खामोशियां – (भाग -3) – Story in Hindi | Best Story in Hindi

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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” खामोशियां “। यह एक Hindi Story है। कहानी को पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं…

खामोशियां - (भाग -3) - Story in Hindi | Best Story in Hindi

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 खामोशी -भाग (3) 

सुबह 5:00 बजे अलार्म बजाने पर आरुष की नींद खुली। फ्रेश होने के बाद आरुष नीचे आता है। साक्षी किचन में चाय बना रही थी। आरुष किचन में आते हुए साक्षी से पूछता है – भैया गए क्या,,, भाभी ??

हां, आज जल्दी चले गए। बोल रहे थे कि एक जरूरी केस आया था रात को। आपके लिए भी कॉफ़ी बना दूं… भैया – साक्षी चाय छानते हुए बोली।

आरुष हां बना दो,,, पापा कहां है ?

साक्षी – पापा तो दिल्ली गए हैं। आपको नहीं पता… अरे हां कल जब आप लोग शिवम भैया के यहां गए थे, उसके बाद पापा निकल गए दिल्ली।

आरुष – मम्मी और अम्मा कहां है ?

साक्षी – अम्मा अभी उठी नहीं है और मम्मी दादा के साथ बाहर हैं। परसों एक और आदमी बुलवाया था ना। घर के छोटे मोटे कामकाज के लिए, उसी से बात कर रही है।

आरुष – इतनी सुबह-सुबह आ गया।

साक्षी हंसने लगती है और आरुष अम्मा के लिए चाय लेकर ऊपर जाता है।



चाय लेकर आरुष अम्मा के रूम में जाता है। अम्मा उठ चुकी थी। साइड टेबल पर चाय रखते हुए आरुष बोलता है – अम्मा आज आप लेट कैसे हो गई ? चलो चाय पी लो।

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अरे बेटा बस थोड़ा सा घुटनों का दर्द फिर उठ गया आज। आलोक जल्दी चला गया। अब साक्षी आएगी जब फोन करवा दूंगी। तू बता तेरी पार्टी कैसी रही। शिवम और रितु ठीक है ना।

हां अम्मा दोनों ठीक हैं। अभी 2 महीने ही हुए हैं शादी को फिर भी पहले की तरह ही लड़ते हैं – आरुष अम्मा के पैर दबाते हुए बोला।

अम्मा आरुष का हाथ पकड़ते हुए बोलीं – अरे ना बेटा,,, तू अपना कम कर मैं साक्षी को बोल दूंगी बाम लगा देगी फिलहाल और वह दोनों तो पहले अलग-अलग रहते थे, जब इतना लड़ते थे अब तो साथ-साथ रहते हैं भगवान ही जाने क्या करते होंगे घर में।
हां सही बात है – आरुष ने मुस्कुराते हुए कहा। अच्छा अम्मा अब मैं चलता हूं।

ठीक है जा,,, अच्छा सुन… रिया की तबियत कैसी है ? अब रितिक ने बताया कि ज्यादा खाने की वजह से उसकी तबियत बिगड़ गई है – अम्मा ने आरुष को रोकते हुए कहा।

हां अम्मा… अब ठीक है। रात को हम सब डायरेक्ट हॉस्पिटल ही चले गए थे ना और भैया भी आ गए थे। अब तो ठीक है बिल्कुल। प्रेम के कमरे में ही सो गई थी वह। आरुष अम्मा को बता कर जाने लगा और मन ही मन सोचने लगा – इस रितिक ने कहां-कहां तक बात पहुंचा दी ?

आरुष नहा धोकर तैयार होकर बाहर आता है। हॉल में साक्षी डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगा रही थी। आरुष को देखकर साक्षी बोली – भैया आप भी नाश्ता कर लो।

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आरुष अपनी शर्ट की स्लीव फोल्ड करते हुए बोला – नहीं भाभी आज मैं ऑफिस नहीं जा रहा। बस हॉस्पिटल जा रहा हूं।



साक्षी असमंजस में बोली – हॉस्पिटल… हॉस्पिटल क्यों जा रहे हो भैया आप ? आपको तो हॉस्पिटल जाना अच्छा नहीं लगता। मैं तो यही सोच रही थी कि कल आप रिया को लेकर चले कैसे गए ? रितिक भैया ने बताया था रिया की तबियत के बारे में।

आरुष चौकते हुए बोला – रितिक ने आपसे भी कह दिया। 

साक्षी – क्या मतलब ??

वो…. वो कुछ नहीं। आप यह बताओ भैया नाश्ता कर गए थे कि नहीं – आरुष ने बात संभालते हुए कहा।

साक्षी – नहीं ! वह अभी वापस आएंगे 10:00 बजे करीब।

आरुष – ठीक है तो मैं जा रहा हूं। रिया की दावा ले आऊंगा वहां से।

साक्षी आरुष को रोकते हुए बोली – अरे भैया ! आप नाश्ता तो कर लो। दवा तो रितिक भैया या प्रेम भी ले आएंगे।

अरे मैं ही चला जाता हूं ना उसको पता भी होगा या नहीं – आरुष जाते-जाते बोला।

बाहर दादा और उषा जी नए नौकर से बात कर रहे थे। आरुष को आता देख उषा जी ने कहा – अरे आरुष ! आज इतनी जल्दी ऑफिस… नाश्ता कर लिया या नहीं।

नहीं मैं आज ऑफिस नहीं जा रहा हूं। ऑफिस आज राघव मैनेजर देख लेगा। मैं हॉस्पिटल जा रहा हूं – आरुष गैरेज जाते-जाते बोला।

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क्या हुआ आज… हॉस्पिटल कैसे ? – मां नेआश्चर्य से पूछा।

आरुष – बस मां ऐसे ही। आप यह बताओ पापा कब आ रहे हैं ?

मां – आज शाम तक आ जाएंगे।

आरुष – okay… मैं जा रहा हूं अब।

मां – okay बेटा बाय।

आरुष – बाय मां।



आरुष गाड़ी निकाल कर चला जाता है और मां दादा से बात करने लग जाती है।  

उधर प्रेम और रिया और बाकी लोग भी धीरे-धीरे उठकर आने लगते हैं।

भाभी… चाय – प्रेम आंखें मीडते हुए बोला। हां लाती हूं।

हां मेरे लिए भी – रिया भी डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए बोली।

प्रेम भी बालों में हाथ फेरते हुए आता है – Me too.

क्या बात है… आज क्या तीनों ही सलाह करके उठ कर आए हैं – साक्षी चाय का ट्रे लाते हुए बोली ैै।

प्रेम… रितिक उठ गया क्या ? – रिया ने चाय उठाते हुए कहा।

प्रेम कॉफ़ी पीते हुए बोला – वो इतनी जल्दी कैसे उठ सकते हैं।

हद है यार 2 दिन से फ्लैट बंद पड़ा है। इसको कोई चिंता ही नहीं है – रिया भौएं चढ़ाते हुए बोली और प्रेम से कहा – जगा कर ला उसको जल्दी।

अरे ! तो कोई बात नहीं रिया… यहां रुको या वहां बात तो एक ही है। हमने तो पहले ही कहा था – इसे भी अपना ही घर समझो पर आप हैं कि नहीं मानी – साक्षी चेयर पर बैठते हुए बोली।

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नहीं भाभी… ऐसी कोई बात नहीं है।

अब इंगेजमेंट कब कर रहे हो आप दोनों ? – साक्षी रिया को छेड़ते हुए बोली।

रितिक की मम्मा 2-3 महीने बाद की बोल रही हैं। अब वह लोग मॉम – डैड से बात कर लेंगे। बट i guess three months बाद का पक्का होगा – रिया चाय पीते पीते बोली।

लाली हम तो काला कोट और सफेद पेंट लांगे तुम्हारे प्यार में – मां के साथ अंदर आते दादा ने कहा।

अरे बिल्कुल दादा… आप तो जरूर चलोगे मेरी शादी में – रिया मुस्कुराते हुए बोली।

तो रिया बेटा… अब तो हमें शॉपिंग शुरू कर देनी चाहिए ना – मां बैठते हुए बोली।

अरे मेरी शादी की बातें… बिना मेरे ही हो रही है रितिक ने नीचे आते हुए कहा।

नहीं ! मैं तो दूल्हा किराए पर ले आऊंगी, तू सोता रह – रिया ने नाराज होते हुए कहा।

अरे यार… अच्छी नींद आ गई थी – रितिक ने कान पकड़ते हुए कहा।

चल अब जल्दी… शोरूम जाना है – रिया उठते हुए बोली।



वैसे हमारी शॉपिंग तुम्हारे शोरूम से हो ही जाएगी ना – मां चाय उठाते हुए बोली।
हां आंटी जी बिल्कुल… मैनेजर को बोलना कि मलिक हो गए आप शोरूम की… खुद ही आपकी आप भगत में लग जाएगा। मैनेजर अच्छी आदत का है अपना – रिया उठते हुए बोली।

रिया रितिक से बोली – अब तू भी जल्दी से चाय पी और रेडी होकर चल घर पर।

रितिक चाय पीते हुए बोला – Only 2 Minutes, Dear !

उधर आरुष हॉस्पिटल पहुंचा। अंदर जाकर आरुष रिसेप्शनिस्ट मोहिनी से पूछता है – भैया कौन से फ्लोर पर है ?

सर तो महिमा मैम से जरूरी बात कर रहे हैं यही नीचे है मीटिंग रूम में – मोहिनी काम करते हुए बोली।

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आरुष मीटिंग रूम की तरफ जाता है। वहां आलोक, महिमा और दो तीन डॉक्टर और थे। आरुष अंदर आकर साइड में चेयर पर बैठ जाता है। आलोक कुछ देर बातें करता है फिर बाकी डॉक्टर्स चले जाते हैं और आलोक आरुष से पूछता है क्या हुआ… आज यहां इतनी जल्दी कैसे ?

उस लड़की का क्या हुआ, उसे होश आया क्या ? – आरुष बैठते हुए पूछता है।

अच्छा हां… वह तो चली गई। मैंने उससे पूछा भी था पुलिस बुलाने के लिए पर उसने माना कर दिया और फीस देकर चली गई। मैंने उससे मना किया फीस के लिए पर वह बहुत जल्दी में थी – आलोक फाइल्स समेटते हुए बोला।
आरुष बिना जवाब दिए नीचे चला आया। घर वापस जाने के लिए कार में बैठ गया। आरुष के दिल में अजीब सी बेचैनी हो रही थी। कुछ देर कार में ऐसे ही बैठा रहा फिर स्टार्ट करके घर को निकल गया। इधर आलोक भी घर के लिए निकल आया।

घर पहुंचकर आरुष सीधे ऊपर अपने रूम में चला गया। कपड़े चेंज करके ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर नीचे आ गया।

साक्षी दादा के साथ नए नौकर शरण को काम समझा रही थी। साक्षी आरुष को देख कर बोली – अरे भैया ! आप तो आज ऑफिस नहीं जा रहे थे… अब कैसे ?

बस ऐसे ही… वह अभी-अभी राघव का कॉल आया है। जरूरी मीटिंग है – आरुष जल्दी-जल्दी बोलकर बाहर जाने लगा।

इतने में साक्षी उसे रोकती हुई बोली – अरे भैया कुछ खाते तो जाइए ना।

नहीं, मेरा मैन नहीं है – आरुष इतना कहते हुए चला गया।



ऑफिस आकर भी आरुष का मन नहीं लगता। अजीब सी बेचैनी हो रही है उसके मन में। वह फोन निकाल कर रितिक को कॉल करता है।

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आरुष – हेलो रितिक।

रितिक – हां, आरुष बोल।

आरुष – तू बिजी है क्या ?

रितिक – नहीं, पर क्या हुआ ?

आरुष – तू ऑफिस आ सकता है क्या ? कुछ देर के लिए।

रितिक – लेकिन हुआ क्या… सब ठीक तो है ना।

आरुष – हां सब ठीक है… बस तू आजा जल्दी से।

रितिक – Ok just wait मैं आता हूं।

थोड़ी देर बाद रितिक ऑफिस में आ जाता है और आरुष के केबिन में आते ही पूछता है – क्या हुआ आरुष… ऐसे एकदम कैसे मुझे बुलाया, सब ठीक तो है ना।

आरुष – क्यों ? मैं तुझे बुला नहीं सकता क्या ?

नहीं सोना बाबू, ऐसी बात नहीं है। मैं बस थोड़ा सा डर गया था। तू जब भी इस तरह से बुलाता है, मैं डर जाता हूं – रितिक ने बैठते हुए कहा।

आरुष – नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। बस आज मैं थोड़ा ठीक नहीं हूं। इसलिए बस तुझसे बात करने का मन था।

रितिक अच्छा बता क्या हुआ ?

आरुष कुर्सी से उठते हुए बोला – जब कभी रिया अपने मम्मी पापा के पास चली जाती है तो तुझे कैसा लगता है ?

रितिक – अरे यार… जब भी वह चली जाती है ना तो किसी भी कम में मन नहीं लगता, सब कुछ खाली खाली लगता है। पर तू यह सब क्यों पूछ रहा है ?

आरुष वापस कुर्सी पर आकर बैठता है और बोलता है – कुछ नहीं।



रितिक उठते हुए बोला – देख तेरे मन में जो भी चल रहा है ना… जब तेरा मैन करे तो बता देना। बस तू खुश रह okay !

हम्म… आरुष बस सहमति में सर हिला देता है।


इसी के साथ कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। आरुष लड़की को लेकर क्यों परेशान था और आखिर वह लड़की बिना बताए हॉस्पिटल से क्यों चली गई जानने के लिए कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।


 खामोशी -भाग (4) 

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