कितनी मोहब्बत है : (भाग -2) | Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story

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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” कितनी मोहब्बत है “। यह इस कहानी का (भाग -2) है। यह एक True Love Story है। अगर आप भी Love Story, Romantic Story या Hindi Love Story पढ़ना पसंद करते हैं तो कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

कितनी मोहब्बत है : (भाग -2) | Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story

Kitni Mohabbat Hai | Love Story | Pyar Ki Kahani | Real Love Story | Heart Touching Love Story


कितनी मोहब्बत है : (भाग -2)

अब तक आपने पढ़ा…

मीरा की मां के निधन के बाद मीरा एकदम अकेली पड़ जाती है। हॉस्टल के वार्डन ने भी उसे हॉस्टल से निकाल दिया था। 
पैसा ना होने के कारण वह अपने शहर लौटने का इरादा बनाती है। इधर निधि को इस बात की सूचना मिलती है तो वह तुरंत उससे मिलने के लिए उसके शहर जाने के लिए तैयार होती है। 
रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद उसकी मुलाकात मीरा से होती है तो वह वापस उसे हॉस्टल लेकर आती है। मीरा के लिए निधि वार्डन से भी झगड़ जाती है।

अब आगे…

जब निधि चली गई तो मीरा वार्डन के पास आई और बहुत ही। धीमे स्वर में कहा।
मीरा,” निधि ने जो किया, उसके लिए हम माफी मांगते हैं। मैम, एक बात और… हर लड़की यहाँ ऐश करने नहीं आती है। “
कहकर मीरा वहाँ से चली गई। बाहर आई तो देखा निधि गुस्से में थी। मीरा जैसे ही उसके पास आई निधि ने कहा।
निधि,” क्या सच में तुम राजपूत खानदान से हो ? मतलब उसने तुम्हें इतना सब कहा और तुम सुन के चली आई। “
मीरा,” गलती हमारी ही है। अगर वक्त पर किराया दिया होता तो ऐसा नहीं होता। “
निधि,” ओह आदर्श की देवी ! बस करो। तुम ऐसी ही रही ना तो कोई भी बेच के निकल जाएगा तुमको। “
मीरा,” निधि, ऐसा नहीं है। पिछले तीन सालों से हम यहाँ है। हम नहीं चाहते हमारी वजह से हमारी माँ को शर्मिंदा होना पड़े। जो सर नेम हमें मिला है, उसकी इज्जत बरकरार रखना भी जरूरी है। “
निधि,” ऐसे रखोगी इज्जत बरकरार..? कोई कुछ कहे और चुपचाप सुनो, हो सके तो माफी भी खुद ही मांगो। “
मीरा ,” हम तुम्हें समझा नहीं पाएंगे। “
निधि,” ये अच्छा है तुम्हारा। खैर छोड़ो, आओ बैठो चलते हैं। देर हो रही है। “
मीरा,” अब कहां चलना है ? ” 
निधि मुस्कुराई और कहा। 
निधि,” वहाँ जहाँ सब तुम्हारे अपने हैं। “
मीरा जैसे ही आकर बैठी, निधि ने स्कूटी आगे बढ़ा दी। दोनों शिवाजी नगर में आईं। 
इंदौर आने के बाद मीरा ने पहली बार इस शहर को देखा था। साफ सुथरी सड़के, बड़े ऊंचे ऊंचे घर, वो सब देखे जा रही थी। 
निधि स्पीड से स्कूटी दौड़ाए जा रही थी। निधि व्यास अपने परिवार में सबकी लाडली थी।
मीरा से उसकी जान पहचान कॉलेज में हुई थी और मीरा का शांत व्यवहार उसे पहली नजर में भा गया।
 
लेकिन खुद बिल्कुल शांत नहीं थी। वो हमेशा हंसती खिलखिलाती रहती थी। लाडली थी, इसीलिए उसे किसी भी बात के लिए ना नहीं कहा जाता था।
मीरा को लेकर निधि एक बड़े से घर के सामने रुकी। उसने स्कूटी साइड में लगाई और मीरा को लेकर अंदर आई।
मीरा की नजर घर के दरवाजे पर लगे नेम प्लेट पर पड़ी… ‘ व्यास हॉउस ‘
मीरा अपना बैग संभाले अंदर आ गई। अंदर आते ही निधि चिल्लाई।
निधि,” मम्मा, पापा, दादू, दादी, भैया सब आ जाइए। “
निधि की आवाज सुनते ही सब बाहर चले आए। निधि के साथ एक अनजान लड़की को देखकर सबके मन में संदेह था जोकि निधि ने अगले ही पल हटा दिया और कहा। 

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निधि,” दादू, ये मेरी दोस्त है मीरा। “
और फिर मीरा की ओर पलटकर कहा। 
निधि,” मीरा, ये मेरे दादू (श्री नाथ जी व्यास) और वो मेरी दादी माँ (सुरेखा जी व्यास)। “
मीरा (हाथ जोड़कर),” नमस्ते ! “
निधि,” मेरे पापा है विजय व्यास और ये मेरी मम्मा राधा व्यास। “
निधि ने अपने माँ – पापा की ओर इशारा करके कहा। मीरा ने उन्हें भी नमस्ते की, तो दोनों जवाब में मुस्कुरा उठे। निधि अपने भाई के पास आई और उसके हाथ में हाथ डालकर कहा।
निधि,” ये हैं मेरे बड़े भैया, अर्जुन। “
अर्जुन,” हैलो ! “
मीरा ने भी जवाब में ‘ नमस्ते ‘ कहा।
सबसे परिचय करवाने के बाद निधि वापस मीरा के पास आई और कहा।
निधि,” ये है मेरी स्वीट सी फैमिली।
उसे कुछ याद आया तो उसने इधर उधर देखते हुए कहा।
निधि ,” अक्षत भैया कहां हैं ? “
राधा,” अक्षत बाहर गया हुआ है। “
उन्होंने बड़े गौर से मीरा को देखा। बड़ी बड़ी काजल से सनी आंखें, सुर्ख गुलाबी होठ, सुराही सी पतली गर्दन, गोरा रंग, लम्बे घने बाल जिन्हें सलीके से गुथा हुआ था और उनसे छानकर आती एक बालों की लठ, जो मीरा के गाल को चूम रही थी।
राधा को अपनी ओर देखता पाकर मीरा ने कहा।
मीरा,” आप हमें ऐसे क्यों देख रही हैं ? “
राधा अपनी चेतना से लौटी और अपनी ऊँगली से आँख के किनारे से काजल निकाला और मीरा के कान के पीछे लगाकर कहा। 
राधा,” बड़ी प्यारी हो‌। किसी की नजर ना लगे। “
घर में आने के बाद शायद पहली बार मुस्कुराई वो। राधा ने उसका हाथ पकड़ा और उसे सबके बीच ले आई। 
सभी हॉल में रखे सोफों पर बैठ गए। निधि ने एक सास में सारी बात कह डाली और फिर दादू के सामने आकर मासूमियत से कहा।
निधि,” मैंने ठीक किया ना दादा जी ? “
दादा जी,” हाँ बेटा जी, बिल्कुल सही किया। ऐसे वक्त में दोस्त ही दोस्त के काम आता है। “
निधि,” तो फिर मीरा यहाँ रह सकती है ना ? “
दादा जी,” जब तक वो चाहे, वो यहाँ रह सकती है। “
फिर मीरा की ओर देखकर कहा। 
दादा जी,” मीरा जी। “
मीरा,” हां। “
दादू मुस्कुराए और कहा।
दादा जी,” इसे अपना ही घर समझो। किसी भी चीज़ की जरूरत हो तो बेझिझक मांग लेना। “
मीरा ,” जी शुक्रिया। “
अर्जुन,” पापा मैं चलता हूँ, ऑफिस में मीटिंग है। “
विजय,” हाँ, ठीक है। मैं और पिताजी आते हैं बाद में। “
अर्जुन ने अपना फ़ोन और बेक टेबल से उठाया और सबको बाय कहकर जाने लगा कि उसकी नजर मीरा पर गई। तो उसने कहा।
अर्जुन,” बाय मीरा। “

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मीरा,” बाय। “
राधा,” चलो बेटा, पहले तुम दोनों कुछ खा लो। “
राधा ने कहा और दोनों को अपने साथ डाइनिंग टेबल की ओर ले आई। निधि और मीरा वहाँ आकर बैठ गईं। राधा ने दोनों के लिए खाना परोसा। दादी मां उठकर बाहर टहलने निकल गईं।
सर्दियों का वक्त था और इस मौसम में बस धूप ही सहारा होती है। दादी माँ बाहर बगीचे में आकर धूप सेंक में लगी हुई थी। 
विजय और श्री नाथ जी भी कुछ देर बाद बाहर निकल गए। निधि ने खाना शुरू किया लेकिन मीरा खामोश बैठी थी। उसे खामोश देखकर राधा ने प्यार से कहा।
राधा,” क्या हुआ बेटा, खाओ ना ? “
मीरा,” हां। “
राधा,” तुम्हारा दर्द मैं बाँट तो नहीं सकती, लेकिन उसे कम जरूर कर सकती हूँ। ये सब लोग तुम्हारे साथ है, बेटा। “
मीरा ने नम आँखों से राधा की ओर देखा तो राधा ने प्यार से उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहा।
राधा,” इतनी प्यारी बच्ची उदास बिलकुल अच्छी नहीं लगती। अब खाना खाओ, ठंडा हो रहा है। तब तक मैं तुम्हारे रहने का बंदोबस्त कर देती हूँ। “
राधा वहाँ से चली गई। मीरा को सब बहुत अच्छे लगे लेकिन सबसे ज्यादा अच्छी राधा लगी। उसमें वो अपनी माँ की छवि को देख पा रही थी। 
खाना खाने के बाद निधि उसे अपना घर दिखाने लगी। घर काफी खूबसूरती से बनाया हुआ था। नीचे एक तरफ दादा – दादी का कमरा था।
उससे लगकर पूजाघर जहाँ बड़ी सी शिव पार्वती की मूर्ति थी। मंदिर से लगकर ही रसोई घर था, जिसके सामने डाइनिंग बना हुआ था। 
विजय और राधा का कमरा सीढ़ियों के बिल्कुल पास से लगकर था और एक था ऑफिस रूम जहाँ बैठकर काम की बातें की जाती थीं।
घर के पीछे की तरफ बगीचा था, जिसमें हरी घास फैली हुई थी और एक कतार में गमलों में पौधे लगे हुए थे।
यह सब दिखाकर निधि मीरा को ऊपर लेकर आई, जहाँ तीन कमरे और एक बड़ा सा हॉल बना हुआ था। दो कमरे साथ थे और तीसरा इनसे अलग बिल्कुल सामने हॉल से मिलाकर बनाया हुआ था।
इनमें से एक कमरा अर्जुन का था और एक निधि का। सामने जो कमरा था, उसके बारे में निधि ने मीरा से कुछ नहीं कहा। 
मीरा ने भी नहीं पूछा। निधि जैसे ही दरवाजा खोलकर अपने कमरे में आई एक तेज बदबू से दोनों ने अपना नाक बंद कर लिया।
निधि ने दरवाजा वापस बंद किया और मम्मा को आवाज लगाई।
राधा ऊपर आई और कहा।
राधा ,” सॉरी बेटा, वो आज सुबह गलती से तुम्हारे कमरे में क्लीनर की बोतल टूट गई। मैंने साफ करने को कहा है, रघु कर देगा। “
निधि,” लेकिन तब तक हम लोग कहां जाएं ? मीरा को फ्रेश भी होना है। हालत देखो इसकी। “
राधा,” एक काम करो ना तब तक नीचे मेरा वाला रूम इस्तेमाल कर लो। “
निधि,” रहने दीजिए, मैं अर्जुन भैया का कमरा यूज़ कर लूँगी। “
 राधा,” ठीक है। “
कहकर राधा चली गई। दोनों अर्जुन के कमरे में आईं। मीरा ने देखा कमरा बिलकुल साफ सुथरा और व्यवस्थित था। 
एक एक चीज़ सलीके से रखी हुई थी। मीरा बड़े गौर से ये सब देख रही थी तो निधि ने कहा।
निधि,” भैया हमेशा अपने कमरे को टिप टॉप रखते हैं अपने जैसा। “
मीरा मुस्कुरा दी तो निधि ने कहा। 
निधि,” अच्छा तुम नहा लो तब तक मैं नीचे से तुम्हारा सामान ले आती हूँ। “

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मीरा नहाने बाथरूम में चली गई और निधि नीचे। मीरा नहाकर बाहर आई तो उसे टेबल पर रखे अपने कपड़े मिल गए। 
मीरा ने कपड़े पहने और गीले बालों को सुखाने कमरे से बाहर आ गई लेकिन हॉल की बाल्कनी के अलावा धूप और कहीं नहीं थी। मीरा गीले बालों को तौलिये में लपेटे हॉल की बाल्कनी के पास आई और बाल सुखाने लगी। 
तभी उसकी नजर हॉल से जुड़े उस कमरे के दरवाजे पर गई जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था ‘ अक्षत व्यास ए कॉम्प्लिकेटेड बॉय ‘
मीरा,” ऐसी नेम प्लेट कौन रखता है ? “

निधि का परिवार कैसे मीरा की खोई हुई मां की कमी पूरी करता है, यह सब जानने के लिए कहानी का अगला भाग जरूर पढें। साथ ही इस कहानी का सबसे अच्छा मूमेंट Comment में बताएं।

 

(भाग – 3)

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