लालची भाई | LALCHI BHAI | Family Story | Bhai Bahan Ki Kahaniyan | Bhai Bahan Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची भाई ” यह एक Bhai Bahan Story है। अगर आपको Family Stories, Moral Stories या Bhai Bahan Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


सीतापुर गांव में दो भाई रहते हैं, जिसमें बड़े भाई का नाम भंडारी और छोटे का नाम है भोला। 

इनके माँ-बाप ने अपने देहांत होने से पहले दोनों को अलग-अलग खेत दे दिए थे।

भंडारी, “वाह वाह वाह वाह! इस बार प्याज की फसल तो बहुत बढ़िया हुई है। अब जल्दी-जल्दी इन सब को बोरी में भरता हूँ, फिर बाजार भी जाना है।”

भोला अपने खेत से आकर भंडारी से बोलता है, “अरे ओ भंडारी भैया…! भंडारी भैया!श इस बार प्याज बहुत अच्छी हुई है, ना?”

भंडारी, “हाँ, हुई है ना? इस बार बहुत अच्छी हुई है।”

भोला, “इस बार मेरे खेत में भी बहुत अच्छी प्याज हुई है। और वैसे भी भैया, आपको तो पता है ना 

कि अभी बाजार में प्याज की मांग बहुत ज़्यादा आ रही है। हमारी प्याज बहुत अच्छे दामों में बिकेंगी।”

भंडारी, “हाँ भोला, तुम सही कह रहे हो।” 

भंडारी अपने मन में चिढ़कर बोलता है, “अबे धत्त! मैंने सोचा सारा फायदा मुझे ही होगा… मतलब मुझे ज़्यादा फायदा नहीं होगा।”

भंडारी घर जाकर अपनी बीवी रीना को बुलाता है, “अरे रीना… ओ रीना! कहाँ मर गई?”

रीना, “हाँ जी, क्या हुआ? क्यों आते ही आपने पूरा घर सर पर उठा रखा है?”

भंडारी, “जा ज़रा जल्दी से मेरे लिए एक ग्लास पानी लेकर आ, फिर मुझे बाजार भी जाना है।”

रीना, “रुको, लाती हूँ।”

भंडारी, “ये देख, कितनी अच्छी प्याज है? ये हमारे खेतों में हुई है।”

रीना, “अरे! हाँ, सही कह रहे हो। कितनी बड़ी-बड़ी और सुन्दर प्याज है? इसके तो बहुत अच्छे पैसे मिलेंगे जी, है ना?”

भंडारी, “हाँ, वो तो होंगे ही। लेकिन इस बार भोला के खेत में भी बहुत अच्छी प्याज हुई है।”

रीना, “हुई है तो क्या हुआ? जाइए, बाजार जाइए।”

भंडारी प्याज की बोरी लेकर बाजार पहुंचता है तो देखता है कि भोला भी अपनी प्याज लेकर बैठा हुआ होता है।

भोला, “अरे ओ भंडारी भैया! आ गए आप?”

भंडारी चिढ़कर बोलता है, “हाँ भाई, प्याज को तो बेचना ही होगा ना?”

भोला, “वो तो करना ही होगा। हम प्याज बेचने के लिए ही तो आए हैं ना?”

तभी एक ग्राहक भंडारी के पास आता है।

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ग्राहक, “अरे भंडारी! ये प्याज कैसे दी है?”

भंडारी, “₹30 किलो है भाई।”

ग्राहक, “अरे राम! इतना महंगा प्याज? प्याज है या सोने की चीज़ है?”

भंडारी, “प्याज की कमी हो गई है भैया, दाम तो बढ़ेंगे ही।”

ग्राहक, “अच्छा ठीक है, चलिए एक किलो दे दीजिए।”

भोला, “चलिए भंडारी भैया, आपकी बोनी तो हो गई।”

भंडारी, “हाँ, हो तो गई… बस एक किलो ही बिकी है।”

तभी एक ग्राहक भोला के पास आता है और बोलता है, “अरे भोला! ज़रा पांच किलो प्याज तोल दियो। 

तेरी भाभी ने बोला कि प्याज तो भोला की दुकान से ही लेना।”

ग्राहक की ये बात सुनकर भंडारी मन ही मन भोला से चिढ़ता है, और ऐसे ही करते-करते भंडारी की दुकान से ज़्यादा भोला की दुकान पर भीड़ लग जाती है। 

और भंडारी से पहले भोला की सारी प्याज बिक जाती है।

भोला, “अच्छा भंडारी भैया, मैं चलता हूँ। मेरी तो सारी प्याज बिक गई है।”

भंडारी चिढ़कर बोलता है, “हाँ हाँ तू जा, तेरी प्याज तो बिक गई है। मैं भी जल्दी से बेचकर घर चला जाऊंगा।”

भोला, “ठीक भैया, मैं चलता हूँ। मेरी तो बहुत कमाई हो गई। मैं तो कल फिर आऊंगा। आप आएँगे ना?”

भंडारी, “हाँ हाँ आऊंगा ना, आना तो पड़ेगा ही भाई।”

भोला, “ठीक है।”

ऐसा कहकर भोला वहाँ से चला जाता है।

भंडारी, “एक उपाय सूझा है मुझे। भोला, देख अब तू कल मैं क्या करता हूँ?”

तभी ग्राहक भंडारी से बोलते हैं

ग्राहक, “अरे भाई! कहाँ खो गया? जल्दी प्याज तोल दे।”

भंडारी, “हाँ हाँ भाई, तोल रहा हूँ, तोल रहा हूँ।”

घर पहुंचकर…

भंडारी, “रीना, कहाँ है? खाना बन गया क्या? बहुत तेज भूख लग रही है।”

रीना, “हाँ हाँ, बन गया। अभी लाती हूँ।”

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भंडारी, “ज़रा देख तो कितने पैसे मिले हैं?”

रीना, “अरे वाह! ये तो कितने सारे पैसे हैं? कल फिर से जाना है बाजार।”

भंडारी, “हां हां, जाउंगा ना, ज़रूर जाऊंगा। और कल इससे भी ज़्यादा पैसे लेकर आऊंगा। और तुम्हें पता है, मुझे एक उपाय सूझा है?”

रीना, “कैसा उपाय, जी?”

भंडारी, “तुझे पता है ना कि बाजार में प्याज की मांग बहुत है और दूसरे गांव से भी प्याज नहीं आ रहे। 

और इस गांव में प्याज बेचने वाले एक मैं और दूसरा भोला है। 

और अगर मैं भोला के खेत के सारे प्याज अपने पास रख लूँ, तो फिर इस पूरे गांव में सिर्फ मेरे पास ही प्याज रहेंगी। समझी? 

और उसके बाद जब बाजार में प्याज के लिए हाहाकार मचेगा, तो फिर मैं जितनी मर्जी उतनी कीमत पर प्याज बेचूंगा। 

क्या कहती हो? कैसा लगा मेरा उपाय? हाँ बोलो, कुछ तो बोलो। बोलती क्यों नहीं हो?”

रीना, “ये क्या कह रहे हो? उपाय तो बहुत अच्छा है, लेकिन इसके लिए चोरी करोगे?”

भंडारी, “अरे पगली! चुप कर। ये चोरी नहीं है, ये व्यापार है, समझी? समझ गई पगली बीवी?”

रीना, “हाँ हाँ, व्यापार समझ गई। लेकिन ये काम हम कब करेंगे?”

भंडारी, “हाँ हाँ, आज ही करना होगा ये काम। नहीं तो भोला कल फिर प्याज लेकर बाजार चला जाएगा।

इसलिए उसका खेत मैं आज ही साफ कर दूंगा और साथ ही साथ अपना खेत भी मैं साफ कर दूंगा, जिससे किसी को मेरे ऊपर शक ना हो।”

रीना, “ठीक है जी, फिर आज मैं भी आपके साथ चलूँगी।”

फिर रात होते ही दोनों पति-पत्नी भोला के खेत की तरफ जाते हैं।

भंडारी, “देखो देखो, वो रहा भोला का खेत। चलो, चुपचाप चलो। वहाँ जाकर भोला के खेत से सारी प्याज निकाल लेते हैं 

और फिर अपनी प्याज भी निकाल कर बोरी में भर लेंगे। ठीक है, समझ गई?”

भंडारी, “हमने सारी प्याज निकाल ही ली।”

रीना, “हाय! थक गई। आखिर हमने सारी प्याज निकाल ही ली।”

भंडारी, “हाँ, ये सही कहा तुमने। चलो चलो, जल्दी चलो। कोई हमें देख ना ले, इससे पहले हम यहाँ से चलते हैं।”

भंडारी, “अब हम ये सारी प्याज की बोरी ले तो आए, लेकिन इन्हें कहाँ रखें, ये तो बताओ?”

रीना, “रसोई के बगल में जो कमरा है ना, उसे खोल देती हूं? वहीं छुपाकर रख दीजिए।”

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फिर रीना जाकर रसोई के बगल वाले कमरे को खोल देती है और भंडारी सारी बोरी उस कमरे में रख देता है।

रीना, “चलो, ये सब तो हो गया। लेकिन अब कल सुबह क्या होगा?”

भंडारी, “वो सब मैं संभाल लूँगा, बस अब सुबह होने की प्रतीक्षा है।”

अगले दिन जब भोला अपने खेत में आकर देखता है, तो उसका पूरा खेत उजड़ा हुआ होता है। ये सब देखकर भोला जोर जोर से रोने लगता है।

भोला, “हाय हाय! ये क्या हो गया मेरे साथ? किसने ये सब किया है? सब खत्म हो गया रे!”

भंडारी, “अब आया ये पकड़ में। जाता हूँ अब मैं भी, अपना नाटक शुरू करता हूं।”

भंडारी भोला के पास जाता है और उससे पूछता है,

भंडारी, “क्या हुआ भोला? तुम रो क्यों रहे हो?”

भोला, “भंडारी भैया… भंडारी भैया, मैं आपका इंतज़ार कर रहा था। 

ये देखो ये देखो, किसी ने मेरे और आपके खेतों की सारी प्याजे चुरा ली। देखिए ना, सारी प्याजे चुरा ली।”

भंडारी, “हाय हाय! ये क्या हो गया? हाय हाय हाय! ये किसने किया हमारे साथ? किसने किया होगा? 

हमारे पेट पर लात मारकर उसे क्या मिला होगा? हमारी इतनी मेहनत की फसल थी।”

भोला, “वही वही मैं भी सोच रहा हूँ कि किसने किया होगा ये हमारे साथ? मैं एक बात कहूंगा, 

जिसने भी ये हमारे साथ किया है, वो कभी खुश नहीं रहेगा। देखिएगा आप, देखिएगा — वो कभी खुश नहीं रहेगा।”

भंडारी, (मन में) “भोला, तुझे क्या पता वो ये प्याज लेकर कितना खुश होगा?”

भोला, “भंडारी भैया… भंडारी भैया, क्या आप आज बाजार जाओगे क्या?”

भंडारी, “नहीं नहीं भाई, आज नहीं जाऊंगा। कल जाऊंगा, दूसरी साग-सब्जी लेकर। अब ये सब देखकर मेरा बाजार जाने का मन नहीं कर रहा।”

भोला, “ठीक है, यही सही है। चलिए अब घर चलते हैं। चलिए, चलिए।”

भोला और भंडारी दोनों रोते-रोते अपने घर की तरफ चले जाते हैं।

भंडारी, “कल बाज़ार नहीं आया था तो प्याज भी नहीं आई। आज बाजार में प्याज की कितनी मांग है, ज़रा देखो तो?”

तभी एक आदमी भंडारी के पास आता है।

आदमी, “अरे भंडारी भाई! प्याज है क्या?”

भंडारी, “नहीं भाई, प्याज तो बिल्कुल भी नहीं है।”

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आदमी, “ये क्या हो रहा है? कल से बाज़ार में प्याज बिल्कुल भी नहीं है। कहाँ से प्याज लाऊँ, कुछ समझ नहीं आ रहा है?”

भंडारी, “ये टमाटर ले जाओ ना।”

आदमी, “भाई प्याज चाहिए प्याज, टमाटर नहीं।”

भंडारी खुश होकर अपने मन में बोलता है।

भंडारी, (मन में) “अरे वाह वाह वाह वाह! बाजार में तो प्याज की कितनी मांग बढ़ गई है? घर जाकर रीना को ये बात बताता हूँ।”

घर पहुँचते ही रीना सवाल करती है,

रीना, “अरे! ये क्या आज जल्दी आ गए? सारी सब्जी वापस ले आए?”

भंडारी, “अरे! सब्ज़ी तो मैंने खुद ही नहीं बेची। मैं तो बस प्याज का दाम जानने गया था। 

और तुझे पता ही नहीं ना, बाजार में प्याज की मांग बहुत बढ़ गई है।”

रीना, “अरे वाह! ये तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन तुम्हें पता है, उस भोला ने फिर से प्याज की खेती करनी शुरू कर दी है।”

भंडारी, “करने दे उसे प्याज की खेती। मेरे पास जितनी प्याज है, उससे मुझे बहुत पैसे मिल जाएंगे। 

तुझे पता है, इस साल मुझे प्याज की खेती करने की कोई ज़रूरत नहीं है? चल, अब मैं थोड़ा आराम कर लेता हूँ। 

अब तो मैं अगले सप्ताह ही बाजार जाकर देखूंगा कि प्याज की कितनी मांग है?”

एक सप्ताह बाद…

रीना, “अजी सुनिए… सुनिए ना, आज एक सप्ताह हो गया है। आपने कहा था कि एक सप्ताह बाद बाज़ार जाऊँगा।”

भंडारी, “क्या…? आज एक सप्ताह हो गया है? चलो, आज बाजार जाता हूँ। 

कुछ सब्ज़ी लेकर जाता हूँ और बाजार में प्याज की कितनी मांग बढ़ गई है, वो भी जाकर देखता हूँ।”

बाजार में…

ग्राहक, “अरे भंडारी भैया! प्याज है क्या प्याज?”

भंडारी, “नहीं, दूसरी सब्ज़ी है भाई। वो दे दूं क्या?”

ग्राहक, “अरे और सब्ज़ियां तो सबके पास हैं भाई। पर मुझे प्याज चाहिए।

कल दूसरे गांव से प्याज आई तो थी, लेकिन ₹50 किलो थी और वो आते ही बिक गई थी।”

भंडारी (खुश होकर), “अरे वाह! जैसा सोचा था, वैसा ही हो रहा है।”

वापस घर पर…

भंडारी, “तुझे पता है रीना, बाजार में प्याज का दाम ₹50 किलो हो गया है?”

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रीना, “अरे वाह! क्या कह रहे हो आप, ₹50 किलो? फिर आप कब जाकर बेचेंगे प्याज को बाजार में?”

भंडारी, “अभी नहीं रीना, अभी थोड़ा प्याज का दाम और बढ़ने दे। फिर एक-दो सप्ताह बाद जाऊंगा। जब तक प्याज की कीमत और बढ़ जाएगी।”

बाजार में चार-पांच सप्ताह बीत जाते हैं और प्याज दिखाई नहीं देती।

ग्राहक, “लगभग चार-पांच सप्ताह हो गए जब से प्याज की शक्ल नहीं देखी है।”

दूसरा ग्राहक, “हाँ भाई, प्याज के बिना खाना नहीं खाया जाता है। मन अजीब सा हो गया है। 

मेरी बीवी भी आज मुझसे बोल रही थी कि प्याज के बिना घर में नहीं घुसने दूंगी। 

अब तो चाहे जितनी भी महंगी प्याज मिले, मैं तो खरीद ही लूंगा।”

तभी उनमें से एक आदमी भंडारी से कहता है,

आदमी, “अरे भंडारी भाई! आप और भोला तो नज़र ही नहीं आते हो। क्या आपके पास प्याज है?”

भंडारी, “जी, अभी तो नहीं है। लेकिन लाकर दे सकता हूँ। पर प्याज बहुत महंगी है।”

आदमी, “अरे भाई! महंगी है तो क्या हुआ? तुम बस हमें प्याज लाकर दो। नहीं तो मेरी बीवी मुझे घर से बाहर निकाल देगी।”

भंडारी, “ठीक है ठीक है, मेरे पास कुछ प्याज है। मैं घर से लाता हूँ। लेकिन उसका एक ही दाम है — ₹90 किलो।”

आदमी, “जो भी दाम है, तुम ले आओ भाई। हम सब यहीं हैं।”

भंडारी घर जाकर रीना को बताता है।

भंडारी, “रीना, समय आ गया है। चल अब जल्दी से जा, कमरे का दरवाज़ा खोल। अब मैं बाजार जाकर प्याज ₹90 किलो बेचूंगा।”

रीना, “क्या… सच में ₹90 किलो प्याज बेचोगे? हाँ, मैं जल्दी से जाती हूँ और सारी प्याज की बोरी निकाल लेती हूँ।”

जैसे ही दरवाज़ा खोलते हैं भंडारी और रीना के होश उड़ जाते हैं।

भंडारी, “अरे रे रे! ये क्या हो रहा है? इतनी ज़्यादा बदबू कैसे आ रही है? हाय हाय!”

रीना, “हाय हाय! ये क्या हो गया? ये सारी प्याज तो सड़ गई। इसी में से इतनी गन्दी बदबू आ रही है।”

भंडारी, “हाय हाय! ये क्या हो गया? मेरा कितना नुक़सान हो गया? क्या करूँ मैं अब? 

क्या करूँ मैं? मैं पागल हो रहा हूँ, रीना। रीना, ये क्या हो गया? सब खत्म हो गया।”

तभी भोला की आवाज आती है।

भोला, “भंडारी भैया… ओ भंडारी भैया!”

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भोला की आवाज सुनकर भंडारी बाहर आता है।

भोला, “भंडारी भैया, बाज़ार चलेंगे क्या? मेरे खेत में नई प्याज हुई है।”

भंडारी, “नहीं भाई, मैं नहीं जाऊँगा।”

भोला, “ठीक है। फिर मैं ही चला जाऊँगा।”

भंडारी, (अपने आप से) “अरे! अगर मैं इतना लालच नहीं करता, तो सब खत्म नहीं हुआ होता। बहुत बड़ी भूल हो गई।”


दोस्तो ये Bhai Bahan Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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