ननद के पति से शादी | Nanad Ke Pati Se Shadi | Bhabhi Stories | Bhabhi Ki Kahaniyan | Family Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” ननद के पति से शादी ” यह एक Bhabhi Story है। अगर आपको Hindi Moral Stories, Family Stories या Bhabhi Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


मेनका, “देखिए, मैं कुछ नहीं जानती, आपको आना ही पड़ेगा।”

मेनका किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी, तभी उसकी ननद सुगंधा वहाँ पर आ गई।

सुगंधा, “अरे भाभी! किसको बुलवाने की बात चल रही है?”

मेनका यूँ अचानक सुगंधा को देखकर हैरान हो गई। डर कर उसने फ़ोन कट कर दिया और फ़ोन बेड पर रखकर वाशरूम के अंदर चली गई।

सुगंधा, “ऐसी कौन सी बात हो गई, जिस बात से डर कर भाभी को बाथरूम लग आई?”

तभी सुगंधा की नजर फ़ोन पर गई। उसने कॉल हिस्ट्री चेक की तो उसे पता लगा कि वो उसके ही मंगेतर निहाल से बात कर रही थी।

सुगंधा, “भाभी, निहाल से आखिर क्या बात कर रही थी? आने दो, बाहर पूछती हूँ।”

थोड़ी देर बाद खुद को हुस्न की परी समझने वाली मेनका बाथरूम से बाहर आ गई। बाहर आते ही सुगंधा ने उससे पूछा।

सुगंधा, “भाभी, आप मेरे मंगेतर से फ़ोन पर बात कर रही थी?”

मेनका ने हड़बड़ाते हुए कहा, “हाँ, क्यों? मैं तेरे मंगेतर से बात नहीं कर सकती क्या?”

सुगंधा, “क्यों नहीं भाभी, आप निहाल से बात कर सकती हैं, लेकिन आप उन्हें बुलवाने की बात कर रही थी, ये कुछ समझ में नहीं आया।”

मेनका ने बात को घुमाते हुए कहा, “बात दरअसल ऐसी है कि निहाल के घर वाले तुझे आज शाम को देखने आने वाले हैं

और वो कह रहे थे कि मेरे माँ-बाप जिस भी लड़की को पसंद कर देंगे, मैं उससे शादी कर लूँगा।”

सुगंधा, “वैसे भाभी, निहाल ने बात बिल्कुल सही कही।”

खैर, शाम को निहाल का परिवार सुगंधा को देखने आया।

सुगंधा किचन में चाय बना रही थी, तभी वहाँ पर उसकी भाभी मेनका आ गई।

मेनका, “अरे मेरी प्यारी ननद! तुझे देखने लड़का आया है। तू जल्दी से जाकर तैयार हो जा, तब तक मैं चाय बना देती हूँ।”

सुगंधा, “थैंक यू भाभी, लेकिन चाय लेकर मैं ही जाऊंगी।”

सुगंधा तैयार होने अपने कमरे में चली गई और मेनका ने चाय में बेहोशी की दवा डाल दी, वो भी सिर्फ एक कप में और वो कप सबसे आगे रखा ताकि निहाल वही कप उठा ले।

सुगंधा, “भाभी कैसी लग रही हूँ मैं?”

मेनका, “क्या बात है सुगंधा? तुझे देखते ही निहाल बेहोश हो जाएगा, देख लेना। ये लो, चाय नाश्ता लेकर जाओ। पर ध्यान रहे, सबसे पहले निहाल को ही चाय देना।”

सुगंधा ने वैसा ही किया।

सुगंधा के पिता, “खन्ना साहब, ये हमारी बेटी है जिसकी फोटो पंडित जी ने आपको दिखाई थी।

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अगर निहाल चाहे तो अकेले में जाकर बातचीत कर सकता है।”

खन्ना साहब, “हां बेटा निहाल, जाओ सुगंधा से अकेले में जाकर बात कर लो।”

चाय पीते-पीते निहाल को थोड़ा सा सरूर चढ़ने लगा।

निहाल, “अरे! नहीं नहीं, मुझे कोई बात नहीं करनी। अगर आप सभी को रिश्ता मंजूर है, तो मुझे भी मंजूर है।

अगर आप सभी को रिश्ता मंजूर नहीं है, तो मुझे भी मंजूर नहीं है।”

इतने में वहाँ पर सुगंधा की भाभी मेनका आ गई और हाथ पकड़ कर उन दोनों को अपने कमरे में ले गई।

मेनका, “अरे! क्या बच्चों की तरह शर्मा रहे हो तुम लोग? अब तुम दोनों चुपचाप बातचीत कर लो, कोई नौटंकी नहीं चाहिए मुझे। अगर कहो तो मैं चली जाती हूँ यहाँ से।”

निहाल, “अरे! नहीं नहीं, आप यही रुकिए। वरना घर वाले क्या समझेंगे?”

सुगंधा, “मुझे आपसे कुछ भी नहीं जानना है। आप और आपका परिवार मुझे पसंद हैं। अगर आप मुझसे कुछ पूछना चाहते हैं, तो पूछ सकते हैं।”

निहाल, “अअअ… नहीं मैं…।”

निहाल कुछ बोलने ही वाला था कि तभी वो बेहोश होकर बेड पर गिर गया।

सुगंधा, “भाभी, ये क्या हो गया? आप तो शादी से पहले नर्स रह चुकी हैं ना? जल्दी देखिये, मैं भैया को बुलाकर लाती हूँ।”

मेनका, “किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। बस थोड़ा सा स्ट्रेस होने की वजह से बेहोश हो गया।

तुम ऐसा करो, चुपके से पानी लेकर आओ, तब तक मैं इसे देखती हूँ।”

सुगंधा चुपके से पानी लेने चली गई। इधर मेनका ने निहाल को अपने गले से लगा लिया।

थोड़ी देर बाद जैसे ही सुगंधा अंदर आई, मेनका निहाल से अलग हो गई।

सुगंधा, “ये लीजिए भाभी, पानी।”

मेनका ने निहाल के मुँह पर पानी डाला, जिससे उसे होश आ गया।

मेनका, “क्या करते हो होने वाले नंदोई साहब, होने वाली बीवी को देखकर ही बेहोश हो गए, कमाल है।”

निहाल और सुगंधा का रिश्ता तय हो गया और दोनों की धूमधाम से शादी हो गई, लेकिन मेनका की नजर निहाल पर ही थी।

सुगंधा अब अपने ससुराल जा चुकी थी, लेकिन मेनका बार-बार जानबूझकर सुगंधा को फ़ोन करती रहती और उससे बात करने की बजाय निहाल से ही बात करती रहती।

मेनका, “कैसी है हमारी ननद? ससुराल में मज़ा आ रहा है या नहीं?”

सुगंधा, “भाभी, निहाल बहुत अच्छे इंसान हैं और इनका परिवार भी बहुत अच्छा है। मुझे यहाँ पर घर की कमी महसूस ही नहीं होती।”

मेनका, “ये तो बहुत अच्छी बात है। इसी बात पर मेरी बात नंदोई जी से कराओ, ज़रा उनकी भी खबर लेती हूँ।”

सुगंधा, “हाँ हाँ, अभी कराती हूँ।”

सुगंधा ने फ़ोन निहाल को दे दिया।

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अब मेनका का ये रोज़ का काम हो गया। वो सुगंधा को फ़ोन करती, लेकिन घंटों निहाल से ही बात किया करती।

एक रोज़ मेनका ने अपनी सासु माँ और पति से कहा, “सासु माँ, 6 महीने हो गए, आपको अपनी बेटी की याद नहीं आती?

और आप दिनभर काम में ही बीज़ी रहते हैं। आपको अपनी बहन की याद नहीं आती?

हम लड़कियों के साथ यही होता है, शादी होने के बाद मायके वाले भूल जाते हैं हमें।”

सुगंधा का पति, “ये कैसी बातें कर रही हो तुम? मैं भला अपनी बहन को क्यों भूलूँगा?”

मेनका, “अरे! तो अब 6 महीने हो गए। अपनी बहन और नंदोई जी को यहाँ बुला लो, कुछ दिन यहाँ गुजारेंगे वो लोग।”

सासु माँ, “बहू ने तो मेरे दिल की बात छीन ली, मैं अभी फ़ोन करती हूँ दामाद जी को।”

अपनी सासु माँ की ये बात सुनकर मेनका बहुत खुश हो गई और शाम को ही निहाल अपनी नई नवेली दुल्हन सुगंधा के साथ उसके मायके आ गया।

घर की डोर बेल बजी।

सुगंधा की मां, “अरे! आओ आओ, अंदर आओ तुम दोनों।”

अंदर जाकर निहाल अपने सास, ससुर और बाकी परिवार वालों से मिला। अगली सुबह जब सुगंधा अपने कमरे में नहीं थी,

तो इस बात का फायदा उठाकर मेनका उसके कमरे में गई और उसकी साड़ी पहन ली।

मेनका, “मैं सिर्फ नाम से ही नहीं, बल्कि हुस्न से भी मेनका हूँ।”

तभी कमरे में सुगंधा का पति निहाल आ गया। उसने पीछे से मेनका को अपनी बाहों में भर लिया।

निहाल, “सुगंधा, तुम इस साड़ी में कितनी प्यारी लग रही हो? मैं तुम्हें ये बताने आया हूँ कि तुम यहाँ आराम से रहो अपने परिवार के साथ, मैं आज निकल जाता हूँ। मुझे काम है।”

जाने के बात सुनते ही मेनका पीछे पलट गई।

मेनका, “ये क्या कह रहे हो, नंदोई जी?”

निहाल हैरान हो गया और थोड़ा डर भी गया।

निहाल, “अरे भाभी! आप यहाँ क्या कर रही हो? आई ऍम सॉरी, मुझे लगा कि सुगंधा है।”

मेनका, “अरे! कोई बात नहीं नंदोई जी, मेरे हुस्न के जाल से कोई नहीं बच पाया।”

मेनका उसका हाथ पकड़ने लगी, लेकिन तभी निहाल अपना हाथ छुड़ाकर वहाँ से भाग गया।

निहाल, “सुगंधा, मैं घर जा रहा हूँ। जब भी आना हो, मुझे फ़ोन कर देना।”

सुगंधा की मां, “अरे! आज तुम नहीं जा सकते, निहाल बेटा। आज हमें खातिरदारी करने का मौका तो दो।”

मेनका, “मैं भी तो वही कह रही थी, सासु माँ।”

घर वालों के प्रेशर देने की वजह से निहाल उस दिन रुक गया। दिनभर अच्छे अच्छे पकवान बनाकर उसे खिलाए गए, लेकिन पूरा दिन मेनका उसे घूरती रही।

रात हो चुकी थी। निहाल और मेनका कहीं गायब थे।

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सुगंधा, “भाईया, मेनका भाभी कहीं नहीं दिखाई दे रही और न ही निहाल।”

सुगंधा का भाई, “तुम्हारी भाभी मुझे कहां कुछ बताती है, सुगंधा।”

तभी डोर बेल बजी। सुगंधा ने दरवाजा खोला। सुगंधा ने जो देखा, वो देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि निहाल और मेनका के गले में वरमाला पड़ी हुई थी।

सुगंधा, “भाभी… निहाल, ये सब क्या है?”

सुगंधा, “अब मैं क्या करूं, सुगंधा? निहाल पर मेरी पहले से ही नजर रखी थी। अगर निहाल की शादी तुझसे ना होती, तो वो मेरे जाल में नहीं फंस पाता।”

इतने में सुगंधा का भाई आया और उसने निहाल की गिरेबान पकड़ ली।

भाई, “साले, मैं तुझे इतना अच्छा इंसान समझा और तू मेरी बीवी के साथ ही चक्कर चला बैठा?

तुझे मैं छोड़ूंगा नहीं, पहले तुझे मारूंगा। उसके बाद मेनका को मौत के घाट उतार दूंगा।”

अचानक घर में महाभारत मच गया। सारे लोग हैरान और परेशान हो गए। सुगंधा के भाई ने एक जोरदार तमाचा निहाल को मारा

और वैसे ही निहाल की नींद खुल गई। क्योंकि वो ये सब कुछ सपने में देख रहा था।

सुगंधा, “निहाल, क्या हुआ? तुम हांफ क्यों रहे हो? तुम्हारे चेहरे पर से पसीना क्यों टपक रहा है? कोई बुरा सपना देखा क्या?”

निहाल, “सुगंधा, लगता है अब मुझे तुम्हें बताना ही पड़ेगा।”

निहाल, “क्या बताना पड़ेगा? जो भी हो वो बता दो, परेशान मत हो।”

सुगंधा, “ये जो तुम्हारी मेनका भाभी है ना, ये मुझ पर लाइन दिया करती है। जब भी देखती है, मुझे गलत नजर से ही देखती है।”

इतना सुनते ही सुगंधा हंसने लगी।

सुगंधा, “अच्छा तो तुम इस बात से परेशान हो। भाभी बहुत ही चुलबुली नेचर की और बहुत मॉडर्न ख्याल की है। वो सभी के साथ ऐसा बिहेव करती है। सो जाओ।”

निहाल उसके कहने पर सो गया, लेकिन अगली सुबह जब बाथरूम के अंदर से निहाल टॉवल मांग रहा था, तब मेनका उसे टॉवल देने के बहाने बाथरूम में ही घुस गई।

निहाल, “अरे! छोड़ो भाभी, ये क्या कर रही हो आप?”

मेनका, “इतने नखरे मत दिखाओ।”

उन लोगों की बातें सुनकर सुगंधा और पूरा परिवार उसके कमरे में आ गया। निहाल बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाहर आया और उसके तुरंत बाद मेनका भी बाथरूम से बाहर आ गई।

सभी लोग निहाल को ही उल्टा सीधा बोलने लगे, लेकिन तभी बीच में सुगंधा आ गई।

सुगंधा, “बस कीजिए आप लोग। मुझे निहाल पर पूरा भरोसा है, वो ऐसा कुछ नहीं कर सकते।”

सुगंधा का भाई, “मुझे भी मेनका पर पूरा भरोसा है। और सुगंधा, तुम अपनी इतनी अच्छी भाभी पर डाउट कर रही हो।”

सुगंधा, “भैया, कल रात में ही निहाल ने मुझे बताया था कि मेनका की उन पर बुरी नजर है, लेकिन मैंने रात में उस बात को इग्नोर कर दिया था।”

सुगंधा, “चलो निहाल, कोई तुम्हारा भरोसा करे या ना करे, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।”

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इतना कहकर सुगंधा ने अपना बैग पैक किया और निहाल के साथ वहाँ से निकल गई।

मेनका, “देखिए, इसमें ना ही मेरी गलती और ना ही निहाल की। दामाद जी को लगा कि सुगंधा है, इसलिए उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया।”

जैसे ही हम दोनों ने एक दूसरे का चेहरा देखा, चीख निकल गई और हम दोनों बाहर आ गए। उसके बाद आप लोग भी आ गए।

मेनका को अपनी गलती का अहसास हो गया। उसने फ़ोन करके निहाल से माफी मांग ली और उस बात को वही दबा देने के लिए कहा।

उसके बाद ना निहाल कभी यहाँ आया, ना ही मेनका कभी अपनी ननद के घर गई।


दोस्तो ये Bhabhi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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