लालची राक्षस | LALCHI RAKSHAS | Hindi Kahani | Hindi Kahaniya | Hindi Stories | Bedtime Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची राक्षस ” यह एक Hindi Story है। अगर आपको Hindi Stories, Hindi Kahani या Achhi Achhi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


बलियापुर गांव के पास एक बहुत बड़ा घना जंगल था। वो जंगल एकमात्र ऐसा रास्ता था, जहाँ से शहर आया-जाया जा सकता था।

पर कुछ समय से वहाँ से आने-जाने वाले लोग रहस्यमय तरीके से मरने लगे थे।

बसंत, “अरे चंदन! तुने सुना? चंदनपुर गांव का जुगनू पिछले चार दिन पहले शहर गया था, पर उसका अभी तक कोई ठिकाना ही नहीं है।”

चंदन, “हाँ। आजकल तो जंगल में कोई भी जाता है, तो वापस फिर नहीं आता। अब जाने कौन-सी आफत आने वाली है। ऐसा तो नहीं कि जंगल में कोई जंगली जानवर आ गया है?”

बसंत, “अरे! हाँ भाई, वैसे भी आजकल जंगल में बहुत सी अजीब-अजीब तरह की आवाजें आती हैं।”

चंदन, “पर क्या करें भाई? शहर आने-जाने का सिर्फ एक ही तो रास्ता है।”

एक दिन रतन अपनी साइकिल से शहर अपने काम पर जा रहा था।

रतन, “बस किसी तरह जंगल का रास्ता निकल जाए, जल्दी चल रतन जल्दी।”

तभी उसे एक जंगली जानवर की आवाज सुनाई दी।

रतन, “हे भगवान! इतनी खतरनाक आवाज… ये कौन सा नया जानवर आ गया इस जंगल में? चल रतन बेटा चल, जल्दी-जल्दी जंगल से बाहर निकल ले।”

फिर रतन अपनी साइकिल को और तेज़ चलाकर जाने लगता है, पर अचानक उसकी साइकिल की चेन उतर जाती है। वो साइकिल को ठीक करने के लिए उतरता है।

रतन, “अब जल्दी-जल्दी साइकिल को ठीक कर लेता हूँ, नहीं तो जाने वह जानवर मेरा क्या हाल करेगा?”

वह साइकिल को ठीक करता है। उसी वक्त पीछे से कोई आकर पकड़कर उसके कंधे से उसका सारा खून पी जाता है।

पास से बसंत और चंदन गुजरते हैं। रतन को देखकर बसंत और चंदन रतन के पास जाते हैं।

बसंत, “अरे भाई! यह तो रतन है ना? हे भगवान! उस जानवर ने इसे भी मार डाला।”

फिर दोनों उसे उठाकर गांव ले जाते हैं।

मुखिया, “आसपास के गांव में मौत हो रही थी सो हो रही थी, पर अब हमारे गांव में भी उस जानवर का आतंक शुरू हो गया है।

अब हम सभी को एक बार जंगल में चलकर देखना होगा और उस जानवर का कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।”

गांव में मातम का माहौल छा जाता है। अगले दिन सभी गांव वाले मशाल लेकर जंगल में जाते हैं।

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तभी ठोकर खाकर बसंत गिर जाता है। बाकी सभी लोग आगे बढ़ जाते हैं।

बसंत, “अरे! कहाँ जा रहे हो सब के सब? रुको, रुको मेरे लिए।”

तभी उसे अजीब-अजीब सी आवाज़ सुनाई देती है और वो जैसे ही पलट कर देखता है…

बसंत, “नहीं नहीं… आह आह!”

उसका भी खून उसी तरह हो जाता है जैसे रतन का हुआ था। जब गांव के सभी लोग वापस आते हैं तो बसंत की लाश को देखते हैं।

आदमी, “अरे! ये क्या? बसंत… बसंत, उठ जाओ बसंत भाई, उड़ जाओ।”

दूसरा आदमी, “अरे! लगता है उस जानवर ने बसंत भाई को भी मार डाला। हे भगवान! ये कौन सा जानवर होगा, जो इतनी बेरहमी से इंसानों का खून पी जाता है? मुझे तो बहुत डर लग रहा है।”

फिर सभी लोग गांव चले जाते हैं। सब लोग गांव की चौपाल पर बैठकर बातें कर रहे होते हैं।

आदमी, “मुखिया जी, अब तो हमारे गांव में भी मौतें होना शुरू हो गई हैं।”

मुखिया, “हाँ भाई, अब तो कुछ करना ही पड़ेगा। पर जब तक कोई रास्ता न निकले, तब तक जितना हो सके उस जंगल के रास्ते में मत जाना।”

दूसरा आदमी, “अरे! पर मुखिया जी, गांव से बाहर जाने का सिर्फ एक ही तो रास्ता है। ये तो ऐसा हो गया है मानो आगे कुआं और पीछे खाई।

अगर शहर नहीं गए तो भूखे मर जाएंगे और अगर गए तो वह जानवर हमें खा जाएगा।”

मुखिया, “अब तो बस एक ही रास्ता है, हम सबको मिलकर उस जानवर को मारना पड़ेगा।”

पहला आदमी, “अरे! पर हम सब गए थे उस जानवर को ढूंढने, वह तो हमें मिला नहीं और बसंत की जान गई, वो अलग।”

तभी खून से लथपथ हालत में मंगलू वहाँ आता है।

चंदन, “अरे मंगलू! ये… ये तेरी हालत कैसे हुई?”

मंगलू, “अरे! नहीं-नहीं भाई, कोई जानवर नहीं है।”

चंदन, “फिर कौन है? अगर कोई जानवर नहीं है तो बता मुझे, मैं अभी उसका छुट्टी का दूध निकाल कर आता हूँ।”

मंगलू, “अरे भाई! वो तेरा छठी, सातवीं सभी का दूध निकाल देगा।”

चंदन, “क्या मतलब?”

मंगलू, “अरे भाई! मैं शाम को शहर से गांव आ रहा था, तभी मेरे सामने एक विशाल… नहीं नहीं, क्या कहूँ इसे?

मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। उसका शरीर इंसान का था और शरीर जानवर का। उसके लंबे-लंबे दांत, उन्हीं दांतों से वह इंसानों का खून पी जाता है।

उसने मुझे पकड़ लिया और इतना कसकर पकड़ा कि मैंने खुद को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, फिर भी मैं उसके चंगुल से बच नहीं पाया।

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पर पता नहीं, कोई चमत्कार कहूं या कैसे कहूं, जैसे-तैसे बचकर वहाँ से निकल आया? वह बहुत ही ताकतवर था, हाँ बहुत ही ज्यादा ताकतवर।”

तभी वहाँ पर एक पागल औरत आ जाती है, जो चिल्लाती है,

पागल औरत, “वो आ गया, वो फिर से आ गया। अब तुम सबको मार डालेगा। हम में से किसी को नहीं छोड़ेगा, कोई नहीं बचेगा।

हममें से किसी को नहीं छोड़ेगा, हाँ। तुम सब मरोगे, सब के सब मरोगे।”

ऐसा कहकर वह वहाँ से जाने लगती है और ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगती है। गांव में किसी को भी कुछ समझ नहीं आता।

मुखिया, “भाइयों, मेरा मत यह है कि गांव में से चार-पांच लोग साथ में शहर जाकर जरूरत का सारा सामान ले आएं और फिर उस रास्ते से कोई भी नहीं जाएगा।”

चंदन, “हाँ हाँ मुखिया जी, मुझे भी आपका सुझाव बहुत अच्छा लगा, बिलकुल अच्छा।”

दूसरा आदमी, “हाँ हाँ, हम लोग बिलकुल ऐसा ही करेंगे।”

फिर गांव के कुछ लोग मिलकर जंगल पार करके शहर जाने लगते हैं।

चंदन, “कोई भी अलग नहीं होगा और सभी लोग अपने हाथों में मशालें ले लो।”

सभी जंगल तक पहुँच जाते हैं।

चंदन, “हमें आते हुए शाम हो जाएगी। जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहु लोक उजागर, रामदूत अतुलित बलदामा, अंजनि पुत्र, पवन सुतनामा!”

शाम तक सभी लोग एक महीने का जरूरी सामान लेकर गांव वापस लौटने लगते हैं। आते समय सभी लोगों के सामने एक विशालकाय आदिमानव आकर खड़ा हो जाता है।

आदमी, “अरे भाई! लगता है कि ये वही आदिमानव है जिसके बारे में मंगलू ने बताया था, जो सबका खून पी जाता है। अब हमें भी…?”

चंदन, “अरे! घबराओ मत तुम सब, मैं हूँ ना। मैं देखता हूँ कि आदिमानव हम सबका क्या बिगाड़ेगा?”

तभी वो आदिमानव एक आदमी को पकड़ लेता है और उसका खून पीने लगता है। बाकी सभी लोग उस पर पत्थर मारने लगते हैं।

आदमी, “छोड़… छोड़ उसे छोड़।”

वो आदिमानव और भी ज्यादा गुस्से में आ जाता है। उसने जिस आदमी को पकड़ रखा था, उसे वह दूर पेड़ के पास फेंक देता है।

आदमी, “अरे चंदन भाई! अब हम क्या करें? यह आदिमानव तो और भी ज्यादा गुस्सा हो गया है। अब ये हम में से किसी को भी नहीं छोड़ेगा। अब तो हम सभी गए।”

वो आदिमानव उन सभी के पास आने लगता है। वो सबके पास जा रहा था, पर चंदन से डर रहा था।

चंदन, “अरे! ये आदिमानव मेरे पास क्यों नहीं आ रहा?”

फिर उसे ध्यान आता है कि उसके हाथ में मशाल है।

चंदन, “कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरे हाथ में मशाल है, इसलिए वह मेरे पास नहीं आ रहा? कहीं ऐसा तो नहीं कि ये आदिमानव आग से डरता हो?”

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वो आदिमानव गुड्डू को पकड़ लेता है और उसका खून पीने ही वाला था कि तभी चंदन उस आदिमानव के पास मशाल लेकर जाता है और उसे डरा देता है। सभी लोग वहाँ से गांव में भाग जाते हैं।

गांव जाकर सभी गांव वालों को सारी बातें बताते हैं।

आदमी, “पर चंदन भाई, मुझे एक बात समझ नहीं आई कि वो आदिमानव हम सबको पकड़ रहा था, पर आपसे क्यों डर रहा था?”

चंदन, “अरे! क्योंकि मेरे हाथों में मशाल थी और वह आदिमानव आग से डरता है। इस वजह से वह मेरे पास नहीं आ रहा था, और तुमने देखा नहीं, मैं जैसे ही मशाल उसके पास लेकर गया, वह वहाँ से भाग गया?”

आदमी, “इसका मतलब है कि हम उसे जलाकर मार सकते हैं।”

सभी गांव वाले इस बात को सुनकर खुश हो जाते हैं। उनके मन में एक उम्मीद की किरण जाग जाती है।

मुखिया, “फिलहाल तो कुछ समय के लिए उस जंगल में कोई भी नहीं जाएगा। कुछ दिनों में हम कोई न कोई रास्ता जरूर निकाल लेंगे।”

चौपाल पर बैठकर सब लोग बातें कर रहे होते हैं।

आदमी, “अरे भाई! तुम्हें आवाज़ सुनाई दी?”

दूसरा आदमी, “हाँ हाँ भाई, ये तो उस आदिमानव की ही आवाज़ लग रही है। कहीं वो आदिमानव गांव में तो नहीं आ गया?”

औरत, “हे भगवान! इस शैतान का डर पहले जंगल में ही था और अगर ये गांव में आ गया, तो हम सबका जीना हराम कर देगा। इसका कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।”

तभी ज़ोर-ज़ोर से जमीन पर पैर रखते हुए आदिमानव गांव में आ जाता है।

आदमी, “अरे! भागो भागो, सभी अपने घरों में जाकर छुप जाओ।”

सभी गांववाले अपने-अपने घरों में छुप जाते हैं, पर वह आदिमानव अब गांव के जानवरों को खाने लगता है और सुबह होते ही गांव से चला जाता है।

आदमी, “मुखिया जी, अब तो इस आदिमानव का कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा। नहीं तो हम में से कोई भी ज़िंदा नहीं बचेगा।”

मुखिया, “हाँ हाँ, तुम बिलकुल सही कह रहे हो।”

अगली शाम को…

आदमी, “भाई चंदन, लगता है वो आदिमानव आज फिर आएगा। अब तो वो हमारे गांव के जानवरों को भी मारकर खा रहा है। अब वो हममें से किसी को भी नहीं छोड़ेगा।”

चंदन, “अरे गांव वालो! कब तक इस से भागोगे? एक दिन यह हम सबको खा लेगा।”

तभी एक पागल औरत वहाँ आ जाती है।

पागल औरत, “हाँ, सही कह रहा है ये। कब तक भागोगे? बरसों पहले वो मेरे पिंकू को भी खा गया था।”

मुखिया, “पर उस आदिमानव को हम मारेंगे कैसे?”

पागल औरत, “वो आग से डरता है, हाँ। उसे किसी तरह से आग से जला सकते हैं।”

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फिर वो पागल औरत सभी गांव वालों को तरकीब बताती है। फिर सभी लोग मिलकर एक गड्ढा खोदने लगते हैं।

सभी लोग गड्ढा खोद लेते हैं और उस पर घास डालकर उसे ढक देते हैं। तभी फिर से आदिमानव घुर्राते हुए गांव में आता है।

तभी गांव वाले इधर-उधर भागने लगते हैं। फिर चंदन आदिमानव को और गुस्सा दिलाने के लिए उस पर पत्थर मारने लगता है।

और चंदन को देखकर सभी गांव वाले उस आदिमानव पर पत्थर फेंकने लगते हैं।”

वो आदिमानव चंदन को पकड़ने के लिए आगे बढ़ता है। तभी वो आदिमानव उस बड़े से गड्ढे में गिर जाता है।

वो आदिमानव जोर-जोर से घुर्राने लगता है। फिर चंदन उस गड्ढे में मिट्टी का तेल डालकर आग लगा देता है और वो आदिमानव तड़प-तड़पकर उसी गड्ढे में जलकर राख हो जाता है।


दोस्तो ये Hindi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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