हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” नर भेड़िया ” यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
पूर्णमासी की रात और जंगल में हर तरफ बस अंधेरा ही अँधेरा। भेड़ियों का घुर्राना इतना तेज है कि मानो आज किसी की मौत सामने ही आने वाली है।
हाइवे से लगे जंगल के अंदर एक छोटी सी बस्ती है, जो दुनिया के दिखावे वाले सुख सुविधा से दूर जंगल के अंदर ही प्राकृतिक तरीके से अपना गुजर बसर करते है।
जिसे जान दुनिया वाले उनका पिछड़ा हुआ वर्ग मानते है। पर सरकार यही चाहती है कि आज की दुनिया को वो स्वीकारें और जंगल को छोड़ बाकी देशवासियों की तरह ही रहे,
जिसके लिए वो उनसे जाकर जंगल में भी मिलते हैं। पर बस्ती में रहने वाले कबीले के लोग उनसे मिलना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते।
वो भी खासकर पूर्णमासी के दिन, क्योंकि वो नहीं चाहते कि दुनिया वालों को वो राज़ पता चले, जिसे वो सदियों से छिपाते आ रहे हैं।
इसलिए पूर्णमासी की रात अपने प्राण प्रतिष्ठा से पहले उस बस्ती के आदिवासी लोग अपने पूरे गांव की घेरा बंदी कर लेते हैं।
पर सरकार के द्वारा उनके पीछे लगाए गए एजेंसी की उन पर पूरी नजर रहती है।
और खासकर पूर्णमासी के दिन, क्योंकि ये पता लगाना चाहिए कि आखिर वो ऐसा क्यों करते है पूर्णमासी की रात?
विक्रम के साथ उनके दो और टीममेट कई रातो से जंगल में पूर्णमासी का इंतजार कर रहे हैं ताकि वह भी उन आदिवासी पर खास दिन में उनके साथ शामिल हो सके।
लेकिन उन आदिवासी लोगों ने पूर्णमासी की एक रात पहले ही विक्रम और उसके दो साथी रवि और तेजस को जंगल से बाहर फेंक घेराबंदी कर दी।
साथ ही उन्हें समझा दिया कि आज रात वो उनसे दूर ही रहे तो सबसे अच्छा।
रवि और तेजस उनके ऐसे रवैये पर आग बबूला हो चुके थे और सरकार की धमकी भी देने लगे।
पर विक्रम के एक इशारे पर वो दोनों शांत हो गए। वहीं विक्रम की नजर उस आदिवासी कबीले की एक लड़की पर जा टिकी
जिसकी हिरण सी आँखों से मोती जैसे आंसू टपक रहे थे क्योंकि इतने दिनों तक विक्रम के साथ जंगल में रहकर उसे उससे लगाव हो गया था
और वो चाहती थी कि विक्रम उससे कभी दूर न जाए। पर अपनी परंपरा को मानते हुए और कबीले का राज़ छिपाते हुए उसे विक्रम को अलविदा कहना ही पड़ा।
उसके जाने के बाद रवि तिल मिलाकर बोला, “विक्रम सर, आखिर क्या फायदा हुआ उन जंगलियों के साथ इतने दिन गुजारने का? जब उस दिन हमें बाहर कर दिया गया जिसकी हमें आस है।”
विक्रम, “घबराओ नहीं रवि, सच्चाई बाहर लाकर रहूँगा मैं।”
रवि, “पर कैसे सर? वो तो हमें घुसने नहीं देंगे।”
विक्रम, “तुम चिंता मत करो, मैंने अंदर जाने के लिए खूफिया रास्ते के बारे में पता कर लिया है, लेकिन अंदर सिर्फ मैं जाऊंगा। तुम दोनों मेरा इंतजार करोगे वहीं।”
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विक्रम सारी बातें अपने साथियों को समझाकर जंगल की दूसरी तरफ बनी गुफा के पास पहुँच गया, जो आदिवासी लोगों की बस्ती कही जाती है।
इधर दोपहर के धूप पर शाम का सुरूर चढ़ने को बेकरार ही था कि इतने में विक्रम मशाल जलाते हुए गुफा के अंदर अपने पता लगाए रास्ते की ओर निकल पड़ा
और जब तक वो दूसरी तरफ गांव में निकला तब तक बेकरार शाम रात में बदलने को तैयार हो चुकी थी।
साथ ही पूर्णमासी का चाँद भी। विक्रम चोरी छुपे उनके गांव में घुस गया।
लेकिन उनकी बस्ती पूरी तरह से खाली थी। हर घर में सन्नाटा ऐसे पसरा था जैसे वहाँ कोई रहता ही ना हो।
तभी विक्रम के कंधे पर किसी ने पीछे से हाथ रखा, जिसके बाद डर के मारे उसकी सांसें ही अटक गई।
क्योंकि उसे ऐसा लगा की वो पकड़ा गया, जिसका मतलब शायद उसकी मौत भी हो सकती थी।
पर जैसे ही वो पीछे मुड़ा, माथे की चिंता की लकीर मिट गई और वो बोला, “तुमने तो मुझे डरा ही दिया था।”
लीला, “डरना तो पड़ेगा क्योंकि मेरे अलावा किसी ने भी तुम्हे यहाँ देखा तो तुम्हारी मौत तय है और जो तुम देखना चाहते हो,
अभी कुछ देर में तुम्हे पता चल जाएगा। पर किसी ऐसी जगह में छुपकर देखना जहाँ मैं भी तुम्हे ना देख पाऊं।”
लीला के इतना कहते ही पीछे जंगल से ज़ोर से किसी पोंपो और नगाड़े के बजने की आवाज आई, जो एक ही राग में बज रहे थे।
आवाज़ कहाँ से आ रही है, देखने के लिए विक्रम पीछे मुड़ा तो उसने पाया कि जंगल में दूर कहीं आग की लपटें उठ रही हैं।
फिर कुछ पूछने के लिए जैसे ही वापस लीला की तरफ घूमा, तो वो वहाँ थी नहीं।
विक्रम समझ गया कि आगे का सफर उसे खुद पूरा करना है। नगाड़े की आवाज़ सुनते सुनते विक्रम वहाँ तक पहुँच चूका था जहाँ पूरे कबीले के लोग इकट्ठा हुए थे।
वो दूर झाड़ियों के पीछे से ही सब कुछ देखने और सुनने लगा था। लगातार बज रहे नगाड़े की आवाज़ उनके सरदार के हाथ दिखाते ही एक पीक पर आकर रुक जाती है
और फिर भोंपू की आवाज के साथ ही उनका सरदार रुकता है और सभी की तरफ देखते हुए कहता है, “पूरणमाशी हर दिन आती है लेकिन साल की वो पूरणमाशी बहुत खतरनाक होती है।
जब हम अपने इच्छाधारी शक्तियां का इस्तेमाल कर वो रूप लेते है जिससे की हमारा वंश आगे बढ़े और आज वही पूरणमाशी है।
इंतज़ार है तो बस पूरे चाँद का। आओ उसे एक साथ बुलाते है। सरदार के इतना कहते ही वो नगाड़े एक बार फिर से बजना शुरू हो गए
और सभी लोग अपने घुटने के बल बैठे। एक के बाद एक दोनों हाथो से अपने सीने को थप थपाते हुए चाँद को बुलाने लगते है।
उनको ये सब करता देख विक्रम को कुछ ज्यादा समझ में नहीं आता है।
पर तभी कुछ ऐसा होता है जिसे देख विक्रम की आँखें फटी की फटी रह जाती है और फिसल कर वो नीचे गिर जाता है।
इस वक्त विक्रम के डर से परी आँखें देखकर ये साफ़ साफ़ समझा जा सकता है कि उसके सामने कुछ ऐसा है, जो उसे तहस नहस कर सकता है।
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विक्रम अपनी जान बचाकर ऐसे भागता है जैसे अगर वो आज नहीं भागा, तो फिर कभी नहीं भाग पाएगा।
इसीलिए वो गिरने पढ़ने के बावजूद भी बस जान बचाकर भागे जा रहा था। उसके पीछे से ऐसी आवाज आ रही थी जैसे कोई झुंड उसके पीछे पड़ा हो।
पर वो अपनी जान बचाकर उस गुफा तक पहुँच ही जाता है, जहाँ से वो आया था।
वहाँ पहुंचते ही वो सबसे पहले जी जान लगाकर एक बड़े पत्थर की मदद से उस गुफा के मुँह को बंद करता है।
जिसके दूसरे तरफ से भेड़ियों की भयानक आवाजें आ रही होती है।
पर विक्रम बिना कुछ और सोचे भागा भागा जैसे तैसे गुफा के दूसरी ओर पहुंचने में कामयाब हो गया, जहाँ उसके साथी उसका इंतजार कर रहे होते हैं।
पर वहाँ तक पहुँचने में वो इतना घायल हो जाता है कि एक सेकंड भी उसके सामने खड़ा नहीं हो पाता और बदहवास होकर वहीं गिर जाता है।
और जब उसकी आंख खुलती है तो दिमाग में उस रात का ही मंजर घूम रहा होता है
और उसके सामने दो साथी के अलावा एक सीनियर और ऑफिसर भी खड़ा था।
तभी विक्रम को महसूस हुआ कि उसके चेहरे से दाढ़ी निकल चुकी है और उसने अजीब से मरीज के कपड़े पहने हुए हैं।
वो कछ और सोच पाता इससे पहले उसका सीनियर उससे कहता है, “पूरे एक महीने के बाद उठे हो तुम, विक्रम और हम तुम्हारे उठने का इंतजार कर रहे हैं।
अब बताओ, तुमने वहाँ क्या देखा जो तुम्हारी ऐसी हालत हो गई?”
उस रात का नाम सुनकर विक्रम एक बार फिर से उस मंजर में खो जाता है, जब उसने अपने आँखों के सामने पूरे कबीले को चाँद की रौशनी में एक साथ भेड़िए में बदलते देखा
और साथ ही ये भी कि जब पूरे भेड़िए का झुंड उस पर मौत बनकर झपटा, तो कैसे लीला, जो खुद भी एक भेड़िया के रूप में थी
और उसने उसे वहाँ से बच निकलने का मौका दिया? और आज वो यहाँ जिंदा खड़ा है।
विक्रम अभी सोचकर ही बाहर निकला था कि तभी उसके सीनियर ने फिर से कहा, “विक्रम, तुमने जो अभी देखा वो बताने में देरी मत करो और बताओ, चल क्या रहा है वहाँ?
आज पूर्णमासी है और हम उन्हें रंगे हाथ पकड़कर जंगल से फेंकवा सकते हैं। पर तुम कुछ बोलो तो।”
उसकी इसी बात के साथ पूरे हॉस्टल की लाए चली जाती है और छठी मंजिल पर विक्रम के कमरे में कांच की खिड़की से होते हुए बादल से निकलते चाँद की रौशनी पहुंचने लगती है
और उसी के साथ उसका रवैया भी बदलने लगता है। कोसों दूर जंगल में बज रहे नगाड़े की आवाज साफ साफ उसे अपने कानो में सुनाई देती है
और साथ ही कबीले के सरदार का फरमान भी कि लीला को जान से मार दिया। क्योंकि उसने कबीले का नियम तोड़ा है।
विक्रम बैड से उठ अपने हाथ से स्लाइन का पाइप निकालता है और कहता है, “चले जाओ, चले जाओ यहाँ से।
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अकेला छोड़ दो उन्हें, अगर वो तुम्हें परेशान नहीं कर रहे हैं तो तुम क्यों उनकी ज़िन्दगी में घुस रहे हो?”
सीनियर, “अच्छा विक्रम, अब तुम उन जंगलों की भाषा बोलने लगे? अरे! सरकार तो उन्हें बाकी इंसान की तरह ही दर्जा देना चाहती है।”
विक्रम, “नहीं चाहिए उन्हें कोई दर्जा। दूर रहो उनसे, वरना वो पूरी मानव जाति के लिए खतरा बन जाएंगे। सिर्फ आप लोगों के एक गलत कदम से।”
सीनियर, “सिक्योरिटी, विक्रम को कस्टडी में ले लो और अब मैं पर्सनली देखता हूँ, कैसे बचते हैं वो जंगली?
अरे! उनको साफ करने के लिए पूरी फोर्स लगा दूंगा। अरबों की जमीन दबाकर बैठे हैं वो लोग, ऐसे थोड़े ही जाने दूंगा।”
विक्रम के बार बार मना करने पर भी उसका सीनियर उसकी बात नहीं सुनता है और वहाँ से निकल जाता है।
और सिक्योरिटी विक्रम की तरफ बढ़ने लगती है। तभी विक्रम खिड़की से बाहर चाँद को देखते हुए घुटने के बल अपने सीने को थप थापाता है
और देखते ही देखते उसका शरीर एक खूंखार नर भेड़िये का रूप ले लेता है।
विक्रम को भेड़िये में बदलता देख सिक्योरिटी का भी दिमाग घूम जाता है या यूं कहिये कि उसकी हालत पस्त हो जाती है।
इसीलिए वो अपनी बंदूक निकाल लेते हैं पर उनका ये पैंतरा विक्रम पर काम नहीं करता।
तभी भेड़िए में बदल चुका विक्रम अपने दोनों हाथो से उन्हें उठाकर खिड़की के बाहर फेंक देता है
और खुद भी बहार निकल के हॉस्पिटल की बिल्डिंग पर से चलने लगता है और फिर तेज़ रफ़्तार वह जंगल की तरफ निकल जाता है।
और जब वो जंगल में पहुँचता है, तो देखता है कि लीला को मारने की तैयारी पूरी हो चुकी है।
बस गले पर हथियार चलाना बाकी था। पर इससे पहले कि वो लीला को मारते, विक्रम नर भेड़िये के रूप में ही उस पर झपट पड़ता है
और लीला को अपने साथ ले सरदार के पास पहुँच जाता है और वापस से अपने असली रूप में आ जाता है।
लेकिन इससे पहले की सरदार कुछ कहता, विक्रम ने सारी बात उसे बता दी कि जंगल खाली करवाने के लिए उन पर हमला किया जायेगा।
पर सरदार को उसकी बात पर विश्वास नहीं होता, बल्कि वो तो इस बात पर गुस्सा होता है कि उनकी शक्तियां अब उसमें भी आ गई हैं।
पर अगले ही पल उन्हें चारों तरफ से लिया गया और सरदार भी ये समझ चुका था कि विक्रम की बात सच है।
फिर सरदार के इशारे पर सभी नर भेड़ियों का रूप ले लेते हैं और हमला करने के लिए आगे झपटते हैं।
लेकिन फॉरस्ट के फोर्स की तरफ से बेतहाशा फाइरिंग शुरू हो जाती है और काफी मुठभेड़ के बाद बचे हुए भेड़िया जिधर जगह मिली, उधर जंगल की ओर भाग जाते हैं।
सीनियर, “चलो मुसीबत टली।”
सैनिक, “पर सर ये क्या हुआ? कैसे ये लोग भेड़िये में कैसे बदल गए?”
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सीनियर, “हमें उससे क्या? उन्हें जंगल की जमीन का क्लियरेंस चाहिए और हमे बदले में पैसे और प्रमोशन,
इसीलिए ध्यान रहे जो यहाँ देखा वो बात यही तक रहे। अच्छा मुझे कॉल रिसीव करना है, तुम सब क्लियर करवाओ।”
सैनिक, “हाँ सर, काम हो गया। अब आपको यहाँ से डायमंड निकालना है या सोना, आप खुद देखिये।
बस अपना वादा याद रखियेगा, बंदा आगे भी काम आएगा।”
कबीले को तबाह कर लालची इंसानों को जमीन तो मिल गई पर तब क्या होगा
जब जंगल से भाग शहर की तरफ गए ये मासूम कबीले वाले अगले पूर्णमासी पर नर भेड़िया में बदल जाएंगे।
दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!