आमलेट बनाने वाली पत्नी | Hindi Kahani | Magical Hindi Stories | Pati Patni Ki Kahaniyan | Husband Wife Stories | Jaadui Kahaniyan

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” आमलेट बनाने वाली पत्नी ” यह एक Husband Wife Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Pati Patni Ki Kahaniyan या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
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 आमलेट बनाने वाली पत्नी 

एक गांव में अभिराम और सोनाक्षी नाम का पति पत्नियों का जोड़ा रहता था। कहने को तो उनके घर में गरीबी थी लेकिन प्यार और शांति की कोई कमी नहीं थी। 
दोनों पति-पत्नी हमेशा एक दूसरे को प्यार करते और हमेशा एक दूसरे को हिम्मत देते थे। अभिराम बाहर के सभी कामों को समेटता था और सोनाक्षी घर गृहस्ती का सारा काम बड़ी कुशलता से पूरा कर लेती थी। 
अभिराम एक छोटी सी नौकरी करता था जिससे उनके परिवार का गुजारा हो पाता था। एक दिन अभिराम अपने काम पर से वापस लौटता है और सोनाक्षी को अपनी सालगिराह पर एक तोहफा भेंट करता है। 
जब सोनाक्षी उस तोहफे को खोलती है तो उसमें से एक स्त्री बाहर आती है। सोनाक्षी कहती है,” सालगिराह पर भी कोई किसी को ये स्त्री देता है क्या ? आप भी ना। “
जवाब में अभिराम कहता है,” देखना, यह स्त्री तुम्हारे काम को बहुत आसान करेगी और वैसे भी मैं अब एक नए काम पर शिफ्ट हो रहा हूं तो वहां पर अच्छे-अच्छे लोग आस – पास रहेंगे तो इससे मेरे कपड़ो पर स्त्री भी हो जाएगी तो मेरे कपड़े भी अच्छे लगेंगे। 
इसी तरह उनका समय व्यतीत हो रहा था। लेकिन कहते हैं ना समय एक जैसा कभी नहीं होता, कभी दुख तो कभी सूख चलता रहता है।
1 दिन अभिराम काम पर गया हुआ था लेकिन दुर्घटनावश  उसका एक कार एक्सीडेंट हो गया। एक्सीडेंट इतना बुरी तरह से हुआ था कि उसे विस्तर पकड़ना पड़ा। 
अब उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही नाजुक हो चुकी थी। क्योंकि घर में कमाने वाला केवल अभिराम ही था। 
सोनाक्षी अब बिल्कुल टूट चुकी थी; क्योंकि अब घर की सारी जिम्मेदारी और पति की दवाइयों का खर्चा का पूरा बोझ उसके कंधों पर आ चुका था। घर पर बैठकर कुछ नहीं होगा इसलिए बहुत सोच समझकर वह घर से बाहर जाती है। 

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गांव में उसे सड़क के ठीक सामने एक झोपड़ी दिखाई देती है। वह उस झोपड़ी में जाती है और ‘ स्वादिष्ट आमलेट भंडार ‘ का एक बोर्ड टांग देती है। सोनाक्षी की एक कला बहुत अच्छी थी, वह आमलेट बहुत ही स्वादिष्ट बनाती थी। 
उसने अपने बचे हुए पैसों से कुछ अंडे और आमलेट की बाकी सामग्री भी खरीद ली। लेकिन पकाने के लिए उसके पास कोई भी साधन नहीं था जिसकी वजह से वह वापस उदास हो जाती है। 
लेकिन तभी उसके मन में एक विचार आता है। वह अपनी पति के दिए हुए तोहफे (स्त्री) को घर से लेकर आती है। वह स्त्री को गर्म करने के लिए रख देती है। थोड़ी देर में ही स्त्री गर्म हो जाती है। तब तक वह आमलेट के लिए अंडे और उसके घोल को तैयार करती है। 
वह तुरंत इस घोल को स्त्री पर डालती है। स्त्री गर्म होने के कारण वह तुरंत आमलेट पका देती है। आमलेट बनते समय ही उसमें से काफी स्वादिष्ट खुशबू आ रही थी जो आसपास खड़े लोगों तक पहुंच रही थी। 
लोग उस खुशबू को सूंघकर सोनाक्षी की झोपड़ी की तरफ बढ़ते हैं और थोड़ी ही देर में काफी भीड़ इकट्ठा हो जाती है। सोनाक्षी एक-एक करके इसी तरह आमलेट पकाती और लोगों को देती जाती। उसका काम धीरे-धीरे फैलने लगा। 
लोग आमलेट खाते और अपने दोस्त – रिश्तेदारों को भी बताते जिससे और भी ज्यादा लोग सोनाक्षी की झोपड़ी तक पहुंच पाते। धीरे-धीरे उसका व्यवसाय बढ़ता गया और उसने एक बड़ा – सा ढाबा भी खोल लिया। 
अच्छी स्वादिष्ट आमलेट के किस्से अब अखबारों पर भी छपने लगे। अब सोनाक्षी के पास काफी पैसे थे। धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरती गई और उसने अपने पति का भी ठीक से इलाज करवाया। 
अभिराम अपनी पत्नी की काबिलियत और तेज दिमाग को देखकर काफी खुश हुआ। वे दोनों हॉस्पिटल से घर वापस आए। अभिराम अब बिल्कुल ठीक था तो वह वापस अपने काम पर जाने लगा। 

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कुछ दिनों बाद उन दोनों की दूसरी सालगिराह भी आ गई। अभिराम काम से लौटते वक्त दोबारा से सोनाक्षी के लिए एक तोहफा लाया। 
जब सोनाक्षी ने इस तोहफे को खोला तो उसमें अब बड़ी स्त्री निकली। इस बार फिर से सोनाक्षी चौक गई और हंसते हुए बोली,” दोबारा से स्त्री लाए हो। ” 
अभिराम कहता है,” पिछली बार जो मैंने स्त्री दी थी, उसने हमारे जीवन की सारी मुसीबतों को दूर कर दिया। अब यह स्त्री भी तुम्हारी बहुत बड़ी मदद करेगी। ” 
और दोनों हंसने लगते हैं। इस तरह अब उनके परिवार से मुसीबतों के सारे बादल छठ जाते हैं और वे खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं।



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