पड़ोसन योगा टीचर | Padosan Yoga Teacher | Husband Wife Story | Pati Patni Ki Kahani | Family Story

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” पड़ोसन योगा टीचर ” यह एक Family Story है। अगर आपको Hindi Stories, Pati Patni Ki Kahani या Family Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


रमेश, “अरे यार! फिर से आज टिंडे बनाई हो, वो भी कम मसाले के साथ! कभी तो कुछ चटपटा बनाया करो।”

खाने में टिंडे देखकर रमेश का मूड खराब हो गया।

उसकी पत्नी सावित्री ने कहा, “कम मसाले खाने से पेट ठीक रहता है।

रमेश, “हाँ, खाने की तरह जिंदगी में भी मसाला नहीं रहा। हर रोज़ वही चिकचिक, वही खाना और वही बीवी, कुछ भी नया नहीं है।”

रमेश और सावित्री की शादी को 10 साल हो चुके हैं, और रमेश अब इस शादी से पूरी तरह से पक चुका है।

रमेश हमेशा से एक बच्चा चाहता था, लेकिन उन दोनों को बच्चा भी नहीं हुआ। ऊपर से सावित्री हर रोज़ एक जैसा ही खाना बनाती थी।

इसीलिए रमेश के जीवन से खुशी नाम की चीज़ गायब हो चुकी थी।

रमेश हर रात को छत पर जाकर सोचता था।

रमेश, “क्या फायदा हुआ शादी का? खुशी तो दूर-दूर तक नहीं है। ऐसे कब तक चलेगा?

अभी तो डिवोर्स भी नहीं कर सकता। इस शादी नाम की चीज़ से तो दिल ही उठ गया है मेरा।”

अगले दिन रमेश वही घिसा-पिटा खाना खाकर ऑफिस के लिए निकल ही रहा था कि उसने देखा, उनके पड़ोस वाले घर के सामने एक गाड़ी आके रुकी।

उसमें से एक जवान और सुंदर सी औरत बाहर आई और कुछ लोग गाड़ी से सामान घर के अंदर ले जाने लगे।

रमेश, “हाय! कितनी सुंदर है यार ये लड़की? इससे तो मुलाकात करनी ही होगी।”

रमेश ऑफिस जाने के लिए घर से निकलते हुए उस औरत के पास जाकर बोला, “हैलो, मेरा नाम रमेश है। मैं यहीं रहता हूँ। आपका नाम क्या है?”

उस औरत ने बड़ी मीठी आवाज में कहा, “हैलो जी, मेरा नाम रीमा है। मैं यहाँ नई-नई आई हूँ। मैंने ये घर रेंट पर लिया है।”

रमेश, “बहुत बढ़िया जी, इसका मतलब आप हमारी पड़ोसी हुईं। ठीक है, मुलाकात होती रहेंगी।”

रमेश खुश होकर वहाँ से चला गया।

रमेश, “अरे! इतनी सुंदर पड़ोसी, सोच कर ही दिल में लड्डू फूट रहा है।”

ऑफिस से लौटकर रमेश ने खाना मांगा। सावित्री ने आज भिन्डी पकाई थी, उसने वही दे दी।

सावित्री, “ये लो, आज भिन्डी बनी है। खा लो।”

रमेश, “कभी टिंडे हैं तो कभी भिन्डी। ये सब तुम्हारी तरह ही है, बिलकुल टेस्टलेस।”

सावित्री, “इससे ज्यादा टेस्ट चाहिए तो एक और शादी करके ले आओ। मैं भी देखती हूँ कौन खिलाती है तुम्हें खाना बनाकर?”

रमेश, “हाँ हाँ वही करूँगा, तुम चिंता मत करो। खाना तो ठीक से बनता नहीं है तुमसे, सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती रहती हो।”

सावित्री, “अभी मैं पुरानी हो गई हूँ ना, इसीलिए ऐसा बोल रहे हो? पहले तो मुझे सर पर चढ़ा कर रखते थे।”

रमेश, “हाँ, वही तो गलती हो गई मुझसे। तुमसे शादी नहीं करनी चाहिए थी।”

झगड़ा करने के बाद रमेश छत पर चला गया। सावित्री रोते हुए अपने कमरे में जाकर सो गई।

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आसपास के सभी पड़ोसी अपने-अपने घर में सो गए थे, लेकिन रमेश ने देखा कि पास वाले घर के कमरे में अभी भी लाइट जल रही है।

रमेश, “अरे! ये रीमा जी अभी तक सोई नहीं? ज़रा देखूं तो।”

रमेश ने अच्छे से देखने की कोशिश की और देखा, रीमा जी छोटे कपड़े पहनकर योगा कर रही हैं।

रमेश, “ये क्या देख लिया मैंने? ये तो जन्नत हैं जन्नत। योगा करती हैं रीमा जी, इसीलिए शरीर में चरबी नहीं है।

फिगर बढ़िया है। मेरी बीवी की तरह मोटी नहीं है। वाह रीमा जी वाह! मैं तो फैन हो गया आपका।”

रमेश 2 घंटे तक बस देखता रहा। अगले दिन सुबह रमेश रीमा के घर चला गया।

रीमा, “अरे रमेश जी! इतनी सुबह-सुबह यहाँ कैसे?”

रमेश, “मैंने देखा, कल रात को आप योगा कर रही थीं।”

रीमा, “अच्छा, तो मुझ पर नजर रखी जा रही है?”

रमेश, “अरे! नहीं नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। वो आप हैं ही इतनी सुंदर।”

रीमा, “चलिए, अब ज्यादा झूठ मत बोलिए।”

रमेश, “अरे! नहीं जी, झूठ क्यों बोलूंगा? आप मुझे योगा सिखाएंगी? मुझे भी फिट होना है।”

रीमा, “हाँ हाँ, क्यों नहीं? चलिए सिखाती हूँ।”

रीमा ने रमेश को योगा सिखाना शुरू कर दिया। रमेश योगा करने के बहाने रीमा का हाथ बार-बार पकड़ने लगा।

रीमा ने मना नहीं किया। उसे भी रमेश पसंद आने लगा था।

रमेश ऑफिस जाने से पहले और ऑफिस से लौटने के बाद रीमा के पास योगा सीखने जाने लगा और दोनों में प्यार हो गया।

एक दिन रमेश ने सच में रीमा से शादी कर ली और उसे लेकर घर आ गया। ये देखकर सावित्री को जैसे सदमा लगा।

सावित्री, “ये क्या किया? आपने दूसरी शादी कर ली, वो भी इस डायन से? ये देखने से पहले मैं मर क्यों नहीं गई?”

रमेश, “हाँ, तो मर जाओ। किसने मना किया है? वैसे भी मुझे और तुम्हारी जरूरत नहीं है। भागो यहाँ से।”

रमेश ने सावित्री को घर से बाहर निकाल दिया। सावित्री बेचारी रोते हुए अपने मायके चली गई।

वहाँ उसके भैया और भाभी थे। उन्होंने सावित्री को जगह नहीं दी।

भैया, “चल जा यहाँ से। अपने पति को खुश नहीं कर पाई तू? यहाँ तेरे लिए कोई जगह नहीं है।”

सावित्री बेचारी क्या करती? पेट भरने के लिए वो रास्ते पर भीख मांगने लगी। उधर रमेश अपनी नई बीवी को लेकर बहुत खुश था।

इतनी सुंदर बीवी तो हर कोई चाहता है। रीमा बहुत सुंदर थी, इसीलिए पूरे मोहल्ले के आदमियों की नजर रीमा पर ही थी।

आदमी, “अरे! इस रमेश ने रीमा को पटाकर शादी कर ली। काश रीमा मुझसे पड़ जाती!”

दूसरा आदमी, “अरे! वो औरत रमेश को प्यार थोड़ी करती है, वो तो बस पैसों के लिए उसके साथ है। तू भी पैसा दिखा, तुझसे भी पड़ जाएगी।”

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रीमा से योग सीखने के लिए घर के बाहर आदमियों की लाइन लग गई। हर दिन वो लाइन बढ़ने लगी। एक दिन सुबह उठकर रमेश ने रीमा से नाश्ता मांगा।

रमेश, “रीमा, नाश्ता लगा दो।”

रीमा, “मैं नहीं कर सकती। मेरे स्टूडेंट्स मुझसे योगा सीखने के लिए बैठे हुए हैं।”

रमेश, “मतलब?”

रीमा, “मतलब, खुद बना लो और मेरे लिए भी बनाना।”

यह बोलकर रीमा चली गई। रमेश बहुत मुश्किल से परांठा बनाने लगा।

रमेश, “यह क्या बात हुई? ऑफिस भी संभालो और घर पर भी खाना बनाओ।”

रमेश ने परांठा बनाकर खा लिया। तभी रीमा आई और परांठा देखकर कहा,

रीमा, “छी! ये क्या है? परांठा कोई खाता है क्या? इसमें कितना सारा तेल है? मुझे तो सलाद खाना है। अब से तुम भी मेरे साथ सलाद खाओगे।”

रमेश, “मैं..? लेकिन मैं क्यों?”

रीमा, “सलाद खाने से बिमारी नहीं होती। अब से मैं जो कहूँगी, वो तुम सुनोगे।”

रमेश के पास और कोई चारा नहीं रहा। रीमा उसे हर रोज़ सलाद खिलाने लगी।

कच्ची सब्जियों को एक साथ मिलाकर वो सलाद बनाती थी। वो खाते-खाते रमेश को उल्टी आने लगी।

रमेश, “मुझे अपने आप को जूता मारने का दिल करता है। मैंने खूबसूरती के चक्कर में इससे शादी कर ली।

इस सलाद से अच्छा टेस्ट तो सावित्री के टिंडे और भिन्डी में था।”

रमेश परेशान हो गया, लेकिन रीमा कोई बात सुनने के लिए राजी नहीं थी। ऊपर से उसके खर्चे अलग थे।

रीमा, “जल्दी से 20 हजार रुपए दो, पार्लर जाना है।”

रमेश, “पैसे क्या पेड़ पर रुकते हैं? पैसे नहीं हैं मेरे पास।”

रीमा, “तो मुझसे शादी क्यों की? सुनो रमेश, अगर तुम मेरे खर्चे नहीं उठा पा रहे हो तो बता दो, मैं किसी और से शादी कर लूंगी। आशिकों की कमी नहीं है मेरे पास।”

रीमा ने रमेश को धमकाया। इसके बाद रमेश समझ गया कि उसने रीमा से शादी करके बहुत बड़ी गलती की है।

वह चुपचाप ऑफिस चला गया और शाम को ऑफिस लौटते वक्त रीमा के लिए गिफ्ट लेकर आया।

रमेश, “गिफ्ट के लिए चलता हूँ। वो देखकर खुश हो जाएगी।”

रमेश घर पहुंचा। घर का दरवाजा खुला हुआ था। रमेश अंदर घुस गया और अंदर जाकर उसने जो देखा, उसके होश उड़ गए।

उसने देखा रीमा गैरमर्द के साथ बिस्तर पर बैठकर गप्पे लड़ा रही है।

रमेश, “ये क्या कर रही हो, रीमा?”

रीमा, “मेरी मर्जी! ये मेरा नया बॉयफ्रेंड है। मेरे पास योगा सीखने आया था। मैं इससे शादी करने वाली हूँ। वैसे भी मैं तुम्हारी औकात से बाहर हूँ।”

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रमेश, “ये तुम क्या बोल रही हो? मैं तुमसे प्यार करता हूँ।”

रीमा, “प्यार तो मुझसे हर कोई करता है। मैं जा रही हूँ तुम्हारा घर छोड़कर, साथ में तुम्हारे पैसे भी ले जा रही हूँ।”

रीमा अपने बॉयफ्रेंड के साथ निकल गई। रमेश बैठकर रोने लगा।

रमेश, “मेरा सब कुछ खत्म हो गया। पहली बीवी भी नहीं रही और दूसरी भी नहीं रही। इससे अच्छी तो सावित्री रही थी।”

पूरी रात रमेश रोता रहा। अगले दिन सुबह वह ऑफिस जा रहा था। इतने में उसके पास एक औरत आई।

औरत, “साहब, कुछ पैसे देंगे, खाना खाना है।”

रमेश ने मुड़कर देखा तो वह हैरान हो गया।

रमेश, “अरे सावित्री! तुम?”

सावित्री, “रमेश, तुम?”

रमेश, “मुझे माफ़ कर दो। मुझसे गलती हो गई। लौट चलो सावित्री, लौट चलो।”

सावित्री भी रो पड़ी। आखिरकार सावित्री ने रमेश को माफ़ कर दिया और वह दोनों घर लौट गए।

सावित्री, “बहुत अच्छा लग रहा है घर लौटकर। बोलिए जी, खाने में क्या बनाऊं?”

रमेश, “टिंडे बना दो। तुम्हारे हाथ के टिंडे बहुत स्वादिष्ट हैं।”

सावित्री, “चल झूठे।”

रमेश को सावित्री की अहमियत समझ में आ गई। इसके बाद वह दोनों खुशी-खुशी रहने लगे।


दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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