गरीब मोची | Gareeb Mochi | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गरीब मोची ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Written Stories या Bedtime Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
गरीब मोची | Gareeb Mochi | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

Gareeb Mochi | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

गरीब मोची

 चैनपुर गांव का एक भोला भाला गरीब लेकिन हुनरमंद मोची था। वह अपनी पत्नी कलावती और बेटे कालू के साथ रहा करता था और मोची का काम किया करता था। 
लेकिन गांव में भी मॉडर्न चप्पल जूते आ जाने के कारण उसका धंधा बंद होने के कगार पर था। क्योंकि आजकल लोग नए नए डिजाइन के जूते व चप्पल पहनते थे और हाथ से बनाई हुई चप्पल उन्हें पसंद नहीं आती थी। 
ऐसे ही एक दिन कलावती सुंदर से कहती है। 
कलावती,” सुन रहे हो जी… कालू ने कल से कुछ खाया नहीं है। सूखकर कांटा हो गया है। घर में कुछ खाने को नहीं है। “
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सुन्दर,” तो इसमें पूछना क्या था ? साहब जी की दुकान से कुछ ले जाती खाने के लिए। “
कलावती,” कल साहब जी की दुकान पर गई थी आटा लाने, लेकिन दुकानदार ने साफ मना कर दिया। बोला कि पहले का हिसाब चुकता करो, उसके बाद राशन मिलेगा। “
सुन्दर,” बात तो सही कह रहा है। साहब जी का बकाया ज्यादा हो भी गया है। पर क्या करें ? 
कोई कस्टमर आता ही नहीं है। दुकान पर। सब बगल के बाजार में खुले मॉल से मशीन से बने जूते ले आते है। “
कलावती,” तो शहर में जाकर ही कुछ काम क्यों नहीं करते ? शहर में कमाई अच्छी है। क्यों ना वही चलें ? “
तभी अचानक ही सुंदर को उल्टी हो जाती है और वह कराहने लगता है। 
कालू,” बाबूजी, क्या हुआ आपको ? ठीक तो है ना आप ? “
सुन्दर,” कुछ खाने को दे दो, बहुत ज़ोर से भूक लगी है। अब नहीं बचूंगा, मर जाऊंगा मैं। 
कलावती, बाहर से कुछ घास लाकर ही दे दो। नमक छिड़ककर उसे खा पी पाऊंगा तो भूख तो कम होगी ना ? “
कलावती,” ये आप कैसी बात कर रहे हो ? कैसे दे दूं जी ? पूरे घास पर तो बकरी और कुत्ते का मल मूत्र है और आप कह रहे हो वो खास मैं आपको दे दूं खाने को। “
सुन्दर,” कोई बात नहीं, उसे धोकर ही दे दो। नहीं तो यह भूख मेरी जान लेकर ही जाएगी। “
कलावती,” पर दो दिन से आप वही धोकर खा रहे है। अभी इसी कारण आप को उल्टी हुई है और उल्टी में सारा घास ही निकला है। हे भगवान ! हमारी मदद करो। “
सुन्दर,” कालू, मैं नहीं बचूंगा। तुम्हारे हाथ में जो बैगन है, वही दे दो… खा लेता हूँ। “
कालू,” बाबूजी, ये बैंगन नहीं जूते हैं। लाला ने बनवाए थे। लेकिन अब बोल रहा है कि उनके दामाद ने विलायत से रीबॉक के जूते भेजे हैं। इसलिए वो जूते नहीं लेगा अब। “
सुन्दर,” कालू, मुझे कुछ नहीं दिख रहा है। मेरा पेट मरोड़ रहा है। आह…! मैं नहीं बचूंगा। कालू बेटे, शहर चले जाना नहीं तो सब भूख से मेरी तरह मर जाओगे। “
इसके बाद सुंदर को एक खून की उल्टी होती है और वह वहीं पर दम तोड़ देता है। कलावती दहाड़ मार कर रोने लगती है। 
जमीन पर अपने हाथों को पटक पटककर चूड़ियां तोड़ देती है। उसके कानों में अब भी बाबूजी के अंतिम शब्द सुनाई दे रहे थे। 
शब्द… ( कालू बेटे शहर चले जाना। नहीं तो सब भूख से मेरी तरह मर जाओगे। “
कालू पेड़ों की सूखी हुई पत्तियों और टहनियों को इकट्ठा कर किसी तरह सुंदर मोची का अंतिम संस्कार करता है और तेरहवें दिन पांच ग्रामीणों को खाना खिलाता है और अपनी माँ से कहता है। 
कालू,” चलो माँ, अब हम शहर चल रहे हैं वहीं रहेंगे। “
अगले दिन अपने घर खेत खलिहान को बेचकर वह शहर चला जाता है। वहाँ एक रूम किराये पर लेकर रहने लगता है। 
वहीं बगल के रूम में रहने वाला नारियल पानी बेचता है और दूसरे रूम में चनाचूर बेचने वाला झबरू बंगाली रहता है। 
एक दिन…
नारियल पानीवाला,” अरे दादा ! कहां से हो ? जब से आये हो गुमशुदा बने चुपचाप बैठे रहते हो। कोई काम धंधा ढूंढा कि नहीं ? कहो तो मैं लगा दूं काम भैया ? “
कालू,” मैं बिहार से हूँ। जहाँ भी जाते है एक्सपिरियंस मांगता है। मेरे पास तो चमड़ी का चप्पल – जूता बनाने का एक्सपिरियंस है। 
इस वजह से मुझे कोई काम नहीं दे रहा है.। अब समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूँ ? कैसे गुज़ारा होगा इस शहर मा ? “
नारियल पानीवाला,” मेरा नाम है अय्यर पानीवाला। जूता ही बनाओ तुम सफेद हो या काला। ई मोल सब में जल्दी लगेगा ताला। क्योंकि हो रहा है गड़बड़ झाला। “
कालू,” कैसे करूँ स्टार्टर भाया ? कोई नहीं दे रहा लोन, बैंक हो या लाला। “
नारियल पानीवाला,” कोई नहीं भाया, लोन देगा तुम्हें अय्यर पानीवाला। ऐड्वर्टाइज़िंग करेगा झबरू चनाचूरा वाला। “
कालू,” भाया, मैं खूब मेहनत करूँगा और ईमानदारी से काम करूँगा। जल्दी ही तुम लोगों का पैसा लौटाने की कोशिश करूँगा। “

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नारियल पानीवाला,” ओ दादा ! ईमानदारी की बिमारी को बंद करो तड़ा तड़ी। जैसा पैसेंजर वैसे चलाओ गाड़ी, तभी चमकेगा बिज़नेस तुम्हारी। “
झबरू बंगाली और नारियल पानी वाले से लोन लेकर कालू मोची एक छोटा सा दुकान (सुंदर शूज़ स्टोर) खोल देता है। उसके जूते सुंदर और टिकाऊ होते है। 
जल्द ही वह शहर के कस्टमर्स के टेस्ट और डिमांड को पहचान जाता है और उन्हें पसंद आयें, ऐसे जूते बनाने लगता है। 
अय्यर नारियल पानीवाला और झबरू चनाचूर वाला बिज़नेस बढ़ाने में उसकी मदद करते हैं। 
नारियल पानीवाला,” आ जायें आ जायें… अपने साइज के जूते ले जायें। सुन्दर सुडॉल और सस्ता… झटपट नाम दें जो रस्ता। “
ग्राहक,” भाई, मेरे साइज के जूते यहां मिलेंगे क्या ? मुझे भी जूते बनवाना है। “
नारियल पानीवाला,” मोटे पतले हों या पहेलवान… या हो कहीं के सुल्तान, सब के लिए यहां जूता है श्रीमान। जाओ जाओ अंदर जाओ, सब है हमारे पास। “
कालू,” आइये पहलवान जी, आप लोगों की मजबूती को ध्यान में रखकर मैंने इस जूते में गेंद का चमड़ा यूज़ किया है। ये देखिये बिलकुल आपके लिए ही बना है ये जूता। “
ग्राहक,” अच्छा… ये जूता नहीं फटेगा इसका कोई गैरन्टी है ? क्या है ना… मेरे जूते हर पांच महीने में फट जाते हैं। 
मैं इस बात से बहुत परेशान हूँ। कितना ही महंगा जूता ले लूं, कोई भी नहीं टिकता। तुम्हारे जूते की क्या गारंटी है ? “
अय्यर,” कुछ महंगा पड़ेगा, लेकिन 1 साल की गैरन्टी मिलेगी। इस बीच अगर जूता फट गया तो दूसरा मिलेगा। “
पहलवान,” कोई नहीं… मुझे बस जूते चाहिए, पैसों की कोई दिक्कत नहीं है। बताओ कितने लगेंगे ? “
अय्यर,” जी 22,000 के एक। लेकिन आप नैश्नल लेवल के पहलवान है इसलिए 15,000 दे दीजिये। “
पहलवान,” ठीक है, ये जूते पैक कर दो। “
अय्यर,” अभी पैक कर देते हैं। जी, अगली बार जरूर आइएगा। “
कालू,” ओ भाई अय्यर ! जूते तो ₹6000 के थे। तू ने ₹15,000 में क्यों बेचे ? ये तो धोखा हुआ है ना ? 
मैं धोखा देकर काम नहीं करूँगा क्योंकि मैंने दुकान अपने बापू के नाम पर ली है और मैं उनका नाम खराब नहीं करूँगा। “
अय्यर,” देख भाया, हम कोई धोखा नहीं दे रहे हैं। सुनो वो ठहरा पहलवान… जूते फट गए तो दूसरा जूता मुंफट में ले जाएगा। 
इसलिए तो दो जूते से ज्यादा दाम मैंने पहले ही ले लिए। अब अगर आया तो एक जूता दे देना, बस… तुम्हारे दो दो जूते भी एक साथ निकल गए। “
कालू,” फिर तो ठीक है। वैसे आइडिया तो सही है लेकिन तरीका गलत है। “
झबरू,” दादा, आप बहुत ही भोले हो। इसी जूते को मॉल में या शोरूम में 20,000 से ₹22,000 में बेचेंगे, जिसमें ऐड्वर्टाइज़िंग चार्जेस, स्टाफ चार्जेस, ऐसी चार्जेस आदि एक कर लेंगे। 
आप दादा बढ़िया और मजबूत टिकाऊ सामान दे रहे हो। इतना पैसा तो लेना ही चाहिए। “
अय्यर,” अरे सर ! इसमें कोई चीटिंग नहीं है सर। इसे सेल्स स्किल्स कहते हैं। बड़े बड़े ब्रैंड भी ₹200 के सामान को ₹2000 में बेचते हैं। 
बड़े बड़े सेलिब्रिटी से ऐड करवातें हैं और पैसे हमसे दिलवाते हैं। ऐसे ही धंधा किया जाता है। अभी तुम इस शहर में नये हो, धीरे सब सीख जाओगे। “
कालू,” भाई, तुम लोगों की बात तो हमारे पल्ले नहीं पड़ रही है। लेकिन अपना बुद्धि लगाकर तो बाप खो चुका हूँ। अब देखते हैं तुम लोगन का तरीका से कहा होवत है ? “
अय्यर,” आओ भैया आओ… दीदी बाबू आओ। अपने बच्चे के लिए सुंदर जूता ले जाओ। 
आपको लगेगा कम दाम, बच्चे को मिलेगा आराम। मैडम खड़ी है दूर, बच्चे के लिए फ्री है चनाचूर। “
ग्राहक,” यजमान्, आपके यहाँ वेज जूता मिलेगा क्या ? मतलब ऐसा जूता जिसमें चमड़े का इस्तेमाल ना किया गया हो ? क्योंकि हम जानवर की खाल से बना जूता नहीं पहनते हैं। “
कालू,” नहीं पंडित जी, हमारे यहाँ वेज जूता नहीं है। “
अय्यर,” अरे ! है ना पंडित जी। आपके लिए ऑर्डर जाएगा। एक हफ्ते में शुद्ध फल नारियल के छाल से तैयार किया गया जूता आपको मिल जायेगा। “
ग्राहक,” युग युग जियो यजमान्। आपका भला हो। इससे शुद्ध और क्या होगा ? नारियल के छाल का जूता हुआ… मन खुश कर दिया। ये लो बेटा ₹1000 ऐडवान्स। “
अय्यर,” कस्टमर लक्ष्मी होता है और लक्ष्मी को कभी ठुकराना नहीं चाहिए। जो आता है, आने दो। “
जल्द ही तीनों की मेहनत रंग लाती है। उनके द्वारा छोटे से शुरू किया गया दुकान शहर का सबसे बड़ा लेदर शूज का दुकान बन जाता है।

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अब तीनों अपनी अपनी फैमिली के साथ अपार्टमेंट में रहने लगते हैं और सभी बहुत खुश होते हैं। तीनों की जिंदगी पटरी पर आ जाती है और उस पर उनकी खुशहाल ट्रेन सरपट दौड़ती है। 
लेकिन इनकी दुकान की वजह से उनके सामने एक मॉल वाले को इनके काम से जलन होने लगती है।
मॉलवाला,” इस कालू का कुछ करना होगा। ये तो दिन प्रतिदिन धंधा चौपट कर ही जा रहा है। क्या किया जाए ? “
तभी वो सड़क पर जाते हुए एक बेवड़े को बुलाता है। 
मॉलवाला,” अबे सुन… इधर आ। “
शराबी,” धत् तेरे की… अबे किसकी मौत आई है ? ये शेर का रास्ता रोक रहा है… कौन है बे ? “
मॉलवाला,” अबे क्या सुबह सुबह टाट हुआ पड़ा है ? “
शराबी,” अबे ! तेरी तो… तेरा बाप का पिया है क्या ? “
मॉलवाला,” अबे कचरे ! सुन मेरी बात। बोतल चाहिए क्या… बोतल ? “
शराबी,” अबे हठ। बेवड़ा समझा है क्या ? बोतल का क्या करूंगा मैं ? उस बोतल में लाल परी होनी चाहिए। तभी शुरूर आएगा। “
मॉलवाला,” उसी की बात कर रहा हूँ। तुझे आज रात एक काम करना होगा। इस सामने वाली दुकान में आग लगानी है, समझा ? लेकिन किसी को कोई शक नहीं होने का कि ये काम मैंने करवाया है। “
शराबी,” हो जायेगा काम। किसी को क्या… तुमको खुद को शक नहीं होगा कि ये काम तुमने करवाया है, हाँ। “
मॉल का मालिक बेवड़े को कुछ रुपए देकर वहाँ से भेज देता है। रात में बेवड़ा चुप चाप से कालू की दुकान को छोड़ बगल की दुकान में आग लगा देता है। 
झबरू,” कालू भैया… अय्यर, चलो दुकान में आग लगी है। “
कालू,” अब क्या होगा ? हम लोग फिर से गरीब हो गए। बहुत मेहनत से अमीर हुए थे। 
शायद भगवान हमको गरीबी में ही देखना चाहता है। अब क्या होगा ? हे भगवान…! “
अय्यर,” कालू भैया, तुम्हारी नहीं, हमारी दुकान पर आग लगी है। तुम मेरी मदद करो। 
झबरू तू फायर ब्रिगेड को फ़ोन कर, तब तक मैं अपने नारियल पानी से आग पर काबू करता हूँ। “
झबरू,” हैलो ! फायर ब्रिगेड स्टेशन से बोल रहे है ? दादा सोए क्यूँ हो ? 
जल्दी जाग, हमारी दुकान में लगी है आग। उड़ी बाबा… तड़ी तड़ा वहाँ से भाग। जल्दी आओ आग बुझाओ। “
अय्यर,” झबरू, इधर उधर से बाल्टी लेकर आ। यहाँ आग की लपटें ज्यादा उठ रही है। जल्दी से पानी लाओ। “
झबरू,” ये लो बाल्टी, मैं पानी लेकर आता हूँ। “
अय्यर,” अईयो रियो ये कैसा आदमी जी..? खाली बाल्टी से बुझाएगा आग और पानी के लिए बिना बाल्टी रहा है भाग। “
पंडित,” यजमान् ! “
कालू,” पंडित जी गंगाजल बचाकर रखिये, कल पूजा में काम आएगा। आज गिरे हैं कल उठकर फिर दौड़ेंगे। “
अय्यर,” बस ऐसे ही तुम्हारी दोस्ती चाहिए। अब हम सब ठीक कर देंगे। “
झबरू,” हटो हटो… फायर ब्रिगेड आ गया है। “
तीनो की सूझबूझ और लगन से जल्द ही आग पर काबू पा लिया जाता है। 
अय्यर,” अरे ! अब क्या होगा बाबा, सारी दुकान खाक हो गयी ? “
कालू,” तुम दोनों चिंता मत करो। मेरे बुरे वक्त में तुम दोनों ने ही सहारा दिया था, अब मेरी बारी है। दोस्ती निभाने की। “
कालू दोनों की पैसों की मदद करता है, जिससे जल्द ही फिर से दोनों की दुकान रफ्तार पकड़ लेती है। 
अय्यर,” लेकिन हमें पता लगाना है कि आग लगी कैसे ? “
कालू,” सीसीटीवी कैमरा के फुटेज लेकर आज पुलिस वाले आते ही होंगे, जिससे सब मालूम पड़ जाएगा। “
पुलिस वाला,” अरे भाई साहब ! आपकी दुकान को आग इस बेवड़े ने लगाई थी। और हाँ, हमने इसे पकड़ कर सब कुछ उगलवा लिया है कि इसने ऐसा क्यों किया ? “
अय्यर,” अइयो… क्यों किया ऐसा जी..? हम तो किसी से कोई दुश्मनी नहीं रखते जी। “
पुलिस वाला,” अय्यर जी, सामने जूते का मॉल का मालिक हमारी हिरासत में आ गया है। ये सब कालू की दुकान को जलाना चाहते थे क्योंकि उसकी तरक्की से उसे नुकसान हो रहा था। “
मॉल के मालिक को उसके किए की सजा मिली। उसके बाद कालू पंडित जी के लिए नारियल छाल के जूते बना देता है। 
कालू,” पंडित जी, राम राम..! देखिये आपके लिए स्पेशल बनाया हुआ वेज जूता। आशा करता हूँ आपको पसंद आएगा। “
पंडित,” अरे वाह वाह ! यज़मान् जी, ये तो कमाल हो गया। ऐसा तो पहली बार हो रहा है। आपका ये फल जरूर रंग लाएगा। “
जूते पंडित जी को बहुत पसंद आते है। पंडितजी एक बहुत बड़े मठ मुखिया थे। उन्हें इस तरह के जूते पहने देख बहुत से लोगों ने वैसे ही जूते पहनने चाहे। 
उसके बाद पंडित जी ने कालू को ऐसी ही और जूते बनाने का बहुत बड़ा ऑर्डर दिया। उसके बाद कालू की दुकान एक ब्रैंड बन जाता है। 

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अय्यर,” आइयो कमाल हो गया जी। आखिरकार कालू की मेहनत रंग लाई। “
कालू,” अरे भाईयो ! ये मेरी अकेले की नहीं, हम सबकी मेहनत का नतीजा है। आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद ! “
कालू के नारियल की छाल के बने जूते सब जगह प्रसिद्ध हो गए और देखते ही देखते उनका व्यापार आसमान छूने लगा।

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