एक आखिरी बात | Ek Akhiri Baat | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – एक आखिरी बात। यह एक Horror Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Scary Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

एक आखिरी बात | Ek Akhiri Baat | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Ek Akhiri Baat | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

एक आखिरी बात

बात आज से करीब 4 साल पुरानी है। उस रात रईसगंज पुलिस चौकी इन्स्पेक्टर (खान) के अलावा कोई भी नहीं था। बाहर ज़ोर ज़ोर से बिजली कड़कने के साथ साथ बहुत तेज बारिश भी हो रही थी। 
अंदर कुर्सी के ऊपर टांग पर टांग चढ़ाए इन्स्पेक्टर खान सिगरेट के कश लिए जा रहा था और हर दो कश के बाद बड़े अंदाज से उँगली के सहारे सिगरेट की राख को स्ट्रीम में झटक देता। 
वो ये सब कुछ इतने तसल्ली से कर रहा था कि जैसे कोई और यहाँ आएगा ही नहीं। अब इतनी तेज आंधी तूफान वाले बरसात में भला कोई क्यों आएगा ? तभी इन्स्पेक्टर खान के मोबाइल पर एक कॉल आता है।
ये कहानी सुनें 🙂
खान (फोन पर),” अरे जानेमन ! तो आखिर इस बरसात ने तुम्हें मेरी याद दिला ही दी। हां, मौसम तो ठंडा हो गया है। पर ये सीने की जलन तुमसे मिलके ही कम होगी। “
इन्स्पेक्टर खान ये बोल ही रहा था कि इतने में पुलिस चौकी में लाइट चली जाती है और वो फ़ोन पर कहता है। 
खान,” इस बिजली को भी अभी जाना था क्या ? “
खान,” अच्छा, अब मैं रखता हूँ। “
फ़ोन कट करते ही जैसे ही उसने मोबाइल का फ्लैश लाइट ऑन किया पर बदकिस्मती से उसी वक्त उसके मोबाइल की बैटरी डेड पड़ जाती है और वो अंधेरे में ही हाथ पांव मारते हुए बाहर की तरफ निकलने लगता है। 
तभी दरवाजे के पास उसके पांव किसी चीज़ से टकराता है मानो जैसे कोई बोरी रखी हो। इन्स्पेक्टर खान किसी तरह लड़खड़ाते हुए बाहर पहुँच जाता है। 
बाहर वो देखता है कि ट्रांसफार्मर में आग लग गई है और इससे बिजली की चिंगारी निकल रही है। 
इन्स्पेक्टर खान वापस अंदर आ जाता है और अपनी टेबल पर एक कैंडल जला लेता है। और एक सिगरेट को मुँह से लगाए कैंडल की लॉ से सुलगाता है। 
फिर एक कश लेकर जैसे ही उसकी नजरें ऊपर उठती है, एक ज़ोर की बिजली पड़ती है जिसकी रौशनी में दरवाजे के पास ही लड़की दिखाई देती है। 
ऊपर सफेद टोप और नीचे ब्लू जींस और अंधेरे में चमकती बिजली के बीच हुई उसकी कमर, जिसे देखकर इन्स्पेक्टर खान सिगरेट की राख को छिड़कते हुए खड़ा हो जाता है। 
लड़की का पूरा बदन पानी से सराबोर था। वो इन्स्पेक्टर की तरफ बढ़ते हुए बोलती है। 
लड़की,” मुझे एफआईआर लिखवानी है। “
इन्स्पेक्टर खान पैनी निगाहों से उसे ऊपर से नीचे तक घूरते हुए देखता है। “
खान,” लिख देंगे… लिख देंगे, पहले थोड़ा पास तो आ जाओ। “
उसकी बात सुन लड़की थोड़ा सकपका जाती है। फिर खान अपनी बात करें तो वहाँ पे हुए कहा। 
खान,” मेरे कहने का मतलब है, पास आकर इस कुर्सी पर बैठ जाओ। रौशनी कम है ना..? अगर पास रहोगी तो सब अच्छे से दिखेगा साफ साफ। “

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लड़की से पानी ऐसे टपक रहा था जैसे कोई मोती हो। वह आगे बढ़ते हुए कुर्सी पर बैठ जाती है। 
इन्स्पेक्टर खान सिगरेट को झिटकते हुए एक और कश लगाते हुए उस लड़की की तरफ बढ़ता है। धुआं छोड़ते हुए वह लड़की के कंधे पर हाथ रखते हुए बोलता है। 
खान,” बताओ, क्या हुआ तुम्हारे साथ ? किसके खिलाफ़ एफआईआर करवानी है ? “
लड़की इन्स्पेक्टर खान के छूने को नज़रअंदाज़ करती है 
लड़की,” बहुत बड़े लोग है और मेरी जान के दुश्मन बन गए हैं। क्योंकि मैंने उनके खिलाफ़ कंप्लेंट दर्ज की कि दवा की आड़ में वो ड्रग्स का बिज़नेस करते हैं। “
इन्स्पेक्टर खान उसकी बात सुन कुछ सोचते हुए सिगरेट के दो कश भरता है और सिगरेट को नीचे पांव से मसलते हुए कहता है।
खान,” बड़े लोगों के खिलाफ़ जाना मतलब बड़ी मुसीबत। तुम शायद सिंघानिया साहब की एजेंसी की बात कर रही हो। उनके खिलाफ़ जाने की हिम्मत तो शहर में किसी की नहीं है। “
इन्स्पेक्टर खान के मुँह से सिंघानिया के लिए ‘साहब’ सुनकर लड़की को समझ में आ गया कि खान उसकी कोई मदद नहीं कर सकता है। फिर भी वो कहती है। 
लड़की,” लेकिन सर आप ईमानदारी से तहकीकात करेंगे तो सलाखों के पीछे होगा वो। “
ईमानदारी का नाम सुनते ही खान टनक जाता है। 
खान,” अरे ! छोड़ो ये ईमानदारी की बात है, 20 हजार की सैलरी भी टाइम से नहीं आती। थोड़ी सी बेईमानी कर लो तो हाथो हाथ लाखों मिलते हैं। ये बताओ, तुम्हारी मदद करके मुझे क्या मिलेगा ? “
खान की बात सुन लड़की जवाब देती है। 
लड़की,” पर मेरे पास तो कुछ भी नहीं है आपको देने के लिए। पर मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ जो आप चाहो, जैसा भी चाहो। “
लड़की की यह बात सुनकर इंस्पेक्टर खान के चेहरे पर फुटिल मुस्कान आ गई। वह मन ही मन कुछ सोचते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ गया। 
उसे मालूम था कि आज नहीं तो कल सिंघानिया उसे अपने रास्ते से हटा ही देगा तो क्यों ना आज वो उस लड़की का रस चख ले ? 
ये सब सोचते हुए इन्स्पेक्टर खान एक और सिगरेट जलाता है और कश लगाते हुए रंगीन मिज़ाज में उस लड़की से पूछता है। 
खान,” नाम क्या है तुम्हारा ? “
लड़की,” नायरा। “
लड़की का जवाब सुनते ही इन्स्पेक्टर खान कहता है। 
खान,” बताओ नायरा, क्या कर सकती हो तो मेरे लिए ? “
खान की बात सुनते ही लड़की खड़ी हो जाती है और अपने दोनों हाथ टेबल पर रख झुकते हुए कहती है।
लड़की,” वही जो आप चाहते हैं। फिर आप उसके खिलाफ़ ऐक्शन तो लेंगे ना ? “
ये बात लड़की ने इन्स्पेक्टर खान की आँखों में आँखें डालके कही। लेकिन इन्स्पेक्टर खान की निगाहें तो किसी और गहराई में गोते खा रही थीं। 

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वह खान के पास आ गई। खान ने भी सिगरेट की आखिरी कश लेते हुए उसे जमीन पर फेंक दिया और उसे अपनी बाहों में ऐसे भर लिया जैसे कि वर्षों से प्यासा हो। 
नायरा भी अब मदहोश हो चुकी थी। तभी खान के मोबाइल पर किसी का कोल आता है। 
अपने मोबाइल की आवाज सुन इन्स्पेक्टर खान एक सेकंड के लिए दंग रह जाता। क्योंकि उसका मोबाइल तो डैड हो गया था। 
उसने देखा कि मोबाइल पर सिंघानिया का कोल था। उसने नायरा को अपनी कुर्सी पर बिठा दिया और खुद थोड़ा दूर खिड़की के पास चला गया ताकि उनके बीच की बात नायरा ना सुन ले। 
खान (फोन पर),” हाँ सिंघानिया साहब, बताइए क्या सेवा कर सकता हूँ आपकी ? “
खान की बात सुन सिंघानिया जवाब देता है। 
सिंघानिया,” एक लड़की को ठिकाने लगाना है। “
खान,” अगर मैं गलत नहीं हूँ तो उसका नाम नायरा है ? “
खान की बात सुनते ही सिंघानिया दंग हो जाता है और कहता है। 
सिंघानिया,” हाँ हाँ भाई, पर ये बात तुम्हें कैसे पता चली ? “
खान,” अब जुर्म मुझसे कैसे छुप सकता है सिंघानिया साहब ? आप चिंता ना करें, लड़की मेरे पास है। 
अभी तो मैं उसकी जवानी का रस चख रहा हूं। एक बार अच्छे से चख लूं फिर लगा दूंगा ठिकाने। “
खान की बात सुन सिंघानिया छल्ला के कहता है। 
सिंघानिया,” अब तू लाश को भी अपनी हवस का शिकार बनाएगा क्या ? जल्दी से नायरा की लाश को ठिकाने लगा और हाँ… मेरे बेटे का नाम नहीं आना चाहिए। “
सिंघानिया की बात से खान के होश उड़ जाते हैं।
खान,” लाश… कैसी लाश ? “
सिंघानिया,” नायरा की लाश। जब वो तेरे पुलिस चौकी में भाग के जा रही थी, मेरे बेटे ने पीछे से कई गोलियां दाग दीं। 
मुझे नहीं लगता कि अब वो बची हुई होगी। देख जाकर लाश दरवाजे के पास पड़ी होगी। काम खत्म होते ही आ जाना अपनी कीमत लेने। “
सिंघानिया से बात करते हुए जैसे ही वो पीछे मुड़ता है तो वहाँ नायरा होती ही नहीं है। इधर उधर देखने पर भी उसे कोई नजर नहीं आता। 
जब वह वापस से अपने मोबाइल से किसी को कॉन्टैक्ट करने की कोशिश करता है तभी मोबाइल फिर से डैड हो जाता है। वो मोबाइल ज़ोर से पटक देता है और टेबल पर रखे टेलीफोन की तरफ जाता है। 
पर उस टेलीफोन की लाइन भी डैड़ होती है और उसका गुस्सा इतना बढ़ जाता है कि वो इस टेलीफोन को भी जोर से पटक देता है। 
उसे समझ नहीं आता है कि अब किसी को कैसे बुलाऊ ? क्या करूँ ? वैसे उसको समझने की जरूरत भी क्या थी ? क्योंकि सिंघानिया का कोल ही उसके लिए लास्ट कॉल था। 
पर उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था सिंघानिया की बातों पर क्योंकि कुछ समय पहले तक नायरा उसकी बाहों में ही तो थी। अचानक पुलिस चौकी की लाइट जलने बुझने लगती है। 
तभी खान की नजर दरवाजे के पास पड़े किसी बोरे जैसी चीज़ पर जाती है जिससे वो टकराया था। जैसे ही वो उसके पास पहुंचता है तो देखता है खून से सनी किसी लड़की की लाश। 
जैसे ही वो उसे पलटता है तो वो कोई और नहीं बल्कि नायरा की ही लाश होती है। खान नायरा को मरा देख ठंडा पड़ जाता है। 

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फिर भी ना जाने क्या देखने को लाश की तरफ बढ़ता है। तभी नायरा की लाश अपने हाथ से उसे ज़ोर से पकड़ लेती है और अपने खूनी आंख खोलते हुए कहती है। 
लाश,” अब तो एफआईआर लिखेंगे ना इन्स्पेक्टर खान ? “
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