जादुई मछली और लालची पत्नी | Jadui Machli Aur Lalchi Patni | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई मछली और लालची पत्नी ” यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
जादुई मछली और लालची पत्नी | Jadui Machli Aur Lalchi Patni | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

Jadui Machli Aur Lalchi Patni| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

 जादुई मछली और लालची पत्नी 

एक बार एक हीरा नाम का मछुआरा था जो एक छोटे से गांव के किनारे टूटी हुई झोपड़ी में रहता था। वह समुंदर के किनारे मछली पकड़ा करता था। 
हीरा मछली पकड़ने में माहिर था। लेकिन कुछ दिनों से उसके जाल में कोई भी मछली नहीं आ रही थी। एक दिन वह थक हारकर घर वापस जाता है। 
हीरा की पत्नी,” आ गए तुम ? आज भी खाली हाथ ही लौट आए। हे भगवान ! यह मैं किस आदमी के पल्ले बंध गई हूं ? न जाने वह कौन सा दिन होगा, जब तुम बहुत सारी मछलियां पकड़कर उन्हें बेचकर खूब सारे पैसे लाकर मुझे दोगे ? 
मैं तंग आ चुकी हूं, इस टूटी हुई झोपड़ी में रह रहकर। आपको बता देती हूं, अगर आप मुझे अपने साथ रखना चाहते हो तो खूब पैसे लाकर दो। ” 
हीरा,” अरे ! तुम ही बताओ, मैं क्या करूं ? दिन भर दो समुंदर के किनारे इसी इंतजार में बैठा रहता हूं कि कब कोई मछली मेरे जाल में फंसे। 
लेकिन पता नहीं क्या हो रहा है मेरे साथ ? किस्मत साथ ही नहीं दे रही और मैं खाली हाथ ही घर लौट आता हूं। “
हीरा की पत्नी,” वह सब मैं नहीं जानती हूं। जब देखो तब यही कहते रहते हो, मैं क्या करूं ? जाओ और मछली पकड़ कर लाओ। “
अपनी पत्नी की यह बातें सुनकर हीरा बहुत दुखी हो जाता है और अपनी छड़ी के साथ समुंदर के किनारे जाता है। मछलियां पकड़ने के लिए वह बस अपनी नाव में बैठ जाता है। 
लेकिन तभी उसकी नाव समंदर में नीचे जाने लगती है और उसके जाल में एक बड़ी और सुनहरी मछली फंस जाती है। 
हीरा,” मेरा जाल एकदम से इतना भारी कैसे हो गया ? “
जैसे ही हीरा समंदर से अपने जाल को ऊपर की ओर खींचता है, उसे एक बहुत बड़ी, सुंदर और सुनहरी मछली अपने जाल में फंसी हुई दिखाई देती है। तभी सुनहरी मछली बोलती है। 
मछली,” अरे ! छोड़ दो मुझे, जाने दो हीरा। पानी से बाहर आकर मैं मर जाऊंगी। जाने दो मुझे। मैं एक जादुई मछली हूं। तुम जो भी मांगोगे वह तुम्हें मिल जाएगा लेकिन मुझे जाने दो। हीरा। “
हीरा,” क्या सच में तुम एक जादुई मछली हो ? ” 
मछली,” हां हीरा, मैं बहुत दिनों बाद अपने महल से इस समुंदर में बाहर आई थी लेकिन तुम्हारे जाल में फंस गई। तुम मुझे छोड़ दो। “
हीरा,” मुझे माफ कर दो सुनहरी मछली। मुझे नहीं पता था कि तुम एक जादुई मछली हो। मैं तुम्हारा क्या करूंगा ? तुम कोई साधारण मछली नहीं हो इसीलिए तुम जा सकती हो। “
इसके बाद हीरा सुनहरी मछली को अपने जाल से निकाल देता है। 
मछली,” तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद हीरा। तुम एक बहुत अच्छे इंसान हो। तुमने मेरे प्राण बचाए हैं। तुम्हें जब भी मेरी जरूरत हो इस समुंदर में आकर तेज आवाज लगा देना। मैं तुम्हारी मदद करने के लिए आ जाऊंगी। “
इसके बाद वह सुनहरी मछली समंदर में चली गई। तभी सुनहरी मछली और हीरा की सारी बातें पेड़ के पीछे छुपा एक आदमी सुन रहा था। वह तभी हीरा के घर जाता है। 
आदमी,” अरे कमला भाभी ! आज तो पता है गजब ही हो गया। “

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कमला,” अरे क्या हो गया भोला भैया ? जरा बताओगे भी… आज फिर कोई बात हुई क्या ? “
भोला,” आज हीरा भैया के जाल में जादुई मछली फंसी थी।लेकिन हीरा भैया ने उसे ऐसे ही जाने दिया। वह कितना सारा पैसा मांग सकते थे ? 
और नहीं तो वह तुम्हारे बारे में ही कुछ सोच लेते ? पर खैर मुझे क्या ही लेना इन बातों से ? सोचा आपको आकर बता देता हूं। खैर मुझे क्या ? “
कमला,” क्या बोल रहे हो भैया ? जादुई मछली वो भी इनके हाथ ? अरे भोला भैया ? यह तो है ही मंदबुद्धि। आने तो दो फिर मैं इनकी खबर लेती हूं। “
भोला,” चलो ठीक है भाभी… फिर मैं चलता हूं। “
इसके बाद भोला वहां से चला जाता है। हीरा अपने घर आता है।
कमला,” आज भी खाली हाथ ही लौट कर आए हो ? पूरे दिन में एक मछली भी नहीं पकड़ी जाती तुमसे। क्या भूख मारने का ही सोचा है मुझे ? 
तुम्हारी रोज-रोज की इस हरकत से तंग आ चुकी हूं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं अपने मायके चली जाऊंगी हूं । “
हीरा,” अरे भगवान ! ऐसा मत कहो। मैं कुछ कोशिश करता हूं। मछली पकड़ने गया तो आज एक मछली फंसी भी थी लेकिन वह एक जादुई मछली थी। उसका मैं क्या करता ? इसलिए मैंने उसे जाने दिया। “
कमला,” अरे मूर्ख इंसान ! यह तुमने क्या किया ? हाथ आया इतना अच्छा अवसर गवा दिया। हे भगवान ! यह पता है तुमने आज क्या किया ? वह एक जादुई मछली थी। 
उसकी आजादी के बदले तुम उससे जो कुछ भी मांगते, वह तुम्हें देख सकती थी। मैं कहती हूं अभी जाओ समुंदर के किनारे और उस जादुई मछली से झोपड़ी मांगो अपने लिए। जाओ…। “
हीरा समंदर के किनारे जाता है और वहां तेज तेज चिल्लाने लगता है। 
हीराे,” हे सुनहरी मछली ! तुम जहां भी हो, मेरे सामने आओ । तुम्हारी जान बचाने के बदले मेरी पत्नी की कुछ इच्छा है। मेरे सामने आओ सुनहरी मछली…। “
तभी सुनहरी मछली हीरा के सामने उपस्थित हो जाती है। 
सुनहरी मछली,” हीरा क्या इच्छा है तुम्हारी पत्नी की ? तुम जो भी मांगोगे वह मिल जाएगा। लेकिन मैं तुम्हारी केवल तीन इच्छा पूरी कर सकती। तुम्हारी तीसरी इच्छा तुम्हारा वर्तमान होगा। ध्यान रखना…। “
हीरा,” हे सुनहरी मछली ! मेरे पास रहने के लिए केवल टूटी फूटी झोपड़ी है जिसमें मेरी पत्नी से अब रहा नहीं जाता। मेरी पत्नी चाहती है कि तुम हमें एक झोपड़ी दे दो जिसमें हम आराम से रह सके। “
सुनहरी मछली,” ठीक है हीरा, तुम्हारी पत्नी की इच्छा पूरी हुई। “
इसके बाद हीरा अपने घर जाता है और अपनी पत्नी को एक बड़ी और सुंदर झोपड़ी में देखता है। 
कमला,” देखो, देखो… मैंने कहा था ना, वह जादुई मछली हमें बहुत कुछ दे सकती है। देखा ना कितनी सुंदर और बड़ी झोपड़ी है हमारी। 
उस टूटी हुई झोपड़ी से तो लाख गुना सुंदर है। यहां पर उपस्थित हर एक चीज कितनी प्यारी और सुंदर है ? “
हीरा,” ठीक है। तुम्हारी इच्छा पूरी हुई। लेकिन उस जादुई सुनहरी मछली के अनुसार अब तुम्हारी केवल तीन इच्छा ही पूरी हो सकती हैं। तुम्हारी तीसरी इच्छा तुम्हारा वर्तमान होगी। “
कमला,” हां, हां ठीक है। मैं ध्यान रखूंगी। “
कुछ ही दिनों बाद…
कमला,” सुनो… मुझे यह झोंपड़ी बहुत ही छोटी लगती है। तुम उस सुनहरी मछली के पास जाओ और एक बड़ा सा महल मांगों जिसमें काफी नौकर चाकर हों, मेरी मदद करने के लिए। अब मुझसे ज्यादा काम नहीं किया जाता। “
हीरा,” लेकिन यह झोपड़ी तो बहुत अच्छी है। तुम बड़े महल का क्या करोगी ? “
कमला,” अरे ! तो मैं यह सब तुमसे थोड़े ही ना मांग रही हूं। उस ज्यादा मछली के पास जाकर मांगने के लिए ही तो बोल रही हूं। तुमसे मेरी इतनी भी खुशी नहीं देखी जाती क्या ? “
हीरा,” ऐसी बात नहीं है। मुझे यह सब ठीक नहीं लग रहा है इसलिए। “
कमला,” अरे ! कुछ नहीं है ऐसा। तुम ज्यादा मत सोचो इस बारे में। तुम केवल सुनहरी मछली के पास जाओ। “
हीरा,” ठीक है जाता हूं। “

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हीरा समुंदर के किनारे पहुंचकर जोर जोर से चिल्लाने लगता है।
हीरा,” सुनहरी मछली, जहां कहीं भी हो सामने आओ। मैंने तुम्हारी जान बचाई थी। मेरी पत्नी की कुछ इच्छाएं हैं। सामने आओ। “
तभी जादुई मछली सामने से तैरती हुई बाहर आती है। 
सुनहरी मछली,” बोलो हीरा, क्या इच्छा है तुम्हारी पत्नी की ? “
हीरा,” सुनहरी मछली, मेरी पत्नी को एक बड़ा सा महल चाहिए जिसमें सारी सुविधाएं हों और जिसमें आगे पीछे नौकरों की भरमार हो। “
सुनहरी मछली,” जाओ, तुम्हारी पत्नी की यह इच्छा भी पूरी हुई। “
हीरा अपने घर वापस लौटने लगता है। घर पहुंचकर वह देखता है कि उसकी पत्नी एक आलीशान महल में बैठी हुई थी। उसके चारों तरफ नौकर ही नौकर है जो उसकी सेवा में लगे हुए हैं।
कमला,” देखो यह महल कितना बड़ा है ? और इसमें नौकरों की भी भरमार है और बहुत सारे कमरे भी है। इस महल में तो जरूरत की हर एक चीज मौजूद है। 
ऐसा लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रही हूं। वाकई में वह मछली काफी शक्तिशाली है। “
हीरा,” हां सच में, यह महल काफी बड़ा और शानदार है। इस महल में अब तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी। तुम्हारी यह इच्छा भी पूरी हुई। अब हम खुशी से रहेंगे। “
कुछ दिनों बाद..
कमला,” सुनो… इस महल में हमारा रहना तो बेकार है। महल में तो राजा रहते हैं। और इस गांव के तो सभी लोग उस राजा की ही बात मानते हैं। 
तुम दोबारा से उस जादुई मछली के पास जाओ और उसे कहो कि वह मुझे राजा बना दे। मैं इस गांव में सबसे शक्तिशाली बनकर रहना चाहती हूं। “
हीरा,” अरे भाग्यवान ! तुम यह सही नहीं कर रही हो। यह सरासर गलत है। अब मैं दोबारा उस जादुई मछली के पास नहीं जा सकता। 
हमारे पास इतना बड़ा महल है और इसमें जरूरत की सभी चीजें मौजूद है। हमें ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और इसी में खुश रहना चाहिए। “
कमला,” देखो, मेरे सामने बकवास मत करो। तुम अभी के अभी उस सुनहरी मछली के पास जाओ। नहीं तो अच्छा नहीं होगा, मैं बता देती हूं हां। “
हीरा अपनी पत्नी की बातों को सुनकर उदास मन से सुनहरी मछली के पास जाता है। 
हीरा,” जादुई मछली, मैंने तुम्हारे प्राण बचाए हैं इसलिए बाहर आओ। मेरी पत्नी की कुछ इच्छाएं हैं। “
तभी अचानक से सुनहरी मछली सामने आती है। 
सुनहरी मछली,” बोलो हीरा… तुम्हारी पत्नी की तीसरी इच्छा क्या है ? “
हीरा,” तुम मेरी पत्नी को इस गांव में सबसे शक्तिशाली बना दो। उसे इस गांव की रानी बना दो। “
सुनहरी मछली,” ठीक है। तुम्हारी पत्नी की यह तीसरी इच्छा भी पूरी हुई। “
हीरा अपने घर जाता है तो देखकर चौंक जाता है; क्योंकि उसकी पत्नी पुरानी टूटी हुई झोपड़ी में बैठी सिसक सिसककर रो रही थी। 
कमला,” अरे ! यह क्या हो गया ? हमारा महल तो पहले वाली टूटी हुई झोपड़ी में बदल गया। हमारे पास इतना धन और ढेर सारे नौकर चाकर थे, 
सब कुछ अचानक से गायब हो गया और हम फिर से पहले की तरह गरीब हो गए। उस जादुई मछली ने तो हमसे हमारा सब कुछ छीन लिया। “
हीरा,” चुप करो कमला। यह सब तुम्हारी लालच की वजह से हुआ है। तुम्हें केवल सुनहरी मछली से दो ही इच्छाएं मांगनी थी। तुम्हारी केवल दो ही इच्छाएं पूरी की जा सकती थी। तीसरी इच्छा तुम्हारा वर्तमान थी। 

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तुमने दो इच्छाओं में सुनहरी मछली से जो कुछ भी मांगा, तीसरी इच्छा ने और तुम्हारे लालच ने हमसे हमारा सब कुछ छीन लिया और हम फिर से टूटी हुई झोपड़ी में आ गए। “
कमला,” अरे ! यह क्या कर दिया मैंने ? अपने लालच की वजह से सब कुछ खो दिया मैंने। “
कमला अपने इस लालच पर बहुत शर्मिंदा होती है। और उसे अब अच्छी तरह समझ आ जाता है कि ज्यादा लालच करना कभी-कभी हमारे लिए उल्टा साबित हो जाता है।
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