हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” पेंटर की असफलता ” यह एक Short Motivational Story है। अगर आपको Motivational Stories, Motivational Kahani या Motivational Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
यह कहानी है एक पैंटर की, जो बहुत ही बढ़िया पैंटिंग बनाया करता था। वह पैंटर रोज़ रात में एक पैंटिंग बनाता था और सुबह उसे बेच दिया करता था।
वो रोज़ अपनी बनाई हुई पैंटिंग को ₹500 में बेचता था क्योंकि उसकी पैंटिंग ₹500 में ही बिकती थी और ऐसा करते हुए वह महीने के ₹15,000 कमा लेता था।
अब धीरे-धीरे वो पैंटर बूढ़ा होने लगा। जब वो पैंटिंग बनाता, तो उसके हाथ कांपने लगते। फिर उसने सोचा कि वो अपने बेटे को पैंटिंग बनाना सिखाएगा।
उसने अपने बेटे की ट्रेनिंग शुरू की और वो उसे पैंटिंग बनाना सिखाने लगा कि पैंटिंग में कलर कैसे भरते हैं, पैंटिंग बेचते कैसे हैं और उसे और भी ज्यादा अट्रैक्टिव कैसे बनाते हैं?
अब धीरे-धीरे उसका बेटा भी पैंटिंग बनाना सीख रहा था। एक दिन उस पैंटर के बेटे ने अपनी पहली पैंटिंग बनाई और वो उसे बेचने निकला।
जब वो घर आया, तो उसने अपने पिता से कहा कि पिताजी, मैंने जो पैंटिंग बनाई थी, वो मैंने ₹100 में बेच दी है।
उसके पिताजी उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुए। लेकिन बेटा जो था, वो उदास था। उसके पिताजी ने जब उससे पूछा कि तू उदास क्यों है?
आज तुने अपनी पहली पैंटिंग बेची है। तो उसके बेटे ने कहा कि, “पिताजी, आप अपनी पैंटिंग को ₹500 में बेचते थे
और मैंने तो सिर्फ ₹100 में ही बेची है। जरूर आप कुछ ऐसा जानते हैं, जो मैं नहीं जानता हूँ। आप मुझे और भी अच्छे से सिखाइए।”
पिताजी ने उसे हाँ कहा और उसे और भी डीटेल में पैंटिंग की नॉलेज देने लगे। अगले दिन जब लड़का अपनी बनाई हुई पैंटिंग बेचने गया, तो पैंटिंग ₹200 की बिकी।
वो खुशी-खुशी अपने पिता के पास गया और उन्हें ₹200 देकर वो अपनी अगली पैंटिंग को और भी अच्छे से बनाने लगा।
अब जब उसने अपनी तीसरी पैंटिंग बेची, तो वो पैंटिंग ₹300 की बिकी। अब कई दिनों तक उसकी पैंटिंग ₹300 की ही बिक रही थी।
लेकिन वो अपने पिता से रोज़ पैंटिंग के बारे में नई-नई चीजें सीख रहा था। कुछ दिनों के बाद, जब उस पैंटर के बेटे ने अपनी बनाई हुई पैंटिंग को ₹700 में बेचा
और इस बार जब वो अपने घर आया और उसने अपने पिता को ये बात बताई, तो उसके पिताजी बहुत खुश हुए
और उन्होंने उससे कहा, “चलो आज मैं तुम्हें पैंटिंग के बारे में कुछ नया सिखाता हूँ।”
तभी उस पैंटर के बेटे ने कहा, “नहीं पिताजी, अब मैं सब कुछ सीख चुका हूँ और अब आप क्या मुझे सिखाएंगे?
आपने अपनी सारी ज़िन्दगी में पैंटिंग को ₹500 में ही बेचा है और मैंने ₹700 में। अब आपसे मुझे जितना सीखना था, उतना मैं सीख चुका हूँ।”
तभी उसके पिता ने उससे कहा, “बेटा, अब तू ₹700 के ऊपर कोई भी पैंटिंग बेच नहीं सकता है, क्योंकि जब तेरी जगह मैं था,
जब मैंने अपने पिताजी यानी कि तेरे दादाजी से ज्यादा पैसों में पैंटिंग को बेचा था, तब मैंने भी उनसे यही कहा था।
वो ₹300 में अपनी पैंटिंग बेचा करते थे और जब मैंने ₹500 में पैंटिंग को बेचा था, तब मैंने उनसे यही बात कही थी।
और तब से लेकर अब तक मैं अपनी बनाई हुई पैंटिंग को ₹500 के ऊपर बेच ही नहीं पाया क्योंकि मुझे घमंड आ गया था।
और घमंड एक ज्ञानी आदमी और एक आर्टिस्ट पर बिल्कुल सूट नहीं करता है क्योंकि उससे उसकी सीखने की चाह कम हो जाती है
पेंटर की असफलता | PAINTER KI ASAFALTA | Motivational Kahani | Best Motivational Story | Short Story
और हाँ, पैंटिंग के बारे में मैं ज्यादा जानता हूँ या तू—ये पैसों से पता नहीं चलता है कि किसने कितने ज्यादा रुपए की पैंटिंग बेची? ये तजुर्बे से पता चलता है कि किसने उस फील्ड में कितना टाइम दिया है?”
तो इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि घमंड जो है, वो हमसे हमारी सफलता तो छीनता ही है,
लेकिन सबसे पहले वो हमारा ज्ञान छीनता है। क्योंकि घमंड आने पर ज्ञान कम होने लगता है, क्योंकि सीखना बंद हो जाता है।
दोस्तो ये Motivational Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!