निहारिका | Niharika | Horror Story | Pishachini Ki Kahani | Darawani Kahaniyan in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” निहारिका ” यह एक Pishachini Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Ghost Stories या Real Horror Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


चारों तरफ काली अंधेरी रात और सामने एक बड़ा सा पुराने जमाने का गेट। मैं उस गेट को खोलकर अंदर गया तो तेज़ हवा चलने लगी और सामने एक हवेली नजर आई।

तभी छन-छन की आवाज के साथ एक लड़की मेरे बराबर से गुजरी और हवा में गायब हो गई।

मैं सिर्फ पीछे से उसके लंबे बाल और सुडौल बदन ही देख पाया था। मैं हवेली के अंदर गया ही था कि तभी एक कमरे से छन-छन की आवाज आई।

मैं भागकर उस कमरे में गया तो सामने दीवार पर मुझे एक तस्वीर नजर आई। शायद किसी लड़की की थी, पर मुझे उसका चेहरा धुंधला नजर आ रहा था,

जिसे साफ करने मैं तस्वीर के पास जा ही रहा था कि मुझे किसी के हँसने की आवाज सुनाई दी।

हँसी की आवाज सुन मैं डर गया और तभी किसी ने पीछे से मुझे पकड़ा और मेरी गर्दन पर अपने दांत गड़ा दिए।

मेरे जिस्म से खून का एक कतरा चूसने लगी। मैं दर्द से तड़प रहा था, छटपटा रहा था कि अचानक ही मैं चिल्लाते हुए नींद से जाग गया।

उस वक्त रात के 3 बज रहे थे और यह सपना मुझे हर पूर्णमासी की रात आया करता था।

अगली सुबह मैं कॉलेज जल्दी चला गया। हमारे कॉलेज का फाइनल ईयर चल रहा था और आखिरी साल में मैं, मेरी गर्लफ्रेंड जानवी और मेरा बेस्ट फ्रेंड विराज,

हम तीनों ने कुछ अच्छी यादें बनाने के लिए एक रोड ट्रिप प्लान की। विराज ड्राइव कर रहा था।

मैं और मेरी गर्लफ्रेंड जानवी, हम दोनों बेक सीट पर चिपक कर बैठे हुए थे। कार तेज रफ्तार के साथ रोड़ से गुजर रही थी।

तभी विराज ने कहा, “यार, तुम लोग यह चिपका-चिपकी बंद करोगे क्या? यह तो देख लो, मैं भी कार में मौजूद हूँ।”

मैं, “जानवी, क्या तुम्हें भी किसी से जलने की बू आ रही है? अब तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, तो इसमें हमारी क्या गलती है बे?”

मेरी बात सुनकर विराज का मुँह बन गया। उसने चिढ़ते हुए कहा, “रुक, अभी रिया को कॉल लगाता हूँ।

वह कह रही था कि उसके साथ उसकी कज़िन मेघना भी आने वाली है।”

इतना कहकर विराज ने कॉल लगाया तो उसका मूड और खराब हो गया क्योंकि रिया नहीं आने वाली थी और न ही उसकी कोई कज़िन मेघना।

विराज का उतरा हुआ मुंह देख मेरी और जानवी की हँसी नहीं रुक रही थी। विराज ने चिढ़ते हुए प्यार का म्यूज़िक तेज कर दिया।

हम लोग एक ढाबे से गुजर रहे थे कि अचानक इतनी तेज ब्रेक लगाई कि मैं और जानवी एक दूसरे में समाने वाले थे।

मैं, “विराज यार, इतना भी क्या गुस्सा?”

इस पर विराज बोला, “गुस्सा नहीं हूँ यार, वो देख ढाबे पर कौन खड़ी है? रिया की कज़िन मेघना।”

इतना कहकर विराज कार को मेघना के पास ले गया।

विराज, “मेघना, आप रिया की कज़िन हो, राइट? लेकिन उसने तो हां था वो नहीं आ रही है।”

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मेघना ने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर वो नहीं आ पाई तो क्या मैं भी नहीं आ सकती?”

विराज, “नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है। प्लीज़ कम।”

विराम से कहते हुए मेघना कार का दरवाजा खोलकर आगे वाली सीट पर बैठ गई। कार फिर से रफ्तार पकड़ चुकी थी।

हम सभी के बीच बातें शुरू हुईं और काफी देर तक चलीं। हम लोग अब घने जंगल के रास्ते पर थे।

मैं, “ये रास्ता तो बहुत ही सुनसान और जंगली है। यहाँ से कार और तेजी से निकालना, ओके?”

मेघना, “नहीं, संभल कर चलो। जंगल का कुछ पता नहीं, ना जाने कौन सा पेड़ गिरे और रास्ता बंद हो जाए?”

उसने ऐसा कहा ही था कि कुछ ही दूरी पर हमें रास्ते पर एक बड़ा सा पेड़ गिरा नजर आया।

हम सभी कार से बाहर निकल, आगे क्या करना है? इस बारे में बात कर ही रहे थे कि तभी मेघना ने ऊँगली से इशारा करते हुए कहा, “शायद वहाँ से हमें कोई मदद मिल जाए।”

सामने एक बड़ा सा गेट नजर आ रहा था। ये वही गेट था जो मुझे मेरे सपने में दिखाई देता था।

ये देखकर मैंने कुछ नहीं कहा और फिर सबके साथ उस तरफ चल दिया। जब हम अंदर गए तो मेरा सिर दर्द के मारे फटने को हो गया।

वो हवेली वही थी जो मुझे सपने में दिखा करती थी। वही हॉल, वही कॉरिडोर, वही कमरों के दरवाजे सब कुछ।

विराज, “कमाल है, इतनी बड़ी हवेली और यहाँ कोई नहीं रहता।”

विराज हवेली ये दीवारो और से देखता हुआ सबसे कह रहा था कि तभी मेघना बोली, “क्यों ना हम सभी एक ही कमरे में ठहर जाएं? थोड़ी बातें भी हो जाएंगी।”

जानवी, “नहीं नहीं, करन और मैं एक कमरे में ठहरेंगे और मेघना, तुम चाहो तो विराज के साथ रुक सकती हो।”

मेघना, “उसकी कोई जरूरत नहीं, हम अलग अलग ही ठहर जाएंगे।

मैं, ” मेघना, तुम चाहो तो विराज के साथ रुक सकती हो।”

मेघना ने मुझसे नजरें मिलाते हुए जानवी से कहा। फिर विराज और मेघना दोनों अलग अलग कैमरो में चले गए।

मेरी नजर एक कमरे के दरवाजे पर पड़ी, जो उसी तरह का दिखाई दे रहा था जैसा मुझे सपनों में दिखता था।

मैंने तुरंत ही जानवी का हाथ थामा और उस कमरे की ओर चल दिया।

अंदर जाकर देखा तो दीवार पर एक तस्वीर लगी थी जो ठीक वैसी ही थी जैसी सपने में मुझे नजर आती थी।

उधर, विराज अपने कमरे में बैठा मेघना पर चांस मारने की कोशिश कर रहा था। अपने इसी इरादे को पूरा करने के लिए वह मेघना के कमरे की ओर चल दिया।

उसने जैसे ही उसने दरवाजा खोला, तो मेघना सामने खड़ी थी। दोनों का चेहरा एक-दूसरे के सामने था।

विराज, “ओ सॉरी, लगता है तुम बोर हो रही थी?”

विराज ने मेघना को देखते ही कहा,

मेघना ने जवाब दिया, “हाँ, मैं करन के पास जा रही हूँ।”

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विराज, “करन के पास..? उसके पास तो ऑलरेडी जानवी है ना। मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। तुम चाहो तो हम रिलेशनशिप स्टार्ट कर सकते हैं।”

रिलेशनशिप की बात सुनकर मेघना ने तमतमाते हुए विराज से कहा, “जस्ट शट अप, ओके? मेरा करन से मिलना बहुत ज़रूरी है वरना…।”

मेघना अभी बोल ही रही थी कि विराज ने उसकी कमर में हाथ डाल मेघना को अपनी तरफ खींच लिया।

इधर करन भी तस्वीर को देखकर बेचैन हो उठा। उसके मन के सवाल परवान चढ़ने लगे थे क्योंकि जिस लड़की का चेहरा करन को तस्वीर में नजर आया था।

वो दरअसल कोई और नहीं, बल्कि मेघना ही थी। मैं अभी इस सवाल से चूझ ही रही थी कि तभी रिया का मैसेज आया।

मैं अभी यही सवाल सोच ही रहा था कि तभी रिया का मैसेज आया। इसका मतलब था कि यह मेघना वो नहीं है, जो हम सोच रहे थे। तो फिर वो है कौन?

मैं, “इसका मतलब है कि वो मेघना ही नहीं है, जो हम समझ रहे थे। तो फिर वह कौन है और उसकी तस्वीर हवेली में क्या कर रही है?”

मेरे मन में यही बातें घूम रही थीं, जिसे सोच-सोच कर मेरे सिर में दर्द होने लगा और मैं अगले ही पल बेहोश होकर जमीन पर गिर गया।

मैं कितनी देर तक बेहोश रहा, मुझे याद नहीं। पर जब मेरी आँख खुली तो जानवी मेरे सामने थी और इस बार भी मुझे वही सपना आया था जो अक्सर पूर्णमासी की रात को आता था, जिसका जिक्र मैंने जानवी से किया।

मैं, “जानवी, तुम्हें याद है मैंने तुम्हें बताया था कि मुझे हर पूर्णमासी एक ही तरह का सपना आता है, जिसमें एक लड़की मेरा खून पीती है?

वो लड़की कोई और नहीं बल्कि मेघना ही है। मुझे अभी उससे बात करनी चाहिए।”

मैं बिस्तर से उठकर मेघना के पास जा ही रहा था कि तभी जानवी ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे रोक लिया।

दूसरी तरफ, विराज आज की मेघना और कल की निहारिका के करीब जाने की कोशिश में था।

विराज ने कहा, “अगर तुम चाहो तो गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड नहीं बन सकते, लेकिन क्या सिर्फ आज रात के लिए हम डॉक्टर-डॉक्टर खेल सकते हैं?”

कहते-कहते विराज रुक गया। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कुराहट थी। तभी निहारिका ने मुस्कुराते हुए कहा,

निहारिका, “पर मुझे डर लग रहा है।”

इस पर विराज ने निहारिका के और करीब होते हुए कहा, “अरे, डरती क्यों हो? मैं तुम्हें कोई तकलीफ थोड़े ही होने दूंगा।”

इतना कहकर विराज ने दूसरा हाथ भी निहारिका की कमर में डाला और उसे करीब खींच लिया। उसको महसूस हुआ कि उसकी कमर बहुत ही ठंडी है।

विराज, “तुम्हारा जिस्म तो बर्फ़ के जैसे ठंडा है।”

विराज की इस बात का निहारिका कुछ जवाब नहीं दे पाती, इससे पहले ही निहारिका के होठों पर विराज ने अपने होठ रख दिए।

निहारिका भी विराज की वासना की आग में किसी आहुति की तरह समर्पित होती जा रही थी।

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उसने भी विराज के जिस्म को नोचना और खसोटना शुरू कर दिया था। तभी विराज को महसूस हुआ कि निहारिका के नाखून उसकी गर्दन को छीलने लगे हैं।

विराज, ” आह… आह। “

विराज दर्द से कराहते हुए निहारिका को खुद से दूर कर देता है। पर जैसे ही उसकी नजर निहारिका के चेहरे पर पड़ी, वह डर के मारे कांपने लगा।

निहारिका की आँखें लाल थीं, नाखून लंबे और दांत किसी भेड़िये की तरह नुकीले हो चुके थे।

निहारिका, “क्यों चिल्ला रहे हो, विराज? क्या तुम्हारा मेरे साथ रात बिताने का मन नहीं है? मैं तो तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ, ना?”

इतना कहकर निहारिका उस पर झपट पड़ी और उसकी गर्दन पर अपने दांत गाड़ दिए।

कमरे में विराज की चीख गूंज उठी और अगले ही पल विराज दर्द से तड़पता हुआ मौत की नींद सो गया।

करन, “मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। हम लोग अभी यहाँ से निकलते हैं।”

करन जानवी से कहते हुए इस जगह से निकलने की बात कर रहा था।

जानवी, “निहारिका से भागना आसान नहीं है। अगर उससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना है, तो तुम्हें उसे जान से मारना होगा, तभी वह हमारा पीछा छोड़ेगी।”

यह कहते हुए जानवी ने निहारिका की तस्वीर के नीचे रखी हुई अलमारी खोली और उसमें से एक चांदी का खंजर निकालते हुए करन को दिया।

जानवी, “इसको छुपाकर अपने पास रख लो। मौका मिलते ही उस पर हमला कर देना।”

जानवी अभी बोल ही रही थी कि तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।

जानवी, “लगता है कि वो आ गई है। उसे बताना मत कि मैं यहाँ हूँ, और तुम्हें पिछले जन्म की सारी बातें याद दिला दी हैं।”

करन से कहते हुए जानवी परदे के पीछे छिप गई। मैंने दरवाजा खोला तो निहारिका मेरी आँखों के सामने खड़ी थी।

लेकिन मेरे पिछले जन्म वाले अवतार में। वही लाल साड़ी से चमकता सुडौल शरीर, खुले लंबे बाल, बड़ी बड़ी आँखे।

उस समय कोई भी मर्द उसको देखता तो उसका बहक जाना लाजमी था।

निहारिका, “करन, इस तस्वीर को देखकर तुम्हें सब कुछ याद आ गया होगा है ना? लेकिन फिर भी अगर तुम्हें कुछ पूछना है, तो तुम मुझसे पूछ सकते हो।”

निहारिका की बात सुनते ही मैंने प्यार से उसकी गर्दन पर हाथ फेरा और उसे अपनी ओर खींच लिया।

करन, “सब कुछ याद है मेरी जान। तुमने इतने सालों तक मेरा इंतजार किया है। किसी नसीब वाले को ही तुम जैसी मोहब्बत करने वाली मिल सकती है।”

इतना कहकर मैंने ने निहारिका को गले लगा लिया। मेरा हाथ उसके कमर पर बेतहाशा चल रहा था। ये देख जानवी परदे से बाहर आ गई।

जानवी, “ये तुम क्या कर रहे हो, करन?”

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जानवी की आँखों में गुस्सा था। वो अपने पिशाचिनी रूप में आ चुकी थी। वह गुस्से में निहारिका पर हमला करने जा ही रही थी

कि तभी मैंने जानवी का दिया हुआ खंजर उठाकर निहारिका के पेट में खोंप दिया। उसके मुँह से दर्दनाक चीख निकली और उसके पेट से निकलता हुआ नीला खून जमीन पर गिर रहा था।

वो हैरानी से मुझे घूर रही थी। जैसे कि वो मुझसे सवाल कर रही हो कि मैंने ऐसा क्यों किया?

जब मैं बेहोश हुआ था तो मुझे फिर से वही सपना आया था, जिसका जिक्र मैंने पहले भी किया था।

लेकिन इस बार धुंधला नहीं, सब कुछ साफ नजर आ रहा था। पिछले जन्म में मैं और जानवी नहीं, बल्कि निहारिका और मैं एक-दूसरे से प्यार करते थे।

लेकिन जानवी को इससे जलन हो रही थी। उसने ही पिछले जन्म में मेरा खून चूसकर मुझे मार डाला था।

मेरे मरने के बाद निहारिका भी मर जाना चाहती थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं था। इसलिए उसने मुझे फिर से जिंदा करने के लिए पिशाच देव की उपासना की।

पिशाच देव ने प्रकट होकर निहारिका को बताया कि मैं फिर से जन्म ले सकता हूं, लेकिन इसके लिए उसे इसी हवेली में अकेले 20 सालों तक तपस्या करनी होगी।

मतलब मेरे बीसवें जन्मदिन के बाद पूर्णिमा से पहले वह मेरे सामने नहीं आ सकती थी।

इसलिए आज की रात निहारिका मेरे सामने आई थी। भगवान का शुक्र था कि सही समय पर मुझे को वह सपना आया और मुझे सच का पता चल गया।

वरना जानवी ने तो पूरी तैयारी कर ली थी मेरे हाथों मेरे प्यार निहारिका को मरवाने की।

भले ही वो एक पिशाचिनी है, लेकिन उसने 20 सालों तक मेरा प्यार पाने के लिए खुद को कैद रखा। मैं उसे कैसे छोड़ सकता हूँ?

जानवी के मरने के बाद मैंने निहारिका के होठों पर अपने होठ रख दिए।

मैं, “आई लव यू, निहारिका।”

मेरी आँखों में आँसू थे और निहारिका की आँखें भी नम थीं। मैंने निहारिका का हाथ पकड़ा और हवेली से बाहर निकलने ही वाला था कि अचानक दो लड़कों ने उन्हें अकेला देखा और परेशान करने के लिए आ गए।

पहला लड़का, “क्यों, हमें नहीं खिलाएगा? हमें भी भूख लग रही है।”

दूसरा लड़का, “अरे खिलाएगा क्यों नहीं, अगर नहीं खिलाएगा तो इसकी गर्लफ्रेंड के सामने ही इसे जिंदा से मुर्दा कर देंगे।”

उन दोनों की बातें सुनकर निहारिका मुस्कुराते हुए उनकी ओर बढ़ने लगी। हर कदम के साथ वह अपने पिशाचिनी रूप में बदलती जा रही थी।

इससे पहले कि वे लड़के कुछ समझ पाते, निहारिका ने उन पर हमला कर दिया और उनका खून पीने लगी।

मेरी निहारिका मेरी आँखों के सामने दो इंसानों का खून पी रही थी, लेकिन मुझे इससे कोई परेशानी नहीं थी।

वह भयानक आवाज़ करते हुए उनसे अलग हुई और मेरी ओर बढ़ी। उसके मुँह पर खून लगा हुआ था,

जो उसके दांतों से बहकर उसकी गर्दन से नीचे उसके गोरे बदन पर फिसल रहा था। मैंने कसकर उसे गले लगा लिया और सोचने लगा।

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मैं, “वो एक पिशाचिनी है तो क्या हुआ? उसने 20 सालों तक तपस्या की है मेरी मोहब्बत पाने के लिए।”

यह सोचते हुए मैं निहारिका के बदन पर फिसलता हुआ उसके होंठों से उसका खून साफ करने लगा।

और अगले ही पल हम दोनों खुले आसमान के नीचे एक-दूसरे में विलीन होने लगे।


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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