शूरपंखा | SHOORPANKHA | Horror Story | New Horror Kahani | Darawani Kahaniyan | Horror Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” शूरपंखा ” यह एक Bhoot Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


जानवी, “तुम लोग हमारे जूनियर्स हो। ज्यादा डरने की कोई जरूरत नहीं है, हम तो बस तुम लोगों से छोटा सा डेयर करवाने वाले हैं।”

आकाश, “तुमको बस कॉलेज के पीछे वाले जंगल में जाना है। वहाँ एक बड़ा बरगद का पेड़ है। 

पिछली अमावस्या की रात को उस बरगद के पेड़ के नीचे गांव के गवार लोगों ने एक काले कपड़े में लिपटी हुई किसी चीज़ को गाड़ा था। 

तुमको बस वहाँ जाकर उस पेड़ के नीचे गढ़ी उस काले कपड़े की पोटली को निकालना है 

और उसके बाद हमें वीडियो कॉल करना है। फिर जो भी हम तुमको बताएंगे, तुमको बस वही करना है।”

रात के ठीक 10 बजे काव्य और अंजली दोनों अपने हाथ में पकड़े मोबाइल्स की फ्लैशलाइट की मदद से रोशनी में आगे बढ़ रहे थे। 

जंगल के सन्नाटे में उनके पैरों के नीचे कुचले जाने वाले सूखे पत्तों की चर-चर की आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी।

अंजली, “कितना बड़ा जंगल है? तुमको लगता है हम उस पेड़ को ढूंढ पाएंगे जहाँ हमारे सीनियर्स ने हमें जाने को कहा है?”

काव्य, “अगर ये नहीं किया तो वो लोग हमारा कॉलेज में पढ़ना मुश्किल कर देंगे।”

तभी अंजली के पैर के पास से एक गिलहरी गुजरी और वो डर गई।

अंजली, “आह…।”

अंजली ने डरते हुए काव्य का हाथ पकड़ लिया और दोनों की नजरें मिलीं।

काव्य, “डरो मत, बस एक गिलहरी थी।”

अब काव्य और अंजली एक-दूसरे का हाथ थामे हुए आगे बढ़ने लगे। कुछ ही दूरी पर उनको एक बरगद का बड़ा सा पेड़ नजर आया।

काव्य, “वो देखो, देर इज ए बनयान ट्री।”

वो दोनों तेजी से उस पेड़ के पास गए। पेड़ काफी बड़ा था और रात में जंगल के बीच काफी डरावना लग रहा था। 

काव्य ने अपने हाथ से वहाँ की जमीन की मिट्टी हटाई। थोड़ा सा गड्ढा बनने के बाद उनको एक काले कपड़े की पोटली दिखाई दी।

काव्य, “मिल गई, उन्हें कॉल करता हूँ।”

काव्य ने अब स्मित को कॉल लगाया और स्क्रीन पर वही तीनों नजर आने लगे।

काव्य, “सर, देखिए हम यहाँ पहुँच गए और हमने खुदाई भी कर ली है। ये देखिए पोटली।”

जानवी, “ठीक है, अब ये लड़की इस पोटली को खोलके दिखाएगी।”

ये सुनकर अंजली को डर तो लगा लेकिन वो इंकार करने की हिम्मत ही नहीं कर पा रही थी। 

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काव्य मोबाइल को पकड़े हुए था और अंजली ने डरते-डरते उस पोटली को खोला। 

उसके अंदर एक सिंदूर की डिब्बी, सात काली मिर्च, एक नींबू जिसके अंदर चार सुइयां चुभी हुई थीं — ये सभी चीजें दिखाई दीं।

आकाश, “ये गांव के लोग भी ना बड़े बेवकूफ होते हैं। ऐ लड़की! अब इस नींबू को उठाओ और उसके अंदर से ये सभी सुइयां निकाल दो।”

ये सुनकर अंजली की आँखें फट पड़ीं और उसने काव्य को देखा।

काव्य, “ये काम मैं करूँगा।”

अंजली, “नहीं, तू ये नहीं करेगा।”

अंजली ने डरते-डरते उस नींबू से चारों सुइयां निकाल दीं और अचानक उस नींबू से धुआँ निकलने लगा। 

वो दोनों उससे दूर हटे और वो धुआँ निकलकर अंजली के सर पर घूमने लगा। तेज तूफानी हवाएं चलने लगीं।

काव्य, “अंजली, चलो यहाँ से।”

काव्य ने अंजली का हाथ पकड़ा और वो दोनों वहाँ से वापस हॉस्टल की तरफ भागे।

जानवी, “अरे यार! ये पागलों की तरह क्यों भाग रहे हैं? कुछ नजर भी नहीं आ रहा है।”

तभी ना जाने क्यों, अंजली के शरीर में अकड़न होने लगी?

अंजली, “आह…।”

काव्य, “क्या हुआ अंजली? आगे चलो।”

अंजली जमीन पर गिर गई और उसका शरीर पूरी तरह कांपने लगा।

काव्य, “उठो अंजलि।”

उसके सर पर कई सारे चील-कौवे आकर अजीब तरह का शोर करने लगे और उसकी तड़प और बढ़ती रही। 

काव्य ने अंजली का सिर अपनी गोद में रख लिया। अंजली की आँखें ऊपर की ओर चढ़ गईं और उसकी सांस तेज-तेज चलने लगी। 

वो धुआँ अभी भी उनके आसपास ही घूम रहा था। तभी अंजली के मुँह से बहुत भयानक चीख निकली। 

वो धुआँ उसके मुँह में घुस गया और वो बेहोश हो गई। काव्य ने अंजली को उठाया और फिर वो उसे हॉस्टल की तरफ लेकर भागा।

काव्य, “इसे कुछ हो ना जाए। इन ज़ालिमों के चक्कर में हम दोनों की जान खतरे में डाल दी।”

काव्य अंजली को अपनी बाहों में थामे हुए हॉस्टल के सामने वाले गार्डन में पहुँचाने ही वाला था, तभी…

काव्य, “अरे अंजली! तुम ठीक हो?”

अंजली काव्य को इस तरह से देख रही थी जैसे कि उसे पहली बार देख रही हो। उसने काव्य के चेहरे पर हाथ फेरा और बोली,

अंजली, “अब मैं बिलकुल ठीक हूँ। आपका शुक्रिया मुझे यहाँ लाने के लिए।”

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काव्य ने अब अंजली को ज़मीन पर उतार दिया और उसका हाथ थामा। अंजली के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी। 

वो दोनों अब गार्डन में पहुँचे, तो वो तीनों वहीं बैठे हुए थे।

जानवी, “तुम लोग इस तरह वहाँ से भाग क्यों आए?”

काव्य, “हमने टास्क पूरा कर दिया। अब आप लोग प्लीज़ हमें जाने दीजिए।”

आकाश, “ठीक है ठीक है, जाओ अपने रूम पर जाओ।”

काव्य, “अंजली, अब मैं चलता हूँ ठीक है? तुम भी अपने हॉस्टल पहुँचो।”

अंजली, “मेरा हॉस… हॉस…”

अंजलि से हॉस्टल वर्ड भी ठीक से नहीं बोला जा रहा था, जो बात काव्य को बहुत अजीब लगी।

काव्य, “अरे! लगता है तुम अभी भी शॉक में हो। वो देखो।”

उसने रास्ते की तरफ इशारा करते हुए कहा,

काव्य, “वो जो सामने गेट नजर आ रहा है ना, वो तुम्हारे हॉस्टल का ही है। अब तुम जाओ, मैं भी जाता हूँ।”

ये कहकर काव्य सीधा अपने हॉस्टल के अंदर घुस गया। उसके पीछे ही जानवी, आकाश और स्मित भी अंदर जाने लगे।

गार्ड, “जानवी मैम, आप अंदर मत जाइए। वार्डन को पता चल गया तो मेरी नौकरी खतरे में आ जाएगी।”

जानवी, “ऐसा कुछ नहीं होगा। हम लोग सेकंड फ्लोर पे जा रहे हैं। 

तुम हमारे ऊपर जाते ही सीढ़ियों के दरवाजे पे ताला लगा देना और रोज़ की तरह उसको सुबह 5 बजे खोल देना।”

अब ये सभी हॉस्टल के अंदर चले गए। वो तीनों सीढ़ियों से होते हुए सेकंड फ्लोर पर चले गए 

और गार्ड ने सीढ़ियों के दरवाजे पर बाहर से ताला लगा दिया। लेकिन बाहर खड़ी हुई अंजली के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।

कुछ देर बाद रात के 12 बज चुके थे। जानवी, आकाश और स्मित तीनों एक कमरे में बैठे हुए ताश खेल रहे थे।

आकाश, “अबे! ये घुंघरुओं की आवाज़ कैसी है?”

जानवी, “यहाँ हॉस्टल में कौन मंजोलिका आ गई? हा हा हा…।”

तीनों ने ताश खेलना जारी रखा, तो ये आवाज़ अब और तेज़ आने लगी, जैसे कोई उनके कमरे के ठीक पास से गुजरा हो।

आकाश, “ये कौन है?”

स्मित, “मुझे लगता है ये कोई जूनियर है जो हमें डराने की कोशिश कर रहा है।”

जानवी, “लेकिन इस फ्लोर पे तो सभी कमरे खाली हैं।”

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आकाश, “रुको, मैं देखता हूँ।”

आकाश कमरे से निकला और उसने दोनों तरफ गर्दन घुमाकर देखा। कमरे से काफी दूर कॉरिडोर के एक कोने में उसे किसी का अक्स नजर आ रहा था। 

आकाश उस अक्स की तरफ तेज़-तेज़ कदम बढ़ाने लगा और जैसे ही उसके करीब पहुंचा, 

तो उसने पाया कि ये अंजली ही थी, जिसने साड़ी पहनी थी और पहरों में पाजेब थी।

आकाश, “तू… तू पागल हो गई है क्या? हमें डराने चली थी?”

ये कहकर आकाश उसकी तरफ बढ़ा, तभी अंजली ने हाथ बढ़ाया।

आकाश, “आआह….।”

जानवी, “अरे! ये तो आकाश की आवाज़ है ना?”

वे दोनों कमरे से निकले तो उनको कुछ शोर सुनाई दिया। कचड़-कचड़ की आवाज़, जैसे कोई जानवर मांस चबा रहा हो।

जानवी, “वो देखो।”

वो दोनों भागे और कोने में पहुंचे। उन्होंने देखा कि अंजली दीवार की तरफ मुँह करके बैठी हुई है और वो आवाज़ उसी के मुँह से आ रही है। 

जानवी आगे बढ़ी और उसने अंजली के कंधे पर हाथ रखा। तभी अंजली ने अपनी गर्दन पीछे घुमाकर उन दोनों को देखा और दोनों का दिल दहल उठा।

अंजली की आँखें लाल-लाल चमक रही थीं। उसकी साँसें फूल रही थीं, चेहरे पर एक भयानक मुस्कान थी। 

उसके मुँह के आसपास खून लगा हुआ था और ठुड्डी से होता हुआ नीचे टपक रहा था। 

उसके सामने आकाश का कटा हुआ सिर रखा था और उसी की गर्दन का मांस शायद वो खा रही थी।

जानवी, “आह… आह! कौन हो तुम, कौन हो तुम?”

स्मित, “भागो यहाँ से।”

वो दोनों सीढ़ियों की तरफ भागे और अंजली भी भयानक अंदाज में हँसते हुए उनके पीछे-पीछे भागी।

वो दरवाजे पर पहुँचे और दरवाजा पीटने लगे, लेकिन उन्हीं के कहने पर दरवाजे के बाहर ताला लगाया गया था।

दरवाज़े को पीटने की तेज़ दम-दम की आवाज़ काफी दूर तक पहुँच गई।

काव्य, “अरे! ये कौन शोर कर रहा है इतनी रात को?”

वो कमरे से निकल कर बाहर आया। उसने सीढ़ियों के नीचे लगे दरवाजे को ज़ोरों से हिलते देखा।

स्मित, “खोलो… दरवाजा खोलो, वो हमें मार देगी।”

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जानवी, “खोलो…।”

काव्य, “अरे! ये तो स्मित और जानवी की आवाज़ है।”

वो बाहर भागा और उसने गार्ड से कहा, “आप जल्दी से अंदर चलिए। वो इश्मित और जानवी दरवाजा पीट रहे हैं, उसे खोलिए।”

गार्ड, “अरे! उन्हीं ने तो कहा था कि 5 बजे खोलना है। तुम कहीं मेरे साथ मज़ाक तो नहीं कर रहे?”

तभी दो आदमी एक तांत्रिक के साथ वहाँ पर आए। देखने पर पता चलता है कि वो दोनों आदमी गांव के हैं।

गार्ड, “जी कहिए।”

तांत्रिक, “क्या कोई आपके इस विद्यालय से जंगल में गया था?”

गार्ड, “नहीं नहीं लगता तो नहीं… बताइए, वैसे आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?”

तांत्रिक, “किसी ने बरगद के पेड़ के नीचे खुदाई कर रखी है। बता दीजिए, अगर किसी ने ऐसा किया है तो…।”

काव्य, “जी, मुझे पता है। कुछ सीनियर्स ने मुझसे और मेरी एक फ्रेंड से ऐसा करवाया था। लेकिन बात क्या है?”

तांत्रिक, “ये क्या किया तुम लोगों ने? पता भी है कितना बड़ा खतरा है वो? 

उस नींबू के अंदर शूरपंखा की आत्मा को कैद किया गया था। जिसने भी उसे उस नींबू से निकाला है, अब शूरपंखा की आत्मा उसी के शरीर पे होगी।”

काव्य, “ये शूरपंखा कौन है?”

तांत्रिक, “वो हमारे गांव में ही एक छोटे से घर में रहा करती थी। बच्चे, बूढ़े, जवान, औरत, मर्द — सभी को अपना शिकार बनाकर उनके मांस का सेवन करती थी। 

मैंने अपने कुछ साथियों के साथ उसको मारकर उसकी आत्मा को उस नींबू के अंदर कैद कर दिया था। 

उस लड़की ने उस नींबू से सुइयाँ निकालीं, तो इसका मतलब है कि अब उस लड़की के शरीर में शूरपंखा की आत्मा है।”

स्मित, “बचाओ, हमें बचाओ। ये हमें मार देगी, बचाओ।”

तांत्रिक, “अरे! ये आवाज़ किसकी है? जल्दी चलो, शायद वो वहीं है।”

अब ये सभी लोग तेजी से अंदर भागे। दरवाजे पर अब एक अजीब तरह की शांति छाई हुई थी। 

गार्ड ने चाबी लगाई और ताला खोला। वो सभी सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर पहुँचे, तो सामने का मंजर दिल दहला देने वाला था।

जानवी और आकाश का मृत शरीर ज़मीन पर पड़ा था। अंजली अपने उसी भयानक अवतार में ज़मीन पर बैठी थी। 

उसने अपने दोनों टांगों से स्मित की गर्दन को जकड़ रखा था। स्मित अभी ज़िंदा था, लेकिन उसकी पकड़ में था।

तांत्रिक, “शूरपंखा, उस लड़की को छोड़ दो। निकल जाओ उसके शरीर से।”

शूरपंखा (अंजली के स्वर में), “अगर सामने आये तो इस लड़के को भी मार दूंगी।”

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ये सुनकर उस तांत्रिक ने अपने झोले से सिंदूर की डिब्बी निकाली और अंजली के ऊपर छिड़का।

शूरपंखा, “आह…आह।”

शूरपंखा ने स्मित के सीने को चीर डाला और उसका दिल निकाल लिया और उसे इन सभी की तरफ दिखाते हुए बोली,

शूरपंखा, “ये देखो, इसकी मौत के जिम्मेदार तुम लोग हो।”

अब उस तांत्रिक ने अपने झोले से एक सुई-धागा और एक नींबू निकाला।

उसने मंत्र पढ़ते हुए उस नींबू को धागे में पिरो लिया और अंजलि की तरफ बढ़ा।

अंजली (शूरपंखा), “आगे मत आना, तुझे भी मार दूंगी।”

अब काव्य ने आगे बढ़कर अपनी बाँहों में अंजली को जकड़ लिया।

शूरपंखा, “आह… आह, छोड़।”

तांत्रिक उस नींबू को अंजली के सिर पर घुमाने लगा।

शूरपंखा, “नहीं नहीं, तू ये ठीक नहीं कर रहा। छोड़ दे मुझे, छोड़।”

सात बार नींबू घुमाने के बाद अंजली के शरीर में फिर से अकड़न पैदा हुई। उसके शरीर से कुछ धुएँ सा निकला और उस नींबू के अंदर समा गया। 

उस तांत्रिक ने तेजी से उस नींबू के अंदर चार सुइयाँ घुसेड़ दीं। अंजली अब बेहोश हो चुकी थी।

काव्य, “अंजली… अंजली।”

काव्य उसके पास ही रुका रहा। अब तांत्रिक और वो दोनों आदमी वहाँ से चले गए। 

उन्होंने फिर से उस नींबू को काली पोटली में डालकर ज़मीन में गाड़ दिया।

इस तरफ अंजली होश में आते ही काव्य से लिपट गई। शायद उसे कुछ-कुछ याद था कि उसके साथ क्या हुआ था? 

काव्य ने भी अंजली को कसके अपनी बाँहों में भर लिया।


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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