मोनिका | MONIKA | Horror Story | Scary Stories | Darawani Kahaniyan | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” मोनिका ” यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


मोनिका, “बेबी, क्या तुमने ये आंधी रात को बीच सड़क पे फोटो लेने की सूझी? तुम भी ना, कभी-कभी हद ही कर देते हो।”

आदर्श, “अरे, रुको तो सही, लम्हे बनाने से बनते हैं। और वैसे भी, यह तुम्हारी और मेरी आखिरी फोटो है।”

मोनिका, “आखिरी फोटो?”

आदर्श, “हाँ नहीं तो क्या? तुम मेरी गर्लफ्रेंड सिर्फ आज रात के लिए आई हो, कल से तो तुम मेरी पत्नी बन जाओगी ना?”

मोनिका, “तुम भी ना आदर्श, कभी नहीं सुधरोगे। अच्छा अब जल्दी करो, घर भी तो जाना है।”

आदर्श, “अरे बाबा एक मिनट… लगता है फोन गाड़ी में भूल गया। मैं अभी लेकर आया।”

इतना कहकर आदर्श उस लड़की को बीच सड़क पर छोड़ कुछ ही दूर खड़ी अपनी कार में बैठ मोबाइल ढूंढ ही रहा था

कि अचानक एक कार तेज़ रफ्तार से दनदनाती हुई सामने से आ रही थी।

कार की हाई बीम हेडलाइट को देख आदर्श की आँखें चौंधिया गईं और फिर हॉर्न की आवाज़ के साथ किसी लड़की के चीखने की आवाज़ आई।

जिसे सुन आदर्श बुन भुन गया, उसके हाथ-पैर कांपने लगे। उसने डरते हुए पैर कार से बाहर रखे हुए ही थे कि रोड पर बिखरा खून देख उसकी साँसें थम सी गईं।

क्योंकि जिस जिस्म से खून बह रहा था, कुछ घंटे पहले वही जिस्म आदर्श की बाहों में हिचकोले ले रहा था।

आदर्श तड़पते हुए तुरंत उस लड़की के पास गया, जिसे वह बीच सड़क में छोड़कर आया था।

और कार से एक्सीडेंट हो, अब वो एक लाश बन चुकी थी। अपनी गोद में उसे भरकर आदर्श बेतहाशा चीख-चीखकर रो रहा था।

पाँच साल बाद…
30 साल का आदर्श तेज़ रफ्तार से कार चलाता हुआ उसी रास्ते से गुज़र रहा था, जहाँ पाँच साल पहले उसके साथ एक हादसा हुआ था।

ना जाने क्यों, जब भी वह उस रास्ते से गुजरता, उसे सड़क पर खून नजर आता? मगर अब वो अपनी कार को धीरे नहीं करता।

वह बेमन से रास्ते से गुजर रहा था और उसका ध्यान अभी सड़क पर ही था कि अचानक एक लड़की उसकी कार के सामने आ गई।

इससे पहले कि वह ब्रेक मारकर उस लड़की को बचा पाता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

ज़ोरदार टक्कर के कारण वह लड़की दूर जा गिरी। गाड़ी रोककर आदर्श बाहर आया और दुर्घटना में घायल हुई लड़की की ओर दौड़ा।

पास जाने पर पता चला कि लड़की का चेहरा पूरी तरह से खून में सना हुआ था, जिससे उसका चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था।

आदर्श ने जब उसकी नब्ज़ चेक की, तो उसे महसूस हो गया था कि वह अपनी आखिरी साँसे गिन रही है।

उसने तुरंत एंबुलेंस को फोन कर दुर्घटना स्थल पर आने के लिए बोल दिया और खुद पानी निकालकर उसे पिलाने वापस आया ही था कि देखा वहाँ कोई नहीं है।

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डर के मारे आदर्श का खून सूखने को हो गया था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि तभी उसे बहुत जोर की ठंड लगने लगी।

आदर्श, “यह कैसे हो सकता है? एक जख्मी लड़की खुद से कहाँ जा सकती है?”

आदर्श ने खुद से बस इतना कहा और वापस अपनी कार की ओर दौड़ पड़ा। उसने कार चलानी शुरू ही की थी

रियर व्यू मिरर में देखा कि एक लड़की खून से लथपथ रोड़ के बीचों-बीच खड़ी उसे ही घूर रही थी।

पर आदर्श ने अब ध्यान नहीं दिया और सीधा घर आ गया। वह अपनी पत्नी से आज के हादसे के बारे में बताने ही जा रहा था

कि तभी उसकी पत्नी, आदर्श को जबरदस्ती मिठाई खिलाते हुए कहती है—

कनिका, “आदर्श, मैंने हमारे लिए मेड ढूंढ ली है। और हाँ, वो हमारे साथ ही रहेगी जब तक कि मेरी डिलीवरी नहीं हो जाती।

आओ, मैं तुम्हें उससे मिलवाती हूँ।”

इतना कहकर आदर्श की पत्नी, कनिका उसका हाथ थामकर उसे किचन में ले गई, जहाँ मेड पहले से ही बर्तन धो रही थी।

कनिका, “आदर्श, ये है मोनिका।”

मोनिका का नाम सुनते ही आदर्श के पैर जम से गए। इस पर जब आदर्श ने मोनिका को देखा तो उसकी तो हवा ही उड़ गई

क्योंकि ये वही मोनिका थी, जिसकी मौत आज से 5 साल पहले हुई थी।

आदर्श, “यह कैसे मुमकिन है? वही शक्ल, वैसा ही सुडौल बदन, हूबहू नैन-नक्श…

यह पक्का मोनिका ही है… या फिर उसका भूत? आज मेरे साथ ये क्या हो रहा है?”

तभी आदर्श की पत्नी ने उसे झकझोरते हुए कहा, “क्या हुआ? कहाँ खो गए?”

आदर्श, “नहीं-नहीं, कुछ नहीं। मैं तो बस यह कह रहा था कि अपना काम ठीक से करे, तनख्वाह काम देखकर ही बढ़ाएंगे।”

इतना कहकर आदर्श उल्टे पाँव सीधा सोने को चल दिया।

रात गहरी हो चुकी थी। अपनी पत्नी को सोता देख आदर्श सीधा मोनिका के कमरे में चला गया और उसे उठाते हुए पूछा—

आदर्श, ” कौन हो तुम? सच-सच बताओ, कौन हो तुम वरना मैं अभी पुलिस को बुलाऊँगा।”

मोनिका, “साहब, पुलिस को तो मैं भी बुला सकती हूँ। रात के 2 बजे तुम एक नौकरानी के कमरे में क्या कर रहे हो?

उसकी इज्जत लूटने आए हो क्या? अगर अभी मैं अपने कपड़े फाड़कर चिल्लाना शुरू कर दूँ, तो तुम बर्बाद हो जाओगे, मिस्टर आदर्श।”

मोनिका की बात सुन आदर्श दंग रह गया। वो वापस उल्टे पैर जाने को ही हुआ था

कि तभी मोनिका ने आदर्श का हाथ पकड़ उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसके जिस्म को सहलाने लगी।

इस पर आदर्श बोला, “छोड़ो मुझे, मैं कहता हूँ छोड़ो। तुम एक घटिया लड़की हो, जो मुझे बर्बाद करना चाहती है।”

मोनिका, “मैं एक घटिया लड़की हूँ, मैं? मिस्टर आदर्श, पाँच साल में तुम्हारी याददाश्त इतनी कमजोर कैसे हो सकती है?

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तुम भूल गए क्या, जो कार मुझे कुचल कर गई थी, उस कार के ड्राइवर तुम थे, आदर्श?

तुमने बीच सड़क पर मुझे खड़ा कर दिया और फोन लेने के बहाने कार में गए और उसे स्टार्ट कर मुझे कुचलकर मार दिया।

तीन साल मेरे साथ लिव-इन में रहने के बाद जब तुम्हारा मन भर गया, तो तुमने मुझे रास्ते से हटाने का ये रास्ता चुना?

हा हा हा… एक बार बोल देते, मैं तुम्हें खुद ही छोड़ देती।”

मोनिका की बातें सुन आदर्श के पैरों तले जमीन खिसक गई थी। वो अपना ही सच सुन काँपने लगा था।

आदर्श, “तुम झूठ बोल रही हो, मोनिका। एक्सीडेंट के बाद मैंने खुद तुम्हारी साँसें चेक की थीं, तुम तो मर चुकी थी।

तभी मैंने तुम्हारी लाश को खाई से नीचे फेंका था।”

मोनिका, “हाँ, तो मैंने कब कहा कि मैं जिंदा हूँ? एक नहीं बल्कि दो-दो बार तुमने मुझे अपनी गाड़ी से कुचला है।

भूल गए क्या, आज रात जिस लड़की को अपनी कार से कुचलकर तुम आ रहे हो, वो भी मैं ही थी।”

इतना कहकर मोनिका ने आदर्श को खुद से दूर किया और देखते ही देखते अपने आप उसका चेहरा भी खून से लथपथ हो गया।

खून से भीगा चेहरा ठीक उसी लड़की के जैसा था, जो आते वक्त आदर्श ने देखा था, मतलब मोनिका का।

साथ ही उसे ये भी यकीन हो गया था कि मोनिका जिंदा नहीं, बल्कि मर चुकी है और अब वो उससे बदला लेने आई है।

आदर्श की आँखों में डर साफ छलक रहा था, जिसे भाँप मोनिका ने कहा, “डर मत, तुझे इतनी आसानी से नहीं मारूंगी।

पहले तेरा होने वाला बच्चा मरेगा, फिर तेरी पत्नी और आखिर में तू।”

आदर्श, “पर मेरे गुनाह की सजा तुम मेरे परिवार को क्यों देना चाहती हो? भला उन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”

मोनिका, “अच्छा? तू फिर एक काम कर, तू रोज़ अपने शरीर का एक-एक हिस्सा काटकर मुझे दे। तब मैं तेरे परिवार को छोड़ सकती हूँ।”

मोनिका की बातें सुन आदर्श गुस्से में आ गया।

उसने तुरंत कहा, “क्या बकवास कर रही है तू? कल भी मेरे लिए कुछ नहीं थी और आज भी मेरे लिए कुछ नहीं है।

तुझे क्या लगा था, तीन साल तेरे साथ रहने से मैं हमेशा के लिए तुझे अपने सिर पर बिठा लूँगा?

मैं करोड़पति खानदान का रईस हूँ और तू एक एनजीओ में काम करने वाली मामूली सी लड़की।

थोड़ा सा हंस बोल 3 साल साथ क्या रह लिए, तू तो गले ही पड़ गई। अरे! तेरे जैसी को मैं रोज़ कौड़ियों के भाव खरीदता हूँ, समझी ना?

मैं भी जानता हूँ तेरे जैसी जिद्दी आत्माओं के होश कैसे ठिकाने लगाए जाते हैं? रुक, अभी किसी तांत्रिक को बुलाके तुझे ठीक करता हूँ।”

आदर्श मोनिका की आत्मा को धमकाकर कमरे से बाहर आया ही था कि उसने जो देखा, उसे उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

क्योंकि उसके सिर के ऊपर उसकी पत्नी हवा में बेहोश झूल रही थी और उसके साथ मोनिका भी, जो उसकी पत्नी के जिस्म से मांस का लोथड़ा भींच आदर्श पर फेंक रही थी।

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अब वो पहले से कहीं ज्यादा खूंखार और डरावनी लग रही थी। अपनी पत्नी की हालत देखकर आदर्श के होश उड़ गए।

वो वहीं अपनी पत्नी को बचाने के लिए मोनिका के आगे गिड़गिड़ाने लगा था।

आदर्श, “मोनिका, प्लीज़ मेरी पत्नी को छोड़ दो। वो माँ बनने वाली है। तुम जो कहोगी, जैसा कहोगी, मैं करने के लिए तैयार हूँ।

पर मेरे मरने के बाद मेरे परिवार का क्या होगा? अगर मैं मर गया, तो मेरी सारी जायदाद अमेरिका के किसी एनजीओ में दान चली जाएगी।

मेरा खानदान हमेशा हमेशा के लिए तबाह हो जाएगा।”

मोनिका, “कितना अच्छा लग रहा है तुझे अपने सामने गिड़गिड़ाता देख! तो चल एक काम कर, मैं बस तुझे बर्बाद और तड़पता हुआ देखना चाहती हूँ।

तू खुद को पागलखाने में पागल साबित कर और पागलखाने में भर्ती हो जा, जिससे तुझे तड़पता देख मुझे सुकून भी मिलेगा

और तेरा परिवार भी सुरक्षित रहेगा। बोल, कर पाएगा?”

आदर्श, “हाँ, मैं ये कर सकता हूँ। मैं अभी पागलखाने में जाकर भर्ती हो जाऊँगा।

पर मेरे जाने के बाद तुम मेरे परिवार को कोई नुकसान तो नहीं पहुँचाओगी, ना? वादा करो मुझसे।”

मोनिका, “ठीक है, मैं तेरे परिवार को कुछ नहीं करूँगी, पर तेरा परिवार तभी तक सुरक्षित है जब तक कि तू अपना मुँह नहीं खोलता, समझा?”

मोनिका के सवाल पर आदर्श चुप हो गया। शायद उसके मन में कुछ प्लान चल रहा था,

जिसे भाँप मोनिका बोली, “तेरी नीयत पर मुझे यकीन नहीं। एक काम कर, एक कागज़ पर अपना बयान लिख कि तू पागल है और तुझे पागलखाने में ही रखा जाए।

जिसके बाद तेरी सारी जायदाद तेरी पत्नी और बच्चे को मिले, पर तू किसी पागलखाने के कोने में सड़ता रहे।”

मोनिका के कहने पर आदर्श की हवाइयां उड़ गईं। वो अभी भी धोखा देने की सोच रहा था,

पर मोनिका भी बिना वक्त गँवाए आदर्श की पत्नी कनिका का गला दबाने लगी, जिसके दर्द से कनिका नींद में तड़पने लगी थी। उसकी आँखों से आँसू थम नहीं रहे थे।

कनिका की हर दबती साँस के साथ आदर्श की सोच भी उसका साथ छोड़ रही थी, पर इससे पहले कि कनिका अपनी आखिरी साँस छोड़ पाती,

आदर्श ने भारी मन से पेन उठाया और अपना बयान लिखकर नीचे दस्तखत कर दिए और अगली सुबह वह पागलखाने में भर्ती हो गया।

उसकी पत्नी कनिका ने उससे लाखों बार पूछा, पर हर बार वो किसी पागल की तरह जवाब दे सवाल को नकार देता।

आज आदर्श को पागलखाने में रहते हुए आठ साल हो गए हैं, लेकिन उसने आज तक कभी किसी के सामने अपना मुँह नहीं खोला।

अब वो पागलों के बीच आधा पागल हो चुका है। कि फिर एक दिन एक चपरासी उसे कमरे में ले गया और बोला, “तुमसे मिलने दो लोग आए हैं।”

चपरासी अभी कमरे से बाहर जाने को ही हुआ था कि तभी दो औरतें अंदर आईं, जिन्हें वो पहले से जानता था।

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इस पर आदर्श हँसते हुए चपरासी से बोला, “अरे! दो नहीं, एक ही आई हैमुझसे मिलने। दूसरी तो सिर्फ एक आत्मा है।”

आदर्श की बात सुन चपरासी ने उसे धुतकारते हुए कहा, “चुप साले पागल, जिंदा लोगों को मुर्दा बताता रहता है।”

चपरासी की बात सुन आदर्श एक पल के लिए चौंक गया था, पर इससे पहले वो अपनी पत्नी कनिका को देखकर खुश हो पाता,

मोनिका ने हँसते हुए कहा, “ठीक ही तो कह रहा है चपरासी। मैं मरी नहीं, जिंदा हूँ।”

कनिका, “हाँ, ये ज़िंदा है आदर्श। ये तब भी जिंदा थी जब तुमने इसे अपनी कार से कुचलकर खाई में फेंक दिया था।

पर वो गिरी नहीं थी, वो तो बस तुम्हारी किस्मत खराब है या शायद मेरी बहन की किस्मत कुछ ज्यादा ही अच्छी है।

क्योंकि जब तुम इससे गाड़ी से कुचल रहे थे, तब उस रास्ते से मैं भी गुजर रही थी। तब मैंने अपनी बहन को बचा लिया था।”

मोनिका, “वो एक्सीडेंट में तुमको बेवकूफ बनाना, हवा में उड़ना, खून से लथपथ होना… ये सब एक सोची-समझी साजिश थी।

एक झूठ था। ठीक तुम्हारे होने वाले बच्चे की तरह, ताकि तुम अपना मानसिक संतुलन खो दो।

और हाँ, तुम जिस खानदानी रईसी की बात कर रहे थे, वो अब मेरी बहन के नाम हो चुकी है।

वो भी मेरी तरह अनाथ है और हम दोनों उसी एनजीओ की हैं, जहाँ तुम जैसे अमीर लोग अपनी झूठी शान और दरियादिली दिखाने आते हैं।

बड़ा अजीब है ना मिस्टर आदर्श, जब तुम अमीर थे, तब तुम बेवकूफ थे। लेकिन आज जब तुम कुछ भी नहीं हो, तो एक पागल बन गए हो।”

मोनिका की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि कनिका ने अपने पर्स की मिठाई निकाल आदर्श के मुँह में ठूँसते हुए कहा, “लो, इसी बात पर ये मिठाई खाओ।

ये वही मिठाई है जिसमें ड्रग्स मिलाकर मैं धीरे-धीरे तुम्हें पागल बनाती आई हूँ।”

आदर्श किसी बुद्ध की तरह ये सब सुनते जा रहा था। उसके किए की सजा उसे इस तरह मिलेगी, उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

जिस रईसी के घमंड में वह सारी ज़िंदगी जीता रहा, उसी के चक्कर में आज उसकी ये हालत हो गई थी।

सारी कहानी जान आदर्श अब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा था, अपने बाल नोचने लगा।

ये ड्रग्स का असर था या फिर वो सच में पागल हो गया था, पता नहीं। लेकिन उसकी हँसी कमरे के बाहर तक गूँज रही थी।

तभी मोनिका ने आदर्श से बस इतना पूछा, “आदर्श, तुम्हें याद है जब तुम्हें अपनी रात रंगीन करनी होती थी, तो तुम मुझे क्या कहकर बुलाते थे?”

इतना कह कनिका और मोनिका दोनों वापस जाने को मुड़े ही थे कि तभी आदर्श ने ज़ोर से चीखते हुए कहा, मोनिका…ओ माई डार्लिंग!”


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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