वुडु | WUDU | Horror Kahani | Sachhi Horror Story | Haunted Story | Best Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” वुडु ” यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


रात के 2:00 बजे श्मशान में तेजी से साएं-साएं हवा चल रही थी। कुछ देर पहले जलाई गई एक चिता अभी भी हवा के झोंके के साथ थोड़ी-थोड़ी प्रज्वलित हो रही थी। 

झिंगुर की आवाज के बीच कुत्ते तेजी से रो रहे थे। उनके रोने की आवाज इतनी भयानक थी कि किसी का भी दिल दहल जाए।

मगर ऐसे माहौल में भी एक औरत काली साड़ी पहने पेड़ के नीचे काले कपड़े से गुड़िया बना रही थी। उसने अपने आसपास एक घेरा बना लिया था। 

उसके पास ही एक पुरुष पूजा में उसकी मदद कर रहा था।

पुरुष, “यह गुड़िया बन गई है। अब तुम मंत्र जाप शुरू करो।”

औरत, “ओम क्रीम चामुंडाय शमशान भैरवी मदद करू करू स्वाहा।”

मंत्र का जाप करते हुए वो उस गुड़िया पर फूल फेंक रही थी। पुरुष उसे पूरी पूजा करने के लिए निर्देशित कर रहा था।

पुरुष, “आज की पूजा पूरी हो गई। अब कल आना।”

पुरुष के द्वारा निर्देश मिलते ही वह तुरंत वहां से उठकर कुछ इस तरह गायब हो गई कि मानो अमावस्या के दिन चांद होता हो। 

राठौर मेंशन में सुबह से ही हलचल मची हुई थी। मेहमानों की आवाजाही के बीच सुनीता जी उनके नाश्ते पानी की व्यवस्था भी देख रही थीं।

राजेश, “सुनीता, कहां हो? अरे! कब से तुम्हें ढूंढ रहा हूं?”

सुनीता, “क्या हुआ? क्यों आवाज दे रहे थे?”

राजेश, “वहां बाहर गार्डन में डीजे, लाइट्स और शावर सब की व्यवस्था पूरी हो गई है ना? और लाडो कहां है? उसे बोलो कि अब मेहमान भी हल्दी का प्रोग्राम शुरू होने का वेट कर रहे हैं।”

सुनीता, “वो बस आने ही वाली है। आने वाली क्या है? आ ही गई। कितनी प्यारी लग रही है मेरी बेटी? किसी की नजर ना लगे।”

दरअसल राठौड़ मेंशन में सुनीता और राजेश जी की बेटी प्रणीति की शादी के फंक्शनंस शुरू थे। मेहमानों के साथ हल्दी का फंक्शन चालू हो गया था। 

सब लोग एंजॉय कर रहे थे। तभी जो हल्दी वहां पर रखी थी प्रणीति को लगाते ही काली हो गई।

सुनीता, “राधिका, यह क्या हुआ? मैंने तुम्हें खास कहा था कि हल्दी के फंक्शन के लिए ऑर्गेनिक हल्दी मंगवाना। मगर तुम्हारा ध्यान रहता ही कहां है?”

राधिका, सुनीता जी की देवरानी थी जिसने शादी की तैयारियों में सुनीता जी की मदद की थी।

राधिका, “भाभी, मैंने ध्यान दिया था। हल्दी ऑर्गेनिक ही है। यह देखिए पैकेट।”

सुनीता, “तो फिर देखो यह क्या हो गया। प्रणीति तुरंत जाकर मुंह धोकर आओ।”

सब मेहमानों के बीच सुनीता की डांट खाकर राधिका कुछ नाराज हो जाती है। मगर मौके की नजाकत देख खामोश ही रहती है।

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राजेश, “डोंट बी पैनिकिक। कभी-कभी ऐसा हो जाता है। बाकी का फंक्शन एंजॉय करो।”

राजेश ने यह कह तो दिया था, “एंजॉय करो।” मगर खुद उसे भी नहीं पता था कि अब कोई फंक्शन एंजॉय नहीं कर पाएगा। 

देर रात वो औरत फिर श्मशान में बैठी अपनी पूजा को कंटिन्यू कर रही थी। अगली सुबह सभी लोग शादी के आगे के फंक्शन के लिए मैरिज हॉल रवाना होने वाले थे। 

तेज हवा चलने लगी। खिड़की दरवाजे तेजी से हिल रहे थे और प्रणीति के घर से बाहर निकलते ही दरवाजे पर बंधा हुआ तोरण नीचे गिर गया। 

सुनीता जी का दिल एकदम से बैठ गया। मगर राजेश जी ने उनका हाथ पकड़ कर आगे बढ़ने के लिए कहा। 

सब लोग डरे-डरे से मैरिज हॉल की तरफ रवाना हुए। बारात आ चुकी थी। प्रणीति अपने कमरे में तैयार हो रही थी। तभी उसके कमरे में राधिका आई।

राधिका, “अरे चाची जी! आप यहां?”

राधिका, “बेटा, आज तेरी शादी हो जाएगी। मैं तेरे लिए बहुत खुश हूं। बचपन से लेके आज तक तुझे हर वो चीज मिली जो तूने चाही। मगर मेरी बेटी हर चीज के लिए तरसती रही।”

प्रणीति, “चाची जी, ये क्या कह रही हैं आप? इस समय ये सारी बातें?”

राधिका, “बेटा, जब इंसान का अंतिम समय आता है ना तो उसे सारी सच्चाई बता देनी चाहिए। अब तुम्हारा अंतिम समय आ चुका है तो तुम्हें सब कुछ जानना होगा।”

कहते हुए वो जोरों से हंसने लगी।

प्रणीति, “चाची जी, ये आप क्या बकवास कर रही हैं? मॉम, डैड कोई है यहां? प्लीज कम इन।”

प्रणीति चीख कर अपने माता-पिता को आवाज दे पाती, उसके पहले ही उसकी चाची ने उसके मुंह पर हाथ रखा और धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया।

राधिका, “मुंह बंद कर, आवाज नहीं आनी चाहिए।”

कहते हुए उसने चाकू उसकी गर्दन से अड़ा दिया।

राधिका, “तुझे क्या लगा मैं तुझे इतनी आसानी से मार दूंगी? नहीं। तू मरेगी मगर तड़प-तड़प कर। किसी को पता भी नहीं चलेगा कि तुझे मैंने मारा है। देखना चाहती है कैसे?”

कहते हुए राधिका ने अपने हाथ में गुड़िया ली और उसका पैर मोड़ दिया। राधिका ने पैर तो गुड़िया का मोड़ा था मगर दर्द प्रणीति को हुआ।

राधिका, “क्या हुआ? दर्द हो रहा है। ऐसा ही दर्द मेरे सीने में भी होता है जब मैं तुम लोगों को खुश देखती हूं।”

राधिका कुछ और कर पाती, इसके पहले प्रणीति उसे धक्का देकर बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।

राधिका, “प्रणीति, रुक जा। अगर तूने एक भी पैर इस कमरे से बाहर निकाला तो तुझे पता है यह दूसरी गुड़िया कौन है? 

दूसरी गुड़िया तुम्हारा होने वाला पति साहिल है। देखना चाहोगी तो देखो।”

कहते हुए उसने गुड़िया का हाथ मोड़ा तो घोड़ी पर बैठे हुए दूल्हे का भी हाथ मुड़ गया। वो दर्द से कराह रहा था, मगर उसे समझ नहीं आया कि अचानक उसका हाथ कैसे मुड़ा। ये देख प्रणीति की आंखों में आंसू आ गए।

प्रणीति, “छोड़ दीजिए चाची जी। उसे छोड़ दीजिए। क्या चाहती हैं आप?”

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राधिका, “बस इतना ही कि तेरी जगह आज मेरी गुड्डो दुल्हन बने। और तू उसके रास्ते से हमेशा हमेशा के लिए हट जाए।”

कहते हुए उन्होंने प्रणीति को सम्मोहित किया और उसे छत पर बनी हुई पानी की टंकी में जाकर छिप जाने के लिए कहा। 

राधिका की बातों से सम्मोहित होकर प्रणीति छत की टंकी पर जाकर छुप गई। बारात स्वागत की कुछ देर बाद फेरों की तैयारियां शुरू हो गई।

पंडित जी, “शादी का मुहूर्त नजदीक आ चुका है। दूल्हे को पूजा पर बिठाइए और दुल्हन को बुलवाइए।”

पंडित जी के कहने पर राजेश जी ने दूल्हे को मंडप में बिठाया और सुनीता जी को प्रणीति को लेने के लिए भेज दिया। 

मगर अगले ही पल अच्छा भला मौसम खराब होने लगा। जोर-जोर से हवाएं चलने लगीं। मंडप गिर गया। बारिश के कारण हवन कुंड की अग्नि बुझ गई।

राजेश, “अरे! ये क्या हुआ? यह तो घोर अपशगुन है।”

राजेश जी इस अपशगुन को रोकने के लिए पंडित जी से उपाय पूछ ही रहे थे कि तभी सुनीता जी बदहवास होकर वहां आई और बोलीं,

सुनीता, “राजेश गजब हो गया। प्रणीति कहीं भी नहीं मिल रही है।”

राजेश, “यह क्या कह रही हो? वो कहीं नहीं मिल रही है? ऐसा कैसे हो सकता है? ढूंढो उसे।”

तभी राधिका वहां आई और उन सबको परेशान देखकर बोली,

राधिका, “भाई साहब, आप प्रणीति को ढूंढ रहे हैं? मगर मुझे तो लगता है प्रणीति इस मंडप को ही छोड़कर भाग गई। उसे शादी ही नहीं करनी होगी।”

राजेश, “मेहमानों के सामने ये क्या बकवास कर रही हो? उसको शादी नहीं करनी होती तो वो मुझे पहले ही मना कर देती। इस तरह घर छोड़कर कभी नहीं जाती।”

राधिका, “तो फिर अब आप ही बताओ कि वो कहां चली गई? आप लोगों को तो मेरी कही हर बात बुरी लगती है। 

मगर आप लोगों ने तो अपनी बेटी को इतनी छूट दे रखी है कि जिसका नतीजा देख ही लिया आप लोगों ने। दोनों परिवारों की कितनी बदनामी होगी। मैं सही कह रही हूं ना भाई साहब।”

कहते हुए वो प्रणीति के ससुर के पास चली गई। वो भी हैरान थे कि अब क्या होगा। घर परिवार में उनकी कोई इज्जत नहीं बचेगी।

प्रणीति के ससुर, “आप ठीक कह रही हैं। यदि बिना दुल्हन के हम लोग घर पहुंचे तो हमारी कितनी बदनामी होगी?”

राजेश जी खुद वैसे ही परेशान थे। उसके ऊपर से उनकी बात सुनकर बोले,

राजेश, “भाई साहब, मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। मगर मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि प्रणीति इस तरह कहां चली गई? अब बताइए मैं क्या कर सकता हूं?”

राधिका, “दोनों परिवारों को बदनामी से बचाने का एक ही उपाय है। प्रणीति की जगह गुड्डो को दुल्हन बना दिया जाए।”

राधिका की बात सुनकर सब लोग वहां हैरान रह गए। राजेश जी गुस्से में बोले,

राजेश, “यह कोई सब्जी मंडी है क्या कि एक सब्जी नहीं मिली तो दूसरी ले आओ? ऐसा कैसे हो सकता है? 

साहिल खुद इसके लिए तैयार नहीं होगा। क्यों साहिल, मैं सच कह रहा हूं ना? अब यह शादी नहीं हो सकती।”

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मगर राधिका के पास साहिल का वुडू डोल था जिसे सम्मोहित कर राधिका ने उससे शादी के लिए हां करवा ली। 

प्रणीति की जगह उसकी कजिन गुड्डू की शादी साहिल से होने लगी। साहिल की आंखों में सूनापन था। 

उन लोगों की शादी में जो पंडित जी आए थे, काला जादू के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखते थे। पहले शादी में आई परेशानी, उसके बाद दुल्हन की अदला बदली। 

उन्हें दाल में कुछ काला नजर आने लगा। उन्होंने कुछ मंत्र पढ़ते हुए जैसे ही साहिल के हाथ में रक्षासूत्र बांधा, उसका सम्मोहन टूट गया और वो हैरान था कि उसकी शादी गुड्डू से क्यों हो रही है। 

सब लोग परेशान हो गए क्योंकि साहिल ने खुद गुड्डू से शादी करने के लिए हां की थी। उसके बाद अब इसे क्या हो गया।

पंडित जी, “आप लोग साहिल की बात सुनकर परेशान ना हो। किसी ने इसके ऊपर काला जादू किया था। 

इसीलिए वह शादी करने के लिए मान गया था। मगर हमने उस काले जादू को तोड़ दिया है।”

पंडित जी की बातें सुनकर राधिका गुस्से में लाल हो गई और तेजी से चीखते हुए बोली,

राधिका, “आपको क्या लगता है? आपने साहिल को बचा लिया? नहीं। आपको नहीं पता। साहिल और प्रणीति दोनों की जान खतरे में है। 

अगर यह शादी रुकी तो दोनों अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे। समझ गए ना आप लोग? साहिल, अगर तुम चाहते हो कि प्रणीति जिंदा रहे तो यह शादी कर लो।”

सुनीता, “राधिका, यह क्या कह रही हो तुम? प्रणीति कहां है?”

राधिका की आंखों में हैवानियत नाच रही थी। उसने अपने हाथों से छत की ओर इशारा किया। छत की मुंडेर पर प्रणीति खड़ी हुई थी। वो किसी भी वक्त वहां से छलांग लगा देती।

राधिका, “आप यह शादी होने दे रही हैं या मैं प्रणीति से कहूं कि वह छत से कूद जाए?”

सुनीता, “राधिका, तुम यह क्या कह रही हो? प्रणीति छत से कूद जाए? तुम ऐसा नहीं कर सकती हो।”

राधिका, “तो हो जाने दीजिए यह शादी, वरना…”

कहते हुए राधिका ने वो वुड्डू डोल निकाली तो उसकी बेटी गुड्डो जो अभी तक सारी बातें सुन रही थी उसने तुरंत उठकर अपनी मां के हाथों से वो वुडू डॉल छीनी और हवन कुंड में डाल दी।

गुड्डो, “मां, आप इस तरह मेरी शादी जबरन नहीं कर सकतीं। आपको कोई हक नहीं है कि आप प्रणीति दी और जी को परेशान करो।”

राधिका, “मैं तो यह तेरे भले के लिए कर रही थी। मगर…”

राधिका कुछ और बोल पाती, उससे पहले उसके कपड़ों में आग लग गई थी।

गुड़िया के साथ-साथ वो भी जल रही थी। 

उसका किया हुआ जादू उसके ऊपर ही लौट कर आ गया। प्रणति और साहिल दोनों की शादी धूमधाम से हो गई।


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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