच्छे से देखती है।
इंस्पेक्टर, “अच्छा, तो आप ये बताइए कि सुरेश की किसी से दुश्मनी थी या आपको किसी पर शक है? उसका आप सब से कैसा रिश्ता था?”
सरपंच, “अरे साहब! सुरेश हमारे गांव में नया-नया आया था। दुश्मनी का तो हमें नहीं पता,
लेकिन उसकी वो दूध वाले राजू से कुछ दिन पहले लड़ाई जरूर हुई थी। सुरेश ने राजू का सारा दूध बर्बाद कर दिया था।”
दूसरा आदमी, “हाँ, और उस दूध वाले राजू ने उसे गुस्से में जान से मारने तक की धमकी दी थी।”
इंस्पेक्टर, “क्या… दूध बर्बाद होने पर जान से मारने की धमकी?”
सरपंच, “अरे! हां साहब। वह बात कुछ ऐसी थी कि सुरेश राजू से रोज़ दूध लेता था, लेकिन आज तक उसके पैसे नहीं दिए।
और उस दिन राजू सुरेश से पैसे मांगने के लिए घर आया, तो सुरेश ने मना कर दिया और उसका सारा दूध भी बर्बाद कर दिया।
फिर दोनों में बहुत बड़ी लड़ाई हो गई और उस दिन सुरेश को राजू ने धमकी भी दी थी।”
इंस्पेक्टर, “आप और क्या-क्या जानते हैं सुरेश के बारे में? मुझे सब बताइए और क्या सुरेश शराब भी पीता था?”
तीसरा आदमी, “साहब, गांव में तो उसकी इतनी ज्यादा किसी से बोलचाल नहीं थी। पर हाँ, वह जब भी पास से निकलता था, उसमें शराब की बू जरूर आती थी।
वह हर रोज़ शहर जाया करता था, पर शहर में कहाँ जाता, क्या करता, ये भी हम में से किसी को नहीं पता।”
हवलदार, “सर… सर, ये देखिए, मुझे क्या मिला?”
इंस्पेक्टर के सामने एक लाल मोती का टुकड़ा रखता है। पुलिस वहाँ पर सील लगा देती है और राजू के यहाँ पूछ्ताछ करने जाती है।
राजू उसके घर में लेटा हुआ था। तभी दरवाजे पर खटखटाने की आवाज होती है।
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राजू के घर…
राजू, “अरे भाग्यवान! जाओ और जाकर दरवाजा देखो ज़रा इस वक्त कौन है?”
राजू की पत्नी खिड़की से झांक कर देखती है तो उसे पुलिस की गाड़ी दिखती है। वो घबराती हुई राजू के पास जाती है।
पत्नी, “पुलिस… हमारे घर में पुलिस आई है। आप सच-सच बताएं, आपने कुछ गलत काम तो नहीं शुरू कर दिया है ना?”
राजू, “क्या… पुलिस? अरे बाप रे! सुन, मुझे कहीं छुपा दे।”
पत्नी, “अरे! पर तुमने आखिर किया क्या है, जो तुम पुलिस से छुपाने की बात कर रहे हो?”
राजू, “अरे मेरी माँ! अभी तू मुझे कहीं छुपा दे, मैं तुझे बाद में सब कुछ बताता हूँ।”
राजू की पत्नी उसे एक बड़े सी संदूक में छुपा देती है और दरवाजा खोलती है।
राजू की पत्नी, “अरे पुलिस! आप यहाँ कैसे?”
इंस्पेक्टर, “क्या यह राजू दूध वाले का ही घर है?”
पत्नी, “हाँ, घर तो उन्हीं का है।”
इंस्पेक्टर, “अच्छा तो कहाँ हैं आपके पति?”
पत्नी, “वो तो यहाँ नहीं है, वो तो शहर गए हुए हैं।”
इंस्पेक्टर, “क्या…शहर? तो वह वहाँ से कब तक आएगा?”
पत्नी, “वो मुझे नहीं पता।”
राजू (संदूक में बैठा हुआ), “अरे! यह मेरी पत्नी है कि दुश्मन? क्या जरूरत थी बताने की कि यही मेरा घर है?”
तभी उसका दम घुटने लगता है और वो ज़ोर-ज़ोर से खांसने लगता है।
इंस्पेक्टर, “कौन है…कौन है अंदर? बोल, क्या किया है तुने?”
राजू, “अरे साहब! मुझे माफ़ कर दो। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। अब आगे से मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा।”
इंस्पेक्टर, “क्या आगे से नहीं करूँगा? तू कुछ करने के लायक बचेगा, तभी तो कुछ करेगा ना?”
राजू, “अरे इंस्पेक्टर साहब! मैं आपके पैर पड़ता हूँ, हाथ जोड़ता हूँ, पर मुझे छोड़ दीजिए।”
हवलदार, “अरे! मुझे कोई बताएगा, इन्होंने किया क्या है?”
राजू, “अरे! मुझे क्या पता था कि इस गलती की मुझे इतनी बड़ी सजा मिलेगी? मैं तो बस दूध में पानी मिलाकर बेचता था
और कुछ दिनों से पाउडर वाले दूध को बेचता था। पर मुझे क्या पता था कि इस गुनाह की मुझे इतनी बड़ी सजा मिलेगी?”
इंस्पेक्टर, “क्या..? तो तुम मुझसे इसलिए बच रहे थे?”
राजू, “हाँ, और नहीं तो क्या?”
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इंस्पेक्टर, “मतलब तुमने सुरेश का खून नहीं किया?”
राजू की पत्नी, “क्या खून? हा हा हा… ये तो एक मक्खी भी नहीं मार सकते। इंसान का खून क्या करेंगे?”
इंस्पेक्टर, “अच्छा, तो इसका मतलब कि तुमने सुरेश का खून नहीं किया?”
राजू, “नहीं, और कौन सुरेश?”
इंस्पेक्टर, “वही जिससे तुमने लड़ाई की थी उस दिन, जिसने तुम्हारा सारा दूध बर्बाद कर दिया था।”
राजू, “अरे साहब! मैं तो वो कब का भूल गया? और वैसे भी वह मेरा उधार नहीं चुका रहा था, तो बस इसीलिए मैंने उसे धमकी दी थी।”
पुलिस उनके घर से चली जाती है। इंस्पेक्टर पुलिस स्टेशन में बैठा होता है कि तभी फ़ोन की घंटी बजती है।
इंस्पेक्टर (फोन पर), “क्या..? अच्छा ठीक है, मैं अभी आता हूँ।”
इंस्पेक्टर, “हवलदार, चलो जल्दी हमें रामपुर जाना है।”
हवलदार, “पर साहब रामपुर क्यों?”
इंस्पेक्टर, “किसी का खून हुआ है।”
पुलिस जहाँ खून हुआ था, वहाँ पहुँच जाती है।
इंस्पेक्टर, “दिनेश क्या करता था और क्या उसकी किसी से दुश्मनी थी?”
आदमी, “नहीं नहीं, यहाँ पर तो उसकी किसी से दुश्मनी नहीं थी। पर वह अपने काम से शहर जाता था, पर वहाँ किसी से दुश्मनी हो तो पता नहीं।”
इंस्पेक्टर, “अच्छा तो दिनेश करता क्या था?”
बूढ़ा आदमी, “साहब, वो किसी दवाइयों की फैक्टरी में काम करने जाया करता था। और हाँ, उसे शराब की लत भी थी।”
पुलिस वहाँ से चली जाती है। इंस्पेक्टर बैठा हुआ कुछ सोच रहा था।
हवलदार,”क्या हुआ साहब?”
इंस्पेक्टर, “मैं ये सोच रहा था कि दो ही दिनों में दो खून हो गए। और तुमने एक बात पर गौर किया?”
हवलदार, “क्या, साहब?”
इंस्पेक्टर, “सुरेश और दिनेश, दोनों के पेट में जो छुरा घोंपा गया था, वो एक ही तरह से घोंपा गया था।
और दोनों के घर की हालत भी एक जैसी थी। वह खुनी आया, बैठा और फिर उस खुनी ने खून किया होगा।”
हवलदार, “हाँ, और जैसा मोती हमें सुरेश के घर मिला था, वैसा ही दिनेश की लाश के पास भी मिला।”
इंस्पेक्टर, “अच्छा सुनो, वो जो दोनों मोती हैं, वो मेरे पास लेकर आओ।”
फिर हवलदार दोनों मोतियों के टुकड़ों को इंस्पेक्टर जुगनू की टेबल पर रख देता है।
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इंस्पेक्टर, “अरे! ये तो दोनों बिल्कुल एक जैसे हैं और देखो, इन्हें जोड़ने पर ये जुड़ भी रहे हैं।
इसका मतलब है कि दोनों का खून किसी एक ही इंसान ने किया है।”
इंस्पेक्टर, “क्या आप इसे जानते हैं?”
मैनेजर, “हाँ हाँ साहब, ये तो मेरी फैक्टरी में काम करता है।”
इंस्पेक्टर, “शायद आपको पता नहीं है, पर इसे किसी ने मार दिया है।”
मैनेजर, “क्या?”
इंस्पेक्टर, “जी हाँ, बस इसी की पूछताछ करने के लिए हम यहाँ पर आए हैं। क्या दिनेश की यहाँ पर किसी से दुश्मनी थी?”
मैनेजर, “नहीं नहीं साहब, यहाँ तो उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। दरअसल दिनेश, सुरेश और रमेश तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे। पर सुरेश और दिनेश पिछले कुछ दिनों से काम पर नहीं आ रहे थे।”
इंस्पेक्टर, “क्या ये वही सुरेश है?”
मैनेजर, “जी हाँ।”
इंस्पेक्टर, “मैनेजर साहब, आपके इन दोनों कर्मचारियों की हत्या हो चुकी है।”
मैनेजर, “क्या… सुरेश भी?”
इंस्पेक्टर, “जी, हम रमेश से मिलना चाहते हैं।”
मैनेजर, “जी, बिल्कुल।”
फिर मैनेजर रमेश को बुलाता है।
इंस्पेक्टर, “क्या आप ही दिनेश और सुरेश के दोस्त, रमेश हैं?”
रमेश, “जी हाँ, मैं ही सुरेश और दिनेश का दोस्त रमेश हूँ।”
इंस्पेक्टर, “तब तो आपको पता ही होगा कि सुरेश और दिनेश को किसी ने मार दिया है?”
रमेश, “जी हाँ इंस्पेक्टर साहब, मुझे आज ही सुबह पता चला। इंस्पेक्टर साहब, ये देखिए… मुझे भी कोई धमकी भरे ख़त भेज रहा है।
हो न हो, वह खूनी मुझे भी मारना चाहता है। पर मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उसके हम तीनों से क्या दुश्मनी है?”
इंस्पेक्टर, “तुम शराब भी पीते हो?”
रमेश, “जी, वो कभी-कबार।”
इंस्पेक्टर, “इसका मतलब कि तुम तीनों एक साथ ही शराब पीने जाते होंगे?”
रमेश, “हाँ, हम तीनों काम खत्म करके फैक्टरी के पास वाली शराब की दुकान पर जाते थे, पर सुरेश और दिनेश दोनों ही बहुत ज्यादा शराब पीते थे। कभी-कभी तो शराब के ठेके पर ही पड़े हुए मिलते।”
इंस्पेक्टर और हवलदार दोनों ही शराब के ठेके पर पहुँच जाते हैं, जहाँ सुरेश, दिनेश और रमेश तीनों अक्सर जाया करते थे।
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कुछ और पूछताछ करके वो दोनों वहाँ से निकलने लगते हैं। तभी उन्हें शराब के ठेके के बाहर एक औरत मूंगफली बेचती हुई दिखती है।
हवलदार, “सर… सर, वो देखिए उस औरत के गले में वैसा ही मोतियों की माला है, जैसे मोती सुरेश और दिनेश की लाश के पास मिले थे।”
फिर वो दोनों उस औरत के पास जाते हैं।
इंस्पेक्टर, “एक मामूली मूंगफली का ठेला लगाने वाली के पास इतना महंगा हीरों का हार क्या कर रहा है?”
औरत, “साहब, ये मेरी माँ की आखिरी निशानी है। इसलिए मैं इसे हमेशा पहन कर रखती हूँ।”
इंस्पेक्टर, “क्या आप इन दोनों को जानती हैं?”
औरत, “हाँ साहब, ये दोनों और इनका एक दोस्त तीनों यहाँ आकर अक्सर शराब के ठेके पर आते थे और मेरे ठेले से मूंगफली भी लेकर खाते थे।”
इंस्पेक्टर, “अच्छा, तो आप इन दोनों के बारे में हमें कुछ बता सकती हैं?”
औरत, “साहब, ये दोनों और इनका एक और दोस्त, तीनों मुझे बहुत परेशान करते थे।”
इंस्पेक्टर, “अच्छा, तो इसलिए आपने इन दोनों को जान से मार दिया और अब रमेश को भी धमकी भरे खत भेज रही हैं?”
औरत, “अरे! नहीं साहब, मैं उन दोनों का खून क्यों करूँगी भला? और आप खत भेजने की बात कर रहे हैं,
मुझे तो लिखना पढ़ना भी नहीं आता। अगर मैं खत लिख सकती, तो भला यहाँ पर मूंगफली क्यों बेचती?”
इंस्पेक्टर, “अगर तुमने खून नहीं किया, तो तुम्हारी कान की बाली का मोती सुरेश और दिनेश की लाश के पास क्या कर रहे थे? बताओ, कहाँ है तुम्हारी कान की एक बाली?”
औरत, “साहब, वो उस दिन जब मैं मूंगफली बेच रही थी, ये तीनों रोज़ की तरह मूंगफली लेने मेरे ठेले पर आए और मेरे साथ ज़ोर-जबरदस्ती करने लगे।
मैं जैसे-तैसे अपनी जान बचा के वहाँ से भाग निकली और शायद उनकी ज़ोर-जबरदस्ती में मेरी कान की बाली गिर गई होगी।
मेरा भरोसा कीजिए साहब, मैंने किसी को नहीं मारा। मैं अपने बेटे की कसम खा के कहती हूँ।”
इंस्पेक्टर फिर से सुरेश और दिनेश के घर जाता है और घर की अच्छे से जांच-पड़ताल करता है। इंस्पेक्टर हवलदार को लेकर कहीं निकल जाता है।
इंस्पेक्टर और हवलदार दोनों रमेश के घर का दरवाजा खटखटाते हैं, पर उन्हें वहाँ रमेश नहीं मिलता।
वो दोनों कुछ ही दूरी पर जाते हैं, तब उन्हें रमेश भागता हुआ दिखता है। वो रमेश को पकड़ लेते हैं।
इंस्पेक्टर, “बताओ, अपने ही दोस्तों का खून क्यों किया तुमने?”
रमेश, “अरे साहब! मैं… मैं क्यों करूँगा भला अपने ही दोस्तों का खून?”
रमेश को जोरदार थप्पड़ मारने के बाद…
इंस्पेक्टर, “बता, क्यों किया अपने दोस्तों का खून?”
रमेश, “बताता हूँ, बताता हूँ साहब। सुरेश और दिनेश दोनों ने ही मुझसे बहुत सारा उधार ले रखा था और दोनों ही उधार चुकाने का नाम नहीं ले रहे थे।
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एक दिन जब मैंने दोनों से उधार मांगा, तब उन्होंने साफ-साफ इंकार कर दिया। तब गुस्से में आकर मैंने दोनों को मारने का सोचा।
उस दिन जब हम तीनों शराब के ठेके पर से निकले, तब मैंने सुरेश को बहुत ज्यादा शराब पिला दी और उसे छोड़ने के लिए उसके घर तक गया।
वह शराब के नशे में था। मैं कुछ देर वहाँ पर बैठा और फिर मौका पाते ही मैंने उसे मार डाला और रात के अंधेरे में मैं चुपचाप वहाँ से निकल गया। और ऐसा ही मैंने दिनेश के साथ भी किया।”
इंस्पेक्टर, “पर वह मोती, वह वहाँ पर क्यों रखा तुमने?”
रमेश, “वो मैंने आपका ध्यान भटकाने के लिए वहाँ पर जानबूझकर छोड़ दिया।”
और फिर पुलिस उसे जेल में बंद कर देती है।
हवलदार, “पर सर, आपको कैसे पता चला कि सुरेश और दिनेश का खून उसके ही दोस्त ने किया है?”
इंस्पेक्टर, “जब मैं दिनेश और सुरेश के घर फिर से गया, तब मुझे सुरेश के घर में सिगरेट का एक छोटा सा टुकड़ा और वैसा ही लाइटर मिला जैसा कि उस दिन रमेश के पास देखा था।”
दोस्तो ये Frendship Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!